राज-उद्धव की सभा के बाद CJI गवई का बड़ा बयान, बोले – ‘मराठी भाषा ने मुझे दिशा दी’
मुंबई:8 जुलै 25 – महाराष्ट्र में इन दिनों ‘हिंदी भाषा की अनिवार्यता’ और ‘मराठी अस्मिता’ को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। राज्य सरकार द्वारा कक्षा 1 से 5 तक त्रिभाषा फार्म्युला के तहत हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के प्रस्ताव के बाद ये विवाद और भी गहरा गया। इस प्रस्ताव का महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव बाळासाहेब ठाकरे गट) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने तीव्र विरोध किया।
दोनों नेता करीब 20 साल बाद एक मंच पर आए और 5 जुलाई को मुंबई में एक संयुक्त सभा का आयोजन कर मराठी अस्मिता के समर्थन में जोरदार आवाज उठाई। इस सभा के बाद अब देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति भूषण गवई ने मराठी भाषा को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है।
क्या बोले CJI भूषण गवई?
मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई ने कहा, “मैं आज जिस ऊंचाई पर हूं, उसमें मेरे शिक्षक, मेरी पाठशाला और मराठी भाषा का बहुत बड़ा योगदान है।” उन्होंने कहा कि वह स्वयं मराठी माध्यम से पढ़े हैं, और मातृभाषा में शिक्षा लेने से विषयों की समझ अधिक गहरी होती है।
गवई ने बताया कि बचपन में जिस स्कूल से उन्होंने शिक्षा ली, वहां के संस्कारों ने उन्हें जीवन में सही दिशा दिखाई। वक्तृत्व स्पर्धाओं (भाषण प्रतियोगिताओं) और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने आत्मविश्वास बढ़ाया। “यही संस्कार जीवनभर साथ देते हैं,” ऐसा आत्मविश्वास उन्होंने छात्रों को दिया।
गवई ने मुंबई के गिरगांव इलाके में स्थित अपने स्कूल का दौरा किया और वहां अपने बचपन की यादें ताज़ा कीं। उन्होंने अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता भी व्यक्त की।
पृष्ठभूमि में बढ़ता मराठी-हिंदी विवाद
इस वक्त महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता और हिंदी भाषा की अनिवार्यता को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जबरदस्त जुबानी जंग चल रही है। ऐसे माहौल में देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का यह बयान मराठी भाषाभाषी जनता को एक भावनात्मक आधार और समर्थन देने वाला माना जा रहा है।
राज-उद्धव की सभा के बाद आए इस बयान को राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जा रहा है।
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