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  • बेटी को परीक्षा दिलाने गए पिता को ट्रक ने रौंदा

    बेटी को परीक्षा दिलाने गए पिता को ट्रक ने रौंदा

    सड़क पार करते समय हादसा
    नागपुर.
    वर्धा रोड स्थित डोंगरगांव में मंगलवार को दिल दहला देने वाली घटना हुई। भीष्म कुमार शाहू अपनी बेटी को परीक्षा दिलाने के लिए बस से गया था। वह बस स्टैंड पर बैठकर अपनी बेटी के परीक्षा खत्म होने का इंतजार कर रहा था। सड़क पार करते वक्त एक तेज रफ्तार ट्रक ने उस इंतजार को हमेशा के लिए खत्म कर दिया।

    परिवार पर टूटा दु:खों का पहाड़
    जानकारी के अनुसार, डिप्टी सिग्नल कलमना निवासी भीष्म कुमार शाहू (54) कलमना मार्केट में हमाली काम करता था। वह बस से वर्धा रोड डोंगरगांव स्थित मेघसाई आईटीआई में बेटी प्रियंका को छोड़ने बस से गया था। घटना के बाद पुलिस ने आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया है। यह दुखद घटना परिवार के लिए असहनीय है। पिता ही कमाने वाला था। दो बच्चियों, एक बच्चे के परवरिश का भार उसके कंधों पर था। बच्चियों का पढ़ाकर वह योग्य बना रहा था। मां किसी सुपारी कारखाने पर काम करती है, ताकि पति का हाथ बंटा सके। अब पूरा परिवार मुसीबत में आ गया है। परीक्षा देने गई बेटी के मुंह से शब्द नहीं निकल पा रहे हैं। वह तो खबर सुनते ही गश खाकर गिर पड़ी थी। सदमा दिल-दिमाग पर छाया हुआ है।

  • डिलीवरी बॉय पर जानलेवा हमला

    डिलीवरी बॉय पर जानलेवा हमला

    ईर्ष्या का घातक परिणाम
    नागपुर.
    मामूली विवाद में डिलीवरी बॉय पर जानलेवा हमला हुआ। हथोड़े से उसका सिर फोड़कर जान से मारने की कोशिश की गई। उसका नाम मोहन नगर खलासी लाइन निवासी फिरोज लालचंद लव्हात्रे (38 ) है आरोपी बस्ती का ही वामन पांचौले है। वह सिलेंडरों की गाड़ी चलाता है और फिरोज घरों में सिलेंडर पहुंचाने का काम करता है। फिरोज की कुछ ग्राहकों से पहचान हो गई थी। वे जब भी कभी सिलेंडर लगा तो फिरोज को फोन करते थे। उसके बदले में वह उसे दस-बीस रुपए दे देते थे। फिरोज की अतिरिक्त कमाई वामन की आखों में खटक गई। शनिवार को मामूली विवाद के बाद सोमवार की शाम को जब फिरोज घर में था तो वामन से उसे फोन कर परिसर के चौरसिया चौक में बुलवाया और उसके सिर पर बुरी तरह से हथोड़े से वार किया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और उसे अदालत में पेश भी किया।

  • सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी

    सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी

    युवाओं के सपनों से खिलवाड़
    नागपुर.
    बेलतरोडी थानांतर्गत एक ऐसा ठग पकड़ा गया है, जो विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगी करता था। आरोप है कि उसने खुद को पुलिस विभाग में क्लर्क बताकर पीड़ितों से लाखों रुपये अपने बैंक खाते में जमा कराकर ठगी की है। उसे अमरावती शहर से गिरफ्तार किया गया। आरोपी नामदेव उर्फ प्रकाश उर्फ जगदीश धनराज राठौड़ (35) यवतमाल निवासी है। वह अवधूतवाड़ी (यवतमाल) पुलिस स्टेशन में हुए एक अपराध में लंबे समय से फरार था। वह पिछले एक मामले में अदालत में पेश नहीं हुआ था।

    8 युवकों से ठगी
    आरोपी ने रामटेक और मौदा के करीब आठ युवकों को ठगा। उसने पुलिस भर्ती, स्वास्थ्य विभाग, मेट्रो नागपुर, रेलवे विभाग, सेना आदि सरकारी सेवाओं में भर्ती कराने का वादा करके नकद और ऑनलाइन 16 लाख 86 हजार रुपये ऐंठ लिए। पैसे लेने के बाद, आरोपी अलग-अलग जिलों में जाकर कुछ दिन रुकता था। आरोपी खुद को अमरावती पुलिस आयुक्तालय में क्लर्क बताता था। उसने एक पहचान पत्र भी बना रखा था। उसके आधार पर वह लोगों और उनके दोस्तों व परिवारों को आर्थिक रूप से ठग रहा था। खासतौर पर, उसने पीड़ितों को फर्जी नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र भी दिए। जब उन्होंने कार्यालय जाकर नियुक्ति पत्रों के बारे में गहन पूछताछ की, तो मामले का भंडाफोड़ हुआ।

    कई सवाल उठते हैं
    बेलतरोडी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया नामदेव उर्फ प्रकाश राठौड़ जैसे ठग, हमारे देश के उन लाखों युवाओं के सपनों और उम्मीदों को तोड़ते हैं, जो सरकारी नौकरी पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। यह सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता पर एक सीधा हमला है। इस घटना से कई सवाल उठते हैं। आरोपी कई गंभीर अपराधों में फरार था, फिर भी वह महीनों तक लोगों को ठगता रहा। क्या पुलिस के पास फरार अपराधियों को पकड़ने के लिए मजबूत तंत्र नहीं है? इस मामले में पुलिस ने तकनीकी और गोपनीय जानकारी के आधार पर आरोपी को पकड़ा है, जो एक सकारात्मक कदम है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि अपराधी इतनी आसानी से बच न निकल पाएं।

  • पॉश इलाके में देह-व्यापार का भंडाफोड़

    पॉश इलाके में देह-व्यापार का भंडाफोड़

    पड़ा छापा, महिला आरोपी गिरफ्तार
    नागपुर.
    क्राइम ब्रांच के सामाजिक सुरक्षा दस्ते ने ऑपरेशन शक्ति के अंतर्गत खरे टाउन धरमपेठ स्थित एक सैलून में चल रहे देह व्यापार अड्डे पर छापेमारी कर एक महिला आरोपी को गिरफ्तार किया है। एक महिला फरार बताई जा रही है। गिरफ़्तार महिला का नाम दीपा आनंद गोदडे वाल्मिकी नगर सीताबर्डी निवासी बताई है। अड्डे से दो पीडित युवतियों को छुड़ाकर हिरासत में लिया गया है। कार्रवाई के दौरान करीब 40 हजार रुपए का माल जब्त किया गया है। खरे टाउन धरमपेठ जैसे इलाके में ऐसी गतिविधियों का चलना समाज की नैतिकता और पुलिस की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

    दो युवतियों को छुड़ाया
    यह मामला केवल एक सैलून में चल रहे अवैध धंधे का नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की उस सोच को भी दर्शाता है जहां महिलाओं को केवल वस्तु समझा जाता है। पुलिस ने दो पीड़ित युवतियों को इस अड्डे से छुड़ाया है, जो यह बताता है कि यह एक संगठित अपराध है जहाँ महिलाओं का शोषण किया जाता है। अक्सर ऐसी गतिविधियों में फंसी महिलाएं गरीबी, मजबूरी या धोखे का शिकार होती हैं।

    रैकेट का पर्दाफाश जरूरी
    पुलिस की कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन जब तक इन अपराधों की जड़ों पर प्रहार नहीं किया जाता, तब तक ये गतिविधियां किसी और जगह पर फिर से शुरू हो जाएंगी। यह समझना जरूरी है कि इस तरह के अपराधों के पीछे बड़े गिरोह काम करते हैं। पुलिस को सिर्फ महिला दलाल को गिरफ्तार करने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन सभी लोगों की पहचान करनी चाहिए जो इस रैकेट में शामिल हैं।

  • राशन दुकानदारों का बढ़ा कमीशन

    राशन दुकानदारों का बढ़ा कमीशन

    सरकार को भरोसा, पारदर्शिता बढ़ेगी
    नागपुर.
    महाराष्ट्र सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानदारों का कमीशन ₹150 से बढ़ाकर ₹170 प्रति क्विंटल करने का फैसला किया है। यह कदम लंबे समय से चली आ रही उनकी मांग को पूरा करता है। सरकार का यह निर्णय सराहनीय है, क्योंकि यह राशन दुकानदारों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करेगा।

    जिले में 1600 से अधिक राशन दुकानें
    राशन दुकानदार अपनी दुकानों को चलाने, अनाज का वितरण करने और ई-पॉस मशीनों को संभालने जैसे कई कार्य करते हैं। इसके लिए उन्हें न केवल समय और श्रम देना पड़ता है, बल्कि बिजली, किराया और रख-रखाव जैसे खर्च भी उठाने पड़ते हैं। ₹20 की यह मामूली वृद्धि इन सभी खर्चों को देखते हुए शायद ही पर्याप्त हो। नागपुर जैसे जिले में 1600 से अधिक राशन दुकानें हैं, और हर दुकानदार अपनी रोजी-रोटी के लिए इस कमीशन पर निर्भर हैं।

    काम में आएगी पारदर्शिता
    यह समझना जरूरी है कि कमीशन बढ़ाने का उद्देश्य केवल दुकानदारों को खुश करना नहीं, बल्कि पीडीएस की कार्यप्रणाली को मजबूत करना भी है। जब दुकानदारों को पर्याप्त कमीशन नहीं मिलता, तो भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ जाती है। वे कम अनाज तौलना, खराब गुणवत्ता का अनाज देना या लाभार्थियों को परेशान करना जैसे हथकंडे अपना सकते हैं। इसलिए, यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है कि राशन दुकानदारों को इतना कमीशन मिले, जिससे वे सम्मानजनक तरीके से अपना जीवन यापन कर सकें और भ्रष्टाचार से दूर रहें।

    हितों की रक्षा जरूरी
    सरकार को इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि यह अतिरिक्त ₹92.71 करोड़ का प्रावधान सही तरीके से लागू हो रहा है या नहीं। कमीशन में बढ़ोतरी एक अच्छा कदम है, लेकिन इसे व्यवस्था की दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान नहीं माना जा सकता। सरकार को इस पूरे तंत्र की समीक्षा करनी चाहिए और एक ऐसी स्थायी नीति बनानी चाहिए, जो दुकानदारों के हितों की रक्षा करे और गरीब लाभार्थियों को उनके हक का अनाज बिना किसी परेशानी के दिलाए।

  • कॉलेज प्राध्यापिका का यौन उत्पीड़न

    कॉलेज प्राध्यापिका का यौन उत्पीड़न

    उच्च शिक्षा के संस्थान भी सुरक्षित नहीं रहे
    नागपुर.
    एक नामी कॉलेज में शर्मसार करने वाली घटना हुई है। महिला प्राध्यापक पिछले पंद्रह सालों से समाज को शिक्षित कर रही है। उसे उन्हीं लोगों द्वारा अपमानित किया गया, जिन पर संस्थान की गरिमा बनाए रखने की जिम्मेदारी थी। जानकारी के अनुसार, डॉ. अरुण जोसेफ और रवि मेंढे जैसे आरोपियों ने न सिर्फ उस प्राध्यापिका को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि सबके सामने उसे शर्मिंदा करने की कोशिश की। घटना 23 जुलाई को शाम करीब 4 से 4.30 बजे के बीच की है।

    घिनौनी काम का ऑफर
    प्राध्यापिका घर जाने के लिए कार की सीट पर बैठी थी, तभी मेंढे उनके पास आया। हाथ पकड़कर घिनौनी काम का ऑफर दिया। इससे भी ज्यादा शर्मनाक बात यह है कि जब प्राध्यापिका ने इस मामले की शिकायत की, तो कोई कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस ने उन्हें सूचना पत्र देकर छोड़ दिया है। हालांकि पुलिस ने आरोपी डॉ. अरुण जोसेफ (66) रेशिमबाग और रवि मेंढे (60) वैशालीनगर निवासी पर धारा 74, 351(2), 352, 3(5) के तहत मामला दर्ज किया है।

    रसूख का इस्तेमाल
    रवि मेंढे एक निजी व्यक्ति है और कॉलेज के प्रशासनिक कार्यों में दखलंदाज़ी करता है। वह दिखावा करता है कि अध्यक्ष ने अनुमति दे दी है। वह कर्मचारियों को धमकाता है। चूंकि वह कभी-कभी अध्यक्ष के साथ देखा जाता है, इसलिए प्रोफेसर और कर्मचारी उस पर भरोसा करते हैं। सत्ता और प्रभाव का दुरुपयोग करके वह महिला कर्मचारियों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता रहा है।

    शिकायत में गंभीर आरोप
    शिकायत में डॉ. अरुण जोसेफ और रवि मेंढे पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं। धमकी देना, अपमानित करना और शारीरिक सुख की मांग करना जैसे आरोप यह साबित करते हैं कि कॉलेज में एक ऐसा माहौल है, जहां महिलाओं के सम्मान की कोई परवाह नहीं की जाती। वहीं, इस मामले में पुलिस ने भले ही प्राथमिकी दर्ज कर ली हो, लेकिन आरोपियों को सिर्फ सूचना पत्र देकर छोड़ देना दिखाता है कि कानून का भय ऐसे प्रभावशाली लोगों पर शायद ही काम करता हो।

  • ‘शालार्थ आईडी’ के खुल रहे गहरे राज

    ‘शालार्थ आईडी’ के खुल रहे गहरे राज

    अदालत ने आरोपियों को जमानत नहीं दी
    नागपुर.
    नागपुर में ‘शालार्थ आईडी’ घोटाले ने शिक्षा के पवित्र क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। यह सिर्फ पैसे का घोटाला नहीं है, बल्कि यह हमारे युवाओं के भविष्य और शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सीधा हमला है। इस मामले में माध्यमिक शिक्षा विभाग के संचालक से लेकर कई बड़े अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है, जिससे यह साफ होता है कि यह भ्रष्टाचार की एक संगठित श्रृंखला थी।

    बस एक को सशर्त जमानत
    इस घोटाले में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति के आरोप में माध्यमिक शिक्षा विभाग के संचालक चिंतामण वंजारी की नियमित जमानत अर्जी तथा नागपुर शिक्षा विभाग के पूर्व उपनिदेशक सतीश मेंढे और जिला परिषद के वेतन पथक के अधीक्षक नीलेश वाघमारे की अग्रिम जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। हालांकि, नागपुर की पूर्व उपनिदेशक डॉ. वैशाली जामदार को सशर्त जमानत दे दी है।

    145.88 करोड़ का घोटाला
    इस घोटाले में 580 फर्जी शालार्थ आईडी बनाकर सरकारी खजाने को 145.88 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। यह पैसा गरीब छात्रों की शिक्षा, शिक्षकों के वेतन और स्कूलों के विकास पर खर्च किया जा सकता था, लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने अपने निजी लाभ के लिए इसे लूट लिया। चिंतामण वंजारी जैसे अधिकारियों की जमानत याचिका खारिज होना यह दर्शाता है कि उनकी संलिप्तता कितनी गंभीर है। हालाँकि, डॉ. वैशाली जामदार को जमानत मिल गई, क्योंकि गिरफ्तारी की प्रक्रिया में खामियाँ पाई गईं, जो हमारी कानूनी प्रणाली में प्रक्रियात्मक पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करता है।

    सिस्टम के नैतिक पतन का प्रतीक
    यह मामला हमें सोचने पर मजबूर करता है कि जब शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में ऐसे लोग बैठे हों, जो फर्जीवाड़े के माध्यम से अपनी जेबें भर रहे हों, तो हमारे देश का भविष्य कैसा होगा? यह घोटाला सिर्फ एक वित्तीय अनियमितता नहीं है, बल्कि यह हमारे सिस्टम के नैतिक पतन का प्रतीक है। सरकार को इस मामले की जड़ तक जाकर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। साथ ही, शिक्षा विभाग में ऐसी प्रणाली स्थापित करनी चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसे घोटालों की पुनरावृत्ति न हो।

  • दहेज की बलि चढ़ी एक और ज़िंदगी

    दहेज की बलि चढ़ी एक और ज़िंदगी

    कब रुकेगा यह क्रूर सिलसिला?
    नागपुर.
    दहेज की क्रूरता ने एक और परिवार की खुशियां छीन ली। उसे आत्महत्या के लिए उकसाने वाले पति के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। मृतक संगीता बिसेन (32), छोटी तरोड़ी स्थित वंदे कृष्ण सोसायटी निवासी थी। उसका मायका मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के महलपुर में है। अप्रैल 2014 में उसकी शादी श्यामराव श्रीपाद बिसेन (42) से हुई। 19 अप्रैल 2016 से मायके से पैसे लाने के लिए श्यामराव उसे शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना दे रहा था। दहेज को लेकर आए दिन होने वाली कलह से त्रस्त होकर 24 जुलाई 2025 को शाम करीब 4 बजे संगीता ने फांसी लगा ली।

    यह लाखों महिलाओं की कहानी
    संगीता की कहानी कोई नई नहीं है; यह उन लाखों महिलाओं की कहानी है, जिन्हें शादी के बाद पैसे और लालच के लिए शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जाती हैं। यह घटना हमारी व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करती है। 2014 में शादी होने के बाद 2016 से संगीता को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। आखिर इतने सालों तक यह सब क्यों चलता रहा? क्या परिवार ने पुलिस में शिकायत करने की कोशिश नहीं की? या फिर सामाजिक दबाव और ‘परिवार की इज्जत’ जैसे मिथकों के कारण वह चुप रही? अक्सर ऐसे मामलों में, पीड़िता का परिवार सामाजिक बहिष्कार के डर से चुप्पी साध लेता है, और यह चुप्पी ही अपराधी का हौसला बढ़ाती है।

    सोच में बदलाव लाना होगा
    वाठोड़ा पुलिस ने संगीता के पति के खिलाफ भले ही अब मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन यह कार्रवाई तब हुई, जब एक ज़िंदगी खत्म हो चुकी थी। यह दिखाता है कि हमारी कानूनी और सामाजिक व्यवस्थाएँ ऐसे मामलों में कितनी धीमी और प्रतिक्रियात्मक हैं। हमें एक ऐसी व्यवस्था चाहिए जो अपराध होने से पहले उसे रोक सके। यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि ऐसी घटनाएँ फिर न हों। इसके लिए कड़े कानूनी प्रावधानों के साथ-साथ समाज को भी अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। जब तक हम सब मिलकर इस बुराई के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक ऐसी और भी संगीताएँ इसकी बलि चढ़ती रहेंगी।

  • मुंह पर छोड़ा सिगरेट का धुआं, मना करने पर सीने में चाकू घोंपा

    मुंह पर छोड़ा सिगरेट का धुआं, मना करने पर सीने में चाकू घोंपा

    मामूली विवाद में जानलेवा हमला
    नागपुर.
    नागपुर के यशोधरा नगर थाना क्षेत्र में एक मामूली विवाद में प्रॉपर्टी डीलर को जान से मारने का प्रयास किया गया। सिगरेट का धुआं मुंह पर छोड़ने के विवाद में आरोपियों ने पहले उसकी पिटाई की और फिर सीने में चाकू घोंप दिया। पुलिस ने इस मामले में प्रकरण दर्ज कर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि बाकी फरार आरोपियों की तलाश जारी है।

    पान ठेले पर घटना
    जख्मी प्रॉपर्टी डीलर की पहचान ललित गणेश मोहाड़ीकर (36) के रूप में हुई है, जिसका फिलहाल मेयो अस्पताल में इलाज चल रहा है। आरोपी पानठेला चालक सैय्यद साबिर (35), हिमांशु उर्फ सिंधु, गुड्डू और उसके अन्य साथी हैं। यह घटना सोमवार को रात करीब 10.30 बजे हुई, जब ललित शांति नगर नया पुलिया के पास नामदेव नगर में एक पानठेले पर गया था। वहां पर आरोपी भी मौजूद थे। उनमें से एक आरोपी सिगरेट पी रहा था और उसने सिगरेट का धुआं ललित के मुंह पर छोड़ा। इस पर ललित ने उसे फटकार लगाई, जिससे दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया।

    अब तो सरेआम वारदात
    विवाद बढ़ने पर, आरोपियों ने पहले ललित की लात-घूसों से पिटाई की। जख्मी हालत में जब ललित अपनी बाइक से भागने लगा, तो आरोपियों ने उसे गिरा दिया। इस बीच, एक आरोपी ने अपनी जेब से चाकू निकाला और “हमसे उलझता है” कहते हुए ललित के सीने में चाकू घोंप दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। यशोधरा नगर पुलिस ने इस मामले में प्रकरण दर्ज कर मुख्य आरोपी साबिर को गिरफ्तार कर लिया है। सोमवार को उसे अदालत में पेश किया गया। फरार आरोपियों की सरगर्मी से तलाश जारी है। यह घटना शहर में बढ़ते अपराध और मामूली बातों पर होने वाली हिंसा को दर्शाती है, जिस पर पुलिस को लगाम लगाने की जरूरत है।

  • कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारियों को टारगेट मिलेगा

    कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारियों को टारगेट मिलेगा

    कांग्रेस प्रशिक्षण शिविर में एकजुटता पर जोर
    नागपुर.
    स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी के तहत, कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारियों को अब जिला स्तर पर संगठन कार्य का टारगेट मिलेगा। पुणे के खड़कवासला में शुरू हुए कांग्रेस के प्रशिक्षण शिविर में पदाधिकारियों को विविध विषयों पर कार्य नियोजन का निर्देश मिला है। प्रशिक्षण शिविर का संचालन प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढे और विधान परिषद सदस्य अभिजीत वंजारी ने किया। नागपुर से सहभागी पदाधिकारियों में राजेंद्र मुलक, अतुल कोटेचा, उमाकांत अग्निहोत्री, किशोर कन्हेरे, विशाल मुत्तेमवार, प्रसन्ना तिडके, संजय दुबे, केतन ठाकरे, शकूर नागानी शामिल थे।

    हर विषयों की जानकारी दी गई
    शिविर में पदाधिकारियों को अपने गृह जिले में चुनाव कार्य में योगदान देने का निर्देश दिया गया है। उन्हें यह भी कहा गया है कि चुनाव के समय टीका-टिप्पणी से बचने के साथ ही अधिकार की बात पर अधिक ध्यान देना होगा। प्रशिक्षण शिविर में ओबीसी, जातीय गणना, सामाजिक क्रांति का इतिहास, प्रशासकीय कामकाज और कार्यकर्ता का अधिकार सहित विविध विषयों पर बारीकी से जानकारी दी गई।

    कई मामलों में सचेत रहने के निर्देश
    शिविर में शामिल एक पदाधिकारी के अनुसार, जानकारों से जो टिप्स मिले, उनमें यही कहा गया है कि पार्टी कार्यकर्ताओं को कई मामलों में सचेत रहना होगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई बार गैर-राजनीतिक लोगों के नाम पर विविध निराधार जानकारियां साझा की जाती हैं, जो वास्तव में राजनीतिक ही होती हैं। कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया के दुरुपयोग के तंत्र को समझना होगा। यह भी कहा गया कि केवल प्रदर्शन करने और बयानबाजी तक सीमित रहने का लाभ नहीं मिल पाता है। विरोधियों की रणनीति का जवाब तथ्यों और सूझबूझ के साथ देने की तैयारी रहनी चाहिए।