इंडिगो फ्लाइट में यात्री को मारा थप्पड़

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Passenger slapped in Indigo flight

पैनिक अटैक आने पर हुआ आक्रामक
नागपुर.
मुंबई-कोलकाता की इंडिगो फ्लाइट में एक यात्री को पैनिक अटैक आने पर दूसरे यात्री द्वारा थप्पड़ मारे जाने की घटना, हमारे समाज में सहानुभूति और धैर्य की कमी को दर्शाती है। यह घटना सिर्फ एक विमान के अंदर की अव्यवस्था नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि हम दूसरों के दुख या परेशानी को समझने की बजाय किस तरह से तत्काल और हिंसक प्रतिक्रिया देते हैं।

स्थिति और भी बिगड़ सकती थी
पीड़ित यात्री घबराहट और डर में था। ऐसी स्थिति में किसी भी इंसान को शांत करने और उसे समर्थन देने की आवश्यकता होती है, न कि थप्पड़ मारने की। यह घटना उस समय हुई जब विमान उड़ान भरने ही वाला था, जो कि कई लोगों के लिए तनावपूर्ण क्षण होता है। ऐसे में किसी यात्री का घबरा जाना असामान्य नहीं है। एक सभ्य समाज में, और विशेष रूप से सार्वजनिक स्थानों पर, हमें एक-दूसरे का सहारा बनना चाहिए। इस तरह की क्रूर प्रतिक्रिया से स्थिति और भी बिगड़ सकती थी।

अभी भी मानवता बची है
हालांकि, यह राहत की बात है कि विमान में मौजूद अन्य यात्रियों और क्रू मेंबर्स ने तुरंत पीड़ित की मदद की और उसे शांत किया। यह दर्शाता है कि अभी भी मानवता बची है। इंडिगो एयरलाइन ने हमलावर यात्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई का जो फैसला लिया है, वह बिल्कुल सही है। ‘अनियंत्रित यात्री नियमों’ के तहत उसे ‘नो-फ्लाई लिस्ट’ में डालना और सुरक्षा एजेंसियों को सौंपना एक जरूरी कदम है। यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और लोग अपनी मनमानी न कर सकें।

हिंसक प्रतिक्रिया देना समाधान नहीं
यह घटना हमें आत्म-चिंतन के लिए प्रेरित करती है। क्या हम इतने असहिष्णु हो गए हैं कि दूसरों की तकलीफ को देखकर मदद करने के बजाय उस पर हमला कर देते हैं? सामाजिक तनाव और व्यक्तिगत दबाव के इस दौर में हमें एक-दूसरे के प्रति अधिक संवेदनशील और दयालु होने की आवश्यकता है। एक व्यक्ति को पैनिक अटैक आने पर थप्पड़ मारना किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।

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