Category: महाराष्ट्र

  • सरकार निकम्मी, चलती गाड़ी को पंक्चर करती है

    सरकार निकम्मी, चलती गाड़ी को पंक्चर करती है

    नितिन गडकरी का बेबाक बयान
    नागपुर.
    केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अपने बेबाक बयानों के लिए एक बार फिर सुर्खियों में हैं। शनिवार दोपहर नागपुर के सुरेश भट्ट सभागार में ‘स्पोर्ट्स एज़ ए करियर सेमिनार’ को संबोधित करते हुए उन्होंने सरकारी तंत्र पर तीखा हमला बोला और ‘सरकार निकम्मी’ कहकर सबको चौंका दिया।

    मुफ्त चीजों की कोई कद्र नहीं होती
    गडकरी ने स्टेडियम निर्माण की अपनी इच्छा जताते हुए कहा कि उन्हें नागपुर में 300 स्टेडियम बनाने हैं, लेकिन “सरकारी मशीनरी से दिक्कतें आती हैं। सरकार एक निकम्मी चीज है। सरकार के अधीन आने वाली महानगर पालिका, नागपुर सुधार प्रन्यास और अन्य संस्थाएं किसी काम की नहीं हैं। ये सभी संस्थाएं चलती गाड़ी को पंक्चर करने का काम करती हैं।” उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें सरकारी बाधाओं से बचने के लिए दूसरे तरीके अपनाने पड़ते हैं। उन्होंने दुबई के एक व्यक्ति को नागपुर के स्टेडियमों के लिए ठेका निकालने का काम दिया है, जिसके तहत सरकार बुनियादी ढाँचा तैयार करेगी, लेकिन संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी निजी हाथों में होगी। उनका मानना है कि मुफ्त चीजों की कोई कद्र नहीं होती।

    राजनीति फोकट का बाजार
    केंद्रीय मंत्री ने राजनीति पर भी कटाक्ष किया, “मैं कई सालों से राजनीति में हूं। राजनीति फोकट का बाजार है। राजनेता फोकट में क्या मिलेगा, इसी के लिए प्रयास करते हैं।” उन्होंने नागपुर में हर साल होने वाले सांस्कृतिक महोत्सव का भी जिक्र किया, जहाँ पहले हर साल तीन बार लाठीचार्ज होता था। अब उन्होंने व्यवस्था में बदलाव किया है; नेताओं को पास बांटने की बजाय, अब वे अखबारों में क्यूआर कोड प्रकाशित करते हैं, जिससे नागरिक खुद स्कैन करके अपनी सीट आरक्षित करते हैं, जिससे अब अनुचित घटनाएं कम हो गई हैं। गडकरी के ये बयान उनकी स्पष्टवादिता और सरकारी कामकाज में सुधार की उनकी इच्छा को दर्शाते हैं।

  • ‘मराठी बनाम हिंदी’ विवाद को और हवा

    ‘मराठी बनाम हिंदी’ विवाद को और हवा

    कांग्रेस का ‘मुंबई विरासत मिलन’ अभियान चर्चा में
    मुंबई.
    महाराष्ट्र की राजनीति में ‘मराठी बनाम हिंदी’ का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है, खासकर आगामी स्थानीय और नगर निकाय चुनावों के मद्देनजर। हाल ही में शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के लगभग दो दशक बाद एक ही मंच पर आने और पुराने मतभेदों को भुलाने की घोषणा ने इस भाषा आधारित राजनीति को और हवा दे दी है। इस राजनीतिक पुनर्मिलन का असर मुंबई, ठाणे, पुणे और नागपुर जैसे शहरों में साफ देखा जा रहा है, जहां बड़ी संख्या में हिंदी भाषी, खासकर उत्तर भारतीय मतदाता रहते हैं।

    कांग्रेस की नई चाल
    यह समुदाय अब खुद को उद्धव ठाकरे की शिवसेना से दूर महसूस कर रहा है, जिसके कारण उद्धव ठाकरे भी लगातार यह स्पष्टीकरण दे रहे हैं कि उनकी पार्टी हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं है। इसी पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने एक बड़ा सियासी दांव चला है। मुंबई कांग्रेस ने उत्तर भारतीयों को संगठित करने और समुदाय के साथ कांग्रेस के घनिष्ठ संबंधों को फिर से मजबूत करने के उद्देश्य से ‘मुंबई विरासत मिलन’ अभियान की घोषणा की है।

    निशाने पर उत्तर भारतीय
    मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से उत्तर भारतीय समुदाय की मजबूत समर्थक रही है और यह नया अभियान न केवल उनके मुद्दों को उठाएगा, बल्कि पार्टी की जमीनी ताकत को भी मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब कुछ ताकतें उत्तर भारतीयों के खिलाफ नफरत फैलाने का प्रयास करती हैं, कांग्रेस उनके साथ मजबूती से खड़ी है। यह अभियान मुंबई के विभिन्न हिस्सों में कार्यक्रमों के माध्यम से उत्तर भारतीय समुदाय से जुड़े प्रमुख स्थानों को उजागर करेगा और उनकी सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाएगा। ‘मुंबई विरासत मिलन’ अभियान से कांग्रेस ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि वह आगामी बीएमसी चुनावों में खुद को सर्वसमावेशी और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करने वाली पार्टी के रूप में पेश करना चाहती है। यह कांग्रेस की एक रणनीतिक कोशिश है, खासकर जब भाषा-आधारित राजनीति जोर पकड़ रही है।

  • पति को यौनसुख से वंचित रखना भी तलाक का आधार

    पति को यौनसुख से वंचित रखना भी तलाक का आधार

    बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला
    मुंबई.
    बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में वैवाहिक संबंधों की जटिलताओं पर प्रकाश डाला है। अदालत ने एक महिला की तलाक के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए पुणे की पारिवारिक अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें पति को यौन सुख से वंचित रखने को क्रूरता का आधार मानकर तलाक की मंजूरी दी गई थी। यह निर्णय उन मामलों में एक मिसाल कायम करता है जहां एक साथी द्वारा जान-बूझकर यौन संबंध बनाने से इनकार करना वैवाहिक बंधन के टूटने का कारण बनता है।

    यह है पूरा मामला
    यह मामला 2013 में शादी करने वाले एक जोड़े से संबंधित है, जो दिसंबर 2014 में अलग रहने लगे थे। पति ने 2015 में क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग की थी, जिसमें पत्नी पर शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करने, अवैध संबंधों का झूठा शक करने और दोस्तों, रिश्तेदारों व कर्मचारियों के सामने अपमानित कर मानसिक पीड़ा पहुंचाने जैसे आरोप लगाए गए थे। पति ने यह भी दावा किया कि पत्नी का उसकी दिव्यांग बहन के प्रति असंवेदनशील और उदासीन व्यवहार भी परिवार के लिए एक बड़ा मानसिक आघात था।

    यह आचरण क्रूरता की श्रेणी में
    जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि पत्नी का यह आचरण पति के प्रति क्रूरता माना जा सकता है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान माना कि पत्नी का रवैया न केवल पति को मानसिक रूप से परेशान करने वाला था, बल्कि उसने सार्वजनिक रूप से उसका अपमान भी किया, जिससे पति के आत्मसम्मान को चोट पहुंची। कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि पति-पत्नी के रिश्ते में अब सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बची है और विवाह पूरी तरह से टूट चुका है। यह फैसला आधुनिक समाज में वैवाहिक संबंधों की बदलती गतिशीलता और व्यक्तिगत सम्मान व भावनात्मक कल्याण के महत्व को रेखांकित करता है। यह उन जोड़ों के लिए एक चेतावनी भी है जो अपने जीवनसाथी को भावनात्मक या शारीरिक रूप से उपेक्षित करते हैं।

  • नकली दवाइयों का जाल, नागपुर में खतरा संभव

    नकली दवाइयों का जाल, नागपुर में खतरा संभव

    पूरे राज्य के लिए एक गंभीर चिंता का विषय
    नागपुर.
    महाराष्ट्र विधान परिषद में अन्न व औषधि प्रशासन (एफडीए) मंत्री नरहरी झिरवाल द्वारा नकली दवाइयों के खतरे पर दिया गया आश्वासन नागपुर सहित पूरे राज्य के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। यह स्वीकार करना कि नकली दवाइयों का जाल ठाणे, भिवंडी, लातूर और नांदेड़ तक फैला हुआ है, इस बात का संकेत है कि यह समस्या महाराष्ट्र के सभी प्रमुख शहरों, जिनमें नागपुर भी शामिल है, को अपनी चपेट में ले सकती है।

    विपक्ष नेता ने यह आरोप लगाया
    विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों से महाराष्ट्र में बेची जा रही नकली और कम घटक वाली दवाइयों का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि एफडीए के अधिकारी सांठगांठ करके जान-बूझकर ब्रांडेड दवाइयों के नमूने लेते हैं, ताकि उनकी रिपोर्ट सही आए, जबकि उन्हें गैर-ब्रांडेड दवाइयों के नमूने लेने चाहिए जहाँ मिलावट की संभावना अधिक होती है।

    स्वास्थ्य सेवा के लिए खतरा
    नागपुर एक महत्वपूर्ण चिकित्सा केंद्र है, जहां आस-पास के ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों से भी लोग इलाज के लिए आते हैं। ऐसे में, नकली दवाइयों का प्रसार शहर के स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए एक बड़ा खतरा है। नागपुर जैसे शहरों में भी सक्रियता से काम करना होगा। एफडीए को अपनी जांच प्रणाली को मजबूत करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि नमूने निष्पक्ष रूप से और सभी प्रकार की दवाइयों से लिए जाएं, विशेषकर उन दवाइयों से जो कम जाने-माने ब्रांड की हैं या जिनकी कीमत कम है।

    वितरण नेटवर्क की जांच आवश्यक
    नवंबर 2022 से अक्टूबर 2024 के बीच 979 नमूनों में से 11 में मूल घटक का न पाया जाना और उसके परिणामस्वरूप 11 दवाई कंपनियों के बिक्री लाइसेंस रद्द होना, इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है। कोल्हापुर, लातूर और भिवंडी की जिन कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं, उनका नागपुर में भी वितरण नेटवर्क हो सकता है। नागपुर के स्वास्थ्य अधिकारियों और एफडीए को स्थानीय दवा दुकानों, अस्पतालों और वितरकों पर कड़ी नजर रखनी होगी। शहर में नकली दवाइयों के प्रवेश को रोकने के लिए चेकपॉइंट पर भी कड़ी जांच आवश्यक है। इसके साथ ही, जनता को भी जागरूक करना होगा कि वे केवल विश्वसनीय दवा दुकानों से ही दवाइयां खरीदें और किसी भी संदिग्ध दवा की जानकारी तुरंत अधिकारियों को दें।

  • धर्म बदलने वालों के जाति वैधता प्रमाण-पत्र रद्द होंगे

    धर्म बदलने वालों के जाति वैधता प्रमाण-पत्र रद्द होंगे

    नागपुर में भी होगा फैसले का बड़ा असर
    नागपुर.
    महाराष्ट्र विधान परिषद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का यह आश्वासन कि धर्म बदलने वाले लोगों, विशेषकर हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म को छोड़कर अन्य धर्मों को अपनाने वालों के अनुसूचित जाति (एससी) प्रमाणपत्र और जाति वैधता प्रमाणपत्र रद्द किए जाएंगे, नागपुर सहित पूरे राज्य में महत्वपूर्ण दूरगामी प्रभाव डालेगा। यह सुप्रीम कोर्ट के 26 नवंबर 2024 के आदेश के अनुरूप है, जिसमें कहा गया था कि एससी आरक्षण का लाभ केवल हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म के लोग ही ले सकते हैं।

    सीधा असर पड़ेगा
    नागपुर में, जहां विभिन्न समुदायों और धर्मों के लोग निवास करते हैं, इस निर्णय का सीधा असर उन व्यक्तियों पर पड़ेगा जिन्होंने अनुसूचित जाति का दर्जा होने के बावजूद ईसाई धर्म या इस्लाम जैसे अन्य धर्मों को अपनाया है। भाजपा विधायक अमित गोरखे ने जिस “क्रिप्टो क्रिश्चियन” के मुद्दे को उठाया, वह इसी बात पर केंद्रित है कि ऐसे लोग अनुसूचित जाति के आरक्षण और सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, जबकि वे अब उस धर्म का पालन नहीं करते जिसके आधार पर उन्हें यह दर्जा मिला था।

    शुचिता बनाए रखने के लिए जरूरी
    मुख्यमंत्री के बयान से स्पष्ट है कि यदि कोई व्यक्ति इस तरह के प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी में है, तो उसका प्रमाणपत्र रद्द होने के बाद नियमानुसार कार्रवाई होगी। इसी प्रकार, यदि किसी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ा है, तो उसका चुनाव भी रद्द हो जाएगा। यह कदम आरक्षण प्रणाली की शुचिता बनाए रखने और वास्तविक हकदारों तक लाभ पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण है।

    इस निर्णय का भी दूरगामी असर
    इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की है कि धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट सरकार को मिल गई है। लालच देकर, फंसाकर या जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाना एक और संवेदनशील विषय है जिस पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता होगी। नागपुर में भी, जहाँ धर्मांतरण के कई मामले सामने आते रहते हैं, इस कानून का प्रभाव महसूस किया जाएगा। यह कदम समाज में धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत पसंद के अधिकार के बीच संतुलन स्थापित करने में महत्वपूर्ण होगा, और प्रशासन को इसे लागू करते समय विशेष सावधानी बरतनी होगी।

  • नागपुर में भी फर्जी डॉक्टरों पर कसेगी नकेल

    नागपुर में भी फर्जी डॉक्टरों पर कसेगी नकेल

    ‘नो योर डॉक्टर’ का क्यूआर कोड दे रहा साथ
    नागपुर.
    महाराष्ट्र सरकार ने फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ तहसील से लेकर महानगरपालिका स्तर तक एक राज्यव्यापी मुहिम शुरू की है। विधानसभा में चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 2020 से 2025 तक राज्य भर में 391 फर्जी डॉक्टरों की पहचान की गई है, जिनमें से 17 दोषी पाए गए और दो को सजा भी हुई है। नागपुर जैसे बड़े शहरों में, जहां आबादी घनी है और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की मांग अधिक है, फर्जी डॉक्टरों का यह जाल एक गंभीर खतरा पैदा करता है।

    नागपुर में भी कई झोला छाप
    नागपुर में भी, कई छोटे क्लीनिकों और ग्रामीण इलाकों में ऐसे फर्जी डॉक्टर सक्रिय हो सकते हैं, जो बिना उचित डिग्री या लाइसेंस के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। ये तथाकथित “डॉक्टर’ अक्सर गरीबों और अशिक्षित लोगों को अपना निशाना बनाते हैं, उनकी जान जोखिम में डालते हैं और गंभीर स्वास्थ्य परिणाम भुगतने पर मजबूर करते हैं। विधायक संजय देरकर द्वारा उठाया गया सवाल बिल्कुल वाजिब है कि इतने बड़े पैमाने पर फर्जी डॉक्टर कैसे पनप रहे हैं और उन्हें कौन आश्रय दे रहा है? यह सवाल नागपुर में भी प्रासंगिक है, जहाँ स्वास्थ्य प्रशासन को इस पर गहनता से विचार करना चाहिए।

    क्यूआर कोड प्रभावी, मगर अमल पर संदेह
    सरकार ने फर्जी डॉक्टरों का पता लगाने के लिए ‘नो योर डॉक्टर’ मुहिम के तहत एक क्यूआर कोड भी जारी किया है, जिससे डॉक्टर की पहचान की जा सकती है। यह एक सराहनीय पहल है, लेकिन क्या यह एकमात्र समाधान है? नागपुर जैसे शहर में, जहां डिजिटल साक्षरता का स्तर अलग-अलग है, क्या हर कोई इस क्यूआर कोड का उपयोग कर पाएगा? ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी सीमित है, यह सुविधा कितनी प्रभावी होगी, यह भी एक सवाल है।

    निगरानी प्रणाली को मजबूत करना होगा
    महत्वपूर्ण बात यह है कि केवल क्यूआर कोड पर निर्भर रहने के बजाय, नागपुर के स्वास्थ्य अधिकारियों को जमीनी स्तर पर अपनी जांच और निगरानी प्रणाली को और मजबूत करना चाहिए। जिलाधिकारियों और पालिका आयुक्तों की अध्यक्षता वाली कमेटियों को अधिक सक्रिय और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। नियमित छापेमारी और अचानक निरीक्षण के माध्यम से फर्जी क्लीनिकों और डॉक्टरों का पता लगाया जाना चाहिए। इसके साथ ही, आम जनता में भी जागरूकता पैदा करनी होगी कि वे किसी भी डॉक्टर से इलाज कराने से पहले उसकी डिग्री और लाइसेंस की जांच करें।

    1500 डॉक्टरों की भर्ती की घोषणा
    मंत्री मुश्रीफ ने यह भी घोषणा की है कि अगले कुछ दिनों में लगभग 1500 डॉक्टरों की भर्ती की जाएगी, जिससे राज्य के अस्पतालों की सुविधाओं में सुधार आएगा। यह एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि योग्य डॉक्टरों की कमी भी फर्जी डॉक्टरों के पनपने का एक कारण हो सकती है। नागपुर में भी, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है ताकि लोग बेहतर और विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सकें और फर्जी डॉक्टरों के चंगुल में फंसने से बच सकें।

  • गुटखा कारोबारियों पर लगेगा ‘मकोका’

    गुटखा कारोबारियों पर लगेगा ‘मकोका’

    नागपुर के लिए भी महत्वपूर्ण कदम
    नागपुर.
    महाराष्ट्र विधान परिषद में अन्न व औषधि प्रशासन मंत्री नरहरी झिरवाल की घोषणा कि अब गुटखा बिक्री, भंडारण और तस्करी करने वालों पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह फैसला नागपुर जैसे शहरों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां गुटखा का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर फला-फूला है। भाजपा विधायक श्रीकांत भारतीय ने गुटखा पाबंदी को प्रभावी ढंग से लागू करने पर सवाल उठाया था, यह दावा करते हुए कि राज्य में गुटखा खुलेआम बिक रहा है और यह 72% कैंसर का कारण है।

    नागपुर में धड़ल्ले से बिक्री
    नागपुर में गुटखे की बिक्री और खपत एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बनी हुई है। शहर के गली-नुक्कड़ पर, पान की दुकानों और छोटे किराना स्टोरों पर प्रतिबंध के बावजूद गुटखा आसानी से उपलब्ध है। अक्सर यह अवैध गुटखा पड़ोसी राज्यों से तस्करी कर नागपुर लाया जाता है, जिससे स्थानीय स्तर पर एक पूरा नेटवर्क तैयार हो गया है। अब तक, 2012 के कानून के तहत केवल एक साल की सजा का प्रावधान था, जो इन बड़े गिरोहों को रोकने में नाकाफी साबित हो रहा था।

    कई बड़े खिलाड़ी शामिल
    मकोका का प्रावधान लागू होने से गुटखा व्यवसाय से जुड़े संगठित गिरोहों पर नकेल कसने में मदद मिल सकती है। नागपुर में भी, जहां इस कारोबार में कई बड़े खिलाड़ी शामिल बताए जाते हैं, पुलिस के लिए यह एक शक्तिशाली हथियार साबित हो सकता है। यह उम्मीद की जाती है कि मकोका के तहत कठोर प्रावधान, जिसमें लंबे कारावास और संपत्ति की कुर्की शामिल है, अपराधियों को हतोत्साहित करेगा। मंत्री झिरवाल के अनुसार, राज्य में अब तक 450 करोड़ रुपये का गुटखा जब्त किया गया है और 10 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जो इस अवैध कारोबार के विशाल पैमाने को दर्शाता है।

    मिलकर काम करना होगा
    नागपुर में मकोका को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए पुलिस और एफडीए को मिलकर काम करना होगा। सख्त निगरानी, चेक नाकों पर प्रभावी जांच और दोषियों के खिलाफ बिना किसी पक्षपात के त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। तभी इस “हास्यास्पद’ पाबंदी को वास्तव में सार्थक बनाया जा सकता है और नागपुर को गुटखा के जानलेवा चंगुल से बचाया जा सकता है।

  • सुरक्षा गार्ड की हत्या ने दी पुलिस को नई चुनौती

    सुरक्षा गार्ड की हत्या ने दी पुलिस को नई चुनौती

    बढ़ती आपराधिक गतिविधियों ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए
    नागपुर.
    नागपुर में अपराधों का बढ़ता ग्राफ चिंता का विषय बनता जा रहा है। वाठोडा इलाके में एक सुरक्षा गार्ड, लक्ष्मण रामदास मुले (48) की निर्मम हत्या ने शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

    दिन-दहाड़े अपराध
    जानकारी के अनुसार, वाठोडा में निर्माणाधीन एक इमारत में चोरी के इरादे से घुसे तीन आरोपियों ने विरोध करने पर सुरक्षा गार्ड लक्ष्मण मुले की धारदार हथियार से हत्या कर दी। गिरफ्तार आरोपियों, कुणाल वानखेड़े (20) और घनश्याम उर्फ धनुष वंजारी (23), का आपराधिक रिकॉर्ड है और ये मजदूरों व गरीब लोगों को लूटने के लिए जाने जाते हैं। इस वारदात से पहले भी इन्होंने एक पिज्जा डिलीवरी बॉय को लूटा था। गश्त कर रहे दो बीट मार्शल, पुलिस हवलदार चंद्रकांत और सिपाही किरण गवई ने सूझबूझ और बहादुरी से आरोपियों की पहचान की और लगभग 5 घंटे के भीतर उन्हें धर दबोचा।

    नेटवर्क मजबूत करने की जरूरत
    वाठोडा परिसर में विकास कार्यों के कारण सीसीटीवी कैमरों का बंद होना और अंधेरे का फायदा उठाना अपराधियों के लिए आसान हो जाता है। यह बुनियादी ढाँचे की कमी और सुरक्षा व्यवस्था में खामियों को उजागर करता है। अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को अपनी गश्त और सूचना नेटवर्क को और मजबूत करना होगा, विशेषकर उन इलाकों में जहाँ विकास कार्य चल रहे हैं या जहाँ सीसीटीवी कैमरे अनुपलब्ध हैं। इसके साथ ही, सामुदायिक पुलिसिंग पर भी जोर देना चाहिए, ताकि नागरिक भी अपनी सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

  • मोबाइल हैक कर शिक्षक के 10 लाख उड़ाए

    मोबाइल हैक कर शिक्षक के 10 लाख उड़ाए

    नागपुर पुलिस ने साइबर अपराधियों को गुजरात से ढूंढ निकाला
    नागपुर.
    साइबर अपराधियों ने एक बार फिर अपनी खतरनाक चाल चली है और इस बार उनका शिकार बने हैं नागपुर के एक शिक्षक। एक चौंकाने वाली घटना में, एक शिक्षक के बैंक खाते से 10 लाख रुपये उड़ाने वाले दो साइबर अपराधियों, आनंद डढाडिया (29) और रिजवान शेख (30) को गुजरात से गिरफ्तार कर नागपुर लाया गया है। इन्हें 19 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है, क्योंकि पुलिस उनसे इस बड़े गिरोह के बारे में अहम जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है।

    चौंकाने वाला खुलासा
    पूछताछ में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि यह सिर्फ दो लोगों का काम नहीं है, बल्कि यह एक संगठित साइबर अपराध गिरोह है। इस गिरोह के सदस्य मोबाइल हैकिंग, बैंक लेन-देन, पैसे निकालने और उनके वितरण जैसे कामों में माहिर हैं। हर सदस्य को एक खास काम सौंपा जाता है, जिससे यह धोखाधड़ी की चेन पूरी होती है। इस जानकारी के आधार पर, पुलिस को इस मामले में और भी गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है।

    लिंक भेजकर फांसा
    पुलिस के अनुसार, जरीपटका इलाके में ट्यूशन क्लास चलाने वाले पीड़ित शिक्षक के पास बड़ी संख्या में छात्र हैं। जालसाजों ने उन्हें केवाईसी अपडेट करने के लिए एक लिंक भेजा। लिंक पर क्लिक करते ही मोबाइल पूरी तरह से हैक हो गया। साइबर अपराधियों ने उनके मोबाइल पर नियंत्रण कर लिया और इसी का फायदा उठाकर शिक्षक के बैंक खाते से 10 लाख रुपये की बड़ी रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर ली।

    लोकेशन ढूंढ निकाला
    जब शिक्षक बैंक पहुंचे, तब उन्हें इस धोखाधड़ी का पता चला। उन्होंने तुरंत साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक बलिराम सुतार के निर्देश पर, साइबर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और तकनीकी जांच के माध्यम से आरोपियों की लोकेशन गुजरात के जूनागढ़ में पाई। नागपुर साइबर पुलिस की एक टीम तुरंत जूनागढ़ पहुंची और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर नागपुर ले आई।

    सभी के लिए चेतावनी
    यदि आपको किसी भी प्रकार की साइबर धोखाधड़ी का संदेह होता है या आप इसके शिकार होते हैं, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराएं। सभी के लिए एक बड़ी चेतावनी है कि साइबर अपराधी हमेशा नए-नए तरीकों से लोगों को ठगने की फिराक में रहते हैं। ऑनलाइन दुनिया में सुरक्षित रहने के लिए सतर्कता और जागरूकता ही सबसे महत्वपूर्ण हथियार हैं।

  • ‘होंगे नंगे चारों ओर, करेंगे दंगे चारों ओर’

    ‘होंगे नंगे चारों ओर, करेंगे दंगे चारों ओर’

    कुणाल कामरा ने महायुति सरकार पर कसा तंज
    मुंबई.
    महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में हुए हालिया हंगामे और हाथापाई को लेकर मशहूर कॉमेडियन कुणाल कामरा ने एक वीडियो जारी करते हुए राज्य की राजनीतिक स्थिति पर कटाक्ष किया है। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए इस वीडियो में भाजपा और एनसीपी-शरद पवार गुट के विधायकों के बीच हुई झड़प के क्लिप को शामिल किया गया है। जिसे कामरा के चर्चित और विवादित गाने ‘हम होंगे कामयाब’ की धुन पर संपादित किया गया है। वीडियो में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के भी दृश्य शामिल किए गए हैं, जिसे स्पष्ट रूप से महा युति सरकार पर तंज के रूप में देखा जा रहा है। वीडियो को कानून तोड़ने वाले कैप्शन के साथ पोस्ट किया गया है।

    शिंदे को ‘गद्दार’ कहा था
    यह वही गीत है जिसे कुणाल कामरा ने इस साल मार्च में अपने स्टैंड-अप स्पेशल ‘नया भारत’ के दौरान परफॉर्म किया था। वीडियो में इस्तेमाल किया गया गाना वही है जो उन्होंने मार्च में अपने स्टैंड-अप स्पेशल ‘नया भारत’ के दौरान गाया था, जहां उन्होंने एकनाथ शिंदे को ‘गद्दार’ कहा था। कुणाल के इस वीडियो पर शिंदे खेमे की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आई थीं। इस साल की शुरुआत में अपने स्टैंड-अप स्पेशल के बाद, कामरा को शिवसेना की युवा शाखा, युवा सेना के सदस्यों की तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा था। समूह ने मुंबई के खार इलाके में स्थित हैबिटेट कॉमेडी क्लब में तोड़फोड़ की, जहां कामरा ने परफॉर्म किया था और शो रिकॉर्ड किया था।

    विधानसभा में हुआ था विवाद
    यह वीडियो उस समय सामने आया है जब गुरुवार को महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में बीजेपी विधायक गोपीचंद पडालकर और एनसीपी-एसपी नेता जीतेन्द्र आव्हाड के समर्थकों के बीच भीषण झड़प हो गई। वायरल हुए वीडियो में दोनों पक्षों के कार्यकर्ताओं को गाली-गलौज और धक्का-मुक्की करते देखा जा सकता है। आव्हाड ने पत्रकारों से कहा था कि पूरे महाराष्ट्र को पता है कि हमलावर कौन था। देश ने देखा है कि किसने हमला किया, फिर भी हमसे सबूत मांगे जा रहे हैं। मुझे जान से मारने की धमकी दी गई, गालियां दी गईं। क्या यही अब विधानसभा में होना बाकी था?

    जब विधायक ही सुरक्षित नहीं
    उन्होंने आगे कहा अगर विधायक ही विधानसभा में सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर हमें विधायक रहने की क्या जरूरत है? भाजपा विधायक गोपिचंद पडालकर ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और माफी मांगी। वहीं शिवसेनाय यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर गुंडे विधानसभा तक पहुंच गए हैं तो राज्य के गृहमंत्री और मुख्यमंत्री को जवाबदेही लेनी चाहिए। कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने कहा कि यह घटना महाराष्ट्र की परंपरा के खिलाफ है। देशभर में हमारी विधानसभा की मिसाल दी जाती है। उन्होंने इसे 2001 में संसद पर हुए हमले से जोड़ते हुए कहा कि मुंबई हाई अलर्ट पर रहती है, ऐसे में विधानसभा की सुरक्षा के साथ इस तरह का खिलवाड़ गंभीर विषय है।