कांग्रेस का ‘मुंबई विरासत मिलन’ अभियान चर्चा में
मुंबई.
महाराष्ट्र की राजनीति में ‘मराठी बनाम हिंदी’ का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है, खासकर आगामी स्थानीय और नगर निकाय चुनावों के मद्देनजर। हाल ही में शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के लगभग दो दशक बाद एक ही मंच पर आने और पुराने मतभेदों को भुलाने की घोषणा ने इस भाषा आधारित राजनीति को और हवा दे दी है। इस राजनीतिक पुनर्मिलन का असर मुंबई, ठाणे, पुणे और नागपुर जैसे शहरों में साफ देखा जा रहा है, जहां बड़ी संख्या में हिंदी भाषी, खासकर उत्तर भारतीय मतदाता रहते हैं।
कांग्रेस की नई चाल
यह समुदाय अब खुद को उद्धव ठाकरे की शिवसेना से दूर महसूस कर रहा है, जिसके कारण उद्धव ठाकरे भी लगातार यह स्पष्टीकरण दे रहे हैं कि उनकी पार्टी हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं है। इसी पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने एक बड़ा सियासी दांव चला है। मुंबई कांग्रेस ने उत्तर भारतीयों को संगठित करने और समुदाय के साथ कांग्रेस के घनिष्ठ संबंधों को फिर से मजबूत करने के उद्देश्य से ‘मुंबई विरासत मिलन’ अभियान की घोषणा की है।
निशाने पर उत्तर भारतीय
मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से उत्तर भारतीय समुदाय की मजबूत समर्थक रही है और यह नया अभियान न केवल उनके मुद्दों को उठाएगा, बल्कि पार्टी की जमीनी ताकत को भी मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब कुछ ताकतें उत्तर भारतीयों के खिलाफ नफरत फैलाने का प्रयास करती हैं, कांग्रेस उनके साथ मजबूती से खड़ी है। यह अभियान मुंबई के विभिन्न हिस्सों में कार्यक्रमों के माध्यम से उत्तर भारतीय समुदाय से जुड़े प्रमुख स्थानों को उजागर करेगा और उनकी सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाएगा। ‘मुंबई विरासत मिलन’ अभियान से कांग्रेस ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि वह आगामी बीएमसी चुनावों में खुद को सर्वसमावेशी और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करने वाली पार्टी के रूप में पेश करना चाहती है। यह कांग्रेस की एक रणनीतिक कोशिश है, खासकर जब भाषा-आधारित राजनीति जोर पकड़ रही है।
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