इटली की कंपनी ने चुराई कोल्हापुरी चप्पल की डिजाइन

हाई कोर्ट जाने की तैयारी, सीएम से भी हस्तक्षेप की मांग
मुंबई.
महाराष्ट्र के कारीगरों ने इतालवी लक्जरी फैशन ब्रांड ‘प्राडा’ पर प्रसिद्ध कोल्हापुरी चप्पलों के डिजाइन की ‘नकल’ करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से हस्तक्षेप की मांग की है। फैशन ब्रांड द्वारा कोल्हापुरी डिजाइन की तर्ज पर पुरुषों के लिए चप्पलें बनाने पर आपत्ति जताते हुए कारीगरों ने भौगोलिक पहचान (जीआई) अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। फैशन ब्रांड ‘प्राडा’ द्वारा 23 जून को इटली के मिलान शहर में पुरुषों के लिए स्पि्रंग/ समर कलेक्शन में कोल्हापुरी चप्पलों से मिलती-जुलती चप्पलों को पेश किए जाने पर कारीगरों ने आपत्ति जताई।

फडणवीस से की हस्तक्षेप की मांग
भाजपा के राज्यसभा सदस्य धनंजय महादिक ने कोल्हापुर में बनने वाली पारंपरिक चप्पलों को बनाने वाले कारीगरों के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री फडणवीस से मुलाकात की। उन्होंने ज्ञापन सौंपकर मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि वह इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाएं और तत्काल हस्तक्षेप करें। महादिक ने कहा, प्राडा द्वारा प्रचारित चप्पलों का पेटेंट और डिजाइन कोल्हापुरी है। इन्हें 1.7 लाख रुपये से 2.10 लाख रुपये प्रति जोड़ी के हिसाब से बेचा जा रहा है। हम चाहते हैं कि प्राडा अपने उत्पाद को कोल्हापुरी पहचान दे और स्थानीय कारीगरों को राजस्व मिले।

गोयल से मिलने का समय मांगा
अगर प्राडा हमें ऑर्डर देता है, तो हम उनके लिए चप्पलें बना सकते हैं। कोल्हापुरी ब्रांड वैश्विक स्तर पर पहुंचेगा। इससे कारीगरों को राजस्व और पहचान मिलेगी। महादिक ने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी। इस मामले पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मिलने का समय मांगा गया है।कोल्हापुरी चप्पलों को 2019 में केंद्र सरकार ने जीआइ टैग प्रदान किया था। कोल्हापुरी चप्पलों की खासियत है ब्रेडेड लेदर डिजाइन। 12वीं शताब्दी में बनी ये चप्पलें आमतौर पर कोल्हापुर और आसपास के सांगली, सतारा और सोलापुर जिलों में हाथ से बनाई जाती हैं।

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