पिंकी की आत्महत्या के बड़े सवाल

किशोरवय का मानसिक अवसाद खतरनाक मोड़ पर

नागपुर.

नागपुर के प्रतापनगर थाना क्षेत्र में 21 वर्षीय पिंकी की आत्महत्या की खबर ने समाज को एक बार फिर से झकझोर दिया है। एक युवा लड़की, जिसके जीवन में अभी बहुत कुछ करना बाकी था, उसने अपनी परेशानियों से हार मानकर फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। यह घटना न केवल उसके परिवार के लिए एक असहनीय दुख है, बल्कि हम सभी के लिए एक चेतावनी भी है कि हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे कितने गंभीर हो चुके हैं।

 

अचानक हुआ क्या

पिंकी (21) के परिवार में माता- पिता और दो बड़ी बहनें हैं। पिता ऑटो रिक्शा चलाते हैं। वह एक क्लीनिक में काम करती थी। घटना वाले दिन, यानी मंगलवार शाम, वह अपने दोस्त से मिलने गई थी। उसने उसके साथ काफी देर तक बातचीत की थी। बाद में, वह घर चली गई। उसके कमरे का दरवाजा काफी देर से बंद था। पड़ोसियों द्वारा आवाज लगाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसलिए परिवार को सूचित किया गया। दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे तो पिंकी फंदे से लटकी हुई थी। घटना की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दी गई। सूचना मिलते ही प्रतापनगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची। उसे अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। शुरुआती जांच में पिंकी पर किसी ने दबाव या उकसावे की बात नहीं कही है। चर्चा है कि उसने किसी अवसाद के चलते फांसी लगाई है। पुलिस ने उसके दोस्तों के बयान दर्ज कर लिए हैं। पिंकी का मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया है। तकनीकी जांच के बाद घटना की असली वजह सामने आएगी।

 

शायद मदद चाह रही थी

पिंकी की कहानी अकेली नहीं है। हर साल ऐसे हजारों युवा अपनी जिंदगी खत्म कर लेते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी समस्याएं असहनीय हैं। पुलिस की शुरुआती जांच से पता चला है कि पिंकी ने अवसाद के कारण यह कदम उठाया। उसने मरने से पहले अपने एक दोस्त से मुलाकात भी की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह अपनी परेशानी किसी के साथ साझा करना चाहती थी, लेकिन शायद उसे वह मदद नहीं मिली, जिसकी उसे जरूरत थी।

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