नागपुर के लिए भी महत्वपूर्ण कदम
नागपुर.
महाराष्ट्र विधान परिषद में अन्न व औषधि प्रशासन मंत्री नरहरी झिरवाल की घोषणा कि अब गुटखा बिक्री, भंडारण और तस्करी करने वालों पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह फैसला नागपुर जैसे शहरों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां गुटखा का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर फला-फूला है। भाजपा विधायक श्रीकांत भारतीय ने गुटखा पाबंदी को प्रभावी ढंग से लागू करने पर सवाल उठाया था, यह दावा करते हुए कि राज्य में गुटखा खुलेआम बिक रहा है और यह 72% कैंसर का कारण है।
नागपुर में धड़ल्ले से बिक्री
नागपुर में गुटखे की बिक्री और खपत एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बनी हुई है। शहर के गली-नुक्कड़ पर, पान की दुकानों और छोटे किराना स्टोरों पर प्रतिबंध के बावजूद गुटखा आसानी से उपलब्ध है। अक्सर यह अवैध गुटखा पड़ोसी राज्यों से तस्करी कर नागपुर लाया जाता है, जिससे स्थानीय स्तर पर एक पूरा नेटवर्क तैयार हो गया है। अब तक, 2012 के कानून के तहत केवल एक साल की सजा का प्रावधान था, जो इन बड़े गिरोहों को रोकने में नाकाफी साबित हो रहा था।
कई बड़े खिलाड़ी शामिल
मकोका का प्रावधान लागू होने से गुटखा व्यवसाय से जुड़े संगठित गिरोहों पर नकेल कसने में मदद मिल सकती है। नागपुर में भी, जहां इस कारोबार में कई बड़े खिलाड़ी शामिल बताए जाते हैं, पुलिस के लिए यह एक शक्तिशाली हथियार साबित हो सकता है। यह उम्मीद की जाती है कि मकोका के तहत कठोर प्रावधान, जिसमें लंबे कारावास और संपत्ति की कुर्की शामिल है, अपराधियों को हतोत्साहित करेगा। मंत्री झिरवाल के अनुसार, राज्य में अब तक 450 करोड़ रुपये का गुटखा जब्त किया गया है और 10 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जो इस अवैध कारोबार के विशाल पैमाने को दर्शाता है।
मिलकर काम करना होगा
नागपुर में मकोका को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए पुलिस और एफडीए को मिलकर काम करना होगा। सख्त निगरानी, चेक नाकों पर प्रभावी जांच और दोषियों के खिलाफ बिना किसी पक्षपात के त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। तभी इस “हास्यास्पद’ पाबंदी को वास्तव में सार्थक बनाया जा सकता है और नागपुर को गुटखा के जानलेवा चंगुल से बचाया जा सकता है।
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