Tag: नागपुर

  • निजी ट्रैवल्स पर रोक

    निजी ट्रैवल्स पर रोक

    सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक शहर के अंदर पार्किंग और यात्रियों को पिक-अप/ड्रॉप करने की अनुमति नहीं
    नागपुर.
    नागपुर शहर में बढ़ते यातायात जाम की समस्या से निपटने के लिए यातायात पुलिस विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शहर के अंदरूनी रिंग रोड क्षेत्र में निजी ट्रैवल्स बसों के परिचालन को नियंत्रित करने के लिए एक नई अधिसूचना जारी की गई है। अधिसूचना के अनुसार, अब निजी बसों को सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक इनर रिंग रोड पर सड़क पर पार्किंग और यात्रियों को पिक-अप/ड्रॉप करने की अनुमति नहीं होगी। इन बसों को केवल निर्दिष्ट पार्किंग क्षेत्रों में ही रुकना होगा। निजी बस संचालकों को नए नियमों का पालन करने और अपने यात्रियों को सूचित करने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है। नियम का उल्लंघन करने पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 223 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह अधिसूचना 13 अगस्त से 12 सितंबर 2025 तक लागू रहेगी।

    यात्रियों को होगी दिक्कतें
    नागपुर से यवतमाल, चंद्रपुर, छिंदवाड़ा, जबलपुर, भंडारा, गोंदिया और ब्रह्मपुरी जैसे मार्गों पर चलने वाली सैकड़ों निजी बसें अब शहर के बाहर यात्रियों को उतारेंगी। ऐसे में, इन यात्रियों को शहर के अंदर अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए मेट्रो, टैक्सी, या ऑटो जैसे वैकल्पिक साधनों पर निर्भर रहना पड़ेगा। हालांकि परिवहन कार्यालय से अनुमति लेकर चलने वाली बसें जैसे मिहान और एमआईडीसी क्षेत्र के कर्मचारियों को ले जाने वाली बसें, विवाह समारोह की बसें, और स्कूल बसें इस नियम के दायरे से बाहर होंगी।

    जाम से मिलेगी राहत
    पुलिस उपायुक्त लोहित मतानी का कहना है कि यह कदम ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए जरूरी है। उनका मानना है कि शहर के बाहर वैकल्पिक पार्किंग और स्टॉप की व्यवस्था से यातायात में सुधार होगा। यह निर्णय शहर के महत्वपूर्ण चौराहों और सड़कों पर होने वाले भारी ट्रैफिक जाम को कम करने के उद्देश्य से लिया गया है। शहर की 35 लाख की आबादी और 25 लाख से अधिक वाहनों के चलते, कई प्रमुख सड़कें जैसे सीए रोड, रहाटे कॉलोनी चौक, ग्रेट नाग रोड, और अमरावती रोड पर बसों की अवैध पार्किंग और पिक-अप के कारण यातायात अक्सर बाधित रहता है।

  • बेटी को परीक्षा दिलाने गए पिता को ट्रक ने रौंदा

    बेटी को परीक्षा दिलाने गए पिता को ट्रक ने रौंदा

    सड़क पार करते समय हादसा
    नागपुर.
    वर्धा रोड स्थित डोंगरगांव में मंगलवार को दिल दहला देने वाली घटना हुई। भीष्म कुमार शाहू अपनी बेटी को परीक्षा दिलाने के लिए बस से गया था। वह बस स्टैंड पर बैठकर अपनी बेटी के परीक्षा खत्म होने का इंतजार कर रहा था। सड़क पार करते वक्त एक तेज रफ्तार ट्रक ने उस इंतजार को हमेशा के लिए खत्म कर दिया।

    परिवार पर टूटा दु:खों का पहाड़
    जानकारी के अनुसार, डिप्टी सिग्नल कलमना निवासी भीष्म कुमार शाहू (54) कलमना मार्केट में हमाली काम करता था। वह बस से वर्धा रोड डोंगरगांव स्थित मेघसाई आईटीआई में बेटी प्रियंका को छोड़ने बस से गया था। घटना के बाद पुलिस ने आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया है। यह दुखद घटना परिवार के लिए असहनीय है। पिता ही कमाने वाला था। दो बच्चियों, एक बच्चे के परवरिश का भार उसके कंधों पर था। बच्चियों का पढ़ाकर वह योग्य बना रहा था। मां किसी सुपारी कारखाने पर काम करती है, ताकि पति का हाथ बंटा सके। अब पूरा परिवार मुसीबत में आ गया है। परीक्षा देने गई बेटी के मुंह से शब्द नहीं निकल पा रहे हैं। वह तो खबर सुनते ही गश खाकर गिर पड़ी थी। सदमा दिल-दिमाग पर छाया हुआ है।

  • डिलीवरी बॉय पर जानलेवा हमला

    डिलीवरी बॉय पर जानलेवा हमला

    ईर्ष्या का घातक परिणाम
    नागपुर.
    मामूली विवाद में डिलीवरी बॉय पर जानलेवा हमला हुआ। हथोड़े से उसका सिर फोड़कर जान से मारने की कोशिश की गई। उसका नाम मोहन नगर खलासी लाइन निवासी फिरोज लालचंद लव्हात्रे (38 ) है आरोपी बस्ती का ही वामन पांचौले है। वह सिलेंडरों की गाड़ी चलाता है और फिरोज घरों में सिलेंडर पहुंचाने का काम करता है। फिरोज की कुछ ग्राहकों से पहचान हो गई थी। वे जब भी कभी सिलेंडर लगा तो फिरोज को फोन करते थे। उसके बदले में वह उसे दस-बीस रुपए दे देते थे। फिरोज की अतिरिक्त कमाई वामन की आखों में खटक गई। शनिवार को मामूली विवाद के बाद सोमवार की शाम को जब फिरोज घर में था तो वामन से उसे फोन कर परिसर के चौरसिया चौक में बुलवाया और उसके सिर पर बुरी तरह से हथोड़े से वार किया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और उसे अदालत में पेश भी किया।

  • सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी

    सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी

    युवाओं के सपनों से खिलवाड़
    नागपुर.
    बेलतरोडी थानांतर्गत एक ऐसा ठग पकड़ा गया है, जो विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगी करता था। आरोप है कि उसने खुद को पुलिस विभाग में क्लर्क बताकर पीड़ितों से लाखों रुपये अपने बैंक खाते में जमा कराकर ठगी की है। उसे अमरावती शहर से गिरफ्तार किया गया। आरोपी नामदेव उर्फ प्रकाश उर्फ जगदीश धनराज राठौड़ (35) यवतमाल निवासी है। वह अवधूतवाड़ी (यवतमाल) पुलिस स्टेशन में हुए एक अपराध में लंबे समय से फरार था। वह पिछले एक मामले में अदालत में पेश नहीं हुआ था।

    8 युवकों से ठगी
    आरोपी ने रामटेक और मौदा के करीब आठ युवकों को ठगा। उसने पुलिस भर्ती, स्वास्थ्य विभाग, मेट्रो नागपुर, रेलवे विभाग, सेना आदि सरकारी सेवाओं में भर्ती कराने का वादा करके नकद और ऑनलाइन 16 लाख 86 हजार रुपये ऐंठ लिए। पैसे लेने के बाद, आरोपी अलग-अलग जिलों में जाकर कुछ दिन रुकता था। आरोपी खुद को अमरावती पुलिस आयुक्तालय में क्लर्क बताता था। उसने एक पहचान पत्र भी बना रखा था। उसके आधार पर वह लोगों और उनके दोस्तों व परिवारों को आर्थिक रूप से ठग रहा था। खासतौर पर, उसने पीड़ितों को फर्जी नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र भी दिए। जब उन्होंने कार्यालय जाकर नियुक्ति पत्रों के बारे में गहन पूछताछ की, तो मामले का भंडाफोड़ हुआ।

    कई सवाल उठते हैं
    बेलतरोडी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया नामदेव उर्फ प्रकाश राठौड़ जैसे ठग, हमारे देश के उन लाखों युवाओं के सपनों और उम्मीदों को तोड़ते हैं, जो सरकारी नौकरी पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। यह सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता पर एक सीधा हमला है। इस घटना से कई सवाल उठते हैं। आरोपी कई गंभीर अपराधों में फरार था, फिर भी वह महीनों तक लोगों को ठगता रहा। क्या पुलिस के पास फरार अपराधियों को पकड़ने के लिए मजबूत तंत्र नहीं है? इस मामले में पुलिस ने तकनीकी और गोपनीय जानकारी के आधार पर आरोपी को पकड़ा है, जो एक सकारात्मक कदम है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि अपराधी इतनी आसानी से बच न निकल पाएं।

  • कॉलेज प्राध्यापिका का यौन उत्पीड़न

    कॉलेज प्राध्यापिका का यौन उत्पीड़न

    उच्च शिक्षा के संस्थान भी सुरक्षित नहीं रहे
    नागपुर.
    एक नामी कॉलेज में शर्मसार करने वाली घटना हुई है। महिला प्राध्यापक पिछले पंद्रह सालों से समाज को शिक्षित कर रही है। उसे उन्हीं लोगों द्वारा अपमानित किया गया, जिन पर संस्थान की गरिमा बनाए रखने की जिम्मेदारी थी। जानकारी के अनुसार, डॉ. अरुण जोसेफ और रवि मेंढे जैसे आरोपियों ने न सिर्फ उस प्राध्यापिका को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि सबके सामने उसे शर्मिंदा करने की कोशिश की। घटना 23 जुलाई को शाम करीब 4 से 4.30 बजे के बीच की है।

    घिनौनी काम का ऑफर
    प्राध्यापिका घर जाने के लिए कार की सीट पर बैठी थी, तभी मेंढे उनके पास आया। हाथ पकड़कर घिनौनी काम का ऑफर दिया। इससे भी ज्यादा शर्मनाक बात यह है कि जब प्राध्यापिका ने इस मामले की शिकायत की, तो कोई कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस ने उन्हें सूचना पत्र देकर छोड़ दिया है। हालांकि पुलिस ने आरोपी डॉ. अरुण जोसेफ (66) रेशिमबाग और रवि मेंढे (60) वैशालीनगर निवासी पर धारा 74, 351(2), 352, 3(5) के तहत मामला दर्ज किया है।

    रसूख का इस्तेमाल
    रवि मेंढे एक निजी व्यक्ति है और कॉलेज के प्रशासनिक कार्यों में दखलंदाज़ी करता है। वह दिखावा करता है कि अध्यक्ष ने अनुमति दे दी है। वह कर्मचारियों को धमकाता है। चूंकि वह कभी-कभी अध्यक्ष के साथ देखा जाता है, इसलिए प्रोफेसर और कर्मचारी उस पर भरोसा करते हैं। सत्ता और प्रभाव का दुरुपयोग करके वह महिला कर्मचारियों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता रहा है।

    शिकायत में गंभीर आरोप
    शिकायत में डॉ. अरुण जोसेफ और रवि मेंढे पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं। धमकी देना, अपमानित करना और शारीरिक सुख की मांग करना जैसे आरोप यह साबित करते हैं कि कॉलेज में एक ऐसा माहौल है, जहां महिलाओं के सम्मान की कोई परवाह नहीं की जाती। वहीं, इस मामले में पुलिस ने भले ही प्राथमिकी दर्ज कर ली हो, लेकिन आरोपियों को सिर्फ सूचना पत्र देकर छोड़ देना दिखाता है कि कानून का भय ऐसे प्रभावशाली लोगों पर शायद ही काम करता हो।

  • ‘शालार्थ आईडी’ के खुल रहे गहरे राज

    ‘शालार्थ आईडी’ के खुल रहे गहरे राज

    अदालत ने आरोपियों को जमानत नहीं दी
    नागपुर.
    नागपुर में ‘शालार्थ आईडी’ घोटाले ने शिक्षा के पवित्र क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। यह सिर्फ पैसे का घोटाला नहीं है, बल्कि यह हमारे युवाओं के भविष्य और शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सीधा हमला है। इस मामले में माध्यमिक शिक्षा विभाग के संचालक से लेकर कई बड़े अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है, जिससे यह साफ होता है कि यह भ्रष्टाचार की एक संगठित श्रृंखला थी।

    बस एक को सशर्त जमानत
    इस घोटाले में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति के आरोप में माध्यमिक शिक्षा विभाग के संचालक चिंतामण वंजारी की नियमित जमानत अर्जी तथा नागपुर शिक्षा विभाग के पूर्व उपनिदेशक सतीश मेंढे और जिला परिषद के वेतन पथक के अधीक्षक नीलेश वाघमारे की अग्रिम जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। हालांकि, नागपुर की पूर्व उपनिदेशक डॉ. वैशाली जामदार को सशर्त जमानत दे दी है।

    145.88 करोड़ का घोटाला
    इस घोटाले में 580 फर्जी शालार्थ आईडी बनाकर सरकारी खजाने को 145.88 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। यह पैसा गरीब छात्रों की शिक्षा, शिक्षकों के वेतन और स्कूलों के विकास पर खर्च किया जा सकता था, लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने अपने निजी लाभ के लिए इसे लूट लिया। चिंतामण वंजारी जैसे अधिकारियों की जमानत याचिका खारिज होना यह दर्शाता है कि उनकी संलिप्तता कितनी गंभीर है। हालाँकि, डॉ. वैशाली जामदार को जमानत मिल गई, क्योंकि गिरफ्तारी की प्रक्रिया में खामियाँ पाई गईं, जो हमारी कानूनी प्रणाली में प्रक्रियात्मक पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करता है।

    सिस्टम के नैतिक पतन का प्रतीक
    यह मामला हमें सोचने पर मजबूर करता है कि जब शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में ऐसे लोग बैठे हों, जो फर्जीवाड़े के माध्यम से अपनी जेबें भर रहे हों, तो हमारे देश का भविष्य कैसा होगा? यह घोटाला सिर्फ एक वित्तीय अनियमितता नहीं है, बल्कि यह हमारे सिस्टम के नैतिक पतन का प्रतीक है। सरकार को इस मामले की जड़ तक जाकर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। साथ ही, शिक्षा विभाग में ऐसी प्रणाली स्थापित करनी चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसे घोटालों की पुनरावृत्ति न हो।

  • मुंह पर छोड़ा सिगरेट का धुआं, मना करने पर सीने में चाकू घोंपा

    मुंह पर छोड़ा सिगरेट का धुआं, मना करने पर सीने में चाकू घोंपा

    मामूली विवाद में जानलेवा हमला
    नागपुर.
    नागपुर के यशोधरा नगर थाना क्षेत्र में एक मामूली विवाद में प्रॉपर्टी डीलर को जान से मारने का प्रयास किया गया। सिगरेट का धुआं मुंह पर छोड़ने के विवाद में आरोपियों ने पहले उसकी पिटाई की और फिर सीने में चाकू घोंप दिया। पुलिस ने इस मामले में प्रकरण दर्ज कर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि बाकी फरार आरोपियों की तलाश जारी है।

    पान ठेले पर घटना
    जख्मी प्रॉपर्टी डीलर की पहचान ललित गणेश मोहाड़ीकर (36) के रूप में हुई है, जिसका फिलहाल मेयो अस्पताल में इलाज चल रहा है। आरोपी पानठेला चालक सैय्यद साबिर (35), हिमांशु उर्फ सिंधु, गुड्डू और उसके अन्य साथी हैं। यह घटना सोमवार को रात करीब 10.30 बजे हुई, जब ललित शांति नगर नया पुलिया के पास नामदेव नगर में एक पानठेले पर गया था। वहां पर आरोपी भी मौजूद थे। उनमें से एक आरोपी सिगरेट पी रहा था और उसने सिगरेट का धुआं ललित के मुंह पर छोड़ा। इस पर ललित ने उसे फटकार लगाई, जिससे दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया।

    अब तो सरेआम वारदात
    विवाद बढ़ने पर, आरोपियों ने पहले ललित की लात-घूसों से पिटाई की। जख्मी हालत में जब ललित अपनी बाइक से भागने लगा, तो आरोपियों ने उसे गिरा दिया। इस बीच, एक आरोपी ने अपनी जेब से चाकू निकाला और “हमसे उलझता है” कहते हुए ललित के सीने में चाकू घोंप दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। यशोधरा नगर पुलिस ने इस मामले में प्रकरण दर्ज कर मुख्य आरोपी साबिर को गिरफ्तार कर लिया है। सोमवार को उसे अदालत में पेश किया गया। फरार आरोपियों की सरगर्मी से तलाश जारी है। यह घटना शहर में बढ़ते अपराध और मामूली बातों पर होने वाली हिंसा को दर्शाती है, जिस पर पुलिस को लगाम लगाने की जरूरत है।

  • जीरो माइल सौंदर्यीकरण अधर में

    जीरो माइल सौंदर्यीकरण अधर में

    प्रोजेक्ट अनिश्चितता के भंवर में फंसा
    नागपुर.
    नागपुर की पहचान, जीरो माइल के सौंदर्यीकरण का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अब अनिश्चितता के भंवर में फंस गया है। मनपा (महानगरपालिका) की 48 करोड़ की यह प्रस्तावित योजना, जो शहर की ऐतिहासिक विरासत को संवारने का वादा करती थी, अब अधर में लटकी है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य जीरो माइल की ऐतिहासिक पहचान को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना था, जिसमें एक स्मारक, दो संग्रहालय, पार्किंग और वॉकर्स-वे शामिल थे।

    यह थी योजना
    इस योजना के तहत, जीरो माइल के पिछले हिस्से में इंडियन ऑयल की जगह पर स्मारक और संग्रहालय बनाने का प्रस्ताव था, जबकि विधानभवन के पास की खाली जमीन पर पार्किंग और वॉकर्स-वे तैयार किया जाना था। लेकिन, सबसे बड़ी बाधा अब जमीन के आवंटन को लेकर आई है। विधानभवन के पास की खाली 2000 वर्ग मीटर जमीन को अब विधानभवन के विस्तार के लिए सौंपने का निर्देश मिला है। इससे मनपा का पूरा प्लान गड़बड़ा गया है।

    सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई थी
    कुछ महीने पहले, हेरिटेज समिति ने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी, लेकिन जमीन आवंटन में इस बदलाव ने पूरी योजना को अनिश्चित बना दिया है। इस योजना में दो संग्रहालयों का प्रस्ताव था, जिनमें से एक में ग्रेट ट्रिग्नोमेट्रिकल सर्वे ऑफ इंडिया की विरासत और दूसरे में नागपुर की सांस्कृतिक विकास परंपरा को दर्शाया जाना था। इस प्रोजेक्ट का अटकना शहर के पर्यटन विकास के लिए एक बड़ा झटका है।

    मनपा के लिए बड़ी चुनौती
    मनपा को अब इस चुनौती का सामना करना होगा और इस ऐतिहासिक स्थान के सौंदर्यीकरण के लिए कोई नया रास्ता निकालना होगा। जीरो माइल नागपुर की पहचान है और इसका विकास शहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह देखना होगा कि मनपा और सरकार इस समस्या का क्या समाधान निकालते हैं और कब यह प्रोजेक्ट फिर से पटरी पर लौटता है।

  • पुराना भंडारा रोड चौड़ीकरण का रोड़ा दूर

    पुराना भंडारा रोड चौड़ीकरण का रोड़ा दूर

    300 करोड़ के मुआवजे से रास्ता साफ
    नागपुर.
    नागपुर के विकास के लिए एक बड़ी अच्छी खबर है। शहर का बहुप्रतीक्षित और लंबे समय से रुका हुआ पुराना भंडारा रोड चौड़ीकरण प्रोजेक्ट अब जल्द ही पूरा होने की उम्मीद जगी है। इस प्रोजेक्ट के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा भूमि अधिग्रहण और मुआवजा था, जिसे अब जिला प्रशासन ने हल करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। जिला प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण से प्रभावित नागरिकों के लिए 300 करोड़ रुपये के मुआवजे का प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा है।

    जाम की समस्या होगी हल
    यह प्रोजेक्ट शहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके तहत मेयो अस्पताल से सुनील होटल टी-पॉइंट तक करीब 2.5 किलोमीटर लंबे हिस्से में सड़क की चौड़ाई को 18 मीटर से बढ़ाकर 30 मीटर किया जाएगा। इससे इस व्यस्त मार्ग पर यातायात की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी और लोगों को आवाजाही में आसानी होगी। इस प्रोजेक्ट में 15,397 वर्ग मीटर निजी जमीन और 2275 वर्ग मीटर सरकारी जमीन का अधिग्रहण होना है। कुल मुआवजे की राशि 339 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है, जिसमें से 70 फीसदी राशि राज्य सरकार को देनी है।

    मुंबई में लगेगी मुहर
    इस प्रस्ताव पर जल्द ही मुंबई मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसके बाद इसे आर्थिक मंजूरी मिलने की संभावना है। मंजूरी मिलते ही, मुआवजे का भुगतान भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 77 के तहत सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट से लगभग 650 संपत्तियां प्रभावित होंगी। यह कदम न केवल नागपुर की बुनियादी संरचना को मजबूत करेगा, बल्कि शहर के विकास को भी नई गति देगा। यह परियोजना दिखाती है कि सरकार शहर के नागरिकों की सुविधा और प्रगति के लिए कितनी गंभीर है। उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट जल्द से जल्द पूरा होगा और नागपुर के लोगों को यातायात की समस्या से राहत मिलेगी।

  • नागपुर और अमरावती में किसानों के साथ धोखा

    नागपुर और अमरावती में किसानों के साथ धोखा

    नकली खाद-बीज का पर्दाफाश
    नागपुर।
    महाराष्ट्र के नागपुर और अमरावती जिलों में किसानों को धोखा देने के दो बड़े मामले सामने आए हैं, जिन्होंने कृषि जगत में हड़कंप मचा दिया है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि कुछ बेईमान लोग अपने फायदे के लिए किसानों की मेहनत और भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।

    लावा में धावा
    पहला मामला नागपुर के लावा गांव में सामने आया, जहां जिला कृषि विभाग ने एक गुप्त सूचना पर छापा मारा। छापे में एक अवैध कारखाना मिला, जहाँ बिना सरकारी मंजूरी के नकली जैव-उत्पाद, रासायनिक खाद और कीटनाशक बनाए जा रहे थे। अधिकारियों ने यहाँ से ₹52.61 लाख से अधिक की नकली सामग्री, जिसमें 15 टन रासायनिक खाद और 2 टन तरल जैव-उत्पाद शामिल थे, जब्त की। आरोपी परेश विजय खंडाइत के खिलाफ फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर, 1985 और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह सिर्फ आर्थिक नुकसान का मामला नहीं है, बल्कि किसानों की फसलों और मिट्टी की उर्वरता को बर्बाद करने की एक साजिश है।

    अमरावती में भी धोखाधड़ी
    वहीं, अमरावती जिले में धोखाधड़ी का एक और बड़ा मामला सामने आया। यहाँ रासायनिक खाद के नाम पर किसानों को ₹50 लाख की मिट्टी बेची जा रही थी। जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी राहुल सातपुते ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया। जांच में पता चला कि मुख्य वितरक ने बिना लाइसेंस वाली एक कंपनी से खाद खरीदी और उसे 12 खुदरा विक्रेताओं को बेच दिया। इन विक्रेताओं ने किसानों को बिना पीओएस मशीन के यह नकली खाद बेच दी।

    यह कदम उठाया
    इस खुलासे के बाद, 8 कृषि केंद्रों के लाइसेंस एक साल के लिए निलंबित कर दिए गए, और मुख्य वितरक का लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिया गया। यह घटना किसानों के साथ एक बड़ा धोखा है, जिससे उनका मनोबल टूटता है और उनकी मेहनत बर्बाद हो जाती है। इन मामलों के दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी आपराधिक कार्रवाई की मांग उठ रही है, ताकि भविष्य में कोई भी किसानों के साथ ऐसा खिलवाड़ करने की हिम्मत न करे।