गुस्से में मोबाइल पटककर तोड़ दिया
नागपुर,
नागपुर की घटना, जहाँ दसवीं का एक छात्र मोबाइल के कारण अपने पिता से डांट खाने पर घर छोड़कर भाग गया, आज के समाज में एक गंभीर समस्या को उजागर करती है। यह घटना सिर्फ एक बच्चे की नाराजगी का मामला नहीं है, बल्कि यह किशोरों में मोबाइल की बढ़ती लत और इसके खतरनाक मानसिक परिणामों की ओर इशारा करती है। आज के युवा घंटों अपने स्मार्टफोन पर बिताते हैं, चाहे वह सोशल मीडिया हो, गेमिंग हो या वीडियो देखना। जब उनके माता-पिता उन्हें पढ़ाई या अन्य जिम्मेदारियों के लिए टोकते हैं, तो वे इसे अपनी स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं।
गुस्सैल बन रही है नई पीढ़ी
इस तरह की प्रवृत्ति किशोरों को अत्यधिक संवेदनशील और गुस्सैल बना रही है। वे तुरंत निराश हो जाते हैं और छोटी-छोटी बातों पर हिंसक प्रतिक्रिया देने लगते हैं, जैसा कि इस मामले में छात्र ने मोबाइल पटककर तोड़ने से दिखाया। यह व्यवहार दर्शाता है कि बच्चे मोबाइल को सिर्फ एक गैजेट नहीं, बल्कि अपने जीवन का एक अभिन्न अंग मानते हैं, जिसे वे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहते।
काउंसलिंग के बाद परिवार को सौंपा
घर छोड़कर भागना बढ़ती मानसिक अशांति और तनाव का संकेत देती है। वे समस्याओं का सामना करने की बजाय उनसे भागने का रास्ता चुन रहे हैं। यह स्थिति माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की कमी को भी दर्शाती है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों के साथ खुलकर बात करें, उन्हें मोबाइल के सही और गलत उपयोग के बारे में समझाएं, और उनके साथ एक विश्वास का रिश्ता बनाएं। पुलिस ने इस छात्र को ढूंढकर काउंसलिंग के बाद परिवार को सौंपा, जो एक सराहनीय कदम है। लेकिन यह समस्या का दीर्घकालिक समाधान नहीं है। समाज, स्कूलों और परिवारों को मिलकर इस खतरनाक प्रवृत्ति का मुकाबला करना होगा।
Leave a Reply