भागवत का गूढ़-संदेश… मुंडों के ढेर लग गए, लेकिन धर्म नहीं छोड़ा

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Bhagwat's deep message... there were heaps of heads, but religion was not abandoned

विविधताओं को स्वीकार करना ही सही मायनों में मानवता
नागपुर.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि देश में कई लोगों ने धर्म के लिए बलिदान दिये हैं। सिर कट गए, मुंडों के ढेर लग गए, लेकिन धर्म नहीं छोड़ा। हिंदू धर्म तो मानव धर्म का पालन करता है। यह सिर्फ एक धार्मिक कथन नहीं, बल्कि एक सामाजिक और दार्शनिक विचार है, जो बताता है कि निराशा और संकट के समय भी लोग अपने मूल सिद्धांतों से क्यों और कैसे जुड़े रहते हैं।

धर्म को पारिभाषित किया
भागवत ने कहा है कि निराशा व्यक्ति को धर्म के मार्ग से विचलित कर देती है। जीवन में जब हमें दिशा नहीं मिलती, तो हम भटक जाते हैं। यही कारण है कि आज की दुनिया में संघर्ष और पर्यावरण असंतुलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. उनका मानना है कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए हिंदू धर्म के सिद्धांतों को समझना और अपनाना ज़रूरी है, क्योंकि यह धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है जो समाज को संतुलित और शांतिपूर्ण बनाता है।

छत्रपति शिवाजी महाराज को किया उद्धृत
धैर्य और कर्तव्यनिष्ठा पर जोर देते हुए उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों का उदाहरण देकर यह सिद्ध किया कि सच्ची धर्मनिष्ठा वही है, जो संकटों के सामने डगमगाती नहीं, बल्कि बल और बुद्धि से उनका सामना करती है। धर्म हमें न सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास भी कराता है। खासकर एक ऐसे समय में बहुत महत्वपूर्ण है, जब दुनिया दिशाहीनता से जूझ रही है.

ये थे उपस्थित
कई मामलों में अलग होने के बाद भी एकजुटता के साथ जिया जा सकता है। विविधताओं को स्वीकार करना ही सच्चा धर्म है। देव ही नहीं, समाज के लिए धर्म काम करता है। भारत में विचारों के मार्ग अलग हो सकते हैं, लेकिन गंतव्य समान है। विश्व को दिशा देने वाला आदर्श स्थापित करने की जिम्मेदारी भारत की है। वे एक लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम में भैयाजी जोशी अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य आरएएस, दीपक तामशेट्टीवार विदर्भ प्रांत संघचालक, श्रीधर गाडगे सह प्रांत संघचालक, राजेश लोया महानगर संघचालक, शरद ढोले धर्मजागरण गतिविधि के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य, विजय कैथे अध्यक्ष धर्मजागरण न्यास उपस्थित थे।

फिल्म छावा का किया उल्लेख
छावा फिल्म का जिक्र करते हुए सरसंघचालक भागवत ने कहा कि ध्येय के सारथी लोग संकट से नहीं हारते हैं। भारतीय इतिहास में धर्मरक्षा के लिए काफी संघर्ष हुआ है। जिसमें पुरुषार्थ होता है। वह कभी न थकते हुए धर्म का काम करता है। धर्म अच्छा होगा तो समाज भी अच्छा होगा। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन में संकट आए, लेकिन उन्होंने बल, बुद्धि से संकट को दूर किया। धर्म के लिए कई लोगों ने बलिदान दिया है।

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