दहेज की बलि चढ़ी एक और ज़िंदगी

कब रुकेगा यह क्रूर सिलसिला?
नागपुर.
दहेज की क्रूरता ने एक और परिवार की खुशियां छीन ली। उसे आत्महत्या के लिए उकसाने वाले पति के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। मृतक संगीता बिसेन (32), छोटी तरोड़ी स्थित वंदे कृष्ण सोसायटी निवासी थी। उसका मायका मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के महलपुर में है। अप्रैल 2014 में उसकी शादी श्यामराव श्रीपाद बिसेन (42) से हुई। 19 अप्रैल 2016 से मायके से पैसे लाने के लिए श्यामराव उसे शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना दे रहा था। दहेज को लेकर आए दिन होने वाली कलह से त्रस्त होकर 24 जुलाई 2025 को शाम करीब 4 बजे संगीता ने फांसी लगा ली।

यह लाखों महिलाओं की कहानी
संगीता की कहानी कोई नई नहीं है; यह उन लाखों महिलाओं की कहानी है, जिन्हें शादी के बाद पैसे और लालच के लिए शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जाती हैं। यह घटना हमारी व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करती है। 2014 में शादी होने के बाद 2016 से संगीता को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। आखिर इतने सालों तक यह सब क्यों चलता रहा? क्या परिवार ने पुलिस में शिकायत करने की कोशिश नहीं की? या फिर सामाजिक दबाव और ‘परिवार की इज्जत’ जैसे मिथकों के कारण वह चुप रही? अक्सर ऐसे मामलों में, पीड़िता का परिवार सामाजिक बहिष्कार के डर से चुप्पी साध लेता है, और यह चुप्पी ही अपराधी का हौसला बढ़ाती है।

सोच में बदलाव लाना होगा
वाठोड़ा पुलिस ने संगीता के पति के खिलाफ भले ही अब मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन यह कार्रवाई तब हुई, जब एक ज़िंदगी खत्म हो चुकी थी। यह दिखाता है कि हमारी कानूनी और सामाजिक व्यवस्थाएँ ऐसे मामलों में कितनी धीमी और प्रतिक्रियात्मक हैं। हमें एक ऐसी व्यवस्था चाहिए जो अपराध होने से पहले उसे रोक सके। यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि ऐसी घटनाएँ फिर न हों। इसके लिए कड़े कानूनी प्रावधानों के साथ-साथ समाज को भी अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। जब तक हम सब मिलकर इस बुराई के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक ऐसी और भी संगीताएँ इसकी बलि चढ़ती रहेंगी।

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More posts