दिव्या देशमुख शतरंज की नई ‘सरताज’

फिडे महिला विश्व कप शतरंज स्पर्धा खिताब अपने नाम किया
नागपुर.
नागपुर के लिए यह गर्व का क्षण है! शहर की बेटी दिव्या देशमुख ने जॉर्जिया के बाटुमी में आयोजित फिडे महिला विश्व कप शतरंज स्पर्धा का खिताब जीतकर न केवल देश का नाम रोशन किया है, बल्कि नागपुर की तीसरी ग्रैंडमास्टर बनने का गौरव भी हासिल किया है। यह उपलब्धि यह साबित करती है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ भी असंभव नहीं है।

प्रतिभा लगातार चमकती रही
दिव्या, जिनके माता-पिता दोनों डॉक्टर हैं, ने मात्र 5 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। 2012 में अंडर-7 राष्ट्रीय खिताब जीतने से लेकर अंडर-10 और अंडर-12 विश्व खिताब तक, दिव्या की प्रतिभा लगातार चमकती रही। 2021 में, 15 साल की उम्र में वह भारत की 21वीं महिला ग्रैंडमास्टर बनीं। उनकी सफलता का सिलसिला यहीं नहीं रुका; 2022 में उन्होंने भारतीय महिला शतरंज चैंपियनशिप जीती और उसी वर्ष शतरंज ओलंपियाड में भारत के लिए कांस्य पदक भी हासिल किया। 2023 में एशियन महिला चैंपियनशिप और टाटा स्टील इंडिया रैपिड टूर्नामेंट में दिग्गज खिलाड़ियों को हराना उनकी बढ़ती शक्ति का प्रमाण था।

दिव्या ने इतिहास रच दिया
मई 2024 में शारजाह चैलेंजर जीतने और जून में विश्व जूनियर (अंडर-20) बालिका चैंपियनशिप में अपराजित रहते हुए खिताब जीतने के बाद, जुलाई 2025 में दिव्या ने इतिहास रच दिया। वह फिडे महिला विश्व कप के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं और हरिका द्रोणावल्ली तथा तान झोंगई को हराते हुए अपनी प्रेरणा कोनेरू हम्पी को टाई-ब्रेक में मात देकर खिताब पर कब्जा कर लिया। इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही उन्हें ग्रैंडमास्टर की उपाधि से नवाजा गया।

भव्य स्वागत की घोषणा
नागपुर डिस्ट्रिक्ट चेस एसोसिएशन (एनडीसीए) और शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने दिव्या की इस शानदार उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है। विधायक संदीप जोशी ने उनकी मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प की सराहना की, जबकि चेस एसोसिएशन नागपुर के सचिव भूषण श्रीवास ने महाराष्ट्र सरकार से दिव्या को विश्व चैंपियनशिप की तैयारियों के लिए 2 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया है। एस.एस. सोमन, कार्यकारी अध्यक्ष, शतरंज एसो. नागपुर, ने दिव्या की घर वापसी पर उनके भव्य स्वागत की घोषणा की है।

पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत
दिव्या की यह जीत नागपुर, महाराष्ट्र और पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी उपलब्धि यह दर्शाती है कि शहर की युवा प्रतिभाओं में वैश्विक स्तर पर चमकने की क्षमता है, अगर उन्हें सही मार्गदर्शन और अवसर मिलें। यह नागपुर के लिए एक ऐसा क्षण है जिसे स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाना चाहिए, और दिव्या देशमुख ने वास्तव में शहर का नाम ऊंचा किया है।

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