Category: महाराष्ट्र

  • ग्यारहवीं में दाखिले के लिए ‘ओपन टू ऑल’ राउंड शुरू

    ग्यारहवीं में दाखिले के लिए ‘ओपन टू ऑल’ राउंड शुरू

    इंतजार कर रहे थे 5.5 लाख से ज्यादा विद्यार्थी
    मुंबई.
    राज्य में ग्यारहवीं कक्षा में दाखिले का इंतजार कर रहे 5.5 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों के लिए अब ‘ओपन टू ऑल’ राउंड शुरू किया गया है। जिन विद्यार्थियों ने अब तक दाखिला नहीं लिया है, वे 4 अगस्त सुबह 8 बजे से 5 अगस्त शाम 6:30 बजे तक कॉलेजों की खाली सीटों पर आवेदन कर सकते हैं। इस दौरान, पूरक परीक्षा में पास हुए नए विद्यार्थी भी रजिस्ट्रेशन कर दाखिले की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं।

    विभाग ने किया जीआर जारी
    शिक्षा निदेशक महेश पालकर ने इस संबंध में एक परिपत्रक जारी किया है, जिसमें सभी इच्छुक विद्यार्थियों को इस राउंड में शामिल होने की अनुमति दी गई है। आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, 6 अगस्त को सुबह 10 बजे कॉलेज आवंटन की तारीख के साथ विस्तृत समय सारिणी जारी की जाएगी। राज्य भर में ग्यारहवीं के लिए 9,522 कॉलेजों में 21.50 लाख से ज्यादा सीटें उपलब्ध थीं, जिनमें से 14.38 लाख विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। अब तक 8.80 लाख विद्यार्थियों का दाखिला हो चुका है।

    हालांकि, समय सारिणी को लेकर चिंता
    यह ‘ओपन टू ऑल’ राउंड उन सभी विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिन्हें पिछले चार राउंड में दाखिला नहीं मिल पाया था। हालांकि, समय सारिणी जारी होने में देरी को लेकर कुछ चिंताएं हैं, क्योंकि 11 अगस्त से ग्यारहवीं की कक्षाएं शुरू हो जाएंगी। यह देखना होगा कि क्या इस समय तक सभी विद्यार्थियों का दाखिला पूरा हो पाएगा। इस कदम से शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि कोई भी पात्र विद्यार्थी दाखिले से वंचित न रहे।

  • नकली नोट छापने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़

    नकली नोट छापने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़

    छत्रपति संभाजीनगर में चल रहा था कारोबार
    छत्रपति संभाजीनगर.
    महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में ₹500 के नकली नोट छापने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ है। अहिल्यानगर नगर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 60 लाख रुपए के नकली नोट जब्त किए हैं और इस मामले में 7 लोगों को हिरासत में भी लिया है। अहिल्यानगर तालुका पुलिस ने ये कार्रवाई छत्रपति संभाजीनगर में की है। पुलिस की कार्रवाई में 500 की करेंसी वाले 60 लाख रुपए के नकली नोट और 2 करोड़ 16 लाख रुपए के नोट छापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कागज बरामद किए हैं। इसके अलावा, 88 लाख रुपए मूल्य का अन्य सामान भी जब्त किया गया है। इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि किस तरह छोटे-छोटे लालच और अनियमितताओं के कारण बड़े-बड़े अपराधों का पर्दाफाश हो सकता है। यह मामला पुलिस की सतर्कता और एक छोटी सी सिगरेट की खरीद से सामने आया, जो दिखाता है कि अक्सर अपराध की जड़ें रोजमर्रा के व्यवहार में छिपी होती हैं।

    चतुराई से बाजार में खपा रहे थे
    यह गैंग बड़ी ही चतुराई से नकली नोटों को बाजार में खपा रहा था। ₹500 का नकली नोट देकर ₹100 की सिगरेट खरीदना और बाकी के ₹400 के असली पैसे वापस लेना, यह एक ऐसी चालाकी भरी योजना थी, जिससे वे नकली नोटों को धीरे-धीरे बाजार में फैला रहे थे। इस तरह के छोटे-छोटे लेनदेन आम तौर पर किसी का ध्यान आकर्षित नहीं करते, जिससे यह गिरोह लंबे समय तक अपनी गतिविधियों को अंजाम देता रहा।

    संगठित गिरोह का सुनियोजित ऑपरेशन
    60 लाख रुपये के नकली नोट और ₹2 करोड़ से अधिक मूल्य के विशेष कागज और अन्य उपकरण जब्त होना यह बताता है कि यह एक संगठित और बड़े पैमाने पर चलने वाला ऑपरेशन था। नकली नोटों की छपाई हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ को कमजोर करती है। यह मुद्रास्फीति को बढ़ाती है, लोगों के विश्वास को हिलाती है और देश की वित्तीय प्रणाली को अस्थिर करती है। इस तरह के गिरोहों के फलने-फूलने से काला धन और अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।

    जोड़े जा रहे हैं घटना के तार
    पुलिस द्वारा सात लोगों की गिरफ्तारी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, लेकिन इस मामले की जांच अभी भी जारी है। पुलिस को यह पता लगाना होगा कि इस गिरोह के तार कहाँ-कहाँ तक फैले हुए हैं और क्या इनका संबंध देश के बाहर से भी है। इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए हमें न केवल पुलिस की कार्रवाई को तेज करना होगा, बल्कि आम जनता को भी जागरूक करना होगा। दुकानदारों और व्यापारियों को नकली नोटों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित करना और उन्हें ऐसे मामलों की तुरंत रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है।

    सिगरेट खरीदी से हुआ पर्दाफाश
    यह घटना एक सबक है कि हमारे समाज में छोटे-छोटे अपराधों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। एक सिगरेट की खरीद ने एक बड़े अपराध का पर्दाफाश किया। यह दर्शाता है कि हमें सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस को देनी चाहिए। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपनी अर्थव्यवस्था और देश की सुरक्षा को इस तरह के आपराधिक तत्वों से बचाएं।

  • आईआईटी बॉम्बे के छात्र की संदिग्ध मौत

    आईआईटी बॉम्बे के छात्र की संदिग्ध मौत

    मानसिक दबाव में छत से कूदा
    मुंबई.
    आईआईटी बॉम्बे के 26 वर्षीय छात्र रोहित सिन्हा की हॉस्टल की छत से गिरकर हुई संदिग्ध मौत ने संस्थान और उसके छात्रों के बीच बढ़ते मानसिक दबाव के मुद्दे को एक बार फिर से सामने ला दिया है। हालांकि पुलिस ने इसे शुरुआती जांच में एक दुर्घटना माना है, और संस्थान ने भी इसे दुखद घटना बताया है, लेकिन अन्य छात्रों का आत्महत्या का दावा और घटना के आसपास के हालात कई सवाल खड़े करते हैं।

    प्रतिस्पर्धा का माहौल असहनीय
    यह घटना हमें उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति पर गंभीरता से विचार करने के लिए मजबूर करती है। आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश पाना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन वहां का अकादमिक दबाव और प्रतिस्पर्धा का माहौल कई बार छात्रों के लिए असहनीय हो जाता है। पढ़ाई का बोझ, प्लेसमेंट का तनाव और सामाजिक अलगाव की भावना छात्रों को डिप्रेशन और मानसिक समस्याओं की ओर धकेल सकती है।

    इस मौत पर सवाल
    रोहित सिन्हा की मौत के मामले में, पुलिस द्वारा ‘एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट’ दर्ज करना और कोई सुसाइड नोट न मिलना एक पहलू है, लेकिन यह भी सच है कि कई बार आत्महत्या के मामलों में भी सुसाइड नोट नहीं मिलते हैं। एक प्रत्यक्षदर्शी छात्र का दावा कि उसने रोहित को छत से कूदते हुए देखा, मामले को और भी जटिल बनाता है। संस्थान का यह दावा कि रोहित घटना के समय नशे में था, भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दे को भटकाने की कोशिश लग सकती है।

    यह घटना एक अलार्म है
    देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से एक में इस तरह की घटना का होना इस बात का संकेत है कि हम अपने छात्रों को केवल अकादमिक रूप से मजबूत बनाने पर ध्यान दे रहे हैं, उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर नहीं। संस्थानों को अपने परिसरों में मानसिक स्वास्थ्य परामर्श सेवाओं को मजबूत करना चाहिए। छात्रों को इस बात का भरोसा दिलाना चाहिए कि अगर वे किसी भी प्रकार के दबाव या समस्या का सामना कर रहे हैं, तो मदद मांगने में कोई शर्म नहीं है।

    पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ही असली खुलासा
    जब तक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक मौत की असली वजह का खुलासा नहीं होगा। लेकिन इस घटना से यह स्पष्ट है कि उच्च शिक्षा संस्थानों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखना चाहिए। रोहित सिन्हा की मौत सिर्फ एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि हमारी शिक्षा प्रणाली और सामाजिक संरचना पर एक गंभीर सवाल है, जिसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते।

  • इंडिगो फ्लाइट में यात्री को मारा थप्पड़

    इंडिगो फ्लाइट में यात्री को मारा थप्पड़

    पैनिक अटैक आने पर हुआ आक्रामक
    नागपुर.
    मुंबई-कोलकाता की इंडिगो फ्लाइट में एक यात्री को पैनिक अटैक आने पर दूसरे यात्री द्वारा थप्पड़ मारे जाने की घटना, हमारे समाज में सहानुभूति और धैर्य की कमी को दर्शाती है। यह घटना सिर्फ एक विमान के अंदर की अव्यवस्था नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि हम दूसरों के दुख या परेशानी को समझने की बजाय किस तरह से तत्काल और हिंसक प्रतिक्रिया देते हैं।

    स्थिति और भी बिगड़ सकती थी
    पीड़ित यात्री घबराहट और डर में था। ऐसी स्थिति में किसी भी इंसान को शांत करने और उसे समर्थन देने की आवश्यकता होती है, न कि थप्पड़ मारने की। यह घटना उस समय हुई जब विमान उड़ान भरने ही वाला था, जो कि कई लोगों के लिए तनावपूर्ण क्षण होता है। ऐसे में किसी यात्री का घबरा जाना असामान्य नहीं है। एक सभ्य समाज में, और विशेष रूप से सार्वजनिक स्थानों पर, हमें एक-दूसरे का सहारा बनना चाहिए। इस तरह की क्रूर प्रतिक्रिया से स्थिति और भी बिगड़ सकती थी।

    अभी भी मानवता बची है
    हालांकि, यह राहत की बात है कि विमान में मौजूद अन्य यात्रियों और क्रू मेंबर्स ने तुरंत पीड़ित की मदद की और उसे शांत किया। यह दर्शाता है कि अभी भी मानवता बची है। इंडिगो एयरलाइन ने हमलावर यात्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई का जो फैसला लिया है, वह बिल्कुल सही है। ‘अनियंत्रित यात्री नियमों’ के तहत उसे ‘नो-फ्लाई लिस्ट’ में डालना और सुरक्षा एजेंसियों को सौंपना एक जरूरी कदम है। यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और लोग अपनी मनमानी न कर सकें।

    हिंसक प्रतिक्रिया देना समाधान नहीं
    यह घटना हमें आत्म-चिंतन के लिए प्रेरित करती है। क्या हम इतने असहिष्णु हो गए हैं कि दूसरों की तकलीफ को देखकर मदद करने के बजाय उस पर हमला कर देते हैं? सामाजिक तनाव और व्यक्तिगत दबाव के इस दौर में हमें एक-दूसरे के प्रति अधिक संवेदनशील और दयालु होने की आवश्यकता है। एक व्यक्ति को पैनिक अटैक आने पर थप्पड़ मारना किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।

  • जिम में वर्कआउट करते समय मौत

    जिम में वर्कआउट करते समय मौत

    39 वर्षीय व्यक्ति को दिल का दौरा
    पुणे.
    पुणे के पिंपरी-चिंचवड़ में जिम में वर्कआउट करते समय एक 39 वर्षीय व्यक्ति की दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत ने एक बार फिर हमारी आधुनिक जीवनशैली से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को उजागर किया है। मिलिंद कुलकर्णी की यह दुखद मौत एक चेतावनी है कि फिटनेस के प्रति हमारी जागरूकता पर्याप्त नहीं है। जिम जाना, वर्कआउट करना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का प्रयास सराहनीय है, लेकिन यह भी समझना जरूरी है कि हर शरीर की अपनी सीमाएं होती हैं।

    60 से 70 प्रतिशत तक ब्लॉकेज था
    आजकल, सोशल मीडिया और फिटनेस उद्योग के प्रभाव में लोग अपनी शारीरिक क्षमता से परे जाकर कसरत करने लगते हैं। कई बार, सही मार्गदर्शन के अभाव में, वे ऐसे वर्कआउट करते हैं जो उनके दिल पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं। इस मामले में, मिलिंद कुलकर्णी एक अनुभवी जिम सदस्य थे और उन्हें किसी गंभीर बीमारी की जानकारी नहीं थी। यह तथ्य विशेष रूप से चिंताजनक है कि उनके दिल में 60 से 70 प्रतिशत तक ब्लॉकेज था, जिसका उन्हें पता ही नहीं चला। यह दर्शाता है कि नियमित शारीरिक जांच कितनी महत्वपूर्ण है।

    सेहत की चिंता पर बड़ा सवाल
    यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम वास्तव में अपनी सेहत का ध्यान रख रहे हैं, या सिर्फ बाहरी दिखावे के लिए जिम जा रहे हैं? फिटनेस का मतलब केवल शारीरिक मजबूती नहीं है, बल्कि आंतरिक स्वास्थ्य भी है। कई बार, दिल की बीमारियां बिना किसी स्पष्ट लक्षण के विकसित होती रहती हैं, और अत्यधिक शारीरिक गतिविधि उन्हें ट्रिगर कर सकती है।

    चेतावनियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते
    इस घटना के बाद, जिम संचालकों, ट्रेनरों और फिटनेस के प्रति उत्साही लोगों को कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना चाहिए। जिम में सदस्यों की नियमित स्वास्थ्य जांच को प्रोत्साहित करना, हर सदस्य की फिटनेस क्षमता का आकलन करना और उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार वर्कआउट प्लान देना अनिवार्य होना चाहिए। इसके अलावा, लोगों को यह समझना चाहिए कि वर्कआउट के दौरान शरीर के संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। चक्कर आना, सीने में दर्द, या सांस फूलना जैसे लक्षण चेतावनी हो सकते हैं।

    एक वेक-अप कॉल
    मिलिंद कुलकर्णी की असामयिक मौत एक दुखद घटना है, लेकिन यह एक वेक-अप कॉल भी है। हमें अपनी फिटनेस यात्रा को सुरक्षित और समझदारी के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। स्वस्थ रहने का मतलब खुद को चुनौती देना है, लेकिन यह सुनिश्चित करते हुए कि हम अपने शरीर की सीमाओं को पार न करें। यह घटना हमें याद दिलाती है कि स्वास्थ्य एक समग्र अवधारणा है, और इसे केवल वर्कआउट के दायरे में नहीं देखा जा सकता।

  • जेल गए अधिकारी, कौन ले जिम्मेदारी

    जेल गए अधिकारी, कौन ले जिम्मेदारी

    शालार्थ आईडी घोटाले का गहरा असर
    नागपुर.
    ‘शालार्थ आईडी’ घोटाले में माध्यमिक शिक्षणाधिकारी रोहिणी कुंभार और प्राथमिक शिक्षणाधिकारी सिद्धेश्वर कालुसे को एसआईटी ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों की गिरफ्तारी ने न केवल शिक्षा विभाग, बल्कि जिला परिषद के अन्य विभागों में भी भय का वातावरण बना दिया है। जहां नियम-कानूनों को ताक पर रखकर काम होता है, वहां अब कर्मचारियों को अपने ऊपर गाज गिरने का डर सता रहा है। कोई भी कर्मचारी इस घोटाले पर खुलकर बात करने को तैयार नहीं है, जिससे जांच प्रक्रिया और भी जटिल हो सकती है।

    दो अफसरों ने 100 करोड़ से अधिक लूटा
    इस घोटाले से सरकारी खजाने को 100 करोड़ रुपये का चूना लगा है, जो निजी स्वार्थ के लिए शिक्षकों के वेतन को मंजूरी देने से संबंधित है। बड़ी बात यह कि दोनों आला अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद अब कोई भी अधिकारी इन रिक्त पदों की जिम्मेदारी संभालने को तैयार नहीं है और घोटाले के संदिग्ध कर्मचारी गिरफ्तारी के डर से लंबी छुट्टी पर चले गए हैं।

    और लोगों पर लटकी तलवार
    जिला परिषद के शिक्षा विभाग में सन्नाटा पसरा हुआ है। इस कारण चर्चा तेज है कि यह घोटाला केवल दो अधिकारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई और लोग शामिल हो सकते हैं। शिक्षा आयुक्त द्वारा दोनों अधिकारियों को पुणे तलब किए जाने और चार महीने तक फाइलों की पड़ताल करने के बावजूद, वे खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करते रहे, लेकिन अंततः उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। सबसे बड़ा सवाल अब यह है कि बिना शिक्षणाधिकारी के जिले के शिक्षा विभाग का कामकाज कैसे चलेगा। दोनों अधिकारी पुणे में थे, तब उपशिक्षणाधिकारी निखिल भुयार और वेतन अधीक्षक गौतम गेडाम प्रभार संभल रहे थे। अब ये दोनों कतरा रहे हैं।

  • विकास की नई राह खोलेगी चौथी रेल लाइन

    विकास की नई राह खोलेगी चौथी रेल लाइन

    नागपुर-इटारसी के बीच 5,451 करोड़ की परियोजना
    नागपुर.
    नागपुर और इटारसी के बीच चौथी रेल लाइन परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंज़ूरी दे दी है, जो इस क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण विकास साबित होगी। यह परियोजना न केवल ट्रेनों की गति बढ़ाएगी बल्कि उनकी संख्या में भी वृद्धि करेगी, जिससे महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के लाखों लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। 5,451 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली यह परियोजना 297 रूट किलोमीटर और 339 ट्रैक किलोमीटर लंबी होगी।

    गति तेज होगी, ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी
    इस नई लाइन से महाराष्ट्र के नागपुर जिले और मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम, बैतूल और पंढुर्ना जिलों को सीधे फायदा होगा। यात्री और माल यातायात की तेज़ और कुशल आवाजाही सुनिश्चित होगी। इससे प्रति वर्ष 10 मिलियन टन अतिरिक्त माल के परिवहन की सुविधा मिलेगी, जिससे रसद लागत में अनुमानित 1206 करोड़ रुपये की बचत होगी। यह बचत व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देगी और समग्र आर्थिक विकास में योगदान करेगी।

    5.3 करोड़ लीटर डीजल की भी बचत
    इटारसी से नागपुर के रेलवे रूट पर मध्य प्रदेश के तीन बड़े स्टेशन आते हैं, जिनमें नर्मदापुरम रेलवे स्टेशन, बैतूल जंक्शन और पांढुर्णा रेलवे स्टेशन आता है, इसके बाद ट्रेनें महाराष्ट्र में एंट्री लेती हैं। पांढुर्णा मध्य प्रदेश का आखिरी स्टेशन होता है। ऐसे में इन तीनों स्टेशनों पर भी दवाब कम होगा। इस परियोजना के पूरा होने से हर साल 5.3 करोड़ लीटर डीजल की भी बचत होगी, जबकि सामान के ढुलाई की क्षमता बढ़ जाएगा। इटारसी और नागपुर के बीच चौथी रेल लाइन बिछने से 10 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई की क्षमता विकसित हो जाएगी, जबकि 206 करोड़ रुपए की लॉजिस्टिक्स लागत में बचत संभावित होगी।

    व्यापार आसान होगा
    सबसे बड़ा और अहम फायदा व्यापार में होगा, क्योंकि चौथी रेलवे लाइन बिछने से जल्द से जल्द ट्रेनों को क्लीयरंस मिलेगा, जिससे आसानी से मालगाड़ियां निकल सकेंगी। वैसे भी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के बीच कई चीजों का व्यापार ज्यादा होता है। ऐसे में इटारसी और नागपुर के बीच चौथी रेलवे लाइन का इंतजार लंबे समय से किया जा रहा था, जो अब पूरा होने वाला है।

  • पुणे में हिंसक झड़प, भारी पथराव, लाठीचार्ज

    पुणे में हिंसक झड़प, भारी पथराव, लाठीचार्ज

    आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर यवत में भारी बवाल
    पुणे.
    महाराष्ट्र में पुणे जिले के दौंड तालुका स्थित यवत में दो गुटों के बीच तनाव पैदा हो गया है। दोनों गुटों के बीच झड़प और पथराव हुआ है। भीड़ ने दोपहिया वाहनों में आग लगा दी है। एक आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर तनाव पैदा हुआ। पुलिस ने तनाव नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया।

    ‘फेसबुक’ पर एक आपत्तिजनक पोस्ट
    चार दिन पहले छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के अपमान के कारण तनाव पैदा हो गया था। इसके कारण यवत और दौंड तालुका में बंद का आह्वान किया गया था। इसी बीच बीजेपी नेता गोपीचंद पडलकर, संग्राम जगताप और किन्नर अखाड़ा प्रमुख जगद्गुरु स्वामी हेमांगी सखीजी कल उस जगह पर आए और भाषण दिए। उनके लौटते ही आज सुबह यवत में दंगे भड़क उठे। ‘फेसबुक’ पर एक पोस्ट के कारण तनाव पैदा हो गया। आज सुबह भीड़ ने बाज़ार बंद करा दिया और कुछ घरों, बेकरी और धार्मिक स्थलों पर हमला कर दिया। कुछ दुकानों और घरों में आग लगा दी गई। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और दंगा नियंत्रण दल घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने आंसू गैस के गोले दागे और भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की। इस घटना के बाद यवत में तनावपूर्ण शांति है।

    आरोपी अरेस्ट, इलाके में कर्फ्यू लगा
    छवि खराब करने के मामले में पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर तुरंत गिरफ्तार भी कर लिया, लेकिन उसके बाद भी इलाके में माहौल तनावपूर्ण बना रहा। पुलिस ने स्थिति पर नियंत्रण कर लिया है और इलाके में कर्फ्यू लगा दिया है। आज यवत में साप्ताहिक बाजार लगता है। लेकिन तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए बाजार में भीड़ नहीं है। दौंड विधायक राहुल कुल ने स्थानीय लोगों से धैर्य रखने और शांति बनाए रखने की अपील की है। पुलिस की ओर से स्थिति को नियंत्रण में लाने के प्रयास जारी हैं। विधायक कुल ने कहा कि ये प्रयास सफल भी हो रहे हैं।

  • ईवीएम सौ टक्का खरा, शक-शुबहा सब खत्म

    ईवीएम सौ टक्का खरा, शक-शुबहा सब खत्म

    चुनाव आयोग ने सबके सामने दिखा दिया रिजल्ट
    मुंबई.
    लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी से लेकर महाराष्ट्र में तमाम विपक्षी दल विधानसभा चुनावों के बाद से ईवीएम पर सवाल खड़े कर रहे हैं लेकिन ईवीएम ताजा सत्यापन परीक्षा में एकदम खरी निकली हैं। 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में हारने वाले उम्मीदवारों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) यूनिट के बीच सत्यापन की मांग की थी। कुछ शिकायतों में मेमोरी या माइक्रो-कंट्रोलर की जांच और सत्यापन की मांग की गई थी। चुनाव आयोग के लाइव टेस्ट में ईवीएम 100 फीसदी खरी साबित हुई हैं। चुनाव आयोग ईवीएम के टेस्ट के बाद कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में छेड़छाड़ असंभव है, यह ताजा निरीक्षण ने फिर से साबित कर दिया है।

    शिकायतकर्ताओं की मौजूदगी में टेस्ट
    चुनाव आयोग के अनुसार ईवीएम की गिनती और वीवीपीएटी पर्चियों के बीच कोई अंतर नहीं पाया गया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि महाराष्ट्र के 10 विधानसभा क्षेत्रों (एसी) में किए गए सी एंड वी अभ्यास के परिणाम एक बार फिर साबित करते हैं कि ईवीएम छेड़छाड़-रहित हैं। चुनाव आयोग के अनुसार महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को आठ आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें एसी कोपरी-पचपखड़ी, ठाणे, पैनल, अलीबाग, खडकवासला, अरनी, येवला, चांदगढ़, कोल्हापुर उत्तर और माजलगांव में ईवीएम/वीवीपीएटी की जली हुई मेमोरी या माइक्रोचिप के सत्यापन की मांग की गई थी। दो अन्य आवेदक उम्मीदवारों ने इसमें शामिल नहीं होने का फैसला किया। चुनाव आयोग ने आवेदक उम्मीदवारों के अनुरोध पर, कोपरी-पचपखड़ी, ठाणे, खडकवासला और माजलगांव विधानसभा क्षेत्रों में ईवीएम के तीन सेटों में बर्न मेमोरी की पुष्टि के लिए डायग्नोस्टिक टेस्ट किया गया। ईवीएम में मॉक पोल के बाद वोटों का मिलान वीवीपैट की पर्चियों से किया गया। इसमें सब कुछ सही निकला।

    कांग्रेस ने उठाए थे कई सवाल
    आयोग के 17 जून, 2025 के निर्देशों के अनुसार महाराष्ट्र के राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस चोकालिंगम ने 10 उम्मीदवारों के अनुरोध पर 10 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता इकाइयों (बीयू), नियंत्रण इकाइयों (सीयू) और वीवीपैट का निरीक्षण किया। पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार का स्वाद चखने के बाद कांग्रेस ने बार-बार आरोप लगाया है कि राज्य की मतदाता सूची में मनमाने ढंग से नाम जोड़ने और हटाने तथा शाम पांच बजे के बाद मतदान में हुई अप्रत्याशित वृद्धि के कारण नतीजे भाजपा के पक्ष में गए। सभी परीक्षणों में मशीनों को ठीक से काम करने का प्रमाण पत्र मिला। चुनाव आयोग ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि ईवीएम से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। इसलिए परिणामों पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है।

  • शिंदे सेना की बड़ी चुनावी तैयारी, फर्जी मतदाताओं पर पैनी नजर

    शिंदे सेना की बड़ी चुनावी तैयारी, फर्जी मतदाताओं पर पैनी नजर

    “मेगा प्लान” पर काम कर रही है पार्टी
    नागपुर.
    नागपुर में आगामी निकाय चुनावों की तैयारियों के बीच, शिवसेना (शिंदे) ने मतदाता सूची पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए एक “मेगा प्लान” पर काम करना शुरू कर दिया है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अक्सर मतदान और मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप लगाते रहते हैं। सत्ताधारी दल होने के बावजूद, शिवसेना शिंदे की यह सक्रियता दर्शाती है कि वे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और अपनी चुनावी संभावनाओं को लेकर कितने गंभीर हैं।

    बूथ स्तर पर प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की टीम होगी
    पार्टी का मुख्य लक्ष्य बूथ स्तर पर प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की एक टीम तैयार करना है। इन टीमों का काम मतदाता पंजीकरण से संबंधित बाधाओं को दूर करना और ‘बोगस मतदान’ की संभावना को रोकना होगा। यह एक महत्वपूर्ण पहल है, क्योंकि एक सटीक और अपडेटेड मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव की नींव होती है। मुंबई से शिवसेना शिंदे की एक टीम, जिसमें युवा सेना के कार्यकारी अध्यक्ष पूर्वेश सरनाइक और अन्य पदाधिकारी शामिल होंगे, नागपुर आकर विशेष प्रशिक्षण अभियान को गति देगी। इस अभियान में नगर निगम, ज़िला परिषद, नगर परिषद और अन्य स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों को भी अहम ज़िम्मेदारी दी जाएगी, जो उनके लिए एक तरह का चुनावी प्रशिक्षण भी होगा।

    विशेष ऐप लांच किया जाएगा
    इस पहल का एक और अभिनव पहलू मतदाता सूची से संबंधित एक विशेष ऐप का विकास है। इस ऐप को जल्द ही नागपुर में लॉन्च किया जाएगा और यह नए मतदाता पंजीकरण, मृत मतदाताओं की जानकारी, मतदान प्रक्रिया और यहां तक कि मतदान संख्या की जानकारी भी प्रदान करेगा। यह डिजिटल पहल मतदाता प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता लाने में सहायक हो सकती है। युवा सेना का विस्तार भी इसी सप्ताह होने की उम्मीद है, जिसके बाद मतदाता सूची निगरानी कार्य को और गति मिलेगी। इसके लिए शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में कंप्यूटराइज्ड कार्यालय भी खोले जाएंगे।

    मतदाता सूची की शुचिता पर ध्यान
    शिवसेना शिंदे के संगठक (विदर्भ) किरण पांडव के अनुसार, यह अभियान संगठन की सदस्यता बढ़ाने और मतदाता सूची को पारदर्शी रखने सहित चुनाव की व्यापक तैयारी का हिस्सा है। पार्टी आधार को मतदाता से जोड़ने की मांग भी कर रही है, जो मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। कुल मिलाकर, शिवसेना शिंदे की यह रणनीति न केवल चुनावी तैयारियों का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक, मतदाता सूची की शुचिता को बनाए रखने के लिए तकनीकी और संगठनात्मक दोनों स्तरों पर गंभीर प्रयास कर रहे हैं।