बाबा ताजुद्दीन के दर से एकता-भाईचारे का पैगाम दुनियाभर में पहुंचाएंगे
– सालाना उर्स पर राष्ट्रीय कौमी एकता कांफ्रेंस में सभी धर्मों के धर्माचार्यों ने लिया संकल्प
नागपुर- महान सूफी संत हजरत बाबा ताजुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह के 100 सालाना उर्स के अवसर पर ताजाबाद ट्रस्ट एवं आॅल इंडिया उलेमा मशाइख बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में विश्व सूफी कांफ्रेंस व राष्ट्रीय कौमी एकता कांफ्रेंस आयोजित की गई। सभी धर्मों के धर्माचार्यों ने इस मंच से कहा कि बाबा ताजुद्दन के दर से एकता और भाईचारे का पैगाम पूरी दुनिया में पहुंचाएंगे। इस अवसर पर मुख्य रूप से मौलाना सैयद मोहम्मद अशरफ अशरफी जिलानी (किछौछा शरीफ), भारतीय सर्वधर्म संसद के अध्यक्ष गोस्वामी सुशील महाराज, मोटिवेशनल स्पीकर सुवीर सरन, सद्गुरु ब्रह्मेशानंद आचार्य, मौलाना सैयद शाह शमीमुद्दीन मुनामी, सलमान चिश्ती (अजमेर), समाजसेवी व नेत्री शाजिया इल्मी, मौलाना तनवीर हाशमी (कर्नाटक), आचार्य रामगोपाल दीक्षित, जेएनयू दिल्ली के प्रोफेसर ख्वाजा इकरामुद्दीन, स्वामी मोहन जी (स्वीट्जरलैंड), दिल्ली सिख प्रबंधन के सलाहकार परमजीत सिंह चंडोक, कार्यक्रम के संयोजक व इंटरनेशनल सुन्नी सेंटर के चेयरमैन मौलाना सैयद आलमगीर अशरफ, स्वामी सारंग महाराज, हजरत बाबा ताजुद्दीन ट्रस्ट के चेयरमैन प्यारे जिया खान, सचिव ताज अहमद राजा, उपाध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र जिचकार, फारूख बावला, बुर्जिन रंडेलिया, गजेंद्रपाल सिंह लोहिया, मुस्तफा टोपीवाला, हाजी इमरान खान उपस्थित थे।
ट्रस्ट के चेयरमैन प्यारे खान ने प्रस्तावना रखते हुए कहा कि बाबा ताजुद्दीन की दरगाह एकता की मिशाल है। यहां सभी धर्मों क लोग एक साथ बाबा की खिदमत करते है, यह सौहार्द्र की बड़ी मिशाल है। गुलाम रसूल दहलवी ने मंच संचालन किया,ताज अहमद राजा ने आभार व्यक्त किया इस बीच ट्रस्ट की ओर से सभी वक्ताओं का सत्कार किया गया।राष्ट्रगीत से समारोह का समापन हुआ, कांफ्रेंस में सभी धर्माचार्यों व अन्य वक्ताओं ने संबोधित करते हुए मार्गदर्शन दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए मौलाना डॉ. सैयद शाह शमीमुद्दीन मुनामी ने कहा कि दरगाह वह केंद्रबिंदू होती है, जहां सभी धर्मों के लोग इकट्ठा होते है. धर्म चाहे कोई भी हो, उसमें मोहब्बत की सीख होती है. लेकिन कुछ लोग धर्म के नाम पर आपस में बैर रखते है. जबकि हमें सूरज, चांद, पानी से धर्म के प्रति सच्ची निष्ठा की सीख लेनी चाहिए. सूरज बिना किसी भेदभाव के सभी को प्रकाश देता है, इसीलिए हमें भी धर्म की राह पर चलते हुए एक-दूसरे के प्रति मन में किसी तरह का बैर नहीं रखना चाहिए।
इस दौरान मौलाना सैयद मोहम्मद अशरफ ने कहा कि कुछ लोग अधर्म को धर्म बनाने की कोशिश कर रहे है, ऐसे लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए लोगों के बीच द्वेषभावना पैदा कर दूरियां बढ़ाने का काम कर रहे है। लेकिन सूफी संतों के सौहार्दपूर्ण पैगाम से इन्हें रोका जाएगा, मोहब्बत से नफरतों को खत्म करेंगे,देश की एकता अखंडता व विकास के लिए शांति जरूरी है, इसलिए देश से मोहब्बत है तो पहले शांति स्थापित करों और यह आपसी भाईचारे से ही संभव होगी।
भाईचारा ही भारत की खूबसूरती
गोस्वामी सुशील महाराज ने कहा कि एकता भाईचारा ही भारत की खूबसूरती है. इसे बरकरार रखने के लिए वर्ष 2006 में भारतीय सर्वधर्म संसद का गठन किया गया. आज भी इस तरह के मंच से हम लोग भाईचारे की संस्कृति को बनाए रखने के लिए पहल कर रहे है. सूफी संतों के विचारों को लोगों तक पहुंचाकर इसे बरकरार रखा जा सकता है. बाबा ताजुद्दीन के चरणों में नतमस्तक होक आज हम साथ चलने का संकल्प लेते है।
मानवता की सेवा ही सच्चा धर्म
परमजीत सिंह चंडोक ने कहा कि करतारपुर साहिब से गुरुनानक जी ने दुनिया को प्यार, शांति का संदेश दिया. उनके साथियों में हिंदू-मुस्लिम दोनों ही थे. आज भी वहीं सौहार्द्र की तस्वीर बरकरार है. मानवता की सेवा ही सच्चा धर्म है. सूफी संतों ने इसी रास्ते पर चलकर लोगों को जागरुक किया. हमें भी बाबा के बताए मार्ग पर चलकर उर्स मनाने का संल्प लेना चाहिए।
मोहब्बत का पैगाम देना होगा
समाजसेवी शाजिया इल्मी ने कहा कि सूफी संतों के विचारों में आपसी भाईचारा है. उन्होंने हमेशा लोगों को जोड़ा है. मौजूदा दौर में इस विचारधारा को एक-दूसरे तक पहुंचाना जरूरी है. हम सबको मिलकर नफरत फैलाने वालों से लड़ना है और लड़ाई मोहब्बत का पैगाम देना है. मोहब्बत से ही दिलों को जोड़ा जा सकता है. दूरियां खत्म की जा सकती है.