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  • कलयुगी बेटा…मां असहाय, पिता की पिटाई

    कलयुगी बेटा…मां असहाय, पिता की पिटाई

    पुलिस की चेतावनी के बाद भी शिकायत से इनकार
    नागपुर.
    नागपुर के शांति नगर में एक परेशान करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक युवक अपनी मां के सामने अपने बुजुर्ग पिता के साथ मारपीट करता दिख रहा है। इस घटना ने समाज में चिंता पैदा कर दी है और लोगों के बीच बहस छेड़ दी है। वायरल वीडियो में, बुजुर्ग पिता सोफे पर बैठे दिखाई दे रहे हैं, जबकि उनका बेटा, टी-शर्ट और बरमूड़ा पहने हुए है, उन्हें बार-बार थप्पड़ मार रहा है, उनके बाल खींच रहा है, कान मरोड़ रहा है और गर्दन पकड़ रहा है। इस दौरान, मां पास में ही बैठी है और वह असहाय दिख रही है।

    पिता ने घटना से किया इनकार
    शांति नगर पुलिस ने वीडियो के आधार पर घर की पहचान कर ली और पिता से मुलाकात की। हालांकि, पिता ने दावा किया कि ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई। अधिकारियों ने उन्हें शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और कहा कि वह इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते। जब पुलिस ने परिवार से पूछताछ की, तो मां ने भी पुलिस से कहा, “यह हमारा पारिवारिक मामला है। हममें से किसी ने शिकायत नहीं की, तुम यहाँ कैसे आ गए?” बावजूद इसके, पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया, क्योंकि वायरल वीडियो ने लोगों में चिंता पैदा कर दी थी। पुलिस ने बेटे को कड़ी चेतावनी दी कि वह अपने माता-पिता के साथ इस तरह का व्यवहार दोबारा न करे। पुलिस ने साफ कहा कि सार्वजनिक रूप से या घर पर माता-पिता के साथ इस तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह घटना हमारे समाज में बुजुर्गों के प्रति बढ़ती हिंसा और उनके प्रति बेरुखी को दर्शाती है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

  • 73 का वार्डन, 17 की किशोरी : यौन उत्पीड़न

    73 का वार्डन, 17 की किशोरी : यौन उत्पीड़न

    प्रतिष्ठित स्कूल में शर्मनाक घटना
    नागपुर.
    नागपुर के एक प्रतिष्ठित स्कूल के छात्रावास में एक 17 वर्षीय किशोरी के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है, जिसने पूरे शहर को शर्मसार कर दिया है। यह घटना न केवल उस छात्रा के लिए भयावह है, बल्कि यह हमारे समाज की सुरक्षा और नैतिक मूल्यों पर भी एक गहरा सवाल खड़ा करती है। जब माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए छात्रावास भेजते हैं, तो वे उन संस्थानों पर पूरा भरोसा करते हैं, लेकिन जब ऐसे सुरक्षित माने जाने वाले स्थानों पर ही बच्चों के साथ ऐसी घिनौनी हरकतें होती हैं, तो यह विश्वास टूट जाता है।

    वासना की विकृत मानसिकता
    एक 73 वर्षीय व्यक्ति, जिसे बच्चों का मार्गदर्शक और संरक्षक होना चाहिए, उसी ने अपने पद का दुरुपयोग किया और एक किशोरी को कई महीनों तक यौन प्रताड़ित किया। यह दिखाता है कि वासना और विकृत मानसिकता की कोई उम्र नहीं होती। यह घटना केवल एक व्यक्ति का कुकृत्य नहीं है, बल्कि यह उस व्यवस्था की भी विफलता है, जिसने ऐसे व्यक्ति को इतने संवेदनशील पद पर बिठाया। छात्रावास प्रबंधन की लापरवाही और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठते हैं। क्या उन्होंने कभी वार्डन के व्यवहार पर ध्यान दिया? क्या वहां छात्राओं की सुरक्षा के लिए कोई निगरानी व्यवस्था थी?

    सख्त सजा की मांग
    इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। पुलिस को इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और पोक्सो व एट्रासिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर दोषी को सख्त से सख्त सजा दिलानी चाहिए। साथ ही, छात्रावासों और स्कूलों को अपने कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की गहन जांच करनी चाहिए और सुरक्षा मानकों को और भी मजबूत बनाना चाहिए। बच्चों को ‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ के बारे में जागरूक करना और उन्हें अपनी आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करना भी बेहद ज़रूरी है।

  • जीरो माइल सौंदर्यीकरण अधर में

    जीरो माइल सौंदर्यीकरण अधर में

    प्रोजेक्ट अनिश्चितता के भंवर में फंसा
    नागपुर.
    नागपुर की पहचान, जीरो माइल के सौंदर्यीकरण का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अब अनिश्चितता के भंवर में फंस गया है। मनपा (महानगरपालिका) की 48 करोड़ की यह प्रस्तावित योजना, जो शहर की ऐतिहासिक विरासत को संवारने का वादा करती थी, अब अधर में लटकी है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य जीरो माइल की ऐतिहासिक पहचान को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना था, जिसमें एक स्मारक, दो संग्रहालय, पार्किंग और वॉकर्स-वे शामिल थे।

    यह थी योजना
    इस योजना के तहत, जीरो माइल के पिछले हिस्से में इंडियन ऑयल की जगह पर स्मारक और संग्रहालय बनाने का प्रस्ताव था, जबकि विधानभवन के पास की खाली जमीन पर पार्किंग और वॉकर्स-वे तैयार किया जाना था। लेकिन, सबसे बड़ी बाधा अब जमीन के आवंटन को लेकर आई है। विधानभवन के पास की खाली 2000 वर्ग मीटर जमीन को अब विधानभवन के विस्तार के लिए सौंपने का निर्देश मिला है। इससे मनपा का पूरा प्लान गड़बड़ा गया है।

    सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई थी
    कुछ महीने पहले, हेरिटेज समिति ने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी, लेकिन जमीन आवंटन में इस बदलाव ने पूरी योजना को अनिश्चित बना दिया है। इस योजना में दो संग्रहालयों का प्रस्ताव था, जिनमें से एक में ग्रेट ट्रिग्नोमेट्रिकल सर्वे ऑफ इंडिया की विरासत और दूसरे में नागपुर की सांस्कृतिक विकास परंपरा को दर्शाया जाना था। इस प्रोजेक्ट का अटकना शहर के पर्यटन विकास के लिए एक बड़ा झटका है।

    मनपा के लिए बड़ी चुनौती
    मनपा को अब इस चुनौती का सामना करना होगा और इस ऐतिहासिक स्थान के सौंदर्यीकरण के लिए कोई नया रास्ता निकालना होगा। जीरो माइल नागपुर की पहचान है और इसका विकास शहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह देखना होगा कि मनपा और सरकार इस समस्या का क्या समाधान निकालते हैं और कब यह प्रोजेक्ट फिर से पटरी पर लौटता है।

  • पुराना भंडारा रोड चौड़ीकरण का रोड़ा दूर

    पुराना भंडारा रोड चौड़ीकरण का रोड़ा दूर

    300 करोड़ के मुआवजे से रास्ता साफ
    नागपुर.
    नागपुर के विकास के लिए एक बड़ी अच्छी खबर है। शहर का बहुप्रतीक्षित और लंबे समय से रुका हुआ पुराना भंडारा रोड चौड़ीकरण प्रोजेक्ट अब जल्द ही पूरा होने की उम्मीद जगी है। इस प्रोजेक्ट के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा भूमि अधिग्रहण और मुआवजा था, जिसे अब जिला प्रशासन ने हल करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। जिला प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण से प्रभावित नागरिकों के लिए 300 करोड़ रुपये के मुआवजे का प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा है।

    जाम की समस्या होगी हल
    यह प्रोजेक्ट शहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके तहत मेयो अस्पताल से सुनील होटल टी-पॉइंट तक करीब 2.5 किलोमीटर लंबे हिस्से में सड़क की चौड़ाई को 18 मीटर से बढ़ाकर 30 मीटर किया जाएगा। इससे इस व्यस्त मार्ग पर यातायात की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी और लोगों को आवाजाही में आसानी होगी। इस प्रोजेक्ट में 15,397 वर्ग मीटर निजी जमीन और 2275 वर्ग मीटर सरकारी जमीन का अधिग्रहण होना है। कुल मुआवजे की राशि 339 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है, जिसमें से 70 फीसदी राशि राज्य सरकार को देनी है।

    मुंबई में लगेगी मुहर
    इस प्रस्ताव पर जल्द ही मुंबई मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसके बाद इसे आर्थिक मंजूरी मिलने की संभावना है। मंजूरी मिलते ही, मुआवजे का भुगतान भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 77 के तहत सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट से लगभग 650 संपत्तियां प्रभावित होंगी। यह कदम न केवल नागपुर की बुनियादी संरचना को मजबूत करेगा, बल्कि शहर के विकास को भी नई गति देगा। यह परियोजना दिखाती है कि सरकार शहर के नागरिकों की सुविधा और प्रगति के लिए कितनी गंभीर है। उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट जल्द से जल्द पूरा होगा और नागपुर के लोगों को यातायात की समस्या से राहत मिलेगी।

  • रघुजी भोसले की ऐतिहासिक तलवार की वापसी

    रघुजी भोसले की ऐतिहासिक तलवार की वापसी

    गौरवशाली इतिहास का पुनर्जीवन
    नागपुर.
    नागपुर के भोसले घराने के संस्थापक और मराठा साम्राज्य के महान योद्धा रघुजी भोसले की ऐतिहासिक तलवार अब महाराष्ट्र वापस आ रही है। लंदन में हुई एक नीलामी में महाराष्ट्र सरकार ने इस अमूल्य धरोहर को सफलतापूर्वक खरीद लिया है। यह केवल एक धातु की वस्तु नहीं, बल्कि हमारे गौरवशाली इतिहास, शौर्य और आत्मसम्मान का प्रतीक है, जिसका वापस आना पूरे राज्य के लिए गर्व का क्षण है।

    मंत्री आशीष शेलार ने दी जानकारी
    राज्य के सांस्कृतिक कार्य मंत्री आशीष शेलार ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की। उन्होंने बताया कि इस तलवार को जल्द ही महाराष्ट्र लाया जाएगा और आम जनता के दर्शन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। रघुजी भोसले, छत्रपति शाहूजी महाराज के समय में मराठा सेना के एक महत्वपूर्ण सरदार थे, जिन्होंने अपने पराक्रम से नागपुर में भोसले वंश की स्थापना की थी। उनकी तलवार का वापस आना एक तरह से हमारे इतिहास को फिर से जीवंत करना है।

    इनके प्रति जताया आभार
    इस पूरी प्रक्रिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्रियों और लंदन स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कदम आने वाली पीढ़ियों को उनके गौरवशाली अतीत से जोड़ेगा और उन्हें अपने इतिहास पर गर्व करने का अवसर देगा। यह तलवार हमें सिर्फ इतिहास नहीं बताएगी, बल्कि हमें हमारे पूर्वजों के साहस और बलिदान की याद भी दिलाएगी। यह तलवार हमें यह भी याद दिलाती है कि हमारा इतिहास सिर्फ किताबों में नहीं, बल्कि ऐसी वस्तुओं में भी जीवित है।

  • विधायक के नाम पर फर्जीवाड़ा

    विधायक के नाम पर फर्जीवाड़ा

    नौकरी के नाम पर साढ़े चार लाख की ठगी
    नागपुर.
    नागपुर में नेताओं के नाम पर धोखाधड़ी का एक और मामला सामने आया है। इस बार विधान परिषद सदस्य संदीप जोशी के नाम का इस्तेमाल कर एक युवक को नौकरी दिलाने का झांसा देकर साढ़े चार लाख रुपये ठग लिए गए हैं। यह घटना नागपुर में सक्रिय एक बड़े गिरोह की ओर इशारा करती है, जो राजनीतिक रसूख का फायदा उठाकर भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बना रहा है।

    संदीप जोशी का करीबी बताया
    पीड़ित नीलेश ने अपनी पत्नी के लिए मनपा (नागपुर महानगरपालिका) में नौकरी पाने के लिए अभय नामक व्यक्ति को 4.5 लाख रुपये नकद दिए थे। अभय खुद को विधायक संदीप जोशी का करीबी बताकर लोगों को झांसा देता था। जब नीलेश की पत्नी को नौकरी नहीं मिली और उसने अपने पैसे वापस मांगे, तो अभय टाल-मटोल करने लगा। इससे नीलेश को संदेह हुआ और उसने सीधे विधायक संदीप जोशी से संपर्क किया। विधायक जोशी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत पुलिस की क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अभय नाम के किसी भी व्यक्ति से उनका कोई संबंध नहीं है और उन्होंने जनता से ऐसे धोखेबाजों से सावधान रहने की अपील की है।

    इसके पहले भी घटनाएं
    यह पहला मामला नहीं है जब नागपुर में इस तरह की धोखाधड़ी हुई है। इससे पहले भी विधायक प्रवीण दटके और पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के नाम पर सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर ठगी की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। यह दिखाता है कि एक सुनियोजित गिरोह सक्रिय है, जो नेताओं के नाम का दुरुपयोग कर जनता को ठग रहा है। पुलिस को सिर्फ इस एक मामले तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच करनी चाहिए।

    कड़ी कार्रवाई की दरकार
    पुलिस की जांच में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या अभय जैसे लोग सिर्फ मोहरे हैं और इस ठगी के पीछे कोई बड़ा चेहरा है? क्या यह गिरोह और कितने लोगों को ठग चुका है? पुलिस को इस मामले में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए और इस गिरोह के सभी सदस्यों को पकड़कर कड़ी सजा देनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

  • जिला महिला अस्पताल में भ्रष्टाचार

    जिला महिला अस्पताल में भ्रष्टाचार

    अधिकारी ही कर रहे हैं कर्मचारियों का शोषण
    अकोला.
    राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में 31 पदों की भर्ती के बाद हुए घोटाले में जिला सर्जन समेत दो वरिष्ठ अधिकारियों के निलंबन से अभी जिला प्रशासन उबरा भी नहीं था कि अब जिला महिला अस्पताल में भ्रष्टाचार के नए मामले सामने आ गए हैं। इस बार आरोप है कि अस्पताल के कर्मचारी अपनी नियमित सेवाओं और कार्यों के लिए भी अधिकारियों को पैसे देने को मजबूर हैं।

    हेड नर्स ने लगाया आरोप
    यह गंभीर आरोप अस्पताल की एक हेड नर्स ने लगाया है, जिन्होंने शिकायत दर्ज कराई है कि उन्हें बेवजह परेशान किया गया और उनसे पैसे की मांग की गई। शिकायत के अनुसार, एक आदेश को रद्द करने के लिए उनसे 20,000 रुपये मांगे गए, जिसमें से 15,000 रुपये देने के बाद ही आदेश को रद्द किया गया। इस घटना से जुड़ा एक ऑडियो क्लिप भी वायरल हो रहा है, जो अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों से की जा रही अवैध वसूली की पोल खोलता है।

    बेहद चिंताजनक स्थिति
    अकोला के स्वास्थ्य विभाग में लगातार सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामले बेहद चिंताजनक हैं। एक तरफ, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसी महत्वपूर्ण योजना में घोटाला होता है, वहीं दूसरी तरफ अब जिला महिला अस्पताल में कर्मचारियों से ही पैसे ऐंठने की शिकायतें मिल रही हैं। यह स्थिति न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की साख पर बट्टा लगाती है, बल्कि कर्मचारियों का मनोबल भी तोड़ती है। यह दिखाता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं। जरूरी है कि इन शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए और तत्काल एक निष्पक्ष जांच बैठाकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। सिर्फ निलंबन से काम नहीं चलेगा, बल्कि एक ऐसा तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है, जो इस तरह के घोटालों पर अंकुश लगा सके और कर्मचारियों को भयमुक्त होकर काम करने का माहौल दे सके। स्वास्थ्य सेवा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भ्रष्टाचार का जारी रहना समाज के लिए एक बड़ा खतरा है। प्रशासन को इस पर कठोरता से लगाम कसनी होगी ताकि जनता का स्वास्थ्य सेवाओं पर से भरोसा न उठ जाए।

  • लाडली बहन योजना में फर्जीवाड़े के आरोप

    लाडली बहन योजना में फर्जीवाड़े के आरोप

    26 लाख लाभार्थियों की जांच शुरू
    मुंबई.
    महाराष्ट्र सरकार की महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से शुरू की गई लाडली बहन योजना पर फर्जीवाड़े के आरोप लग रहे हैं। राज्य में इस योजना के करीब 26 लाख लाभार्थियों की जांच शुरू हो गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, सरकार को संदेह है कि बड़ी संख्या में महिलाओं ने अवैध या फर्जी दस्तावेजों के आधार पर इस योजना का लाभ उठाया है। कुछ मामलों में यह भी सामने आया है कि पुरुषों ने भी इस योजना का लाभ उठाया है, जिससे योजना की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला स्तरीय समितियों को जांच के आदेश दिए हैं। यदि आरोप सही साबित होते हैं तो दोषी लाभार्थियों पर वसूली और योजना से बाहर करने जैसी सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

    विपक्ष ने बोला हमला
    विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने सरकार पर योजना लागू करने में लापरवाही और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह योजना महिलाओं के लिए है, लेकिन अगर पुरुष इसका लाभ उठा रहे हैं तो यह सरकार की नीयत पर सवाल उठाता है। वडेट्टीवार ने यह भी कहा कि कई वास्तविक लाभार्थी महिलाएं जांच के नाम पर परेशान होने से डर रही हैं। यह घटनाक्रम सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है और विपक्ष इसे आगामी चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बना सकता है। सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे, ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके।

  • कांग्रेस का पुणे में दो दिवसीय शिविर

    कांग्रेस का पुणे में दो दिवसीय शिविर

    खड़गे ऑनलाइन संबोधित करेंगे
    मुंबई.
    महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस ने आगामी स्थानीय चुनावों की तैयारियों के लिए अपनी नई कार्यकारिणी का दो दिवसीय शिविर पुणे के खड़कवासला में आयोजित किया है। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य पार्टी में समन्वय स्थापित करना और पदाधिकारियों को चुनाव की रणनीति से अवगत कराना है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ऑनलाइन के माध्यम से इस शिविर का उद्घाटन करेंगे और पदाधिकारियों को संबोधित करेंगे। इस शिविर में कांग्रेस कमेटी के मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत भी सोशल मीडिया के इस्तेमाल के बारे में जानकारी देंगी।

    बेहतर तालमेल के लिए मिलेगी नई दिशा
    कांग्रेस के लिए यह शिविर बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि पार्टी को राज्य में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। स्थानीय चुनावों में सफलता कांग्रेस के लिए एक नई दिशा तय कर सकती है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्नीथला ने कहा कि इस शिविर का आयोजन स्थानीय चुनावों से पहले पार्टी में बेहतर तालमेल बनाने के लिए किया गया है। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में विभिन्न विषयों पर चर्चा सत्र होंगे, जो पदाधिकारियों को चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार करेंगे। यह शिविर एक तरह से पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने और उन्हें एकजुट करने का प्रयास है। सोशल मीडिया के उपयोग पर विशेष ध्यान देना यह दर्शाता है कि कांग्रेस भी आधुनिक चुनाव प्रचार की अहमियत को समझ रही है। यह शिविर पार्टी की आगामी रणनीति और दिशा को स्पष्ट करेगा, जिससे वे चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

  • शिवसेना (उद्धव) का सरकार के खिलाफ आंदोलन

    शिवसेना (उद्धव) का सरकार के खिलाफ आंदोलन

    पूरे महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन का ऐलान
    मुंबई.
    महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक का एक नया अध्याय शिवसेना (उद्धव) के आंदोलन से शुरू हो रहा है। पार्टी ने राज्य सरकार के कथित भ्रष्ट मंत्रियों और चुनाव आयोग के खिलाफ पूरे महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे और सांसद संजय राऊत ने आरोप लगाया है कि सरकार के कुछ मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। राऊत ने चुनाव आयोग पर भी पक्षपात करने और वोटों की चोरी में शामिल होने का गंभीर आरोप लगाया है। यह आरोप कांग्रेस नेता राहुल गांधी के महाराष्ट्र में वोटों की चोरी के दावे के बाद आया है, जिससे यह मुद्दा और भी गंभीर हो गया है।

    सरनाईक ने आंदोलन पर कसा तंज
    शिवसेना (उद्धव) का यह आंदोलन सरकार पर दबाव बनाने और जनता का ध्यान अपनी ओर खींचने की एक रणनीति है। वे जनता के बीच यह संदेश देना चाहते हैं कि महायुति सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है और लोकतंत्र खतरे में है। यह आंदोलन आगामी स्थानीय चुनावों से पहले विपक्ष को एक मजबूत मुद्दा दे रहा है। हालांकि, शिवसेना (शिंदे) के नेता और परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने इस आंदोलन पर तंज कसते हुए कहा है कि उद्धव ठाकरे गुट के पास मोर्चे निकालने और सरकार को कोसने के अलावा कोई ठोस काम नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि ये लोग सिर्फ ध्यान आकर्षित करने के लिए ऐसे आंदोलन कर रहे हैं और उनके पास अपने आरोपों के कोई ठोस सबूत नहीं हैं। दोनों पक्षों के बीच चल रही यह जुबानी जंग आने वाले चुनावों में और तेज होने की संभावना है। यह आंदोलन यह भी दर्शाता है कि विपक्ष अभी भी महायुति सरकार को घेरने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है, भले ही उनके पास पर्याप्त संख्या बल न हो।