शालार्थ आईडी घोटाले का गहरा असर
नागपुर.
‘शालार्थ आईडी’ घोटाले में माध्यमिक शिक्षणाधिकारी रोहिणी कुंभार और प्राथमिक शिक्षणाधिकारी सिद्धेश्वर कालुसे को एसआईटी ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों की गिरफ्तारी ने न केवल शिक्षा विभाग, बल्कि जिला परिषद के अन्य विभागों में भी भय का वातावरण बना दिया है। जहां नियम-कानूनों को ताक पर रखकर काम होता है, वहां अब कर्मचारियों को अपने ऊपर गाज गिरने का डर सता रहा है। कोई भी कर्मचारी इस घोटाले पर खुलकर बात करने को तैयार नहीं है, जिससे जांच प्रक्रिया और भी जटिल हो सकती है।
दो अफसरों ने 100 करोड़ से अधिक लूटा
इस घोटाले से सरकारी खजाने को 100 करोड़ रुपये का चूना लगा है, जो निजी स्वार्थ के लिए शिक्षकों के वेतन को मंजूरी देने से संबंधित है। बड़ी बात यह कि दोनों आला अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद अब कोई भी अधिकारी इन रिक्त पदों की जिम्मेदारी संभालने को तैयार नहीं है और घोटाले के संदिग्ध कर्मचारी गिरफ्तारी के डर से लंबी छुट्टी पर चले गए हैं।
और लोगों पर लटकी तलवार
जिला परिषद के शिक्षा विभाग में सन्नाटा पसरा हुआ है। इस कारण चर्चा तेज है कि यह घोटाला केवल दो अधिकारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई और लोग शामिल हो सकते हैं। शिक्षा आयुक्त द्वारा दोनों अधिकारियों को पुणे तलब किए जाने और चार महीने तक फाइलों की पड़ताल करने के बावजूद, वे खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करते रहे, लेकिन अंततः उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। सबसे बड़ा सवाल अब यह है कि बिना शिक्षणाधिकारी के जिले के शिक्षा विभाग का कामकाज कैसे चलेगा। दोनों अधिकारी पुणे में थे, तब उपशिक्षणाधिकारी निखिल भुयार और वेतन अधीक्षक गौतम गेडाम प्रभार संभल रहे थे। अब ये दोनों कतरा रहे हैं।
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