एम्स में एमबीबीएस छात्र ने फांसी लगाई

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MBBS student committed suicide by hanging himself in AIIMS

कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं
नागपुर.
मिहान स्थित एम्स अस्पताल के चरक ब्वॉयज हॉस्टल में एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के छात्र संकेत पंडितराव धाबाडे (23) ने आत्महत्या कर ली। रविवार रात को हॉस्टल के बाथरूम में शॉल से फांसी लगाकर उसने यह आत्मघाती कदम उठाया। इस घटना ने एक बार फिर मेडिकल छात्रों के बीच बढ़ते मानसिक तनाव और आत्महत्या के भयावह आंकड़ों की ओर ध्यान खींचा है। संकेत के परिवार, जिसमें उनके पिता शिक्षक और बहन डॉक्टर हैं, इस घटना से गहरे सदमे में हैं। पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है और मामले की जांच जारी है।

सिस्टम में ही कहीं दोष तो नहीं
यह घटना कोई अकेली नहीं है। नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा जारी किए गए चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि 2025 के शुरुआती सात महीनों में ही देशभर में लगभग 30 मेडिकल छात्रों ने आत्महत्या कर ली है, जो पिछले वर्षों के वार्षिक औसत से दोगुना से भी अधिक है। 2018 से 2022 के बीच कुल 122 छात्रों ने आत्महत्या की थी, जिसमें से 64 एमबीबीएस के और 58 पीजी के छात्र थे। ये आंकड़े मेडिकल शिक्षा प्रणाली में व्याप्त गंभीर समस्याओं की ओर इशारा करते हैं।

पढ़ाई छोड़ने की मजबूरी और भारी जुर्माना
आत्महत्या के बढ़ते मामलों के साथ-साथ, मेडिकल स्टूडेंट्स द्वारा पढ़ाई छोड़ने की संख्या भी चिंताजनक है। 2018 से 2022 के बीच 1270 छात्रों ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी, जिनमें से 1117 पीजी के छात्र थे। पीजी कोर्स, जिसमें प्रवेश पाना अत्यंत कठिन होता है, उसे बीच में छोड़ने का मुख्य कारण मानसिक दबाव और तनाव है। इसके ऊपर, छात्रों को पढ़ाई छोड़ने पर 10 से 50 लाख रुपये तक का भारी जुर्माना भी भरना पड़ता है, जो उन्हें और भी गहरे संकट में धकेल देता है। संकेत धाबाडे की मौत एक और अलार्म है, जो सरकार और मेडिकल शिक्षा संस्थानों को जगाने के लिए काफी है। यह समय है कि नियमों का सख्ती से पालन किया जाए और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए।

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