बूचड़खाने में हड़ताल, कारोबारियों ने रोना रोया

हस्तक्षेप कर स्थायी समाधान की गुहार
नागपुर.
महाराष्ट्र के बूचड़खानों की अनिश्चितकालीन हड़ताल ने किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। गौरक्षकों और पुलिस की कथित सख्ती से परेशान होकर, कुरैशी समुदाय के लोग बूचड़खानों और पशु खरीदी-बिक्री का काम बंद करने पर मजबूर हुए हैं। विदर्भ क्षेत्र में हर हफ्ते हजारों पशुओं का कारोबार ठप हो गया है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। यह मामला सिर्फ एक समुदाय या व्यवसाय का नहीं, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था और किसानों की आजीविका से जुड़ा है। सरकार को इस मुद्दे पर तुरंत हस्तक्षेप कर एक स्थायी समाधान निकालना चाहिए, ताकि किसी को भी अपने पारंपरिक व्यवसाय को छोड़ने के लिए मजबूर न होना पड़े और कानून-व्यवस्था बनी रहे।

कुरैशी समुदाय के लोग आए सामने
इस हड़ताल में नागपुर सहित पूरे महाराष्ट्र के कुरैशी समुदाय के लोग शामिल हैं, जिन्होंने बूचड़खानों, पशु खरीदी-बिक्री और निर्यात का काम बंद कर दिया है। महाराष्ट्र कुरैशी संघर्ष समिति के डॉ. आसिफ कुरैशी ने बताया कि कुरैशी समुदाय, जो परंपरागत रूप से पशु खरीदी-बिक्री का व्यवसाय करता है, पिछले कुछ समय से असामाजिक तत्वों और पुलिस की सख्ती का सामना कर रहा है। परमिट होने के बावजूद उन्हें अक्सर गौरक्षा के नाम पर रोका, धमकाया और पीटा जाता है। उनकी शिकायत है कि पुलिस भी उनकी शिकायतें सुनने के बजाय उलटे झूठे केस दर्ज कर देती है। कई वर्षों से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जहां भैंस खरीदने के बाद सड़क पर वाहन निकलते ही गौरक्षकों द्वारा रोका जाता है, जिससे मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं भी हुई हैं।

विदर्भ क्षेत्र में रोजाना 4,000 पशुओं की खरीदी-बिक्री
इस हड़ताल का सबसे बड़ा नुकसान किसानों को हो रहा है। विदर्भ क्षेत्र में रोजाना लगभग 4,000 पशुओं की खरीदी-बिक्री होती है, और इस हड़ताल के कारण हर हफ्ते लगभग 8,000 पशुओं की खरीदी-बिक्री ठप हो जाएगी। इससे उन किसानों को भारी नुकसान होगा जो अपने पशु बेचने के लिए मंडियों में लाते हैं। महाराष्ट्र सरकार ने इस मुद्दे पर कुरैशी समुदाय के साथ बातचीत की तैयारी शुरू कर दी है, जिसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और संबंधित विभाग के मंत्री व अधिकारी जल्द ही बैठक करेंगे। कुरैशी समुदाय की मांग है कि सरकार उनके पारंपरिक व्यवसाय को सुरक्षा प्रदान करे और सुनिश्चित करे कि गौरक्षा के नाम पर कोई असामाजिक तत्व या पुलिस उनके काम में बाधा न डाले।

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