मध्य प्रदेश में शराब कारोबारियों पर ईडी का छापा

एक साथ 11 ठिकानों पर कार्रवाई
भोपाल.
मध्यप्रदेश में 49 करोड़ रुपए के आबकारी फर्जी बैंक चालान घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को सुबह अलग अलग कारोबारियों के 11 ठिकानों पर एक साथ प्रदेशभर में कार्रवाई की है। ये कार्रवाई इंदौर, जबलपुर, भोपाल और मंदसौर में चल रही है। इन पर ट्रेजरी चालान में जालसाजी और हेरफेर कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाने के आरोप हैं।

49 करोड़ का फर्जी बैंक चालान घोटाला
49 करोड़ के फर्जी बैंक चालान घोटाले का आरोप योगेंद्र जायसवाल और विजय श्रीवास्तव पर लगा है। इनके ठिकानों पर सुबह से कार्रवाई चल रही है। बताया जा रहा है कि जब संजीव दुबे आबकारी आयुक्त थे, तब यह चालान घोटाला हुआ था, वहीं चालान घोटाले में अब तक 22 करोड़ की रिकवरी हो चुकी थी।

इंदौर में छापेमारी
इंदौर में बसंत विहार कालोनी, तुलसी नगर समेत अन्य ठिकानों पर ईडी की टीम जमा है। इंदौर के तुलसी नगर में रहने वाले सुरेंद्र चौकसे के घर पर ईडी की टीम पहुंची है। फिलहाल, चौकसे के घर ए-296 पर ईडी की टीम दस्तावेजों की पड़ताल कर रही है। सुरेंद्र चौकसे आबकारी अधिकारी के पद से सेवा निवृत्त हुए हैं। सीआरपीएफ के जवान उनके बंगले के बाहर तैनात हैं। खास बात ये है कि, इस कार्रवाई से स्थानीय प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। शिकायतकर्ता राजेंद्र गुप्ता ने ईडी को साक्ष्य और बयान दिए थे। 6 मई को ईडी ने प्राथमिकी दर्ज की थी और आबकारी आयुक्त से 5 बिन्दुओं पर जानकारी मांगी गई थी, लेकिन जो ईडी को जानकारी मिली वो अधूरी थी।

मंदसौर में भी रेड
इधर, मंदसौर शहर की जनता कॉलोनी में रहने वाले शराब कारोबारी अनिल त्रिवेदी के ठिकानों पर तड़के 4 बजे ईडी की रेड पड़ी। त्रिवेदी की 10 साल साल गैंगवार में हत्या कर दी गई थी। ये पूर्व में आबकारी विभाग में पदस्थ था। हत्या मंदसौर-प्रतापगढ़ रोड पर हुई थी। शुरुआती सूचना अनुसार, दस साल पूर्व करीब 25 करोड़ रुपए के किसी लेन-देन के मामले में ईडी ने आकर परिवार के सदस्यों से पूछताछ कर रही है। इसका बेटा राजस्थान में निंबाहेड़ा-उदयपुर में रहता है।

इस आधार पर हुई जांच
ईडी ने वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान ट्रेजरी चालान में जालसाजी और हेराफेरी के जरिए सरकारी राजस्व को करोड़ों का चूना लगाने का मामला पकड़ा था। इस मामले में करीब 50 करोड़ रुपए से ज्यादा का सरकार को नुकसान पहुंचाया गया। इसके लिए अवैध रूप से शराब अधिग्रहण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हासिल की गई। इस मामले में ईडी ने शराब ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की है।

ऐसे की जाती थी जालसाजी
मामले की जांच के अनुसार, आरोपी शराब ठेकेदार छोटी-छोटी रकम के चालान तैयार कर बैंक में जमा करते थे। चालान के निर्धारित प्रारूप में ‘रुपए अंकों में’ और ‘रुपए शब्दों में’ लिखे होते थे। मूल्य अंकों में भरा जाता था, हालांकि ‘रुपए शब्दों में’ के बाद खाली जगह छोड़ दी जाती थी। धनराशि जमा करने के बाद जमाकर्ता बाद में उक्त रिक्त स्थान में बढ़ी हुई धनराशि को लाख हजार के रूप में लिख देता था। साथ ही, ऐसी बढ़ी हुई धनराशि के तथाकथित चालान की प्रतियां संबंधित देशी शराब गोदाम में या विदेशी शराब के मामले में जिला आबकारी कार्यालय में जमा कर देता था।

अवैध रूप से एनओसी बनाई
जांच में सामने आया कि इन हेराफेरी किए गए चालानों के आधार पर शराब खरीद के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी अवैध रूप से हासिल किए गए थे। इसके चलते सरकार को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। फिलहाल, इस मामले में सभी ठिकानों पर ईडी की जांच चल रही है। आगे कई बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।

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