Category: मनोरंजन न्यूज़

  • दिव्या देशमुख शतरंज की नई ‘सरताज’

    दिव्या देशमुख शतरंज की नई ‘सरताज’

    फिडे महिला विश्व कप शतरंज स्पर्धा खिताब अपने नाम किया
    नागपुर.
    नागपुर के लिए यह गर्व का क्षण है! शहर की बेटी दिव्या देशमुख ने जॉर्जिया के बाटुमी में आयोजित फिडे महिला विश्व कप शतरंज स्पर्धा का खिताब जीतकर न केवल देश का नाम रोशन किया है, बल्कि नागपुर की तीसरी ग्रैंडमास्टर बनने का गौरव भी हासिल किया है। यह उपलब्धि यह साबित करती है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ भी असंभव नहीं है।

    प्रतिभा लगातार चमकती रही
    दिव्या, जिनके माता-पिता दोनों डॉक्टर हैं, ने मात्र 5 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। 2012 में अंडर-7 राष्ट्रीय खिताब जीतने से लेकर अंडर-10 और अंडर-12 विश्व खिताब तक, दिव्या की प्रतिभा लगातार चमकती रही। 2021 में, 15 साल की उम्र में वह भारत की 21वीं महिला ग्रैंडमास्टर बनीं। उनकी सफलता का सिलसिला यहीं नहीं रुका; 2022 में उन्होंने भारतीय महिला शतरंज चैंपियनशिप जीती और उसी वर्ष शतरंज ओलंपियाड में भारत के लिए कांस्य पदक भी हासिल किया। 2023 में एशियन महिला चैंपियनशिप और टाटा स्टील इंडिया रैपिड टूर्नामेंट में दिग्गज खिलाड़ियों को हराना उनकी बढ़ती शक्ति का प्रमाण था।

    दिव्या ने इतिहास रच दिया
    मई 2024 में शारजाह चैलेंजर जीतने और जून में विश्व जूनियर (अंडर-20) बालिका चैंपियनशिप में अपराजित रहते हुए खिताब जीतने के बाद, जुलाई 2025 में दिव्या ने इतिहास रच दिया। वह फिडे महिला विश्व कप के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं और हरिका द्रोणावल्ली तथा तान झोंगई को हराते हुए अपनी प्रेरणा कोनेरू हम्पी को टाई-ब्रेक में मात देकर खिताब पर कब्जा कर लिया। इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही उन्हें ग्रैंडमास्टर की उपाधि से नवाजा गया।

    भव्य स्वागत की घोषणा
    नागपुर डिस्ट्रिक्ट चेस एसोसिएशन (एनडीसीए) और शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने दिव्या की इस शानदार उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है। विधायक संदीप जोशी ने उनकी मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प की सराहना की, जबकि चेस एसोसिएशन नागपुर के सचिव भूषण श्रीवास ने महाराष्ट्र सरकार से दिव्या को विश्व चैंपियनशिप की तैयारियों के लिए 2 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया है। एस.एस. सोमन, कार्यकारी अध्यक्ष, शतरंज एसो. नागपुर, ने दिव्या की घर वापसी पर उनके भव्य स्वागत की घोषणा की है।

    पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत
    दिव्या की यह जीत नागपुर, महाराष्ट्र और पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी उपलब्धि यह दर्शाती है कि शहर की युवा प्रतिभाओं में वैश्विक स्तर पर चमकने की क्षमता है, अगर उन्हें सही मार्गदर्शन और अवसर मिलें। यह नागपुर के लिए एक ऐसा क्षण है जिसे स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाना चाहिए, और दिव्या देशमुख ने वास्तव में शहर का नाम ऊंचा किया है।

  • केबीसी 17 फिर मचाएगा 11 अगस्त से तहलका

    केबीसी 17 फिर मचाएगा 11 अगस्त से तहलका

    प्रशंसक बिग बी की आवाज सुनने बेताब
    मुंबई
    टीवी जगत का सबसे फेमस शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ एक बार फिर दर्शकों के बीच अपनी वापसी करने जा रहा है। इस शो का 17वां सीजन 11 अगस्त से प्रसारित होने वाला है और यह सीजन भी बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की होस्टिंग के साथ ही होगा। ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की शुरुआत साल 2000 में हुई थी, और तब से लेकर अब तक यह शो लगातार दर्शकों का दिल जीतता आ रहा है।

    अमिताभ बच्चन की दमदार वापसी
    इस शो के टेलीकास्ट का इंतजार सालों से दर्शक बड़ी बेसब्री से करते हैं। शो का सबसे बड़ा आकर्षण अमिताभ बच्चन ही रहे हैं, जिनकी आवाज और व्यक्तित्व शो को और भी खास बनाते हैं। हर साल खबरें उड़ती हैं कि अमिताभ अपनी सेहत की वजह से शो को होस्ट नहीं करेंगे, लेकिन दर्शकों का दिल ना टूटे, इसके लिए वे हमेशा एक नए जोश और ऊर्जा के साथ शो में वापस लौटते हैं।

    घमंडी बिजनेसमैन से कहानी शुरू
    शो के 17वें सीजन का पहला प्रोमो सोनी टीवी के सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है। इस प्रोमो में एक घमंडी बिजनेसमैन को दिखाया गया है, जो एक सेल्समैन पर जूतों के साथ महंगे कार्पेट पर बैठने के लिए चिल्लाता है। बिजनेसमैन कहता है कि यह कार्पेट लंदन से लाया गया है और कोई भी इसके ऊपर बैठ सकता है। लेकिन एक शख्स उसकी अक्ल ठिकाने लगाते हुए उसे कार्पेट की असली कीमत और उसके बारे में जानकारी देता है। फिर वह शख्स 11 रुपये के साथ उसे छोड़कर चला जाता है।

    जहां अक्ल है, वहां अकड़ है
    इसके बाद प्रोमो में अमिताभ बच्चन की एंट्री होती है। वे अपनी प्रसिद्ध आवाज में कहते हैं, “जहां अक्ल है, वहां अकड़ है।” इस शानदार डायलॉग के साथ ही बैकग्राउंड में केबीसी का मशहूर गाना बजता है और अमिताभ बच्चन का केबीसी लुक सामने आता है। अमिताभ बच्चन ने यह भी बताया कि शो का 17वां सीजन 11 अगस्त से सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे सोनी टीवी पर प्रसारित होगा। दर्शकों को एक बार फिर अमिताभ के साथ उनके पसंदीदा क्विज शो में भाग लेने का मौका मिलेगा। इस सीजन में दर्शकों को मनोरंजन, ज्ञान और चुनौतियों का नया तड़का मिलेगा, जो शो को और भी दिलचस्प बनाएगा।

  • कला जीवन की संजीवनी; उसमें सफलता का मंत्र  -पद्मश्री डॉ. जब्बार पटेलः ‘एमआईटी एडीटी’ के ‘पर्सोना महोत्सव’ का शुभारंभ

    कला जीवन की संजीवनी; उसमें सफलता का मंत्र -पद्मश्री डॉ. जब्बार पटेलः ‘एमआईटी एडीटी’ के ‘पर्सोना महोत्सव’ का शुभारंभ

    कला जीवन की संजीवनी; उसमें सफलता का मंत्र

    -पद्मश्री डॉ. जब्बार पटेलः ‘एमआईटी एडीटी’ के ‘पर्सोना महोत्सव’ का शुभारंभ

    पुणे: कला सार्वभौम होती है और इसे किसी एक ढांचे में सीमित नहीं किया जा सकता। कला व्यक्ति को सामाजिक रूप से जीवंत बनाए रखती है। यह मनुष्य को सुखी, समृद्ध और आनंदित जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। इसलिए विद्यार्थियों को पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ किसी एक कला में भी दक्षता प्राप्त करनी चाहिए। वर्तमान समय में फिल्म उद्योग 200, 500 करोड़ रुपये के कारोबार तक पहुंच चुका है। मनोरंजन क्षेत्र के लिए यह स्वर्ण युग है, जिसमें कलाकारों के लिए अपार करियर के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इसलिए युवाओं को इस क्षेत्र की ओर आकर्षित होना चाहिए, ऐसा मत प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक पद्मश्री डॉ. जब्बार पटेल ने व्यक्त किया।

    वे एमआईटी आर्ट, डिज़ाइन और टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय के सातवें ‘पर्सोना फेस्ट-25’, वर्ष 2025 के सबसे बड़े कला महोत्सव के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर कांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एन. जयशंकरण, सौ. उषाताई विश्वनाथ कराड, ‘एमआईटी एडीटी’ विश्वविद्यालय के कार्याध्यक्ष प्रो. डॉ. मंगेश कराड, कार्यकारी निदेशक प्रो. डॉ. सुनीता कराड, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. राजेश एस., प्र. कुलपति डॉ. रामचंद्र पुजेरी, डॉ. मोहित दुबे, कुलसचिव डॉ. महेश चोपडे, कार्यक्रम संयोजक प्रो. डॉ. सुदर्शन सानप, डॉ. विपुल दलाल, डॉ. रेणु व्यास, डॉ. सुराज भोयार आदि उपस्थित थे।

    डॉ. जयशंकरण ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में कला के महत्व को रेखांकित करते हुए, इसके लिए अध्यात्म और दर्शन की आवश्यकता को समझाया। उन्होंने कहा कि पर्सोना जैसे महोत्सवों को नई शिक्षा नीति (एनईपी) में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

    कला के साथ व्यक्तित्व विकास आवश्यक
    प्रो. डॉ. कराड ने कहा कि विद्यार्थियों को अपनी दैनिक आवश्यकताओं के साथ-साथ किसी न किसी कला या शौक को भी अपनाना चाहिए। इसलिए उन्हें केवल शिक्षा नहीं, बल्कि उनकी कला, गायन, चित्रकला, कविता जैसी रुचियों को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसी उद्देश्य से ‘पर्सोना फेस्ट’ का आयोजन किया जाता है। ‘पर्सोना’ जैसे सांस्कृतिक महोत्सवों के माध्यम से विद्यार्थियों को कला और संस्कृति की समृद्ध धरोहर से जोड़ा जाता है।

    कार्यक्रम की शुरुआत विश्वशांति प्रार्थना से हुई और समापन पसायदान के साथ हुआ। कुलपति डॉ. राजेश एस. ने प्रस्तावना प्रस्तुत की, जबकि धन्यवाद ज्ञापन स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर की डॉ. अश्विनी पेठे ने किया।




    अगले दो दिनों तक सेलिब्रिटी का जमावड़ा
    ‘पर्सोना फेस्ट’ के लिए विश्वराजबाग परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है, जिससे विद्यार्थियों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। आगामी तीन दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में मराठी और हिंदी फिल्म जगत के कई प्रसिद्ध अभिनेता, अभिनेत्री, गायक और निर्देशक शिरकत करेंगे।

    …यह तो राज कपूर की कर्मभूमि है
    एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय का यह परिसर प्रसिद्ध अभिनेता राज कपूर के कारण ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है। यहां उनकी स्मृति में समाधि, मेमोरियल और कई महत्वपूर्ण स्थापनाएं मौजूद हैं। इसी भूमि पर उन्होंने ‘सत्यम शिवम सुंदरम’, ‘राम तेरी गंगा मैली’ जैसी अनेक प्रसिद्ध फिल्मों की शूटिंग की थी। यह विश्वराजबाग राज कपूर के हृदय के अत्यंत निकट था। इसलिए यहां अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों को स्वयं को सौभाग्यशाली समझना चाहिए, ऐसा डॉ. पटेल ने अपने भाषण में कहा।

  • 153 किलो की ‘माँ, बैठ गई 10 साल के बेटे पर, निकल गई जान

    153 किलो की ‘माँ, बैठ गई 10 साल के बेटे पर, निकल गई जान

    कोर्ट ने सुनाई 6 साल की सजा
    इंडियाना.
    अमेरिका के इंडियाना में अजीबोगरीब मामला सामने आया है। वहां की एक महिला, जिसका वजन 153 किलो है, अपने 10 साल के सौतेले बेटे पर बैठ गई, जिससे उसकी जान निकल गई। इस मामले में वहां की अदालत ने उसे 6 साल की सजा सुनाई है।
    5 मिनट तक उसके ऊपर बैठी रही
    10 साल के बच्चे का नाम डकोटा लेवी स्टीवंस था। घटना अप्रैल 2024 में हुई थी। सौतेली मां जेनिफर ली विल्सन पर आरोप था कि वह उसे मारती-पीटती थी। गुस्से में एक दिन उसके ऊपर बैठ गई। पुलिस के मुताबिक, डकोटा घर से भागकर पड़ोसी के पास गया था और कह रहा था कि उसके माता-पिता उसे मारते हैं। इसके बाद जेनिफर उसे वापस लाई, लेकिन उसने फिर भागने की कोशिश की। जेनिफर का कहना था कि डकोटा ‘शरारत’ कर रहा था और जमीन पर लेट गया। उसे रोकने के लिए वो उसके पेट पर करीब 5 मिनट तक बैठ गई। डकोटा चुप हो गया, जेनिफर को लगा वो नाटक कर रहा है। उसने पूछा, “क्या तू नाटक कर रहा है?” फिर देखा कि उसकी आँखें पीली पड़ गईं।
    साँस रुकने से मौत
    जेनिफर ने सीपीआर शुरू किया और 911 बुलाया। अस्पताल में 27 अप्रैल को डकोटा की मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम में पता चला कि उसकी साँस रुकने से (मैकेनिकल अस्फिक्सिया) मौत हुई, जो हत्या थी। डकोटा का वजन 41 किलो (91 पाउंड) था, तो फोस्टर मदर (पालन-पोषण करने वाली माँ) जेनिफर का वजन 340 पाउंड यानी 153 किलो से भी ज्यादा का। जेनिफर को जनवरी 2025 में 6 साल की सजा हुई, जिसमें 1 साल प्रोबेशन पर है।

  • WH NEWS स्टुडिओ का उदघाट्न…!मनाई त्यागमूर्ती रमाई आंबेडकर जयंती….. स्टुडिओ की मान्यवरॊ ने की सराहाना…..!10कलाकारो ने भीम गीत गाये, मंत्र मुग्ध किया.

    WH NEWS स्टुडिओ का उदघाट्न…!मनाई त्यागमूर्ती रमाई आंबेडकर जयंती….. स्टुडिओ की मान्यवरॊ ने की सराहाना…..!10कलाकारो ने भीम गीत गाये, मंत्र मुग्ध किया.

    WH NEWS स्टुडिओ का उदघाट्न, मनाई त्यागमूर्ती रमाई आंबेडकर जयंती!
    – स्टुडिओ की मान्यवरॊ ने की सराहाना
    – 10कलाकारो ने भीम गीत गाये, मंत्र मुग्ध किया.

    वाडी नागपूर – 2018 से डिजिटल मीडिया में कदम रखने वाले NEWS चैनल ने बडा मुकाम हासील किया. मुख्य संपादक विजय खवसे, बुद्धभूषण खवसे के  अथक परिश्रम से आज 5लाख SUBSCRIBE हो रहें हैं. विदर्भ में ही नही पुरे राज्य में अपना नाम उंचा करने वाले WH NEWS की टेगलाईन हैं ‘खबर छुपाते नही, दिखाते हैं ‘सच्ची खबरो को निडरता से दिखाने वाले WH NEWS का
    त्यागमूर्ती माता रमाई आंबेडकर जयंती के अवसर पर माता रमाई के प्रतिमा को माल्यार्पण कर WH News स्टुडिओ का उदघाट्न शुक्रवार को संपन्न हुआ.


    प्रख्यात कवी, राजकीय विश्लेषक ज्ञानेश वाकूडकर, पूर्व नागराध्यक्ष प्रेमनाथ झाडे के हातो स्टुडिओ में फीत काटकर उदघाट्न किया गया. इस मौके पर नगरसेवक नरेंद्र मेंढे, हर्षल काकडे,आशिष नंदागावली के साथ भीमराव लोणारे,संतोष नरवाडे,मनीष बोरकर,प्रवीण डाखोरे रोशन सोमकुवर, गौतम तिरपूडे, पराग भावसार, आंचल वर्मा,राजेश जंगले, सौरभ पाटील, संघपाल गडलिंग,राजानंद कावळे,गुरुदेव वनदुधे गणेश पाटील, साधना नितनवरे,बंडू आठवले, हरिभाऊ गवई, राजेश सराफी,जनार्धन भगत,गणेश नितनवरे पत्रकार अमित वांद्रे,नावेद आझमी, जिशान भाई,ख्वाजा कबीर,बिंदू उके, विलास माडेकर, गजानन तलमले,शैलेश गडपायले प्रमुखतासे उपस्थित थे.


    इस मौके पर स्टुडिओ को समाजकल्याण उपायुक्त सिद्धार्थ गायकवाड, वाडी के पीआई राजेश तटकरे, यातायात पीआई मीरासे, पीएसआई विजय धुमाळ, ने भेट देकर स्टुडिओ की सराहना की.


    इस मौके पर सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय प्रबोधनकार अनिरुद्ध शेवाळे के साथ गायक ललित येडे, लोमेश भारती, सिद्धार्थ कव्वाल, विशाल भास्कर, अमर तागडे, किरण मेश्राम,गायिका ममता घोडेस्वार, पल्लवी नगराळे के साथ 10 कलाकारो ने भीम गीतो का भव्य कार्यक्रम किया. सभी कलाकारोको सिल्ड,पुष्प गुच्छ देकर सम्मानीत किया गया. संचालन पत्रकार संघपाल गडलिंग ने किया, आभार सौरभ पाटील ने माना.

  • एक विलक्षण योगायोग!मृत्यूनंतर काय होते? आत्मा अस्तित्वात आहे का? पुनर्जन्म खरोखरच होतो का? –  देवनाथ गंडाते

    एक विलक्षण योगायोग!मृत्यूनंतर काय होते? आत्मा अस्तित्वात आहे का? पुनर्जन्म खरोखरच होतो का? – देवनाथ गंडाते

    एक विलक्षण योगायोग!मृत्यूनंतर काय होते? आत्मा अस्तित्वात आहे का? पुनर्जन्म खरोखरच होतो का? हे प्रश्न मानवाच्या मनात अनादी काळापासून रुंजी घालत आले आहेत. काही याला धार्मिक श्रद्धा मानतात, काही विज्ञानाच्या दृष्टिकोनातून पाहतात, तर काही याला दैवी चमत्कार मानतात. अशाच एका अनोख्या घटनेने संपूर्ण गावात, सोशल मीडियावर आणि जनमानसात नव्या चर्चेला तोंड फोडले आहे.

    चंद्रपूर जिल्ह्यातील वरोरा तालुक्यातील पिंपळगाव मारुती येथे २९ जानेवारी रोजी विजय मारुती धवने यांच्या मातोश्री, अनुसया मारुती धवने यांचे वृद्धापकाळाने निधन झाले. मातृवियोगाच्या दु:खात संपूर्ण कुटुंब आणि गावकऱ्यांनी अंत्यसंस्काराची तयारी सुरू केली. सारा परिसर अश्रूंनी ओथंबून गेला होता. परंतु याच वेळी, एका अद्भुत घटनेने सर्वांच्या नजरा वेधून घेतल्या.

    अनुसया यांचे पार्थिव त्यांच्या घरातून अंत्यसंस्कारासाठी स्मशानभूमीकडे नेण्यापूर्वी, अचानक एक वानर घराच्या अंगणात आला. त्याने शांतपणे पार्थिवाजवळ जाऊन त्याच्याकडे एकटक पाहिले. काही क्षण तो स्थिर उभा राहिला आणि अचानक, त्याने मृतदेहासमोर नतमस्तक होत नमस्कार केला!

    कौतुक, आश्चर्य आणि श्रद्धेच्या भावनेने भरलेलं हे दृश्य बघताच गावकरी स्तब्ध झाले. हे वानर नेहमी गावात वावरणारे नव्हते, तरीही ते तिथे आले कसे? केवळ नमस्कार करूनच थांबले नाही, तर तिरडीकडे स्वतःहून ते पुढे सरकत मृतदेहाच्या चेहऱ्यावरील पदर हलक्याच हाताने बाजूला केला. जणू काही तो तिला शेवटचा निरोप देत होता! एवढ्यावरच थांबला नाही, तर वानराने अनुसया यांच्या डोळ्यावरील चष्माही अलगद बाजूला केला.

    गावकऱ्यांच्या हृदयाचा ठोका चुकवणारी ही घटना पाहून अनेकांच्या डोळ्यांत अश्रू तरळले. अंत्यसंस्काराची विधी सुरू असताना, वानर तिथेच बसून होते. कुणी त्याला हाकलले नाही, ना त्याने कुणाला त्रास दिला. अगदी अंतिमसंस्कार आटोपल्यानंतरही तो गावकऱ्यांसोबत स्मशानभूमीतून परतला! इतकेच नाही, तर नंतर जेव्हा अनुसया यांच्या अस्थी आणण्यासाठी कुटुंबीय गेले, तेव्हाही तो वानर उपस्थित होता.

    या घटनेनंतर गावात चर्चा सुरू झाली. काहींनी याला केवळ एक योगायोग मानले, तर काहींनी दैवी चमत्कार म्हणून पाहिले. विशेष म्हणजे, अनुसया यांचे पती ‘मारुती’ यांचे २० वर्षांपूर्वी निधन झाले होते! आणि आता, त्यांच्या अंत्यसंस्काराला ‘वानर’ स्वरूपात कोणीतरी उपस्थित होते.

    गावकरी हळहळले, नातेवाईक भारावले, आणि या घटनेने श्रद्धा आणि विज्ञान यामध्ये एक वेगळीच भावना निर्माण केली.

    सोशल मीडियाच्या युगात हा क्षण कोणाच्याही नजरेतून सुटला नाही. उपस्थितांनी कॅमेऱ्यात हे दृश्य कैद केले, आणि पाहता पाहता तो व्हिडिओ सोशल मीडियावर व्हायरल झाला. कोणी याला हनुमानजींची कृपा मानली, कोणी पुनर्जन्माचा पुरावा समजले, तर काहींनी केवळ एक अजब योगायोग म्हणून स्वीकारले.

    मृत्यू एक सत्य आहे, पण त्यानंतर काय होते, हे अजूनही एक गूढच आहे. पुनर्जन्माच्या कथा, चमत्काराच्या गोष्टी किंवा अदृश्य शक्तींची अनुभूती या सर्व गोष्टी श्रद्धेचा भाग आहेत. परंतु, पिंपळगावातील या घटनेने नक्कीच अनेकांना अंतर्मुख केले.

    कदाचित ही केवळ एक विलक्षण योगायोगाची गोष्ट असेल, पण कधीकधी अशा प्रसंगांमधूनच श्रद्धा अधिक दृढ होते. आणि माणसाला वाटते जिव्हाळ्याच्या नात्यांचे बंध हे शरीरापुरते मर्यादित नसतात, ते आत्म्याच्या अदृश्य बंधनांनी जोडलेले असतात.

    – देवनाथ गंडाते, वरिष्ठ पत्रकार 

    गावकऱ्यांनी दिलेली माहिती, समाज माध्यमात आलेली माहिती आणि टीव्ही चॅनल्सने दिलेल्या बातम्या या आधारावर मी माझे मत व्यक्त केलेले आहे. त्यातून कोणाच्याही भावना दुखावणे हा माझा उद्देश नाही.)

    साभार -देवनाथ गंडाते,फेसबुक 

  • पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का दिल्ली के एम्स में निधन. किया आखरी सलाम, 92 वे साल में निधन 

    पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का दिल्ली के एम्स में निधन. किया आखरी सलाम, 92 वे साल में निधन 

    पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का दिल्ली के एम्स में निधन. किया आखरी सलाम, 92 वे साल में निधन 

    दिल्ली ब्युरो – देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत के प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार देर रात निधन हो गया. उन्होंने 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. देर शाम तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें एम्स के इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया गया था. डॉ. मनमोहन सिंह के नाम कई उपलब्धियां हैं. आर्थिक उदारीकरण में उनका विशेष योगदान रहा.

    डॉ. मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में कार्य करते हुए साल 1991 में शुरू किए गए आर्थिक उदारीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसमें सरकारी नियंत्रण को कम करना, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ाना और स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स को लागू करना शामिल था, जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया था.

    मनमोहन सिंह की जीवनी.!
    डॉ.मनमोहन सिंह(२६ सप्टेंबर, १९३२ – २६ डिसेंबर, २०२४)  २२ मे २००४ से २६ मे २०१४तक  भारत के पंतप्रधान थे . वे १४वे पंतप्रधान the. वह काँग्रेस पक्ष के सदस्य और राज्यसभा में  आसाम के  प्रतिनिधित्व करते the. इसके पहले वे इ.स. १९९१ को  पी.व्ही. नरसिंहराव मंत्रिमंडल में केंद्रीय अर्थमंत्री रहें . उस वक्त उनोने किए आर्थिक सुधारणा तबसे  आर्थिक स्थिती में सुधार होणे से उनकी प्रतिमा राजनीतिक तौर पर बडी बनी.

    जन्मतारीख: २६ सप्टेंबर, १९३२
    जन्मस्थळ: गाह,पाकिस्तान, पाकिस्तान
    शिक्षण: नफील्ड कॉलेज (१९६०–१९६२), सेंट जॉन्स कॉलेज (१९५६–१९५७) ·पहले पदे: राज्यसभा सदस्य (२०१९–२०२४), भारताचे परराष्ट्रमंत्री (२००५–२००६) ·
    पुरस्कार: इंदिरा गांधी शांती पुरस्कार .
    वंशज: उपिंदर सिंग, अमरीत सिंग, दमन सिंगसंस्था स्थापना: इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ सायन्स एज्युकेशन अँड रिसर्च ·

  • सर्वाइकल कैंसर से 32 साल की उम्र में पूनम पांडे की मौत: क्यों हर युवा लड़की को एचपीवी वैक्सीन लेनी चाहिए?

    मॉडल और अभिनेत्री पूनम पांडे का 32 साल की उम्र में सर्वाइकल कैंसर से निधन हो गया, सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूकता की कमी, रोकथाम की आवश्यकता और इसके आसपास के कलंक के वजह से सर्वाइकल कैंसर से मृत्यु का आकड़ा बढ़ते जा रहा है। और फिर भी यह एक टीका है, जो युवावस्था से पहले लड़कियों द्वारा लिया जाता है, तो पहली बार में इसकी घटना को रोका जा सकता है।

    सर्वाइकल कैंसर को विस्तार में समझे :

    1.सर्वाइकल कैंसर का क्या कारण है?
    असामान्य कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं और गर्भाशय ग्रीवा के चारों ओर एकत्रित होने लगती हैं, जो गर्भाशय का निचला, संकीर्ण सिरा है जो योनि से जुड़ता है। यह ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के कारण होता है, जो सेक्स के दौरान फैलता है। यद्यपि वायरस को शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा हटा दिया जाता है, यदि यह एचपीवी 16 या एचपीवी 18 जैसा उच्च जोखिम वाला है, तो इसके जिद्दी बने रहने और कैंसर का कारण बनने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे 200 एचपीवी वायरस हैं जिनसे यौन सक्रिय लोग अपने जीवन में कभी न कभी संक्रमित होते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि सभी को कैंसर हो जाएगा, लेकिन किसी भी खतरे को खत्म करने के लिए एक वैक्सीन की आवश्यकता होती है।

    2.संकेत और लक्षण क्या हैं?
    शुरुआती दौर में कोई लक्षण नजर नहीं आता। बाद के चरणों में, रोगी असामान्य योनि से रक्तस्राव की रिपोर्ट करता है, जिसमें सहवास के बाद रक्तस्राव, मासिक धर्म के बीच या रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव, पानी जैसा या दुर्गंधयुक्त योनि स्राव और पैल्विक दर्द शामिल है।

    3.सर्वाइकल कैंसर का पता कैसे लगाएं?
    पैप परीक्षण कैंसर कोशिकाओं का पता लगा सकता है और इसे वयस्कता में प्रवेश करने वाली हर लड़की को, 20 वर्ष से ऊपर, तीन से पांच साल तक के स्क्रीनिंग अंतराल के साथ लेना चाहिए।

    यदि आप एचपीवी वायरस के खिलाफ टीका लगवाते हैं तो सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और इलाज संभव है। भारत के पास अब अपना स्वयं का एचपीवी टीका, सर्वावैक है, जो चार प्रकार के एचपीवी संक्रमणों को लक्षित करता है और इसे नौ से 14 वर्ष की उम्र की लड़कियों को लेना चाहिए।
    वर्तमान में, यह व्यावसायिक रूप से 2,000 रुपये प्रति खुराक की कीमत पर उपलब्ध है।

    5.वैक्सीन कैसे काम करती है?
    चतुर्भुज टीके एचपीवी 16, 18, 6 और 11 के प्रवेश को रोकते हैं, जो एचपीवी के चार सबसे आम प्रकार हैं। इस तरह, वे संक्रमण, जननांग मस्सा और अंततः कैंसर को रोकते हैं। लड़कियों के सार्वभौमिक टीकाकरण की सिफारिश की जाती है।

    6.वैक्सीन पर मौजूदा सबूत क्या हैं?
    एचपीवी टीकाकरण कार्यक्रम वाले 100 से अधिक देशों में सर्वाइकल कैंसर के मामलों में गिरावट देखी गई है। 2000 के दशक के अंत तक, सबूत सामने आए कि टीकाकरण से कैंसर-पूर्व घावों की घटनाओं में कमी आई है। 2020 और 2021 में, स्वीडन और इंग्लैंड के अध्ययनों से यह भी पता चला है कि किशोरावस्था में टीकाकरण से 30 साल की उम्र में सर्वाइकल कैंसर का खतरा 85 प्रतिशत से अधिक कम हो सकता है।

  • सुपरस्टार थलापति विजय का तमिल राजनीति में प्रवेश।

    सुपरस्टार थलापति विजय का तमिल राजनीति में प्रवेश।

    तमिल सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में से एक, विजय ने शुक्रवार को अपनी पार्टी तमिझागा वेत्री कड़गम (टीवीके) के लॉन्च के साथ राजनीति में प्रवेश की घोषणा की।

    विजय ने संकेत दिया है कि वह एक पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ बनेंगे। यह घोषणा अभिनेता द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जारी एक विस्तृत बयान के माध्यम से की गई थी। पार्टी के लिए अपने दृष्टिकोण के संबंध में, विजय के बयान में पारदर्शिता, गैर-पक्षपातपूर्ण शासन और तमिल संस्कृति और भारतीय संविधान के मूल्यों के पालन की प्रतिबद्धता पर जोर दिया गया। भ्रष्टाचार और विभाजनकारी राजनीति सहित राज्य के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए, विजय ने कहा, “एक तरफ, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक कदाचार से दूषित राजनीति की संस्कृति है, जबकि दूसरी तरफ, एक विभाजनकारी राजनीतिक संस्कृति है जो हमारे लोगों को विभाजित करने का प्रयास कर रही है।” जाति और धार्मिक मतभेदों के माध्यम से…”

    उन्होंने कहा कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में हिस्सा नहीं लेगी और इसके बजाय वह अपनी जमीनी स्तर पर उपस्थिति को मजबूत करने और एक सार्थक राजनीतिक शुरुआत की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करेगी। उन्होंने वादा किया कि टीवीके तमिलनाडु में 2026 का विधानसभा चुनाव लड़ेगा। विजय ने यह भी कहा कि वह खुद को राजनीति में पूरी तरह से डुबो देना चाहते हैं। “…जहां तक मेरा सवाल है, राजनीति सिर्फ एक अन्य पेशा नहीं है; यह लोगों के लिए एक पवित्र सेवा है… इसलिए, राजनीति मेरे लिए कोई शगल नहीं है; यह मेरा गहरा जुनून है. मैं पार्टी गतिविधियों में कोई व्यवधान पैदा किए बिना, एक और फिल्म के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के बाद सार्वजनिक सेवा के लिए राजनीति में पूरी तरह से डूब जाना चाहता हूं। इसे मैं तमिलनाडु के लोगों के प्रति अपना आभार और कर्तव्य मानता हूं।”

    बयान के अनुसार, “लक्ष्य लोगों द्वारा वांछित मूलभूत राजनीतिक परिवर्तनों को सुविधाजनक बनाना है”।

    “चुनाव आयोग की मंजूरी और पार्टी विस्तार गतिविधियों के लिए आवश्यक समय को ध्यान में रखते हुए, पार्टी पंजीकरण के लिए हमारा आवेदन अब जमा कर दिया गया है। आम सभा और कार्यकारी समिति में यह भी निर्णय लिया गया है कि हम आगामी 2024 संसदीय चुनाव नहीं लड़ेंगे और हम किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं करते हैं, जिसे मैं विनम्रतापूर्वक यहां व्यक्त करता हूं, ”उन्होंने कहा। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब 49 साल के विजय राज्य के राजनीतिक क्षेत्र में प्रभाव डालने की चाहत रखने वाले राजनेताओं की युवा पीढ़ी के साथ जुड़ रहे हैं। राजनीति में उनके प्रवेश को उनकी पहले से मानी जाने वाली मितव्ययिता से एक महत्वपूर्ण प्रस्थान के रूप में देखा जाता है। निजी लेन-देन में उनके शर्मीले स्वभाव के बारे में पूछे जाने पर उनके करीबी एक शीर्ष सूत्र ने कहा, “ऐसे लोगों का चेहरा वास्तव में आक्रामक भी हो सकता है।”

    विजय की राजनीतिक यात्रा एक अलग प्रयास नहीं है, बल्कि तमिलनाडु में अभिनेताओं से नेता बने लोगों की एक समृद्ध विरासत का अनुसरण करती है, एक वंशावली जिसमें एम जी रामचंद्रन (एमजीआर), जे जयललिता, विजयकांत और हाल ही में कमल हासन जैसे दिग्गज शामिल हैं। विजय की घोषणा को उनके विशाल प्रशंसक आधार से उत्साह मिला है, जो दक्षिणी राज्यों और आयु समूहों में फैला हुआ है, पुराने जनसांख्यिकीय के विपरीत जो आमतौर पर राजनीति में कदम रखने वाले अन्य सिनेमाई हस्तियों से जुड़े होते हैं। यह व्यापक समर्थन आधार, उनके स्पष्ट संदेश और राजनीतिक स्थिति के साथ मिलकर, उनके निर्णय को महत्वपूर्ण बनाता है क्योंकि वह एक ऐसे स्टार हैं जो रजनीकांत के बराबर खड़े हैं, जो एमजीआर के बाद सबसे बड़े सुपरस्टार के रूप में उभरे।

     

  • मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांचा दावोस दौरा यशस्वी  -जागतिक आर्थिक परिषदेत 3 लाख 53 हजार कोटींपेक्षा जास्त सामंजस्य करार स्वाक्षांकित – मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

    मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांचा दावोस दौरा यशस्वी -जागतिक आर्थिक परिषदेत 3 लाख 53 हजार कोटींपेक्षा जास्त सामंजस्य करार स्वाक्षांकित – मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

    मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांचा दावोस दौरा यशस्वी

    -जागतिक आर्थिक परिषदेत 3 लाख 53 हजार कोटींपेक्षा जास्त सामंजस्य करार स्वाक्षांकित – मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

       मुंबईदि. 19 : दावोस येथील जागतिक आर्थिक परिषदेत महाराष्ट्रामध्ये परदेशी गुंतवणूक करण्याचा ओढा मोठ्या प्रमाणात दिसून आला असून या वर्षी 3 लाख 53 हजार कोटी रूपयांपेक्षा जास्त परदेशी गुंतवणुकीचे सामंजस्य करार स्वाक्षांकित झाले. त्याचप्रमाणेजवळपास एक ते दीड लाख कोटी रुपयांचे आणखी सामंजस्य करार स्वाक्षरीत होण्यासाठी परदेशी कंपन्यांनी स्वारस्य दाखविले असल्याचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी आज मुंबईत सांगितले.

                जागतिक आर्थिक परिषदेत सहभागी होण्यासाठी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आणि राज्य व केंद्र शासनाचे शिष्टमंडळ दावोस येथे गेले होते. तेथून परतल्यानंतर मुख्यमंत्री श्री.शिंदे यांनी पत्रकारांशी संवाद साधला. मुख्यमंत्र्यांचे स्वागत करण्यासाठी मुंबईचे पालकमंत्री दीपक केसरकरमुंबई उपनगरचे पालकमंत्री मंगलप्रभात लोढा यावेळी उपस्थित होते.

                मुख्यमंत्री श्री.शिंदे म्हणालेअमेरिकास्वित्झर्लंडसिंगापूर,  दक्षिण कोरीया या देशांनी सामंजस्य करारावर स्वाक्षऱ्या केल्या असून यूएईओमान या देशांनी महाराष्ट्रात गुंतवणूक करण्यास पसंती दर्शवली आहे.  त्याचबरोबर आर्सेलर मित्तलजिंदालगोदरेजअदानी या  कंपन्यांनी सुद्धा महाराष्ट्रात गुंतवणुकीची इच्छा व्यक्त केली. त्यामुळे एकंदरीतच दावोस दौरा यशस्वी झाला असल्याचे मत मुख्यमंत्री श्री.शिंदे यांनी व्यक्त केले. 

                ते पुढे म्हणाले कीमागील वर्षी दावोस येथे झालेल्या सामंजस्य करारांपैकी 75 ते 80 टक्के करार कागदावर न राहता प्रत्यक्षात आले. या करारामुळे 2 लाखांपेक्षा जास्तीचे रोजगार निर्माण होणार आहे. जेम्स आणि ज्वेलरीमाहिती तंत्रज्ञानहरित हायड्रोजनहरित ऊर्जापेपर आणि पल्पखाण उद्योग अशा अनेक उद्योजकांनी डेटा सेंटर,  इन्फ्रास्ट्रक्चर अशा विविध सेक्टरमध्ये गुंतवणूक केली आहे. जेम्स आणि ज्वेलरी उद्योगात 1 लाखांपेक्षा जास्त रोजगार निर्माण होणार असल्याचे त्यांनी यावेळी सांगितले.

                केंद्र आणि राज्य सरकारच्या समविचारी संबंधामुळे उद्योजक हे आत्मविश्वासाने मोठ्या प्रमाणात महाराष्ट्रात गुंतवणूक करत असल्याचा अनुभव मिळाला असल्याचे त्यांनी सांगितले. राज्यात पायाभूत सुविधादळणवळणाच्या उत्तम सुविधाकुशल मनुष्यबळ असून महाराष्ट्रात एक इको सिस्टिम आहे. त्याचबरोबर देशाचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यांचे व्हिजनडॉयनॅमिक लिडरशीपग्लोबल लिडर म्हणून त्यांची ओळख झाली  असल्याचे दावोस दौऱ्यात अनेक देशातील लोकांनी सांगितले. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यांचे नाव जगभरात असून त्यांचे नाव लोक आदराने घेतात. परदेशी गुंतवणुकीसाठी याचाही फायदा महाराष्ट्राला झाला असल्याचे मुख्यमंत्री श्री. शिंदे यांनी सांगितले.