सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण
नागपुर.
वर्धा रोड स्थित एक निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था में प्राचार्य द्वारा किए गए 40 लाख रुपए से अधिक के घोटाले ने एक बार फिर शिक्षा और प्रशासनिक तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। इस घटना में, विद्यार्थियों से ली गई फीस को संस्थान के खाते में जमा करने के बजाय, प्राचार्य ने अपने निजी खाते में जमा करके गबन किया। यह एक गंभीर अपराध है जो न केवल वित्तीय धोखाधड़ी है, बल्कि यह उन छात्रों और उनके परिवारों के साथ विश्वासघात भी है, जिन्होंने अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पैसे खर्च किए थे।
रिकार्ड खंगालने पर खुली पोल
वर्धा रोड स्थित डोंगरगांव में मेघसाई निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था है। कपिल मोरेश्वर मानकर (32) गुट निदेशक बतौर प्राचार्य हैं। 8 जुलाई 2023 से 7 मार्च 2025 के बीच संस्था में अध्ययनरत विद्यार्थियों से शुल्क के रूप से वसूले गए 40 लाख 45 हजार 200 रुपए प्राचार्य ने संस्था के खाते में जमा करने के बजाय खुद के निजी बैंक खाते में जमा किए और उक्त रकम का गबन किया। हालांकि विद्यार्थियों को उनका शुल्क संस्था में जमा होने की रसीद दी गई थी। संस्था के ऑडिट रिपोर्ट में प्राचार्य का घोटाला उजागर हुआ। इसके लिए संस्था का रिकार्ड खंगाला गया था।
जांच समिति का हुआ गठन
संस्था ने प्राचार्य के खिलाफ जांच समिति गठित की थी। उसमें लाखों रुपए गबन करने का खुलासा होने के बाद भी वह घोटाले से इनकार करते रहा। रकम भी वापस करने से इनकार कर दिया। आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। इस बीच गांधी नगर हिंगना निवासी संस्था संचालक शिकायतकर्ता सूरज मेघराज ताजने (53) ने जांच समिति की रिपोर्ट पुलिस को सौंपी। पुलिस की जांच-पड़ताल में भी घोटाले की पुष्टि हो गई। इसके बाद पुलिस ने संबंधित बैंक से पत्र व्यवहार किया और प्राचार्य के खाते का बैंक डिटेल्स मांगा। शिकायत के आधार पर हिंगना थाने में प्रकरण दर्ज किया गया है। जांच जारी है।
रिपोर्ट में सामने आई सच्चाई
इस घटना की गंभीरता इस बात से और भी बढ़ जाती है कि यह एक शैक्षणिक संस्थान में हुई है, जहाँ नैतिकता और ईमानदारी की उम्मीद की जाती है। यह घोटाला तब सामने आया जब संस्थान की ऑडिट रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताएं उजागर हुईं। यह दर्शाता है कि आंतरिक नियंत्रण और ऑडिट की प्रक्रिया सही ढंग से काम कर रही थी, लेकिन सवाल यह है कि यह घोटाला इतने समय तक चला कैसे?
दो साल तक करता रहा खेल
प्रिंसिपल कपिल मोरेश्वर मानकर ने 8 जुलाई 2023 से 7 मार्च 2025 के बीच यह घोटाला किया, जिसका मतलब है कि यह लगभग दो साल तक चलता रहा। इस दौरान न तो संस्थान के प्रबंधन को इसकी भनक लगी और न ही छात्रों को। छात्रों को रसीदें दी जाती रहीं, लेकिन पैसा संस्थान के खाते में नहीं गया। यह उस विश्वास को तोड़ता है जो छात्र और उनके अभिभावक संस्थान पर करते हैं।
धोखाधड़ी का मामला दर्ज
पुलिस द्वारा जांच की पुष्टि के बाद अब प्राचार्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई सही दिशा में एक कदम है, लेकिन इस मामले की तह तक जाना जरूरी है। सरकार को ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए और अधिक सख्त नियम बनाने चाहिए और ऑडिट प्रक्रिया को और भी मजबूत बनाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में कोई भी शिक्षा के नाम पर धोखाधड़ी न कर सके और हमारे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो।
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