Author: WH News Desk

  • पुलिस मुख्यालय में छापा

    पुलिस मुख्यालय में छापा

    एसीबी ने रिश्वतखोर पुलिस अधिकारी और सहयोगी को दबोचा
    नागपुर.
    नागपुर के पुलिस आयुक्तालय में भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग (एसीबी) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एक पुलिस उपनिरीक्षक गणेश गोविंद राऊत (51) और उसके सहयोगी चंद्रशेखर दामोधर घागरे (50) के खिलाफ सदर थाने में केस दर्ज किया है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने एक शिकायतकर्ता से 2 लाख रुपये की रिश्वत मांगी, ताकि उसकी चार्जशीट को कमजोर किया जा सके। यह घटना पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बनी हुई है।

    यह है पूरा मामला
    यह मामला तब सामने आया, जब एक शिकायतकर्ता ने एसीबी से संपर्क किया। शिकायतकर्ता के खिलाफ 14 मई 2025 को वाठोड़ा थाने में आर्थिक धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज हुआ था। क्राइम ब्रांच की आर्थिक विंग में कार्यरत आरोपी राऊत और घागरे को इस मामले की जांच सौंपी गई थी। शिकायतकर्ता को 15 मई को गिरफ्तार किया गया और 18 मई को जेल भेज दिया गया। 29 मई को जमानत पर बाहर आने के बाद, उसे हर सोमवार आर्थिक विंग में हाजिरी देनी पड़ती थी। इसी दौरान, आरोपी अधिकारियों ने उससे चार्जशीट कमजोर करने के लिए 2 लाख रुपये की मांग की और उसे बार-बार धमकाया। शिकायत के बाद, एसीबी ने जाल बिछाकर पुलिस भवन में छापा मारा। हालांकि, पकड़े जाने के डर से आरोपियों ने रिश्वत की रकम लेने से इनकार कर दिया और उसे फेंक दिया। एसीबी ने सबूतों के आधार पर दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

    पुलिस की साख पर सवाल
    यह घटना दर्शाती है कि पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं। जिस विभाग पर कानून-व्यवस्था और न्याय की रक्षा की जिम्मेदारी है, उसी के अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। यह घटना जनता के बीच पुलिस की विश्वसनीयता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई न केवल दोषियों को सबक सिखाएगी, बल्कि विभाग में शुचिता और ईमानदारी बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।

  • ‘तीसरे’ की आहट, राज से मिले बच्चू कडू

    ‘तीसरे’ की आहट, राज से मिले बच्चू कडू

    उद्धव ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा के बीच अहम बैठक
    मुंबई.
    प्रहार जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष व महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात की। यह मुलाकात मुंबई स्थित शिवतीर्थ में स्थित राज ठाकरे के आवास पर हुई। दोनों के बीच हुई मुलाकात पर महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा तेज होने लगी है कि दोनों नेता मुंबई बीएमसी चुनाव में एक साथ आ सकते हैं। हालांकि दोनों नेताओं की मुलाकात पर मनसे नेता बाला नंदगांवकर ने बताया कि यह मुलाकात चुनावी नहीं थी। वह राज ठाकरे से मिलने आए थे और उन्होंने दो मुख्य मुद्दों पर चर्चा की।

    चर्चा पर दी सफाई
    राज ठाकरे के करीबी सहयोगी बाला नंदगांवकर ने स्पष्ट किया कि बच्चू कडू और ठाकरे की मुलाकात में किसानों और दिव्यांगों के मुद्दों पर चर्चा हुई है, न कि यह बीएमसी चुनाव के लिए कोई रणनीतिक मुलाकात थी। उन्होंने कहा कि वह पहले से ही कर्जमाफी के लिए आंदोलन चला रहे हैं और हमने उस लड़ाई में उनका पूरा समर्थन किया था। मैं खुद भी उनकी पदयात्रा में शामिल हुआ था। मराठवाड़ा में उनकी पदयात्रा शुरू होने वाली है। इस पदयात्रा में राज ठाकरे को शामिल होना चाहिए, ऐसा उन्होंने अनुरोध किया है।

    हर बात को चुनाव से न जोड़ें
    बीएमसी चुनाव में मनसे और उनके संगठन के एक साथ आने पर उन्होंने कहा कि हर बात को चुनाव से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। चुनाव आएंगे और जाएंगे, जहां तक किसानों, कामगारों की बात है या फिर किसी की भी समस्या हो, हमारे लिए वह पहले महत्वपूर्ण है। हालांकि, दोनों नेताओं के बीएमसी चुनाव में साथ आने पर उन्होंने कहा कि जब चुनाव आएंगे तो देखा जाएगा।

    किसान आत्महत्या का किया उल्लेख
    इससे पहले बच्चू कडू ने कहा था कि हर दिन ऐसा नहीं होता कि कोई किसान आत्महत्या करने से बचता है। हम चाहते हैं कि इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल एकजुट हों और मिलकर इसका समाधान खोजें। यह आंदोलन चुनाव से जुड़ा नहीं है, बल्कि किसानों और देश के भविष्य के लिए है। अब राज ठाकरे ने इस गंभीर मुद्दे पर विचार करने का आश्वासन दिया और कहा कि वे इस पर अन्य नेताओं से चर्चा करेंगे और एक विशेष बैठक बुलाकर आगे की रणनीति पर फैसला लेंगे। मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है। यदि यहां एक दिन की बंदी होती है, तो पूरे देश को बड़ा संदेश जाएगा।

    पारिवारिक मिलन पर फिलहाल चुप्पी
    राज ठाकरे और बच्चू कडू की यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब महाराष्ट्र में आगामी निकाय चुनावों को लेकर राज और उद्धव ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा जोरों पर है। बीते कुछ महीनों में दोनों भाइयों के बीच रिश्तों में आई गर्मजोशी साफ देखी गई है। हिंदी भाषा पढ़ाने से जुड़े शासन निर्णय (जीआर) को वापस लिए जाने के बाद दोनों लगभग 20 साल बाद एक ही मंच पर नजर आए थे। इसके कुछ दिनों बाद राज ठाकरे ने मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और उन्हें शुभकामनाएं दी थीं, जिससे दोनों के रिश्तों में बढ़ती नजदीकियों की पुष्टि हुई।

  • नागपुर में अब 39 पुलिस थाने

    नागपुर में अब 39 पुलिस थाने

    शहर की सुरक्षा को मिलेगी नई दिशा
    नागपुर.
    नागपुर शहर में अब 39 पुलिस थाने होंगे। सरकार ने चार नए पुलिस थानों को खोलने की मंजूरी दे दी है। यह फैसला शहर के लगातार बढ़ते भौगोलिक दायरे और सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए लिया गया है।

    सुरक्षा व्यवस्था में होगा सुधार
    नए थानों की जरूरत इसलिए महसूस हुई, क्योंकि एक ही थाने के अंतर्गत बड़े क्षेत्रों को संभालना पुलिसकर्मियों के लिए मुश्किल होता जा रहा था। इससे न सिर्फ उन पर काम का बोझ बढ़ रहा था, बल्कि अपराधों की रोकथाम और त्वरित कार्रवाई में भी देरी हो रही थी। इस कदम से पुलिस की पहुंच और प्रतिक्रिया समय में काफी सुधार होने की उम्मीद है।

    ये हैं चार नए थाने:
    -पिपला थाना: हुडकेश्वर थाने के विभाजन से बनेगा।
    -कलमना गाँव थाना: कलमना थाने का बोझ कम होगा।
    -कान्होलीबारा थाना: हिंगना थाने के बड़े क्षेत्र को संभालना आसान होगा।
    -भिलगाँव थाना: यशोधरानगर थाने के भार को कम करने के लिए।

    15 करोड़ से अधिक का बजट आवंटित
    इन नए थानों को शुरू करने के लिए 269 नए पुलिसकर्मियों की भर्ती और 15 करोड़ से अधिक का बजट आवंटित किया गया है। यह दर्शाता है कि सरकार इस योजना को लेकर गंभीर है. इससे पुलिसकर्मी अपने-अपने क्षेत्रों पर बेहतर ढंग से ध्यान केंद्रित कर पाएंगे, जिससे अपराध की रोकथाम, त्वरित जांच और जनता के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने में मदद मिलेगी।

    खापरखेड़ा थाना बेहद जरूरी था
    इसके अलावा, खापरखेड़ा थाने को शहर पुलिस आयुक्तालय में शामिल करने का निर्णय भी दूरदर्शितापूर्ण है। चिंचोली में नई सेंट्रल जेल के खुलने के बाद यह कदम बेहद जरूरी था. अब कैदियों को न्यायालय ले जाने के लिए लंबी प्रशासनिक प्रक्रियाओं से छुटकारा मिलेगा, जिससे समय की बचत होगी और कार्यक्षमता बढ़ेगी। यह सभी फैसले नागपुर को एक सुरक्षित और विकसित शहर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगे।

  • नकली नोट खपाने वाले गिरोह का भंडाफोड़

    नकली नोट खपाने वाले गिरोह का भंडाफोड़

    एक संगठित अपराध का संकेत
    नागपुर.
    नागपुर में नकली नोटों का कारोबार एक बार फिर सुर्खियों में है। तहसील पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई में दो लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से सवा लाख रुपए से ज्यादा के नकली नोट बरामद किए हैं। गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी, पश्चिम बंगाल के मालदा के रहने वाले हैं। पुलिस के अनुसार, उनके पास से 500 रुपये के 243 नकली नोट जब्त किए गए, जिनका कुल मूल्य 1 लाख 21 हजार 500 रुपए है। आरोपियों ने पूछताछ में दावा किया कि ये नोट उन्हें ट्रेन में मिले थे, लेकिन पुलिस उनके बयान से संतुष्ट नहीं है

    इन्होंने की कार्रवाई
    पुलिस आयुक्त रवींद्र कुमार सिंगल और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में, तहसील पुलिस की टीम ने खुफिया जानकारी के आधार पर आरोपियों को गश्त के दौरान पकड़ा। हालांकि, केवल गिरफ्तारी ही काफी नहीं है। इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश करना और इसके स्रोत तक पहुंचना जरूरी है। साथ ही, आम जनता को भी नकली और असली नोटों के बीच का अंतर पहचानने के लिए जागरूक करना चाहिए, ताकि वे ऐसे धोखाधड़ी का शिकार न हों।

    नागपुर फिर बना ठिकाना
    यह कोई पहली बार नहीं है जब नागपुर में नकली नोटों का मामला सामने आया है। पिछले कुछ सालों में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जो बताती हैं कि शहर अब नकली नोटों के कारोबार का एक नया ठिकाना बन रहा है। ये गिरोह छोटे व्यापारियों और आम लोगों को निशाना बनाते हैं, जिससे न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि गैरकानूनी गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलता है।

  • भागवत का गूढ़-संदेश… मुंडों के ढेर लग गए, लेकिन धर्म नहीं छोड़ा

    भागवत का गूढ़-संदेश… मुंडों के ढेर लग गए, लेकिन धर्म नहीं छोड़ा

    विविधताओं को स्वीकार करना ही सही मायनों में मानवता
    नागपुर.
    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि देश में कई लोगों ने धर्म के लिए बलिदान दिये हैं। सिर कट गए, मुंडों के ढेर लग गए, लेकिन धर्म नहीं छोड़ा। हिंदू धर्म तो मानव धर्म का पालन करता है। यह सिर्फ एक धार्मिक कथन नहीं, बल्कि एक सामाजिक और दार्शनिक विचार है, जो बताता है कि निराशा और संकट के समय भी लोग अपने मूल सिद्धांतों से क्यों और कैसे जुड़े रहते हैं।

    धर्म को पारिभाषित किया
    भागवत ने कहा है कि निराशा व्यक्ति को धर्म के मार्ग से विचलित कर देती है। जीवन में जब हमें दिशा नहीं मिलती, तो हम भटक जाते हैं। यही कारण है कि आज की दुनिया में संघर्ष और पर्यावरण असंतुलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. उनका मानना है कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए हिंदू धर्म के सिद्धांतों को समझना और अपनाना ज़रूरी है, क्योंकि यह धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है जो समाज को संतुलित और शांतिपूर्ण बनाता है।

    छत्रपति शिवाजी महाराज को किया उद्धृत
    धैर्य और कर्तव्यनिष्ठा पर जोर देते हुए उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों का उदाहरण देकर यह सिद्ध किया कि सच्ची धर्मनिष्ठा वही है, जो संकटों के सामने डगमगाती नहीं, बल्कि बल और बुद्धि से उनका सामना करती है। धर्म हमें न सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास भी कराता है। खासकर एक ऐसे समय में बहुत महत्वपूर्ण है, जब दुनिया दिशाहीनता से जूझ रही है.

    ये थे उपस्थित
    कई मामलों में अलग होने के बाद भी एकजुटता के साथ जिया जा सकता है। विविधताओं को स्वीकार करना ही सच्चा धर्म है। देव ही नहीं, समाज के लिए धर्म काम करता है। भारत में विचारों के मार्ग अलग हो सकते हैं, लेकिन गंतव्य समान है। विश्व को दिशा देने वाला आदर्श स्थापित करने की जिम्मेदारी भारत की है। वे एक लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम में भैयाजी जोशी अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य आरएएस, दीपक तामशेट्टीवार विदर्भ प्रांत संघचालक, श्रीधर गाडगे सह प्रांत संघचालक, राजेश लोया महानगर संघचालक, शरद ढोले धर्मजागरण गतिविधि के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य, विजय कैथे अध्यक्ष धर्मजागरण न्यास उपस्थित थे।

    फिल्म छावा का किया उल्लेख
    छावा फिल्म का जिक्र करते हुए सरसंघचालक भागवत ने कहा कि ध्येय के सारथी लोग संकट से नहीं हारते हैं। भारतीय इतिहास में धर्मरक्षा के लिए काफी संघर्ष हुआ है। जिसमें पुरुषार्थ होता है। वह कभी न थकते हुए धर्म का काम करता है। धर्म अच्छा होगा तो समाज भी अच्छा होगा। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन में संकट आए, लेकिन उन्होंने बल, बुद्धि से संकट को दूर किया। धर्म के लिए कई लोगों ने बलिदान दिया है।

  • पूर्व विधायक को सजा, न्याय की जीत

    पूर्व विधायक को सजा, न्याय की जीत

    कानून से ऊपर कोई नहीं
    नागपुर.
    पूर्व विधायक को जिला न्यायालय द्वारा एक साल के कारावास की सजा सुनाया जाना, यह साबित करता है कि कानून की नजर में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है। पुलिस के साथ मारपीट और शासकीय कार्य में बाधा डालने के मामले में आरोपी कन्नड़ के पूर्व विधायक हर्षवर्धन जाधव को जिला न्यायालय ने एक साल का कारावास और बीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जिला न्यायाधीश आर. जे. राय ने बुधवार को यह फैसला सुनाया।

    यह आरोप लगे थे
    शिकायत के अनुसार, 6 दिसंबर 2014 को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की नागपुर के होटल प्राइड में पार्टी नेताओं के साथ बैठक चल रही थी, तभी जाधव ने बैठक कक्ष में प्रवेश करने की कोशिश की। विशेष सुरक्षा दस्ते के पुलिस निरीक्षक पराग जाधव ने उन्हें कक्ष में जाने से रोका। इस पर हर्षवर्धन जाधव ने पुलिस निरीक्षक पराग जाधव को थप्पड़ मार दिया। इस घटना के बाद सोनेगांव पुलिस ने जाधव के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने और मारपीट का मामला दर्ज किया।

    इस निष्कर्ष पर पहुंचा कोर्ट
    इस मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार अनुपस्थित रहने के कारण न्यायालय ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था। 17 फरवरी को जाधव के न्यायालय में पेश होने के बाद उन्हें कारागृह भेज दिया गया था। लेकिन बाद में कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा किया था। इस मामले में सभी पक्षों और गवाहों के बयान दर्ज करने के बाद न्यायालय ने बुधवार इस मामले का फैसला सुनाया, जिसमें हर्षवर्धन जाधव को दोषी पाया गया।

    न्याय में विश्वास हुआ पुख्ता
    इस तरह की घटनाएं अक्सर राजनीतिक नेताओं द्वारा की जाती हैं, जब वे अपने पद और शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। ऐसे मामलों में अक्सर देखा गया है कि प्रभावशाली लोग कानून के शिकंजे से बच निकलते हैं, लेकिन इस मामले में न्यायालय ने यह सुनिश्चित किया कि न्याय की जीत हो। न्यायालय ने जाधव को भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और धारा 332 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत दोषी ठहराया है। इस मामले में सजा सुनाए जाने में भले ही काफी समय लगा हो, लेकिन यह अंततः न्याय की जीत है। बार-बार अनुपस्थित रहने के कारण उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया था, जो यह दर्शाता है कि न्यायालय ने इस मामले को कितनी गंभीरता से लिया।

  • प्रिंसिपल ने कर दिया घोटाला, छात्रों का पैसा हजम

    प्रिंसिपल ने कर दिया घोटाला, छात्रों का पैसा हजम

    सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण
    नागपुर.
    वर्धा रोड स्थित एक निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था में प्राचार्य द्वारा किए गए 40 लाख रुपए से अधिक के घोटाले ने एक बार फिर शिक्षा और प्रशासनिक तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। इस घटना में, विद्यार्थियों से ली गई फीस को संस्थान के खाते में जमा करने के बजाय, प्राचार्य ने अपने निजी खाते में जमा करके गबन किया। यह एक गंभीर अपराध है जो न केवल वित्तीय धोखाधड़ी है, बल्कि यह उन छात्रों और उनके परिवारों के साथ विश्वासघात भी है, जिन्होंने अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पैसे खर्च किए थे।

    रिकार्ड खंगालने पर खुली पोल
    वर्धा रोड स्थित डोंगरगांव में मेघसाई निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था है। कपिल मोरेश्वर मानकर (32) गुट निदेशक बतौर प्राचार्य हैं। 8 जुलाई 2023 से 7 मार्च 2025 के बीच संस्था में अध्ययनरत विद्यार्थियों से शुल्क के रूप से वसूले गए 40 लाख 45 हजार 200 रुपए प्राचार्य ने संस्था के खाते में जमा करने के बजाय खुद के निजी बैंक खाते में जमा किए और उक्त रकम का गबन किया। हालांकि विद्यार्थियों को उनका शुल्क संस्था में जमा होने की रसीद दी गई थी। संस्था के ऑडिट रिपोर्ट में प्राचार्य का घोटाला उजागर हुआ। इसके लिए संस्था का रिकार्ड खंगाला गया था।

    जांच समिति का हुआ गठन
    संस्था ने प्राचार्य के खिलाफ जांच समिति गठित की थी। उसमें लाखों रुपए गबन करने का खुलासा होने के बाद भी वह घोटाले से इनकार करते रहा। रकम भी वापस करने से इनकार कर दिया। आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। इस बीच गांधी नगर हिंगना निवासी संस्था संचालक शिकायतकर्ता सूरज मेघराज ताजने (53) ने जांच समिति की रिपोर्ट पुलिस को सौंपी। पुलिस की जांच-पड़ताल में भी घोटाले की पुष्टि हो गई। इसके बाद पुलिस ने संबंधित बैंक से पत्र व्यवहार किया और प्राचार्य के खाते का बैंक डिटेल्स मांगा। शिकायत के आधार पर हिंगना थाने में प्रकरण दर्ज किया गया है। जांच जारी है।

    रिपोर्ट में सामने आई सच्चाई
    इस घटना की गंभीरता इस बात से और भी बढ़ जाती है कि यह एक शैक्षणिक संस्थान में हुई है, जहाँ नैतिकता और ईमानदारी की उम्मीद की जाती है। यह घोटाला तब सामने आया जब संस्थान की ऑडिट रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताएं उजागर हुईं। यह दर्शाता है कि आंतरिक नियंत्रण और ऑडिट की प्रक्रिया सही ढंग से काम कर रही थी, लेकिन सवाल यह है कि यह घोटाला इतने समय तक चला कैसे?

    दो साल तक करता रहा खेल
    प्रिंसिपल कपिल मोरेश्वर मानकर ने 8 जुलाई 2023 से 7 मार्च 2025 के बीच यह घोटाला किया, जिसका मतलब है कि यह लगभग दो साल तक चलता रहा। इस दौरान न तो संस्थान के प्रबंधन को इसकी भनक लगी और न ही छात्रों को। छात्रों को रसीदें दी जाती रहीं, लेकिन पैसा संस्थान के खाते में नहीं गया। यह उस विश्वास को तोड़ता है जो छात्र और उनके अभिभावक संस्थान पर करते हैं।

    धोखाधड़ी का मामला दर्ज
    पुलिस द्वारा जांच की पुष्टि के बाद अब प्राचार्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई सही दिशा में एक कदम है, लेकिन इस मामले की तह तक जाना जरूरी है। सरकार को ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए और अधिक सख्त नियम बनाने चाहिए और ऑडिट प्रक्रिया को और भी मजबूत बनाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में कोई भी शिक्षा के नाम पर धोखाधड़ी न कर सके और हमारे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो।

  • स्वच्छता रैंकिंग में सुधार, फिर भी सवाल

    स्वच्छता रैंकिंग में सुधार, फिर भी सवाल

    एक अच्छी शुरुआत, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है
    नागपुर.
    नागपुर महानगरपालिका के लिए यह एक अच्छी खबर है कि स्वच्छता रैंकिंग में उसकी स्थिति सुधरी है। केंद्र सरकार ने मनपा की आपत्तियों को स्वीकार करते हुए उसकी रैंकिंग में सुधार किया है और अब नागपुर को 22-ए स्थान मिला है। यह सुधार मनपा प्रशासन के प्रयासों और शहरवासियों के लिए एक राहत है, लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि यह केवल एक शुरुआत है, और अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।

    कमियों को स्वीकार करने का परिणाम
    पहले जारी की गई रैंकिंग में नागपुर को 27वां स्थान मिला था, जिसके मुख्य कारण थे- डोर-टू-डोर कचरा संकलन में कम अंक (30%) और कचरा अलगीकरण में बेहद कम अंक (1%)। मनपा की आपत्ति के बाद इन दोनों श्रेणियों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिससे शहर की रैंकिंग ऊपर आई है। यह साबित करता है कि अगर प्रशासन अपनी कमियों को स्वीकार करता है और उनमें सुधार के लिए प्रयास करता है, तो सकारात्मक परिणाम निश्चित रूप से मिलते हैं।

    कचरा संकलन कंपनियों पर नजर जरूरी
    मनपा आयुक्त डॉ. अभिजीत चौधरी और अतिरिक्त आयुक्त वसुमना पंत के नेतृत्व में शुरू किए गए विभिन्न जनोपयोगी उपक्रम जैसे ‘एक तारीख एक घंटा’, ‘स्वच्छ मोहल्ला स्पर्धा’, और स्कूलों में जनजागृति अभियान सराहनीय हैं। इन प्रयासों से शहर में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी है। लेकिन, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह रैंकिंग हमें एक आईना दिखाती है, जिसमें हमारी कमियां भी उजागर होती हैं। कचरा प्रबंधन की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि मनपा को कचरा प्रक्रिया में 100% से घटकर 60% अंक मिले हैं, जो एक चिंता का विषय है। इसके अलावा, कचरा संकलन करने वाली कंपनियों की लापरवाही पर भी ध्यान देने की जरूरत है, जैसा कि हाल ही में उजागर हुआ है।

    रैंकिंग को लेकर हैरानी थी
    स्वच्छता रैंकिंग को लेकर मनपा सहित जानकारों में हैरानी थी। आखिरकार केंद्र सरकार के पास आपत्ति दर्ज करने का निर्णय लिया गया। डॉ. अभिजीत चौधरी ने केंद्रीय गृहनिर्माण व शहरी व्यवहार मंत्रालय के पास आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद घर-घर कचरा संकलन, कचरा व्यवस्थापन, बैकलेन स्वच्छता, सीएन्डडी वेस्ट, बायोमाइनिंग, कॉम्प्रेस्ड बायो गॅस प्रकल्प का पुर्नमूल्यांकन किया गया। फिलहाल मनपा द्वारा एक तारीख एक घंटा, आरआरआर सेंटर, स्वच्छ मोहल्ला स्पर्धा, स्वच्छ बाजार, इको ब्रिक्स समेत स्कूलों में जनजागृति की जा रही है।

    ‘टॉप टेन’ को लक्ष्य बनाना होगा
    मनपा को अब ‘टॉप टेन’ शहरों में शामिल होने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसके लिए, प्रशासन को अपनी कमियों पर और अधिक ध्यान देना होगा। कचरा प्रक्रिया को बेहतर बनाना, कंपनियों की जवाबदेही तय करना और नागरिकों को भी इसमें भागीदार बनाना आवश्यक है। यह केवल मनपा का काम नहीं है, बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है। अगर हम सब मिलकर काम करें, तो नागपुर को देश के सबसे स्वच्छ शहरों में शामिल होने से कोई नहीं रोक सकता।

  • पिंकी की आत्महत्या के बड़े सवाल

    पिंकी की आत्महत्या के बड़े सवाल

    किशोरवय का मानसिक अवसाद खतरनाक मोड़ पर

    नागपुर.

    नागपुर के प्रतापनगर थाना क्षेत्र में 21 वर्षीय पिंकी की आत्महत्या की खबर ने समाज को एक बार फिर से झकझोर दिया है। एक युवा लड़की, जिसके जीवन में अभी बहुत कुछ करना बाकी था, उसने अपनी परेशानियों से हार मानकर फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। यह घटना न केवल उसके परिवार के लिए एक असहनीय दुख है, बल्कि हम सभी के लिए एक चेतावनी भी है कि हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे कितने गंभीर हो चुके हैं।

     

    अचानक हुआ क्या

    पिंकी (21) के परिवार में माता- पिता और दो बड़ी बहनें हैं। पिता ऑटो रिक्शा चलाते हैं। वह एक क्लीनिक में काम करती थी। घटना वाले दिन, यानी मंगलवार शाम, वह अपने दोस्त से मिलने गई थी। उसने उसके साथ काफी देर तक बातचीत की थी। बाद में, वह घर चली गई। उसके कमरे का दरवाजा काफी देर से बंद था। पड़ोसियों द्वारा आवाज लगाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसलिए परिवार को सूचित किया गया। दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे तो पिंकी फंदे से लटकी हुई थी। घटना की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दी गई। सूचना मिलते ही प्रतापनगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची। उसे अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। शुरुआती जांच में पिंकी पर किसी ने दबाव या उकसावे की बात नहीं कही है। चर्चा है कि उसने किसी अवसाद के चलते फांसी लगाई है। पुलिस ने उसके दोस्तों के बयान दर्ज कर लिए हैं। पिंकी का मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया है। तकनीकी जांच के बाद घटना की असली वजह सामने आएगी।

     

    शायद मदद चाह रही थी

    पिंकी की कहानी अकेली नहीं है। हर साल ऐसे हजारों युवा अपनी जिंदगी खत्म कर लेते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी समस्याएं असहनीय हैं। पुलिस की शुरुआती जांच से पता चला है कि पिंकी ने अवसाद के कारण यह कदम उठाया। उसने मरने से पहले अपने एक दोस्त से मुलाकात भी की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह अपनी परेशानी किसी के साथ साझा करना चाहती थी, लेकिन शायद उसे वह मदद नहीं मिली, जिसकी उसे जरूरत थी।

  • मुंबई में अब फिल्म सिटी जाना होगा आसान

    मुंबई में अब फिल्म सिटी जाना होगा आसान

    आरे मेट्रो स्टेशन से रोपवे सेवा की योजना पर विचार
    मुंबई.
    मुंबई में अब फिल्म सिटी जाना और भी आसान हो जाएगा। मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने मेट्रो लाइन 3 पर आरे स्टेशन और गोरेगांव स्थित फिल्म सिटी के बीच रोपवे कनेक्टिविटी का प्रस्ताव रखा है। भविष्य में इसे संजय गांधी नेशनल पार्क तक भी बढ़ाया जा सकता है। इस रोपवे का मकसद है कि फिल्म सिटी जैसे व्यस्त इलाके में लोगों को आने-जाने में आसानी हो, क्योंकि वहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा कम है।

    प्रोजेक्ट की तैयारी कैसी?
    रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एक अधिकारी ने बताया कि अभी यह प्रोजेक्ट प्लानिंग के शुरुआती दौर में है और न तो बजट और न ही समय-सीमा का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने कहा कि सिस्टम मोनो-केबल, बाई-केबल या ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला सिस्टम का इस्तेमाल कर सकता है। यह सब जांच के बाद तय होगा कि कौन सी तकनीक सही रहेगी।

    पीपीपी मॉडल से बनेगा रोपवे
    यह रोपवे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत बनेगा। इसमें प्राइवेट कंपनियां पैसा लगाएंगी और सरकार भी मदद करेगी। इसे डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन, हस्तांतरण (डीबीएफओटी) फ्रेमवर्क के तहत बनाया जा सकता है। कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज मेट्रो कॉरिडोर को मेट्रो लाइन 3 के नाम से जाना जाता है। जो कि 33.5 किलोमीटर लंबी है। यह अंडरग्राउंड मेट्रो लाइन है। इसका एक हिस्सा शुरू हो चुका है और दूसरा बन रहा है।

    कितने यात्री कर सकेंगे सफर?
    यह रोपवे मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की एक कोशिश है ताकि मेट्रो लाइन 3 स्टेशनों से दूर के इलाकों तक भी पहुंचा जा सके। अनुमान है कि यह कॉरिडोर 2-3 किलोमीटर लंबा होगा। इससे हर घंटे एक दिशा में 2,000-3,000 यात्री सफर कर सकेंगे। फिल्म सिटी संजय गांधी नेशनल पार्क के पास है। वहां हर दिन बहुत से लोग काम करने और घूमने आते हैं। लेकिन वहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अच्छी सुविधा नहीं है। यहां अक्सर जाम लगा रहता है।

    क्या कहते हैं अधिकारी?
    अधिकारियों का कहना है कि रोपवे से पर्यावरण को कम नुकसान होगा। सड़कों की जगह केबल का इस्तेमाल होगा। इससे जमीन कम चाहिए होगी और हरे-भरे इलाके बच जाएंगे। अगर यह प्रोजेक्ट पूरा होता है तो यह देश के उन कुछ रोपवे में से एक होगा जो मेट्रो से जुड़ा होगा और शहर में ट्रांसपोर्ट का एक अहम हिस्सा बनेगा।