Tag: नागपुर

  • अशोक चौक पर बनने लगा अशोक स्तंभ

    अशोक चौक पर बनने लगा अशोक स्तंभ

    सुंदरता में चार चांद, प्रतिकृति देखने उमड़ने लगे लोग
    नागपुर.
    नागपुर में बन रहे इंदोरा-दिघोरी फ्लाईओवर का एक खास आकर्षण अशोक चौक होगा, जहां सारनाथ के अशोक स्तंभ की प्रतिकृति तैयार की जा रही है। इस चौक में एक एलिवेटेड रोटरी बनाई जा रही है, जिसके बीचों-बीच सारनाथ के अशोक स्तंभ की प्रतिकृति स्थापित की जाएगी। इसका निर्माण कार्य शुरू हो चुका है और एक महीने में पूरा होने की उम्मीद है।

    जाम से मिलेगी राहत
    यह 6.70 किमी लंबा और 12 मीटर चौड़ा फ्लाईओवर 700 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है। इसका निर्माण नेशनल हाईवे प्राधिकरण की देखरेख में एनसीसी लिमिटेड कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य यातायात की समस्या को कम करना है, और उम्मीद है कि इसके बनने के बाद जाम से 50 फीसदी तक राहत मिलेगी। इस फ्लाईओवर का निर्माण मार्च 2027 तक पूरा होने का अनुमान है। सारनाथ के अशोक स्तंभ की प्रतिकृति न केवल चौक की खूबसूरती बढ़ाएगी, बल्कि यह नागपुर शहर की पहचान में भी एक नया आयाम जोड़ेगी। इस परियोजना से शहर में यातायात की समस्या तो हल होगी ही, साथ ही शहरी सौंदर्य में भी सुधार होगा।

  • उप-पंजीयक कार्यालय में करोड़ों की हेरा-फेरी

    उप-पंजीयक कार्यालय में करोड़ों की हेरा-फेरी

    संपत्तियों से जुड़ी जानकारी छुपाने का मामला
    नागपुर.
    नागपुर के हिंगना उप-पंजीयक कार्यालय में करोड़ों की संपत्तियों से जुड़ी जानकारी छुपाने का मामला आया है। यह प्रशासनिक और वित्तीय प्रणाली में व्याप्त गंभीर खामियों को दर्शाता है। आयकर विभाग की इंटेलिजेंस एंड क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन विंग द्वारा किए गए इस सर्वे ने न केवल बड़े पैमाने पर कर चोरी का खुलासा किया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं।

    सुनियोजित आपराधिक कृत्य
    नियमों के अनुसार, ₹30 लाख से अधिक की संपत्ति के पंजीकरण की जानकारी आयकर विभाग को देना अनिवार्य है। लेकिन इस मामले में ₹30 करोड़ और यहाँ तक कि ₹100 करोड़ के लेन-देन को भी जान-बूझकर छिपाया गया। यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि एक सुनियोजित आपराधिक कृत्य है। इससे न केवल संपत्ति की वास्तविक कीमत को कम दिखाया गया, बल्कि काला धन भी खपाया गया। यह सीधा-साधा मामला है कि अधिकारियों ने खरीदारों को कर से बचाने और नकद लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया।

    21 उप-पंजीयक कार्यालय रडार पर
    इस घोटाले का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि यह केवल एक कार्यालय तक सीमित नहीं है। आयकर विभाग की नजर अब नागपुर के सभी 21 उप-पंजीयक कार्यालयों पर है, और यह आशंका है कि यह आंकड़ा ₹2,000 करोड़ तक पहुंच सकता है। यह दर्शाता है कि यह कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि एक व्यापक भ्रष्टाचार का हिस्सा है। इस मामले में संपत्ति डीलरों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की संदिग्ध भूमिका भी जांच के दायरे में है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कर चोरी का यह जाल कितनी दूर तक फैला हुआ है।

    व्यवस्था में सुधार जरूरी
    इस तरह के घोटालों पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। केवल जांच और गिरफ्तारी ही पर्याप्त नहीं है। हमें पूरी व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा। रजिस्ट्री कार्यालयों में पारदर्शिता बढ़ाने, डिजिटल निगरानी को मजबूत करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ त्वरित और कठोर कार्रवाई करने की जरूरत है। यह मामला एक सबक है कि जब तक हम भ्रष्टाचार के इन गढ़ों को ध्वस्त नहीं करेंगे, तब तक ईमानदार करदाताओं के साथ अन्याय होता रहेगा और देश को राजस्व का नुकसान होता रहेगा।

  • कागज पर फ्लैट बनाकर 3.5 करोड़ की ठगी

    कागज पर फ्लैट बनाकर 3.5 करोड़ की ठगी

    योजनाएं कभी ज़मीन पर बनी ही नहीं
    नागपुर.
    नागपुर में एक बिल्डर परिवार के तीन सदस्यों के खिलाफ संपत्ति की खरीद-बिक्री में 3.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। आरोपी बिल्डर आशुतोष नाईक (जिनका अब देहांत हो चुका है), उनकी पत्नी स्वाति और बेटे अक्षय ने अपनी फर्म ‘श्री होम मेकर’ के नाम पर ‘सुयोग पैलेस’, ‘लक्ष्मी केशव अपार्टमेंट’ और अन्य रो हाउसेस व फ्लैट स्कीम बनाई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि जांच अधिकारी बोरकर के अनुसार, ये योजनाएं कभी ज़मीन पर बनी ही नहीं, बल्कि केवल कागजों पर ही मौजूद थीं।

    संगठित अपराध की यह श्रेणी
    शिकायतकर्ता प्रेम प्रकाश भोयर और मेघा विशाल चौधरी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने क्रमशः 1.75 करोड़ और 1 करोड़ 40 लाख 80 हज़ार रुपये आरोपियों को दिए थे, लेकिन उन्हें खरीदी गई संपत्ति कभी नहीं मिली। कुल मिलाकर 3 करोड़ 5 लाख रुपये की ठगी की गई है। बजाज नगर थाने में मामला दर्ज होने के बाद इसकी गंभीरता को देखते हुए जांच क्राइम ब्रांच की आर्थिक विंग को सौंप दी गई है। यह कोई छोटा-मोटा मामला नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे कुछ शातिर अपराधी केवल कागजों पर आकर्षक योजनाएं बनाकर निर्दोष लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं।

    निवेश के पहले हर पहलू से जांच करें
    यह घटना उन लोगों के लिए एक बड़ी चेतावनी है जो संपत्ति खरीदने का सपना देखते हैं। अक्सर, आकर्षक ऑफ़र और कम कीमतों के लालच में लोग पूरी पड़ताल किए बिना ही निवेश कर देते हैं। ऐसे मामलों में, यह सुनिश्चित करना बेहद ज़रूरी है कि प्रस्तावित संपत्ति वास्तव में मौजूद है, उसके सभी कानूनी दस्तावेज़ वैध हैं, और बिल्डर का ट्रैक रिकॉर्ड विश्वसनीय है। केवल कागजी योजनाओं पर भरोसा करना भारी पड़ सकता है, जैसा कि इस मामले में देखा गया है। आर्थिक विंग द्वारा की जा रही गहन जांच से उम्मीद है कि इस धोखाधड़ी में शामिल सभी दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए आम जनता को भी अधिक जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है।

  • करोड़ों खर्च और पौधे भगवान भरोसे

    करोड़ों खर्च और पौधे भगवान भरोसे

    पौधारोपण अभियान को लेकर बड़ा सवाल
    नागपुर.
    नागपुर जिले में 10 करोड़ पौधारोपण अभियान 2025-26 के तहत महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना विभाग को 5 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया है, जिसमें से अब तक 3.5 लाख से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। यह प्रयास प्रशंसनीय है, लेकिन मुख्य चुनौती पौधों को जीवित रखना और उन्हें वृक्षों में परिवर्तित करना है।

    आंकड़ों पर गहराता है संदेह
    खबर के अनुसार, 2023-24 में लगाए गए 1.68 लाख पौधों में से 88% जीवित होने का दावा किया गया है, जो एक अच्छी संख्या प्रतीत होती है। हालांकि, 19,956 पौधों के नष्ट होने और सूख गए पौधों की जगह नए पौधे न लगाए जाने की बात भी सामने आई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तीन साल की देखभाल अवधि के बाद, यानी सरकारी निगरानी खत्म होने के बाद कितने पौधे वास्तव में बड़े पेड़ों में बदल पाते हैं, इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं होता। अधिकारी अक्सर इस सवाल पर बगले झांकने लगते हैं। इसलिए पर्यावरण संतुलन के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर किए जाने वाले पौधारोपण अभियान की प्रभावशीलता पर सवाल उठते हैं, जब यह सामने आता है कि तीन साल की देखभाल अवधि के बाद पौधे “भगवान भरोसे” छोड़ दिए जाते हैं।

  • शहरी विकास की कीमत, 22 घर जमींदोज

    शहरी विकास की कीमत, 22 घर जमींदोज

    केलीबाग रोड के चौड़ीकरण का काम तेज
    नागपुर.
    नागपुर के महल इलाके में केलीबाग रोड के चौड़ीकरण के लिए 22 मकानों को ध्वस्त करना पड़ा है। हालांकि इन संपत्ति मालिकों को मुआवजा दिया गया है, पर यह शहरी विकास की उस कठोर सच्चाई को दर्शाता है, जहां बेहतर बुनियादी ढांचे के लिए कुछ लोगों को विस्थापित होना पड़ता है। केलीबाग रोड का चौड़ीकरण शहर के यातायात प्रवाह को सुगम बनाएगा और बेहतर कनेक्टिविटी देगा, लेकिन यह सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है कि ऐसे विकास कार्यों में प्रभावित लोगों को पर्याप्त मुआवजा और उचित पुनर्वास मिले।

    प्रभावितों को मुआवजे दिए गए
    महल क्षेत्र में प्रस्तावित केलीबाग रोड के चौड़ीकरण के लिए बड़ी कार्रवाई की गई। गांधीबाग जोन और अतिक्रमण निर्मूलन विभाग ने सीपी एंड बेरार कॉलेज चौक से रामाजी पहलवान चौक तक रास्ते में बाधा बन रहे कुल 22 मकानों को ध्वस्त कर दिया। गांधीबाग जोन के उपायुक्त गणेश राठौड़ ने बताया कि जिन संपत्ति मालिकों के मकानों पर कार्रवाई की गई, उन्हें पहले ही मुआवजा दिया जा चुका था। यह कार्रवाई नागपुर शहर के बुनियादी ढांचे में सुधार और यातायात को सुगम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

    बेहतर कनेक्टिविटी की कवायद
    शहर के मध्य में स्थित केलीबाग रोड पर चौड़ीकरण की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी, ताकि बढ़ती यातायात घनत्व को संभाला जा सके और लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी मिल सके। इस परियोजना से क्षेत्र में यातायात का प्रवाह सुधरेगा और सार्वजनिक परिवहन को भी लाभ होगा। हालांकि, तोड़फोड़ की इस कार्रवाई को शुरू में विरोध का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण मंगलवार को तोड़ूदस्ते को वापस लौटना पड़ा। लेकिन, प्रशासन ने मुआवजे की प्रक्रिया पूरी करने के बाद और स्पष्टता के साथ आगे बढ़कर यह सुनिश्चित किया कि परियोजना को पूरा किया जा सके। इस तरह के शहरी विकास परियोजनाओं में अक्सर निवासियों को असुविधा होती है, लेकिन नागपुर महानगर पालिका का लक्ष्य शहर के समग्र विकास के लिए आवश्यक कदम उठाना है, जबकि प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा प्रदान करना भी सुनिश्चित किया जा रहा है।

  • बूचड़खाने में हड़ताल, कारोबारियों ने रोना रोया

    बूचड़खाने में हड़ताल, कारोबारियों ने रोना रोया

    हस्तक्षेप कर स्थायी समाधान की गुहार
    नागपुर.
    महाराष्ट्र के बूचड़खानों की अनिश्चितकालीन हड़ताल ने किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। गौरक्षकों और पुलिस की कथित सख्ती से परेशान होकर, कुरैशी समुदाय के लोग बूचड़खानों और पशु खरीदी-बिक्री का काम बंद करने पर मजबूर हुए हैं। विदर्भ क्षेत्र में हर हफ्ते हजारों पशुओं का कारोबार ठप हो गया है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। यह मामला सिर्फ एक समुदाय या व्यवसाय का नहीं, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था और किसानों की आजीविका से जुड़ा है। सरकार को इस मुद्दे पर तुरंत हस्तक्षेप कर एक स्थायी समाधान निकालना चाहिए, ताकि किसी को भी अपने पारंपरिक व्यवसाय को छोड़ने के लिए मजबूर न होना पड़े और कानून-व्यवस्था बनी रहे।

    कुरैशी समुदाय के लोग आए सामने
    इस हड़ताल में नागपुर सहित पूरे महाराष्ट्र के कुरैशी समुदाय के लोग शामिल हैं, जिन्होंने बूचड़खानों, पशु खरीदी-बिक्री और निर्यात का काम बंद कर दिया है। महाराष्ट्र कुरैशी संघर्ष समिति के डॉ. आसिफ कुरैशी ने बताया कि कुरैशी समुदाय, जो परंपरागत रूप से पशु खरीदी-बिक्री का व्यवसाय करता है, पिछले कुछ समय से असामाजिक तत्वों और पुलिस की सख्ती का सामना कर रहा है। परमिट होने के बावजूद उन्हें अक्सर गौरक्षा के नाम पर रोका, धमकाया और पीटा जाता है। उनकी शिकायत है कि पुलिस भी उनकी शिकायतें सुनने के बजाय उलटे झूठे केस दर्ज कर देती है। कई वर्षों से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जहां भैंस खरीदने के बाद सड़क पर वाहन निकलते ही गौरक्षकों द्वारा रोका जाता है, जिससे मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं भी हुई हैं।

    विदर्भ क्षेत्र में रोजाना 4,000 पशुओं की खरीदी-बिक्री
    इस हड़ताल का सबसे बड़ा नुकसान किसानों को हो रहा है। विदर्भ क्षेत्र में रोजाना लगभग 4,000 पशुओं की खरीदी-बिक्री होती है, और इस हड़ताल के कारण हर हफ्ते लगभग 8,000 पशुओं की खरीदी-बिक्री ठप हो जाएगी। इससे उन किसानों को भारी नुकसान होगा जो अपने पशु बेचने के लिए मंडियों में लाते हैं। महाराष्ट्र सरकार ने इस मुद्दे पर कुरैशी समुदाय के साथ बातचीत की तैयारी शुरू कर दी है, जिसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और संबंधित विभाग के मंत्री व अधिकारी जल्द ही बैठक करेंगे। कुरैशी समुदाय की मांग है कि सरकार उनके पारंपरिक व्यवसाय को सुरक्षा प्रदान करे और सुनिश्चित करे कि गौरक्षा के नाम पर कोई असामाजिक तत्व या पुलिस उनके काम में बाधा न डाले।

  • थूकने वालों सावधान…मेट्रो ने 225 यात्रियों से वसूले 1.12 लाख

    थूकने वालों सावधान…मेट्रो ने 225 यात्रियों से वसूले 1.12 लाख

    स्वच्छता बनाए रखने के लिए उठाया कदम
    नागपुर.
    नागपुर लगातार विकास की राह पर है। मेट्रो का विस्तार हो रहा है, सड़कें चौड़ी हो रही हैं, और शहरी जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास जारी हैं। लेकिन इन सकारात्मक बदलावों के बीच कुछ ऐसी खबरें भी हैं, जो हमें सचेत करती हैं और सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाती हैं। हाल ही में, नागपुर मेट्रो ने एक सराहनीय कदम उठाते हुए स्टेशनों और ट्रेनों में गुटखा, पान मसाला या तंबाकू उत्पादों का सेवन कर थूकने वाले 225 यात्रियों पर 1.12 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है।

    औचक जांच, बढ़ी निगरानी
    यह सिर्फ जुर्माना नहीं, बल्कि एक कड़ा संदेश है कि सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मेट्रो प्रशासन ने जागरूकता अभियान चलाए हैं, औचक जांच की है, और सीसीटीवी निगरानी भी बढ़ा दी है। यह हमें याद दिलाता है कि स्वच्छता केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। हमें मुख कैंसर जैसे स्वास्थ्य खतरों और सार्वजनिक असुविधा से बचने के लिए इन आदतों को छोड़ना होगा। क्या हम अपने शहर को साफ और स्वस्थ नहीं देखना चाहते?

    सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा
    यह कदम यात्रियों के स्वास्थ्य और परिसर की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए उठाया गया है, क्योंकि इन उत्पादों के सेवन से गंदगी फैलती है और सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा होता है। मेट्रो प्रशासन ने इस समस्या से निपटने के लिए जागरूकता अभियान चलाए हैं और निगरानी गश्त बढ़ाई है। चूंकि ये पदार्थ मेटल डिटेक्टर से नहीं पकड़े जा सकते, इसलिए स्टेशनों पर औचक जांच की जा रही है। सुरक्षा कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे नियमों का उल्लंघन करने वालों की पहचान कर सकें। साथ ही, सेंट्रल सर्विलांस सिस्टम के माध्यम से भी यात्रियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। उल्लंघन की स्थिति में त्वरित कार्रवाई के लिए टीमें तुरंत सूचित की जाती हैं।

    कई जागरूकता अभियान

    कानूनी कार्रवाई के अलावा, महा-मेट्रो ने तंबाकू उत्पादों के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों, जैसे मुख कैंसर, अस्वच्छता और सार्वजनिक असुविधा के प्रति जनता को जागरूक करने के लिए भी कई अभियान चलाए हैं। मेट्रो प्रशासन ने सभी यात्रियों से इस पहल में सहयोग करने और सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता बनाए रखने की अपील की है, ताकि सभी के लिए एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।

  • मेयो अस्पताल में छेड़छाड़

    मेयो अस्पताल में छेड़छाड़

    सुरक्षा व्यवस्था पर उठते सवाल
    नागपुर.
    नागपुर स्थित मेयो अस्पताल में एक महिला के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आने के बाद अस्पताल परिसर की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। यह घटना, जिसमें वर्धा निवासी चंद्रकुमार गायकवाड़ (25) को गिरफ्तार किया गया है, दर्शाती है कि एक सार्वजनिक संस्थान, जहाँ लोग मदद और उपचार के लिए आते हैं, वहां भी महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है।

    परिचित महिला के साथ गई थी
    घटना 27 जुलाई को रात करीब 8 बजे हुई, जब 27 वर्षीय पीड़िता अपनी परिचित महिला के उपचार के लिए मेयो अस्पताल में गई थीं। सोनोग्राफी के लिए कमरे में जाने के दौरान, बाहर खड़ी उनकी परिचित महिला से आरोपी चंद्रकुमार गायकवाड़ ने छेड़छाड़ की और मौके से फरार हो गया। पीड़िता द्वारा तहसील थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और उसे सेंट्रल जेल भेज दिया गया है।

    अस्पताल में सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमी
    हालांकि गिरफ्तारी एक सकारात्मक कदम है, यह घटना नागपुर के एक प्रमुख अस्पताल में सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमी को उजागर करती है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि आरोपी अस्पताल परिसर में क्यों मौजूद था और क्या उसकी मंशा केवल छेड़छाड़ की थी या कुछ और। पुलिस इस दिशा में जांच कर रही है, जो सराहनीय है। इस घटना के बाद, मेयो अस्पताल प्रशासन को अपनी सुरक्षा व्यवस्था की तत्काल समीक्षा करनी चाहिए। अस्पताल में आने वाले मरीजों और उनके साथ आए लोगों, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। अस्पताल में पर्याप्त सुरक्षा गार्डों की तैनाती, सीसीटीवी कैमरों की सक्रिय निगरानी और संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान व उन पर नज़र रखने के लिए एक मजबूत तंत्र आवश्यक है। ऐसे संवेदनशील स्थानों पर जहाँ लोग अपनी बीमारियों और चिंताओं के कारण पहले से ही कमजोर होते हैं, वहाँ सुरक्षा में किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए। नागपुर के नागरिकों को ऐसे सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षित महसूस करने का अधिकार है, और यह सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।

  • दो हत्याओं से सिहरा नागपुर

    दो हत्याओं से सिहरा नागपुर

    रंजिश और शराब के विवादों ने ली जान
    नागपुर.
    नागपुर में आपराधिक गतिविधियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ढाई घंटे के भीतर शहर में हुई दो हत्याएं इस बात का कड़वा सच बयां करती हैं। रंजिश और शराब के विवादों ने जिस तरह से दो जिंदगियां छीन लीं, वह न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि समाज में बढ़ती असहिष्णुता और हिंसा की प्रवृत्ति को भी दर्शाता है।

    दो लोगों को मौत के घाट उतारा
    पहली घटना में, जूनी मंगलवारी के हर्षल अनिल सौदागर (26) को गुजरी चौक में एक मामूली विवाद के बाद धारदार हथियारों से घेरकर मौत के घाट उतार दिया गया। यह दर्शाता है कि छोटे-मोटे झगड़े भी किस तरह खूनी रूप ले सकते हैं। दूसरी घटना कॉटन मार्केट के पास हुई, जहां शराब पीने-पिलाने को लेकर हुए विवाद में अमोल पैकूजी बनकर (36) की जान चली गई। आरोपी ने उन्हें लात मारी, जिससे उनके सिर में गंभीर चोट आई और अस्पताल ले जाते समय उनकी मृत्यु हो गई।

    सड़कों पर अब असुरक्षा का माहौल
    इन घटनाओं से स्पष्ट है कि नागपुर की सड़कों पर अब असुरक्षा का माहौल है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया है। हालांकि, यह पर्याप्त नहीं है। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए पुलिस प्रशासन को और अधिक सक्रिय और दृढ होना होगा। गश्त बढ़ानी होगी, संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी नज़र रखनी होगी और त्वरित न्याय सुनिश्चित करना होगा, ताकि अपराधियों में डर का माहौल बना रहे। साथ ही, समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। युवाओं में बढ़ती हिंसा की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए परिवारों और शैक्षणिक संस्थानों को नैतिक मूल्यों और संयम का पाठ पढ़ाना होगा। नागपुर को फिर से शांतिपूर्ण और सुरक्षित शहर बनाने के लिए पुलिस, प्रशासन और नागरिकों के संयुक्त प्रयास आवश्यक हैं।

  • पत्नी को गुजारा भत्ता देने बन गया चेन स्नैचर

    पत्नी को गुजारा भत्ता देने बन गया चेन स्नैचर

    विवशता बनी अपराध का बहाना
    नागपुर.
    नागपुर में एक व्यक्ति का पत्नी को गुजारा भत्ता देने और घर खर्च चलाने की “विवशता” में चेन स्नैचर बन जाना, समाज के सामने कई गंभीर सवाल खड़े करता है। यह घटना, जिसमें कन्हैया नारायण बौराशी नामक शख्स ने अपराध का रास्ता अपनाया और पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़ा, एक दुखद सच्चाई को सामने लाती है: अपराध आखिर अपराध है, और कोई भी विवशता उसे जायज नहीं ठहरा सकती।

    दुकानदार को भी पकड़ा गया
    कन्हैया बौराशी, जो लगभग दो साल से बेरोजगार था, ने अपनी आर्थिक तंगी और पत्नी को गुजारा भत्ता देने की मजबूरी को अपराध का औचित्य बना लिया। उसने जयश्री जयकुमार गाडे जैसी बुजुर्ग महिला के गले से दिनदहाड़े गहने छीनने जैसे जघन्य कृत्य किए। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और ठोस जांच के दम पर कन्हैया को धर-दबोचा, और फिर उससे चोरी का माल खरीदने वाले सराफा दुकानदार अमरदीप कृष्णराव नखाते को भी गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई सराहनीय है और दिखाती है कि पुलिस अपराधियों तक पहुंचने में सक्षम है। कुल ₹1,85,500 का माल जब्त किया गया है, जिसमें 10.940 ग्राम सोने के गहने शामिल हैं, और पुलिस ने 5 चेन स्नैचिंग के मामलों का खुलासा किया है।

    “विवशता” अपराध की गंभीरता कम नहीं करती
    यह सच है कि बेरोजगारी और आर्थिक संकट व्यक्तिगत जीवन में भारी दबाव डालते हैं। गुजारा भत्ता जैसी कानूनी बाध्यताएँ भी आर्थिक बोझ बढ़ा सकती हैं। लेकिन, किसी भी परिस्थिति में कानून तोड़ना और निर्दोष नागरिकों को नुकसान पहुँचाना स्वीकार्य नहीं है। कन्हैया का मामला इस बात पर जोर देता है कि समाज और सरकार दोनों को उन कारणों पर ध्यान देना चाहिए जो व्यक्तियों को अपराध की ओर धकेलते हैं, जैसे कि बेरोजगारी, गरीबी और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं। हालांकि, यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि अपराध की कोई भी “विवशता” उसकी गंभीरता को कम नहीं करती।

    यह घटना एक संदेश है
    आपराधिक कृत्यों के लिए कोई बहाना नहीं होता। समाज को उन व्यक्तियों के लिए सुरक्षित विकल्प और समर्थन प्रणालियाँ विकसित करनी होंगी जो आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, ताकि कोई भी विवशता के नाम पर अपराध का रास्ता न चुने। साथ ही, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ऐसे मामलों में तेजी से और दृढ़ता से कार्रवाई करनी चाहिए ताकि यह संदेश स्पष्ट हो कि कानून तोड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे उनकी “विवशता” कोई भी रही हो।