राशन दुकानदारों का बढ़ा कमीशन

सरकार को भरोसा, पारदर्शिता बढ़ेगी
नागपुर.
महाराष्ट्र सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानदारों का कमीशन ₹150 से बढ़ाकर ₹170 प्रति क्विंटल करने का फैसला किया है। यह कदम लंबे समय से चली आ रही उनकी मांग को पूरा करता है। सरकार का यह निर्णय सराहनीय है, क्योंकि यह राशन दुकानदारों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करेगा।

जिले में 1600 से अधिक राशन दुकानें
राशन दुकानदार अपनी दुकानों को चलाने, अनाज का वितरण करने और ई-पॉस मशीनों को संभालने जैसे कई कार्य करते हैं। इसके लिए उन्हें न केवल समय और श्रम देना पड़ता है, बल्कि बिजली, किराया और रख-रखाव जैसे खर्च भी उठाने पड़ते हैं। ₹20 की यह मामूली वृद्धि इन सभी खर्चों को देखते हुए शायद ही पर्याप्त हो। नागपुर जैसे जिले में 1600 से अधिक राशन दुकानें हैं, और हर दुकानदार अपनी रोजी-रोटी के लिए इस कमीशन पर निर्भर हैं।

काम में आएगी पारदर्शिता
यह समझना जरूरी है कि कमीशन बढ़ाने का उद्देश्य केवल दुकानदारों को खुश करना नहीं, बल्कि पीडीएस की कार्यप्रणाली को मजबूत करना भी है। जब दुकानदारों को पर्याप्त कमीशन नहीं मिलता, तो भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ जाती है। वे कम अनाज तौलना, खराब गुणवत्ता का अनाज देना या लाभार्थियों को परेशान करना जैसे हथकंडे अपना सकते हैं। इसलिए, यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है कि राशन दुकानदारों को इतना कमीशन मिले, जिससे वे सम्मानजनक तरीके से अपना जीवन यापन कर सकें और भ्रष्टाचार से दूर रहें।

हितों की रक्षा जरूरी
सरकार को इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि यह अतिरिक्त ₹92.71 करोड़ का प्रावधान सही तरीके से लागू हो रहा है या नहीं। कमीशन में बढ़ोतरी एक अच्छा कदम है, लेकिन इसे व्यवस्था की दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान नहीं माना जा सकता। सरकार को इस पूरे तंत्र की समीक्षा करनी चाहिए और एक ऐसी स्थायी नीति बनानी चाहिए, जो दुकानदारों के हितों की रक्षा करे और गरीब लाभार्थियों को उनके हक का अनाज बिना किसी परेशानी के दिलाए।

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