मालेगांव सहकारी चीनी मिल चुनाव जीतकर अजित पवार ने बारामती में बढ़ाई ताकत
पुणे.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंगलवार को बारामती स्थित मालेगांव सहकारी चीनी मिल के चुनाव मंय शानदार जीत हासिल की, जिसे राज्य की आर्थिक रूप से सबसे मजबूत सहकारी इकाई माना जाता है। माना जा रहा है कि अजित पवार की यह जीत पवार परिवार के भीतर चल रही प्रतिष्ठा की जंग को और गहरा करने वाली है। करीब चार दशक बाद सहकारी क्षेत्र में वापसी करने वाले अजित पवार ने इस जीत के साथ बारामती में अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है।
1984 में लड़ा था सहकारी चीनी मिल का चुनाव
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने 1984 में आखिरी बार सहकारी चीनी मिल का चुनाव लड़ा था, जब वे छत्रपति सहकारी चीनी मिल के निदेशक बोर्ड के सदस्य चुने गए थे। लगभग 40 साल बाद उन्होंने बारामती के मालेगांव सहकारी चीनी मिल के चुनाव में हिस्सा लिया। इस चुनाव में क्षेत्र के गन्ना किसानों के समूह ‘ए’ में 19,549 मतदाता शामिल थे, जबकि समूह ‘बी’ में 102 मतदाता थे, जो चीनी मिल से जुड़े विभिन्न सहकारी निकायों के सदस्य हैं।
‘बी’ श्रेणी में शानदार जीत
अजित पवार ने समूह ‘बी’ में शानदार प्रदर्शन करते हुए 101 में से 91 वोट हासिल किए, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को केवल 10 वोट मिले। इस श्रेणी में एक वोट डाला ही नहीं गया। यह जीत उनके राजनीतिक प्रभाव को और मजबूत करने वाली साबित हुई है। अजित पवार उन 90 उम्मीदवारों में शामिल थे, जो पार्टी टिकट के बजाय विभिन्न पैनलों के बैनर तले चुनाव लड़ रहे थे।
त्रिकोणीय मुकाबले में नीलकंठेश्वर पैनल की बादशाहत
वर्तमान में, चीनी मिल की सत्ता अजित पवार के नेतृत्व वाले नीलकंठेश्वर पैनल के पास है। इस बार का चुनाव त्रिकोणीय मुकाबला बन गया, जिसमें नीलकंठेश्वर पैनल के अलावा भाजपा नेता चंद्रराव टावरे के नेतृत्व वाला सहकार बचाव पैनल और शरद पवार की अगुआई में एनसीपी (एसपी) का ‘बलीराजा सहकार’ पैनल भी मैदान में थे। हालांकि, शरद पवार, जो अजित के चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं, खुद चुनावी रिंग में नहीं उतरे, लेकिन उनके समर्थन वाला पैनल जोरदार चुनौती पेश कर रहा था।
Leave a Reply