एसीबी ने रिश्वतखोर पुलिस अधिकारी और सहयोगी को दबोचा
नागपुर.
नागपुर के पुलिस आयुक्तालय में भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग (एसीबी) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एक पुलिस उपनिरीक्षक गणेश गोविंद राऊत (51) और उसके सहयोगी चंद्रशेखर दामोधर घागरे (50) के खिलाफ सदर थाने में केस दर्ज किया है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने एक शिकायतकर्ता से 2 लाख रुपये की रिश्वत मांगी, ताकि उसकी चार्जशीट को कमजोर किया जा सके। यह घटना पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बनी हुई है।
यह है पूरा मामला
यह मामला तब सामने आया, जब एक शिकायतकर्ता ने एसीबी से संपर्क किया। शिकायतकर्ता के खिलाफ 14 मई 2025 को वाठोड़ा थाने में आर्थिक धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज हुआ था। क्राइम ब्रांच की आर्थिक विंग में कार्यरत आरोपी राऊत और घागरे को इस मामले की जांच सौंपी गई थी। शिकायतकर्ता को 15 मई को गिरफ्तार किया गया और 18 मई को जेल भेज दिया गया। 29 मई को जमानत पर बाहर आने के बाद, उसे हर सोमवार आर्थिक विंग में हाजिरी देनी पड़ती थी। इसी दौरान, आरोपी अधिकारियों ने उससे चार्जशीट कमजोर करने के लिए 2 लाख रुपये की मांग की और उसे बार-बार धमकाया। शिकायत के बाद, एसीबी ने जाल बिछाकर पुलिस भवन में छापा मारा। हालांकि, पकड़े जाने के डर से आरोपियों ने रिश्वत की रकम लेने से इनकार कर दिया और उसे फेंक दिया। एसीबी ने सबूतों के आधार पर दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
पुलिस की साख पर सवाल
यह घटना दर्शाती है कि पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं। जिस विभाग पर कानून-व्यवस्था और न्याय की रक्षा की जिम्मेदारी है, उसी के अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। यह घटना जनता के बीच पुलिस की विश्वसनीयता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई न केवल दोषियों को सबक सिखाएगी, बल्कि विभाग में शुचिता और ईमानदारी बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।
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