नागपुर में भी फर्जी डॉक्टरों पर कसेगी नकेल

‘नो योर डॉक्टर’ का क्यूआर कोड दे रहा साथ
नागपुर.
महाराष्ट्र सरकार ने फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ तहसील से लेकर महानगरपालिका स्तर तक एक राज्यव्यापी मुहिम शुरू की है। विधानसभा में चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 2020 से 2025 तक राज्य भर में 391 फर्जी डॉक्टरों की पहचान की गई है, जिनमें से 17 दोषी पाए गए और दो को सजा भी हुई है। नागपुर जैसे बड़े शहरों में, जहां आबादी घनी है और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की मांग अधिक है, फर्जी डॉक्टरों का यह जाल एक गंभीर खतरा पैदा करता है।

नागपुर में भी कई झोला छाप
नागपुर में भी, कई छोटे क्लीनिकों और ग्रामीण इलाकों में ऐसे फर्जी डॉक्टर सक्रिय हो सकते हैं, जो बिना उचित डिग्री या लाइसेंस के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। ये तथाकथित “डॉक्टर’ अक्सर गरीबों और अशिक्षित लोगों को अपना निशाना बनाते हैं, उनकी जान जोखिम में डालते हैं और गंभीर स्वास्थ्य परिणाम भुगतने पर मजबूर करते हैं। विधायक संजय देरकर द्वारा उठाया गया सवाल बिल्कुल वाजिब है कि इतने बड़े पैमाने पर फर्जी डॉक्टर कैसे पनप रहे हैं और उन्हें कौन आश्रय दे रहा है? यह सवाल नागपुर में भी प्रासंगिक है, जहाँ स्वास्थ्य प्रशासन को इस पर गहनता से विचार करना चाहिए।

क्यूआर कोड प्रभावी, मगर अमल पर संदेह
सरकार ने फर्जी डॉक्टरों का पता लगाने के लिए ‘नो योर डॉक्टर’ मुहिम के तहत एक क्यूआर कोड भी जारी किया है, जिससे डॉक्टर की पहचान की जा सकती है। यह एक सराहनीय पहल है, लेकिन क्या यह एकमात्र समाधान है? नागपुर जैसे शहर में, जहां डिजिटल साक्षरता का स्तर अलग-अलग है, क्या हर कोई इस क्यूआर कोड का उपयोग कर पाएगा? ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी सीमित है, यह सुविधा कितनी प्रभावी होगी, यह भी एक सवाल है।

निगरानी प्रणाली को मजबूत करना होगा
महत्वपूर्ण बात यह है कि केवल क्यूआर कोड पर निर्भर रहने के बजाय, नागपुर के स्वास्थ्य अधिकारियों को जमीनी स्तर पर अपनी जांच और निगरानी प्रणाली को और मजबूत करना चाहिए। जिलाधिकारियों और पालिका आयुक्तों की अध्यक्षता वाली कमेटियों को अधिक सक्रिय और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। नियमित छापेमारी और अचानक निरीक्षण के माध्यम से फर्जी क्लीनिकों और डॉक्टरों का पता लगाया जाना चाहिए। इसके साथ ही, आम जनता में भी जागरूकता पैदा करनी होगी कि वे किसी भी डॉक्टर से इलाज कराने से पहले उसकी डिग्री और लाइसेंस की जांच करें।

1500 डॉक्टरों की भर्ती की घोषणा
मंत्री मुश्रीफ ने यह भी घोषणा की है कि अगले कुछ दिनों में लगभग 1500 डॉक्टरों की भर्ती की जाएगी, जिससे राज्य के अस्पतालों की सुविधाओं में सुधार आएगा। यह एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि योग्य डॉक्टरों की कमी भी फर्जी डॉक्टरों के पनपने का एक कारण हो सकती है। नागपुर में भी, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है ताकि लोग बेहतर और विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सकें और फर्जी डॉक्टरों के चंगुल में फंसने से बच सकें।

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