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  • भाजपा-शिंदे गुट के बीच कलह

    भाजपा-शिंदे गुट के बीच कलह

    सुभाष येरुणकर ने भाजपा का दामन थाम लिया
    मुंबई.
    मुंबई समेत महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राज्य में महायुति (भाजपा, शिवसेना-शिंदे और एनसीपी-अजित पवार) ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की है, लेकिन मुंबई में उनके बीच अंदरूनी कलह सामने आ रही है। मागाठाणे के वार्ड नंबर 11 में, शिवसेना (शिंदे) के शाखा प्रमुख सुभाष येरुणकर ने अपने ही विधायक प्रकाश सुर्वे को बड़ा झटका देते हुए भाजपा का दामन थाम लिया। येरुणकर, जो पिछले 20 साल से पार्टी से जुड़े थे और शिवसेना में विभाजन के बाद भी सुर्वे के साथ शिंदे गुट में रहे थे, ने भाजपा नेता प्रवीण दरेकर की मौजूदगी में पार्टी बदल ली।

    महायुति के भीतर सब कुछ ठीक नहीं
    इस घटना से यह साफ होता है कि महायुति के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। मुंबई महानगरपालिका के चुनाव से पहले यह घटना एक बड़ी चुनौती पेश करती है। प्रवीण दरेकर और प्रकाश सुर्वे के बीच राजनीतिक मतभेद लंबे समय से चले आ रहे हैं, और येरुणकर का भाजपा में शामिल होना इन मतभेदों को और गहरा कर सकता है। यह घटना दर्शाती है कि सीटों के बंटवारे और स्थानीय वर्चस्व को लेकर महायुति के नेताओं में मतभेद हैं। अगर ये मतभेद चुनावों से पहले सुलझाए नहीं गए, तो इसका सीधा फायदा विपक्ष को मिल सकता है।

    महायुति के लिए सबसे बड़ी चुनौती
    महायुति के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे अपने गठबंधन को एकजुट रखे और आपसी कलह को सार्वजनिक न होने दे। इस तरह की घटनाएं भविष्य में और भी देखने को मिल सकती हैं, खासकर उन सीटों पर जहां दोनों दलों के नेताओं का मजबूत आधार है। महायुति के शीर्ष नेतृत्व को इस मामले में हस्तक्षेप कर इन मतभेदों को जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए ताकि वे विपक्ष के खिलाफ मजबूत मोर्चा बना सकें। यह घटना एक महत्वपूर्ण संकेत है कि चुनावी मौसम में गठबंधन की राजनीति कितनी जटिल हो सकती है, खासकर जब स्थानीय स्तर पर नेताओं के अपने-अपने हित टकरा रहे हों।

  • आस तोड़ सकता है ‘चोर बीटी’ कपास

    आस तोड़ सकता है ‘चोर बीटी’ कपास

    अवैध बीज और कृषि क्षेत्र की चुनौतियां
    नागपुर.
    “चोर बीटी’ नामक अवैध बीज की महाराष्ट्र में बंपर बुआई हुई है। यह स्थिति कृषि विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है और यह दर्शाती है कि अनियंत्रित और अवैध बीज व्यापार कितना गहरा है। गुजरात और तेलंगाना से चोरी-छिपे महाराष्ट्र में लाए गए इन बीजों की बुआई इतनी ज्यादा हुई है कि कृषि सेवा केंद्रों में रखे गए 60% वैध बीज बिना बिके रह गए।

    इस उद्देश्य से लाया गया था
    कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों का उद्देश्य पैदावार बढ़ाना और किसानों की आय में वृद्धि करना है। इसी उद्देश्य के साथ, बॉन्ड इल्लियों से फसल को बचाने के लिए बीटी कपास की तकनीक विकसित की गई। पहले बीटी 1 और फिर गुलाबी इल्लियों के लिए बीटी 2 तकनीक लाई गई। अब, खरपतवार की समस्या से निपटने के लिए बीटी 3 आरआर तकनीक विकसित की गई, लेकिन इसके पर्यावरण और मिट्टी की उर्वरता पर पड़ने वाले संभावित हानिकारक प्रभावों के कारण केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी।

    सरकार और कृषि विभाग की बड़ी जिम्मेदारी
    सरकार और कृषि विभाग की यह जिम्मेदारी है कि वे किसानों को केवल अवैध बीजों की बिक्री रोकने तक ही सीमित न रहें, बल्कि उन्हें बेहतर, वैध और सुरक्षित विकल्प भी प्रदान करें। इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी चलाना होगा। कृषि विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वैध बीज समय पर और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों और किसानों को नई तकनीकों के फायदे और नुकसान के बारे में सही जानकारी मिले। यह मामला सिर्फ अवैध बीजों की बिक्री का नहीं, बल्कि कृषि नीतियों और किसानों की जरूरतों के बीच के बड़े अंतर को भी दर्शाता है।

  • ‘गरुड़ दृष्टि’से सोशल मीडिया पर पैनी नजर

    ‘गरुड़ दृष्टि’से सोशल मीडिया पर पैनी नजर

    पुलिस को एक सशक्त हथियार
    नागपुर.
    मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि आज के डिजिटल युग में, सोशल मीडिया जहां एक तरफ सूचना और अभिव्यक्ति का मंच बन गया है, वहीं दूसरी तरफ यह नफरत, फर्जी खबरों और सांप्रदायिक तनाव फैलाने का एक प्रभावी माध्यम भी बन गया है। असामाजिक तत्व इस प्लेटफॉर्म का उपयोग समाज में दंगे भड़काने और वित्तीय धोखाधड़ी करने के लिए कर रहे हैं। महाराष्ट्र पुलिस द्वारा विकसित ‘गरुड़ दृष्टि’ टूल इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। यह तकनीक उन लोगों का पता लगाने में मदद करेगी जो ऑनलाइन घृणा फैलाते हैं और उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करेगी।

    200 पीड़ितों को ठगे गए 10 करोड़ वापस दिलवाए
    ‘गरुड़ दृष्टि’ प्रणाली की सबसे बड़ी ताकत इसका डिजिटल फुटप्रिंट का पता लगाने की क्षमता है। यह ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी पर भी प्रभावी ढंग से लगाम लगाएगी। हालिया उदाहरण नागपुर में देखने को मिला, जहां पुलिस ने धोखाधड़ी के शिकार 200 पीड़ितों को उनके ठगे गए 10 करोड़ वापस दिलवाए। मुख्यमंत्री ने नागरिकों से अपील भी की कि वे किसी भी ऑनलाइन प्रलोभन का शिकार न हों और संदिग्ध गतिविधि की सूचना हेल्पलाइन नंबरों पर दें। यह पहल पुलिस और जनता के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है और साइबर अपराध के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा खड़ा करती है।

  • एनडीसीसी बैंक घोटाले में वसूली की मांग

    एनडीसीसी बैंक घोटाले में वसूली की मांग

    मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सौंपा निवेदन
    नागपुर.
    वर्ष 2002 में नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी (एनडीसीसी) बैंक में हुए 150 करोड़ के घोटाले ने सहकारिता क्षेत्र की विश्वसनीयता पर गहरा आघात पहुंचाया था। इस घोटाले में न केवल किसान और निवेशक प्रभावित हुए, बल्कि पूरे सहकारिता आंदोलन को बड़ा नुकसान हुआ। हाल ही में, कोर्ट ने इस मामले में पूर्व मंत्री सुनील केदार और अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया, जिसके बाद केदार की विधायकी चली गई। यह फैसला न्याय की जीत थी, लेकिन किसानों की लड़ाई यहीं खत्म नहीं हुई। किसानों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को निवेदन देकर घोटाले की राशि की वसूली की मांग की है। यह मांग पूरी तरह से उचित है।

    किसानों का यह तर्क
    किसानों ने अपनी मांग में दोषियों से वसूली, उन्हें राजनीतिक संरक्षण न मिलने और एनडीसीसी बैंक का पुनर्गठन कर उसे पारदर्शी तरीके से चलाने की बात कही है। ये सभी मांगें सहकारिता क्षेत्र में सुधार और विश्वास बहाली के लिए आवश्यक हैं। सरकार को इन मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए। केवल सज़ा सुनाना पर्याप्त नहीं है; असली न्याय तब होगा जब घोटाले से प्रभावित लोगों को उनका पैसा वापस मिले और सहकारिता बैंक फिर से जनता का विश्वास जीत सके। यह मामला एक उदाहरण है कि कैसे राजनीतिक और आर्थिक अपराधों से निपटना चाहिए, जिसमें सज़ा और वसूली दोनों शामिल हों। सरकार को इस दिशा में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि यह संदेश जाए कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

    याचिका में गुहार
    न्याय का पूर्ण होना तभी संभव है जब अपराधियों को न केवल सज़ा मिले, बल्कि उनके कृत्यों से हुए नुकसान की भरपाई भी की जाए। इस मामले में, घोटाले की रकम की वसूली बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पैसा किसानों और निवेशकों का था। यह वसूली सुनिश्चित करेगी कि अपराध से कोई लाभ न मिल पाए और भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए एक मजबूत निवारक का काम करे।

  • एक ही आरोप में दोहरी सज़ा पर रोक

    एक ही आरोप में दोहरी सज़ा पर रोक

    सरकारी कर्मचारियों के लिए न्याय का प्रतीक
    नागपुर.
    बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ का एक फैसला सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक मील का पत्थर है। यह फैसला स्पष्ट करता है कि किसी कर्मचारी को एक ही आरोप में दो बार सज़ा नहीं दी जा सकती। यह निर्णय न्याय के मूल सिद्धांतों को पुष्ट करता है, विशेष रूप से ‘डबल जियोपर्डी’ के सिद्धांत को, जो यह सुनिश्चित करता है कि एक बार बरी या दंडित होने के बाद, किसी व्यक्ति को उसी अपराध के लिए फिर से मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता।

    यह है मामला
    वर्धा जिले के एक शिक्षक राजेश ठाकुर को आईपीसी और आईटी एक्ट के तहत लगे आरोपों से ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था। इसके बावजूद, जिला परिषद ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। जब विभागीय आयुक्त ने बर्खास्तगी रद्द करके बहाली का आदेश दिया, तो जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने फिर से उसी आरोप में उनकी तीन वेतन वृद्धियां रोक दीं। यह कार्रवाई न केवल अनुचित थी बल्कि कानून का उल्लंघन भी थी।

    अदालत ने यह कहा
    न्यायालय ने कहा कि जब एक उच्च प्राधिकारी (आयुक्त) ने बर्खास्तगी रद्द कर दी और कर्मचारी को बहाल कर दिया, तो निचले प्राधिकारी (सीईओ) के पास दोबारा सज़ा देने का कोई अधिकार नहीं था। यह फैसला प्रशासन में मनमानी और शक्ति के दुरुपयोग पर रोक लगाता है। यह सुनिश्चित करता है कि अधिकारी अपनी शक्तियों का उपयोग कानून के दायरे में रहकर करें, न कि अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं के अनुसार। इस तरह के फैसले सरकारी कर्मचारियों के लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं, जिससे उन्हें बिना किसी डर के अपना काम करने का प्रोत्साहन मिलता है। यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि न्यायपालिका, कार्यपालिका के मनमाने फैसलों की जाँच करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह मामला सभी सरकारी विभागों के लिए एक सबक है कि वे कर्मचारियों के साथ न्यायपूर्ण और कानूनी रूप से सही व्यवहार करें।

  • विश्व आदिवासी दिनानिमित्त जय बिरसा आदिवासी विकास सोसायटी लाव्हा तर्फे भव्य रॅलीचे आयोजन

    विश्व आदिवासी दिनानिमित्त जय बिरसा आदिवासी विकास सोसायटी लाव्हा तर्फे भव्य रॅलीचे आयोजन

     


    विश्व आदिवासी दिनानिमित्त जय बिरसा आदिवासी विकास सोसायटी लाव्हा तर्फे भव्य रॅलीचे आयोजन

    वाडी लाव्हा – विश्व आदिवासी दिनाच्या औचित्याने जय बिरसा आदिवासी विकास सोसायटी लाव्हा यांच्या वतीने भव्य रॅलीचे आयोजन करण्यात आले. रॅलीची सुरुवात आंबेडकर नगर येथे बाबासाहेब डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या प्रतिमेस माल्यार्पण करून करण्यात आली. त्यानंतर लाव्हा येथे बिरसा मुंडा यांच्या प्रतिमेस माल्यार्पण व ध्वजवंदन सोहळा पार पडला.

    यानंतर सोनबा नगर येथे कुवारा भिवसन पेन यांची पूजा करण्यात आली आणि बिरसा मुंडा यांच्या प्रतिमेस माल्यार्पण करण्यात आले. शेवटी टेकडी वाडी येथे बिरसा मुंडा यांच्या प्रतिमेचे अनावरण करून कार्यक्रमाची सांगता झाली.

    या रॅलीत सुखलाल भलावी, दिनेश उईके, सचिन सलामे, विनोद करनाके, महेश धुर्वे, श्रावण कुळमते, बुधारामजी कोवाचे, वाढवेजी, भोजराजजी पुसाम, रमेश सलामे, कपील पुसाम, सौरभ वरठी, बोरकरजी, धनपालजी मरसकोल्हे, महेशजी कुरसंगे, रेखलाल खंडाते, प्रमोद वरठी, जगदिश मरकाम, मनीश उईके, कठोतेजी, यशोदाबाई मडावी, शारदाताई मर्सकोल्हे, इंदिराताई कुरसंगे, रेखाताई कोडापे, पेंदामताई, दुर्गाताई कुरसंगे, ललीताबाई कोकोंडे, शिलाबाई पुसाम, शोभाबाई सलामे यांच्यासह मोठ्या संख्येने आदिवासी बांधव व भगिनी उपस्थित होते.कार्यक्रमाच्या यशस्वी आयोजनामुळे लाव्हा परिसरात उत्साहाचे वातावरण निर्माण झाले.


     

  • धगधगाने वाला तूफ़ान थमा, पूर्व सूबेदार जगन्नाथजी गवई ने लिया अंतिम विदा

    धगधगाने वाला तूफ़ान थमा, पूर्व सूबेदार जगन्नाथजी गवई ने लिया अंतिम विदा

    धगधगाने वाला तूफ़ान थमा, पूर्व सूबेदार जगन्नाथजी गवई ने लिया अंतिम विदा
    चांदूर रेलवे। (बंडू आठवले )  मिलिंद नगर के पूर्व सूबेदार एवं नगर परिषद के उपाध्यक्ष जगन्नाथजी गवई का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे संघर्ष से उठने वाले, अन्याय के विरुद्ध डटकर खड़े होने वाले, सेवानिवृत्त फौजी और समाजसेवी थे।

    जगन्नाथ गवई के पिता का 1952 में निधन हो गया था। मात्र 19 वर्ष की उम्र में परिवार की ज़िम्मेदारी संभालते हुए उन्होंने अपने मित्र पुंडलिकराव आठवले के साथ 1954 में सेना में भर्ती ली। वहीं से उन्होंने अपनी देश सेवा की शुरुआत की और सूबेदार मेजर के पद तक पहुंचे। 1962 और 1965 के भारत-पाक युद्ध में उन्होंने बहादुरी से हिस्सा लिया। 1972 में सेवानिवृत्त होकर उन्होंने समाज सेवा का नया सफ़र शुरू किया।

    अपने छोटे भाई शेषरावजी गवई के निधन के बाद 1986 में हुए उपचुनाव में वे नगरसेवक चुने गए और लगातार दो बार नगर परिषद के उपाध्यक्ष रहे। नगर परिषद में अपनी बुलंद आवाज़ और आक्रामक कार्यशैली के लिए वे जाने जाते थे। मटन मार्केट का मुद्दा उन्होंने दिल्ली तक उठाया और 10 वर्षों तक नगरसेवक के रूप में जनसेवा की।

    कोरोना काल में उन्होंने अपनी पेंशन से ज़रूरतमंदों को राशन वितरित किया। एक सच्चे फौजी और दानवीर के रूप में उनकी छवि रही। पूर्व पार्षद बंडु  आठवले ने कहा, “मामा हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनका शूरवीर व्यक्तित्व हमेशा याद रहेगा। हम हमेशा उनकी प्रेरणा लेकर उनके विचारो पर चलेंगे.सुभेदार को  NEWS की और से भावपूर्ण श्रद्धांजलि।”

  • शबरी चे उष्टे बोर खाणारे देव निर्माण झाले परंतु आजपण दलित आदिवासी यांच्या ताटात जेवण घेणारे माणूस दिसत नाही: प्रा.दुपारे !

    शबरी चे उष्टे बोर खाणारे देव निर्माण झाले परंतु आजपण दलित आदिवासी यांच्या ताटात जेवण घेणारे माणूस दिसत नाही: प्रा.दुपारे !

    शबरी चे उष्टे बोर खाणारे देव निर्माण झाले परंतु आजपण दलित आदिवासी यांच्या ताटात जेवण घेणारे माणूस दिसत नाही: प्रा.दुपारे !

    नागपूर : या देशात समता बंधुता,भाईचारा निर्माण करण्यासाठी अजून किती दिवस वाट बघावी लागेल संविधानाने या देशाला आदिवासी राष्ट्रपती दिला परंतु आजपण जंगलात पाहडात आदिवासी, दलितांची विषम परिस्थिती आहे अंधश्रध्दा, शिक्षणाचा अभाव,जातीवाद संपुष्टात आला नाही या देशात शबरीचे उष्टे बोर खाणारे देव निर्माण झाले परंतु आदिवासी, दलितांचा ताटात जेवण करणारी मानसिकता तयार झाली नाही असे प्रतिपादन आंबेडकरी रिपब्लिकन मोर्चा चे शहराध्यक्ष प्रा.रमेश दुपारे यांनी केले ते आज फुटाळा येथिल बिरसा मुंडा यांच्या पुतळ्या जवळ जागतिक आदिवासी दिनानिमित्त आयोजित कार्यक्रमात बोलत होते या प्रसंगी आंरिमो चे राष्ट्रीय अध्यक्ष नारायण बागडे यांनी बिरसा मुंडा यांच्या पुतळ्यास पुष्पहार अर्पण करून अँड मिलिंद खोब्रागडे यांनी दिपप्रज्वलन केले मोर्चा ची मुलख मैदानी तोफ धर्मा बागडे यांनी दलित, आदिवासी एकता जिंदाबाद घोषवाक्यानी परिसर दणाणून सोडले या प्रसंगी मोनिका आत्राम, मिणा मडके, माधूरी शिडाम प्रतिभा मसराम, कांचन गेडाम, नरेश खन्ना संतोष गेडाम, विशाल गेडाम,जीया आत्राम, रामकृष्ण मसराम सशिका सिडाम आदिंसह मोठ्या संख्येने कार्यकर्ते उपस्थित होते.

  • महादेवी के लिए लाखों का ‘घर’ बनाएगा वनतारा

    महादेवी के लिए लाखों का ‘घर’ बनाएगा वनतारा

    स्वीमिंग पूल, थेरेपी रूम, रबर की फर्श, कोल्हापुर के नंदनी में ही सब सुविधा
    कोल्हापुर.
    महादेवी विवाद का समाधान सामने आया है। यह समाधान ऐसा है, जिससे कोर्ट के आदेश का पालन भी हो सकेगा और लोगों की धार्मिक भावनाएं भी आहत नहीं होंगी। वनतारा ने मठ के नेतृत्व और जानवरों की भलाई इन सभी के बीच संतुलन बनाने के लिए कोल्हापुर के नंदनी इलाके में ही महादेवी के लिए एक खास पुनर्वास केंद्र बनाने का प्रस्ताव रखा है। नंदनी में महादेवी उर्फ माधुरी के लिए बनाए जाने वाला केंद्र न सिर्फ उसकी चिकित्सीय जरूरतों का ध्यान रखकर बनाया जाएगा। बल्कि कोल्हापुर के लोगों और जैन मठ की उससे भावनात्मक जुड़ाव को भी सम्मान देगा।

    कई खास सुविधाएं होंगी
    कोल्हापुर में प्रस्तावित इस केंद्र में महादेवी के लिए कई खास सुविधाएं होंगी। वनतारा ने बयान में बताया कि सेंटर में हाइड्रोथेरेपी तालाब, तैराकी के लिए जगह, लेज़र थेरेपी रूम, और 24×7 वेटरनरी क्लिनिक होगा। इसके अलावा वहां एक कवर किया हुआ नाइट शेल्टर, चेन-फ्री ओपन एरिया, रेत का गड्ढा, रबर की फर्श और मुलायम रेत के टीले भी होंगे, जो महादेवी को आर्थराइटिस और पैर की बीमारियों से उबरने में मदद करेंगे। ये सब सुविधाएं उसकी सेहत, आराम और गरिमा को ध्यान में रखकर बनाई जाएंगी।

    खास होगा सेंटर
    वनतारा ने अपने बयान में कहा कि कोल्हापुर में जो केंद्र बनाया जाएगा, वह स्पेशल होगा। यह भारत में पहली बार इस तरह का बनाया जाने वाला केंद्र होगा। बयान में कहा गया है कि वनतारा परंपरा के सम्मान के साथ-साथ वैज्ञानिक देखभाल और संवेदनशीलता को भी महत्व देता है। यह केंद्र जैन मठ, महाराष्ट्र सरकार और हाई-पावर कमेटी की सलाह से और अंतरराष्ट्रीय स्तर की हाथी देखभाल के मानकों के अनुसार बनाया जाएगा।

    वनतारा ने यह कहा
    अनंत अंबानी की वनतारा टीम यह दिखा रही है कि भावनात्मक जुड़ाव, आधुनिक चिकित्सा और मिलकर काम करने का तरीका सब एक साथ आकर जानवरों की भलाई के लिए बेहतरीन समाधान दे सकते हैं। यह योजना महादेवी की सेहत और आराम को प्राथमिकता देगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित करेगी है कि वह अपनी प्रिय जनता के पास ही रह सके। इस पुनर्वास केंद्र के लिए ज़मीन को वनतारा, जैन मठ और महाराष्ट्र सरकार मिलकर तय करेंगे। जमीन और बाकी जरूरी मंज़ूरी मिलते ही वनतारा की एक्सपर्ट टीम काम शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

  • नागपुर और अमरावती में किसानों के साथ धोखा

    नागपुर और अमरावती में किसानों के साथ धोखा

    नकली खाद-बीज का पर्दाफाश
    नागपुर।
    महाराष्ट्र के नागपुर और अमरावती जिलों में किसानों को धोखा देने के दो बड़े मामले सामने आए हैं, जिन्होंने कृषि जगत में हड़कंप मचा दिया है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि कुछ बेईमान लोग अपने फायदे के लिए किसानों की मेहनत और भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।

    लावा में धावा
    पहला मामला नागपुर के लावा गांव में सामने आया, जहां जिला कृषि विभाग ने एक गुप्त सूचना पर छापा मारा। छापे में एक अवैध कारखाना मिला, जहाँ बिना सरकारी मंजूरी के नकली जैव-उत्पाद, रासायनिक खाद और कीटनाशक बनाए जा रहे थे। अधिकारियों ने यहाँ से ₹52.61 लाख से अधिक की नकली सामग्री, जिसमें 15 टन रासायनिक खाद और 2 टन तरल जैव-उत्पाद शामिल थे, जब्त की। आरोपी परेश विजय खंडाइत के खिलाफ फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर, 1985 और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह सिर्फ आर्थिक नुकसान का मामला नहीं है, बल्कि किसानों की फसलों और मिट्टी की उर्वरता को बर्बाद करने की एक साजिश है।

    अमरावती में भी धोखाधड़ी
    वहीं, अमरावती जिले में धोखाधड़ी का एक और बड़ा मामला सामने आया। यहाँ रासायनिक खाद के नाम पर किसानों को ₹50 लाख की मिट्टी बेची जा रही थी। जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी राहुल सातपुते ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया। जांच में पता चला कि मुख्य वितरक ने बिना लाइसेंस वाली एक कंपनी से खाद खरीदी और उसे 12 खुदरा विक्रेताओं को बेच दिया। इन विक्रेताओं ने किसानों को बिना पीओएस मशीन के यह नकली खाद बेच दी।

    यह कदम उठाया
    इस खुलासे के बाद, 8 कृषि केंद्रों के लाइसेंस एक साल के लिए निलंबित कर दिए गए, और मुख्य वितरक का लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिया गया। यह घटना किसानों के साथ एक बड़ा धोखा है, जिससे उनका मनोबल टूटता है और उनकी मेहनत बर्बाद हो जाती है। इन मामलों के दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी आपराधिक कार्रवाई की मांग उठ रही है, ताकि भविष्य में कोई भी किसानों के साथ ऐसा खिलवाड़ करने की हिम्मत न करे।