नकली खाद-बीज का पर्दाफाश
नागपुर।
महाराष्ट्र के नागपुर और अमरावती जिलों में किसानों को धोखा देने के दो बड़े मामले सामने आए हैं, जिन्होंने कृषि जगत में हड़कंप मचा दिया है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि कुछ बेईमान लोग अपने फायदे के लिए किसानों की मेहनत और भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।
लावा में धावा
पहला मामला नागपुर के लावा गांव में सामने आया, जहां जिला कृषि विभाग ने एक गुप्त सूचना पर छापा मारा। छापे में एक अवैध कारखाना मिला, जहाँ बिना सरकारी मंजूरी के नकली जैव-उत्पाद, रासायनिक खाद और कीटनाशक बनाए जा रहे थे। अधिकारियों ने यहाँ से ₹52.61 लाख से अधिक की नकली सामग्री, जिसमें 15 टन रासायनिक खाद और 2 टन तरल जैव-उत्पाद शामिल थे, जब्त की। आरोपी परेश विजय खंडाइत के खिलाफ फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर, 1985 और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह सिर्फ आर्थिक नुकसान का मामला नहीं है, बल्कि किसानों की फसलों और मिट्टी की उर्वरता को बर्बाद करने की एक साजिश है।
अमरावती में भी धोखाधड़ी
वहीं, अमरावती जिले में धोखाधड़ी का एक और बड़ा मामला सामने आया। यहाँ रासायनिक खाद के नाम पर किसानों को ₹50 लाख की मिट्टी बेची जा रही थी। जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी राहुल सातपुते ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया। जांच में पता चला कि मुख्य वितरक ने बिना लाइसेंस वाली एक कंपनी से खाद खरीदी और उसे 12 खुदरा विक्रेताओं को बेच दिया। इन विक्रेताओं ने किसानों को बिना पीओएस मशीन के यह नकली खाद बेच दी।
यह कदम उठाया
इस खुलासे के बाद, 8 कृषि केंद्रों के लाइसेंस एक साल के लिए निलंबित कर दिए गए, और मुख्य वितरक का लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिया गया। यह घटना किसानों के साथ एक बड़ा धोखा है, जिससे उनका मनोबल टूटता है और उनकी मेहनत बर्बाद हो जाती है। इन मामलों के दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी आपराधिक कार्रवाई की मांग उठ रही है, ताकि भविष्य में कोई भी किसानों के साथ ऐसा खिलवाड़ करने की हिम्मत न करे।
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