कला जीवन की संजीवनी; उसमें सफलता का मंत्र -पद्मश्री डॉ. जब्बार पटेलः ‘एमआईटी एडीटी’ के ‘पर्सोना महोत्सव’ का शुभारंभ

कला जीवन की संजीवनी; उसमें सफलता का मंत्र

-पद्मश्री डॉ. जब्बार पटेलः ‘एमआईटी एडीटी’ के ‘पर्सोना महोत्सव’ का शुभारंभ

पुणे: कला सार्वभौम होती है और इसे किसी एक ढांचे में सीमित नहीं किया जा सकता। कला व्यक्ति को सामाजिक रूप से जीवंत बनाए रखती है। यह मनुष्य को सुखी, समृद्ध और आनंदित जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। इसलिए विद्यार्थियों को पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ किसी एक कला में भी दक्षता प्राप्त करनी चाहिए। वर्तमान समय में फिल्म उद्योग 200, 500 करोड़ रुपये के कारोबार तक पहुंच चुका है। मनोरंजन क्षेत्र के लिए यह स्वर्ण युग है, जिसमें कलाकारों के लिए अपार करियर के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इसलिए युवाओं को इस क्षेत्र की ओर आकर्षित होना चाहिए, ऐसा मत प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक पद्मश्री डॉ. जब्बार पटेल ने व्यक्त किया।

वे एमआईटी आर्ट, डिज़ाइन और टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय के सातवें ‘पर्सोना फेस्ट-25’, वर्ष 2025 के सबसे बड़े कला महोत्सव के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर कांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एन. जयशंकरण, सौ. उषाताई विश्वनाथ कराड, ‘एमआईटी एडीटी’ विश्वविद्यालय के कार्याध्यक्ष प्रो. डॉ. मंगेश कराड, कार्यकारी निदेशक प्रो. डॉ. सुनीता कराड, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. राजेश एस., प्र. कुलपति डॉ. रामचंद्र पुजेरी, डॉ. मोहित दुबे, कुलसचिव डॉ. महेश चोपडे, कार्यक्रम संयोजक प्रो. डॉ. सुदर्शन सानप, डॉ. विपुल दलाल, डॉ. रेणु व्यास, डॉ. सुराज भोयार आदि उपस्थित थे।

डॉ. जयशंकरण ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में कला के महत्व को रेखांकित करते हुए, इसके लिए अध्यात्म और दर्शन की आवश्यकता को समझाया। उन्होंने कहा कि पर्सोना जैसे महोत्सवों को नई शिक्षा नीति (एनईपी) में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

कला के साथ व्यक्तित्व विकास आवश्यक
प्रो. डॉ. कराड ने कहा कि विद्यार्थियों को अपनी दैनिक आवश्यकताओं के साथ-साथ किसी न किसी कला या शौक को भी अपनाना चाहिए। इसलिए उन्हें केवल शिक्षा नहीं, बल्कि उनकी कला, गायन, चित्रकला, कविता जैसी रुचियों को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसी उद्देश्य से ‘पर्सोना फेस्ट’ का आयोजन किया जाता है। ‘पर्सोना’ जैसे सांस्कृतिक महोत्सवों के माध्यम से विद्यार्थियों को कला और संस्कृति की समृद्ध धरोहर से जोड़ा जाता है।

कार्यक्रम की शुरुआत विश्वशांति प्रार्थना से हुई और समापन पसायदान के साथ हुआ। कुलपति डॉ. राजेश एस. ने प्रस्तावना प्रस्तुत की, जबकि धन्यवाद ज्ञापन स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर की डॉ. अश्विनी पेठे ने किया।




अगले दो दिनों तक सेलिब्रिटी का जमावड़ा
‘पर्सोना फेस्ट’ के लिए विश्वराजबाग परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है, जिससे विद्यार्थियों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। आगामी तीन दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में मराठी और हिंदी फिल्म जगत के कई प्रसिद्ध अभिनेता, अभिनेत्री, गायक और निर्देशक शिरकत करेंगे।

…यह तो राज कपूर की कर्मभूमि है
एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय का यह परिसर प्रसिद्ध अभिनेता राज कपूर के कारण ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है। यहां उनकी स्मृति में समाधि, मेमोरियल और कई महत्वपूर्ण स्थापनाएं मौजूद हैं। इसी भूमि पर उन्होंने ‘सत्यम शिवम सुंदरम’, ‘राम तेरी गंगा मैली’ जैसी अनेक प्रसिद्ध फिल्मों की शूटिंग की थी। यह विश्वराजबाग राज कपूर के हृदय के अत्यंत निकट था। इसलिए यहां अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों को स्वयं को सौभाग्यशाली समझना चाहिए, ऐसा डॉ. पटेल ने अपने भाषण में कहा।

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