Tag: उद्धव ठाकरे

  • यूनियन के चुनाव से ठाकरे ब्रदर्स करेंगे आगाज

    यूनियन के चुनाव से ठाकरे ब्रदर्स करेंगे आगाज

    दोनों भाईयों ने पहला कदम बढ़ाया
    मुंबई.
    महाराष्ट्र में अक्तूबर के अंत से स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसमें मुंबई के प्रतिष्ठापूर्ण बीएमसी चुनाव भी शामिल हैं। स्थानीय निकाय चुनावों में ठाकरे ब्रदर्स के बीच गठबंधन होने की संभावना जताई जा रही है। इस दिशा में दोनों भाईयों ने पहला कदम बढ़ा दिया है। मुंबई में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली यूबीटी और राज ठाकरे की मनसे बेस्ट पतपेढी (क्रेडिट सोसायटी) का चुनाव मिलकर लड़ेंगे।

    18 अगस्त को है चुनाव
    बेस्ट पतपेढी का चुनाव 18 अगस्त को होना है। इस चुनाव में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली यूबीटी की बेस्ट कामगार सेना और मनसे कर्मचारी सेना मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे है। इसके लिए उम्मीदवारों का एक एकीकृत ‘उत्कर्ष पैनल’ खड़ा किया है। दोनों पार्टियों के नेताओं का कहना है कि गठबंधन का औपचारिक ऐलान होने तक के लिए किया गया है। मुंबई में बीएमसी चुनावों के तीसरे और अंतिम चरण में होने की संभावना है।

    मराठी अस्मिता पर आए थे साथ
    पिछले महीने पांच जुलाई को दोनों भाईयों ने दो दशक बाद एक मंच पर उपस्थिति दी थी। इसमें दोनों भाईयों ने महाराष्ट्र और मराठी अस्मिता का हवाला दिया था। इसके बाद दोनों के बीच की दूरी कम हुई है। उद्धव को जन्मदिन की बधाई देने के लिए खुद राज ठाकरे मातोश्री पहुंचे थे। कांग्रेस की तरफ से पहले ही इस बात के संकेत दिए जा चुके हैं कि अगर उद्धव की यूबीटी इंडिया अलायंस में रहते हुए कोई उप गठबंधन करती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।

    19 साल बाद आए एक साथ
    19 साल बाद दोनों भाईयों के सार्वजनिक मंच पर आए और फिर 13 साल बाद मातोश्री जाने को शिवसैनिक शुभ संकेत मान रहे हैं। उद्धव ठाकरे से नजदीकी के बाद राज ठाकरे की मनसे सक्रिय भी दिख रही है। बेस्ट कामगार सेना के अध्यक्ष सुहास सामंत ने पर्चों के माध्यम से इस गठबंधन का प्रचार किया है। अभी ठाकरे के नेतृत्व वाली बेस्ट कामगार सेना का दबदबा है।

  • ठाकरे बंधुओं के गठबंधन पर सस्पेंस

    ठाकरे बंधुओं के गठबंधन पर सस्पेंस

    राज ठाकरे का मीडिया पर गुस्सा
    मुंबई.
    महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे आगामी चुनावों में एक साथ आएंगे? उद्धव गुट के नेता जहां गठबंधन को लेकर सकारात्मक बयान दे रहे हैं, वहीं मनसे की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, जिससे सस्पेंस बरकरार है।

    उचित समय पर उचित निर्णय
    मनसे के वरिष्ठ नेता बाला नांदगावकर ने हाल ही में इगतपुरी में पदाधिकारियों के लिए आयोजित एक विशेष शिविर के बाद कहा, “हम खुद भी इस विषय पर सोच रहे हैं। गठबंधन को लेकर जो भी फैसला होगा, वह राज ठाकरे ही लेंगे और वह उचित समय पर उचित निर्णय करेंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि राज ठाकरे के भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस, शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार से भी अच्छे संबंध हैं। नांदगावकर ने जोर दिया कि संगठन का हित उनकी प्राथमिकता है।

    पत्रकारों पर बरसे राज ठाकरे
    इस बीच, राज ठाकरे ने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स पर नाराजगी जताई, जिनमें उनके हवाले से यह कहा गया था कि गठबंधन पर फैसला महानगरपालिका चुनावों से पहले की स्थिति देखकर लिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही और कुछ मीडियाकर्मियों ने अनौपचारिक बातचीत को तोड़-मरोड़कर पेश किया। राज ठाकरे ने कहा, “अगर मुझे कोई राजनीतिक बयान देना होगा, तो मैं उसे प्रेस कॉन्फ्रेंस में दूंगा। अनौपचारिक बातों को घुमा-फिराकर खबर बनाना पत्रकारिता नहीं है।”

  • सुप्रीम कोर्ट से उद्धव को झटका

    सुप्रीम कोर्ट से उद्धव को झटका

    अदालत ने कहा- अब सिर्फ मुख्य याचिका पर होगा फैसला
    मुंबई:
    शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई, जिसमें शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि अब केवल मुख्य याचिका पर फैसला ही उपयुक्त रहेगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने उद्धव ठाकरे खेमे से इस मामले में नई अर्जी दाखिल नहीं करने के लिए कहा है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला दो वर्षों से लंबित है और अब इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। अगर इस दौरान चुनाव होते हैं, तो दोनों पक्ष चुनाव लड़ सकते हैं। एकनाथ शिंदे गुट की ओर से मुकुल रोहतगी और नीरज किशन कौल ने पक्ष रखा, जबकि ठाकरे गुट की ओर से कपिल सिब्बल और रोहित शर्मा ने दलीलें पेश कीं। कोर्ट ने अगस्त में सुनवाई की तारीख की मांग पर शेड्यूल देखकर जल्द तारीख की जानकारी देने की बात कही।

    नाम और झंडे पर विवाद
    दरअसल, उद्धव ठाकरे ने कोर्ट से अपील की है कि उन्हें ‘शिवसेना’ नाम, ‘धनुष-बाण’ निशान और बाघ वाले भगवा झंडे का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए, खासकर महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए। उन्होंने तर्क दिया है कि ये प्रतीक 1985 से शिवसेना की मूल पहचान रहे हैं और मतदाता इन्हें बालासाहेब ठाकरे से जोड़ते हैं।

    चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती
    जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर अलग गुट बनाया था, जिसके बाद फरवरी 2023 में चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष-बाण’ चिन्ह दे दिया था। उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जो दो साल से लंबित है। उद्धव गुट चाहता है कि कोर्ट राज्य के स्थानीय चुनावों के लिए अस्थायी राहत दे, ताकि उनका नुकसान न हो। हालांकि, शिंदे गुट के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव पहले ही इस नाम और चिन्ह से हो चुके हैं, और 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव की ऐसी ही मांग ठुकरा दी थी। गौरतलब है कि 10 जनवरी 2024 को महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट को ‘असली शिवसेना’ माना था, जिसके खिलाफ उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

  • उद्धव ज्यादा बेकरार, राज मुगालते में नहीं

    उद्धव ज्यादा बेकरार, राज मुगालते में नहीं

    राजनीतिक हथियार बनाने के लिए ‘एकाकार’ होने का स्वांग
    मुंबई.
    शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना चाहते हैं। वह जानते हैं कि वर्तमान परिस्थितियों में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की जोड़ी के सामने वह अकेले किसी भी हथियार का उपयोग करके मुंबई मनपा पर जीत हासिल नहीं कर सकते। इसके लिए अब उन्हें अपने उसी चचेरे भाई के साथ की अपेक्षा है, जिसे पिछले 20 साल से वह फूटी आंखों में देखना नहीं चाहते थे।

    महाराष्ट्र के हित के लिए दोनों भाई साथ
    दरअसल, फिल्म निर्माता-निर्देशक महेश मांजरेकर को साक्षात्कार देते समय राज ठाकरे ने कहा था कि महाराष्ट्र के हित के लिए हम पारिवारिक झगड़ा भी भुलाने को तैयार हैं। इस बात को उद्धव ठाकरे ने तुरंत लपक लिया, और उसी दिन चल रही अपनी एक सार्वजनिक सभा में यह प्रस्ताव दे डाला कि वह भी महाराष्ट्र के हित में किसी से भी हाथ मिलाने को तैयार हैं। बशर्ते वह यह तय करे कि वह महाराष्ट्र द्रोहियों के साथ उठना-बैठना बंद करेगा। ‘किसी से भी’ से उनका आशय राज ठाकरे से, और ‘महाराष्ट्रद्रोही’ से उनका आशय उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से था।

    एक सुर में बोल रहे दोनों भाई
    उद्धव के इस प्रस्ताव पर राज ठाकरे का कोई जवाब नहीं आया, लेकिन उद्धव गुट के प्रवक्ता संजय राउत और स्वयं उद्धव ठाकरे भी तब से बार-बार राज ठाकरे को लुभाने की कोशिश करते आ रहे हैं। संयोग से इसी दौरान राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी की शिक्षा अनिवार्य करने का आदेश जारी कर दिया। राज ठाकरे की ओर से इस पर तीखी प्रतिक्रिया आनी शुरू हुई तो उद्धव ने भी उनके सुर में सुर मिला दिया। जबकि स्वयं उन्हीं के मुख्यमंत्री रहते माशेलकर समिति बनाई गई थी, जिसने 12वीं कक्षा तक हिंदी का पठन-पाठन अनिवार्य करने की सिफारिश की थी।

    निर्णय के विरोध में रैली
    फिर जब सरकार के इस निर्णय के विरोध में राज ठाकरे ने आंदोलन की घोषणा की, तो उद्धव ने भी मोर्चा निकालने की घोषणा कर दी। लेकिन इन दोनों के मोर्चे निकलने के पहले ही सरकार ने नया आदेश निकालकर प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी की अनिवार्यता समाप्त कर दी। तो सरकार के इस निर्णय को मराठी की विजय प्रदर्शित करते हुए उद्धव और राज दोनों ने पांच जुलाई को विजय रैली करने की घोषणा कर दी।

    उद्धव गुट गठबंधन मान रहा है
    अब उद्धव ठाकरे की ओर से बार-बार यह जताने की कोशिश की जा रही है, जैसे अब राज ठाकरे की मनसे के साथ उनका गठबंधन हो ही गया हो। राजनीतिक गठबंधन को लेकर फिलहाल राज ठाकरे की उदासीनता बता रही है कि वह 20 साल पहले शिवसेना में अपने साथ हुए व्यवहार को भूले नहीं हैं। उदासीनता का दूसरा कारण यह भी है कि अभी स्थानीय निकाय चुनावों में तीन-चार महीने बाकी हैं। तब तक महाराष्ट्र की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा, इसका अनुमान अभी से लगाना किसी के लिए भी मुश्किल ही होगा। इसलिए उद्धव ठाकरे अपनी तरफ से कोई भी संकेत देते रहें, उसे राज की ‘हां’ तो कतई नहीं समझा जा सकता।

  • भाषा विवाद पर ठाकरे बंधु आए साथ

    भाषा विवाद पर ठाकरे बंधु आए साथ

    तीन-भाषा नीति के खिलाफ एकजुट, निकालेंगे विरोध मार्च
    मुंबई.
    राज और उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार की तीन-भाषा नीति के खिलाफ विरोध को तेज करते हुए 7 जुलाई को आज़ाद मैदान में विरोध मार्च का आयोजन किया है। समन्वय समिति- जिसमें मराठी लेखक, कवि और शिक्षक शामिल हैं- ने महायुति सरकार के खिलाफ विरोध को बढ़ाने के लिए दोनों नेताओं के साथ हाथ मिलाया है, जिसमें भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं।

    समर्थन करने का आह्वान
    शिवसेना (यूबीटी) ने सभी मराठी भाषी नागरिकों-विशेष रूप से लेखकों, कलाकारों, अभिनेताओं और खिलाड़ियों से 7 जुलाई को आज़ाद मैदान में होने वाले विरोध मार्च का समर्थन करने का आह्वान किया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने गिरगांव चौपाटी से आज़ाद मैदान तक समानांतर विरोध मार्च की घोषणा की है। रैली की गैर-राजनीतिक प्रकृति पर जोर देते हुए राज ठाकरे ने कहा, “इसमें कोई पार्टी का झंडा नहीं होगा – केवल एक एजेंडा होगा: हिंदी को लागू करने के सरकार के कदम का विरोध करना। मैं सभी से इस विरोध मार्च में शामिल होने की अपील करता हूं। मैंने जानबूझकर रविवार का दिन चुना, ताकि छात्र और अभिभावक भी इसमें भाग ले सकें।”

    राज को समझाने की कोशिश
    बताते चलें कि इस सप्ताह की शुरुआत में, राज्य के शिक्षा मंत्री ने राज ठाकरे के समक्ष नीति का विस्तृत औचित्य प्रस्तुत किया था। समानांतर रूप से, इस कदम का विरोध करने वाली समन्वय समिति ने आंदोलन के अगले चरण की रणनीति बनाने और सरकार पर विवादास्पद परिपत्र को वापस लेने के लिए दबाव बनाने के लिए बांद्रा में शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे से उनके मातोश्री आवास पर मुलाकात की।

    हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है
    गौरतलब है कि महाराष्ट्र में हिंदी भाषा की अनिवार्यता को लेकर हो रहा विरोध थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। मनसे लगातार सरकार को आंदोलन की चेतावनी दे रही है। राज ठाकरे के नेतृत्व में मनसे कार्यकर्ताओं ने राज्यभर में स्कूलों के बाहर जाकर हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है। इस अभियान में अभिभावकों से समर्थन पत्र भरवाए जा रहे हैं और सरकार पर मराठी भाषा को प्राथमिकता देने का दबाव बनाया जा रहा है।

    हिंदी को जबरन थोपा जा रहा
    मनसे की मांग है कि मराठी ही राज्य की प्रमुख भाषा होनी चाहिए और हिंदी को जबरन स्कूलों में थोपा नहीं जाना चाहिए। राज ठाकरे ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि महाराष्ट्र में ‘हिंदी सक्ती’ स्वीकार नहीं की जाएगी।

  • उद्धव- राज मनोमिलन पर पूछा, तो भड़क गए शिंदे

    उद्धव- राज मनोमिलन पर पूछा, तो भड़क गए शिंदे

    गठबंधन की चर्चाओं से सियासी सरगर्मी तेज
    मुंबई.
    शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे के साथ आने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। दोनों के साथ आने को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। इस बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समय नाराज हो गए, जब एक मीडियाकर्मी ने उनसे अलग हुए चचेरे भाइयों उद्धव और राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलों पर सवाल किया। मीडियाकर्मी के सवाल पर एकनाथ शिंदे ने कहा कि वह सरकार के काम के बारे में बात करें।

    राज ठाकरे के बयान के बाद चर्चा तेज
    दरअसल, एक इंटरव्यू में राज ठाकरे ने कहा कि हमारे बीच झगड़े और विवाद महाराष्ट्र और मराठी लोगों के अस्तित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसलिए अब सवाल उठने लगा है कि क्या ये राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच भविष्य के गठबंधन के संकेत हैं। राज ठाकरे के इस बयान के बाद कई नेताओं की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। ऐसा माना जा रहा है कि एक बार फिर राज और उद्धव महाराष्ट्र की राजनीति में एक साथ नजर आ सकते हैं।

    अभी केवल इमोशनल टॉक- संजय राउत
    हालांकि शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने दोनों के साथ आने को लेकर कहा कि अब तक गठबंधन की घोषणा नहीं हुई है, अभी तक सिर्फ इमोशनल टॉक चल रहा है। संजय राउत ने दोनों भाइयों के बीच एक बार फिर सुलझते रिश्तों को लेकर और साथ आने के संकेतों को लेकर कहा, राज ठाकरे जी और उद्धव ठाकरे जी दोनों भाई हैं। हम सालों साल एक साथ रहे हैं। आज भी हमारा वो भाई का रिश्ता कायम है, वो टूटा नहीं है।

    वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल

    एकनाथ शिंदे फिलहाल सतारा दौरे पर हैं। इसी क्रम में एक पत्रकार ने एकनाथ शिंदे से राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के एक साथ आने की चर्चाओं के बारे में पूछा था। इस पर एकनाथ शिंदे ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि ओह, चलो यार…तुम क्या बात कर रहे हो? अब एकनाथ शिंदे के इस रियेक्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

  • 5 खोके-नॉट ओके, उद्धव ठाकरे का डायलॉग, ‘मातोश्री’ पर ग्रो हुआ पोस्ता, असल में हुआ क्या?  पढ़ना…

    5 खोके-नॉट ओके, उद्धव ठाकरे का डायलॉग, ‘मातोश्री’ पर ग्रो हुआ पोस्ता, असल में हुआ क्या? पढ़ना…


    मुंबई : जनता की भावनाएं हमारे साथ हैं। सभी लोग जानते हैं कि हमारे साथ कुछ गलत हुआ है। जनता बस चुनाव का इंतजार कर रही है। लोग सोचते हैं कि चुनाव आते ही इन देशद्रोहियों को सबक सिखाया जाएगा। जल्दी चुनाव कराने की हिम्मत नहीं है। लेकिन हमें लापरवाह नहीं होना चाहिए। हमारा सदस्यता अभियान उसी तीव्रता के साथ जारी रहना चाहिए। अभी बक्सों को लेकर काफी चर्चा है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के वर्तमान कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से अपील की कि आपके लिए 5 बॉक्स ठीक नहीं हैं, आपकी सदस्यता पंजीकरण के लिए वफादारी का डिब्बा बढ़ाया जाना चाहिए। उद्धव ने जैसे ही कहा कि उनके लिए 5 बॉक्स ठीक नहीं हैं, मातोश्री के सामने आंगन में दर्शकों की भीड़ उमड़ पड़ी।

    शिवसेना पार्टी में फूट के बाद राज्य भर के शिवसैनिक मातोश्री को निशाना बना रहे हैं। प्रदेश के कोने-कोने से हर दिन शिवसैनिक मातोश्री आ रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने सेना के इन जवानों से बातचीत की. उद्धव ठाकरे ने आज शिवसेना की उपनेता और विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोरहे के पुस्तक विमोचन समारोह के बाद सांगली-मिराज से मातोश्री आए कार्यकर्ताओं से बातचीत की.

    उद्धव ठाकरे का महाराष्ट्र अभियान शुरू, मुख्यमंत्री के किले में पहली दहाड़, टेम्बी नाका में पहली बैठक
    उद्धव ठाकरे ने कहा, “वे अपना सारा काम पैसे से कर रहे हैं। मेरा अपना मांस और खून है, जो लोग अपनी जान देते हैं। मैं सदस्यता कार्ड के साथ आपके आने को पहला कदम मानता हूं। हमारा सदस्यता पंजीकरण अभियान इसी तरह जारी रहना चाहिए। अभी बक्सों के बारे में बहुत चर्चा हो रही है। हमारे लिए। 5 बॉक्स-ठीक नहीं, आपका सदस्यता पंजीकरण लॉयल्टी बॉक्स बढ़ जाना चाहिए”

    “आप सभी अच्छी कंपनी में हैं, इसलिए मुझे भविष्य की चिंता नहीं है। कल सत्ता संघर्ष की सुनवाई है। अदालत में क्या होगा, मैं न्याय के भगवान में विश्वास करता हूं। जनता की भावना हमारे साथ है। आप मेरे पास आए आज सदस्यता पंजीकरण पत्रों से भरी पेटी के साथ। कल मीडिया। वे कहेंगे कि बक्से यहाँ भी आ रहे हैं … हाँ, बक्से हमारे पास भी आ रहे हैं, लेकिन वे हमारे शिवसैनिकों की वफादारी के बक्से हैं .. और उन बक्सों की संख्या बढ़नी चाहिए। 5 डिब्बे हमारे लिए ठीक नहीं हैं”, जैसा कि उद्धव ने कहा, मातोश्री के सामने आंगन में दर्शक उठ खड़े हुए।

    समय पर फैसले न लेना सरकार की सबसे बड़ी समस्या : नितिन गडकरी
    गणेशोत्सव के बाद उद्धव ठाकरे का महाराष्ट्र दौरा

    शिवसेना में भारी गिरावट के बाद पार्टी को बचाने के लिए युवा नेता आदित्य ठाकरे मैदान में उतरे हैं. आदित्य की सभाओं को जहां जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है, वहीं अब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी हामी भर दी है. गणेशोत्सव के बाद उद्धव ठाकरे का महाराष्ट्र दौरा शुरू होगा। आदित्य ठाकरे की ‘निष्ठा यात्रा’ के बाद उद्धव ठाकरे की ‘महाप्रबोधन यात्रा’ शुरू हो गई है। खास बात यह है कि उद्धव ठाकरे की पहली दहाड़ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गढ़ यानी टेम्बी नाका में होगी, जबकि ‘महाप्रबोधन यात्रा’ कोल्हापुर के बिंदु चौक पर खत्म होगी.

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  • महाराष्ट्र दौरे पर उद्धव ठाकरे शिंदे के किले से शुरू, टेम्बी नाका में बैठक

    महाराष्ट्र दौरे पर उद्धव ठाकरे शिंदे के किले से शुरू, टेम्बी नाका में बैठक

    मुंबई : शिवसेना में भारी गिरावट के बाद पार्टी को बचाने के लिए युवा नेता आदित्य ठाकरे मैदान में उतरे हैं. आदित्य की सभाओं को जहां जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है, वहीं अब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी हामी भर दी है. गणेशोत्सव के बाद उद्धव ठाकरे का महाराष्ट्र दौरा शुरू होगा। आदित्य ठाकरे की ‘निष्ठा यात्रा’ के बाद उद्धव ठाकरे की ‘महाप्रबोधन यात्रा’ शुरू हो गई है। खास बात यह है कि उद्धव ठाकरे की पहली दहाड़ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गढ़ यानी टेम्बी नाका में होगी, जबकि ‘महाप्रबोधन यात्रा’ कोल्हापुर के बिंदु चौक पर खत्म होगी.

    एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना में बड़ा तूफान खड़ा हो गया। ठाकरे परिवार के विश्वासपात्र और ‘मातोश्री’ के वफादार के रूप में जाने जाने वाले, यह वह थे जिन्होंने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ एक स्टैंड लिया और खुद को भाजपा के साथ जोड़ लिया, उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और एक नई सरकार बनाई। राष्ट्रपति चुनाव के बाद अचानक करीब 40 विधायक और 12 सांसदों ने उद्धव ठाकरे को छोड़ दिया। इस बीच, आदित्य ठाकरे ने पार्टी को बचाने के लिए ताकत के साथ मैदान में प्रवेश किया, जबकि उद्धव ठाकरे ने अगस्त में बाद में अपने महाराष्ट्र दौरे की घोषणा की। वर्तमान जानकारी के अनुसार, जैसे ही गणेशोत्सव समाप्त होगा, उद्धव ठाकरे की महाप्रबोधन यात्रा श्री गणेश के रूप में आयोजित की जाएगी।

    जहां से एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को चुनौती दी थी, वहीं उद्धव ठाकरे अपनी पहली बैठक ठाणे के टेम्बी नाका के मैदान में अपने ही गढ़ से करने जा रहे हैं. इस बैठक में शिवसेना के तमाम वरिष्ठ नेता के साथ-साथ पार्टी में नए-नए प्रवेश करने वाले नेता भी उनके साथ होंगे. अब तक उद्धव ठाकरे ने प्रेस कांफ्रेंस, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों-खासदारों पर तोप चलाई. अब उद्धव ठाकरे बाहरी बैठकों के जरिए और खासकर एकनाथ शिंदे के घरेलू मैदान से सीधे शिंदे को चुनौती देने वाले हैं।

    उद्धव ठाकरे ने गुलाबराव पाताल की जपला के लिए नीलम गोर की प्रशंसा की
    उद्धव ठाकरे की ‘महाप्रबोधन यात्रा’ महाराष्ट्र के सभी 48 लोकसभा क्षेत्रों में जाएगी। उद्धव ठाकरे अपनी बात लोगों के सामने रखेंगे, ठाकरे सरकार ने कोविड के दौर में कैसे काम किया, एकनाथ शिंदे की बगावत तक, जो उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए महाराष्ट्र के लिए किया। आदित्य ठाकरे की निष्ठा यात्रा को जहां पूरे राज्य से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है, वहीं उद्धव ठाकरे ने भी हामी भर दी है. ठाणे से शुरू होकर उद्धव ठाकरे की ‘महाप्रबोधन यात्रा’ कोल्हापुर के बिंदु चौक पर खत्म होगी.

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  • उद्धव ठाकरे: कोर्ट का फैसला जो होगा, मैं न्याय के भगवान में विश्वास करता हूं

    उद्धव ठाकरे: कोर्ट का फैसला जो होगा, मैं न्याय के भगवान में विश्वास करता हूं

    अदालत में जो होगा कल होगा.. मुझे न्याय के देवता पर विश्वास, कार्यकर्ताओं से बातचीत के दौरान उद्धव ठाकरे का बयान, चुनाव में जनता देशद्रोहियों को सबक सिखाएगी, ठाकरे का दावा

  • क्या साथ आएंगे उद्धव-राज?  शर्मिला ठाकरे का ‘मनसे’ का जवाब

    क्या साथ आएंगे उद्धव-राज? शर्मिला ठाकरे का ‘मनसे’ का जवाब

    राज ठाकरे उद्धव ठाकरे | शर्मिला ठाकरे पुणे में एक कार्यक्रम में बोल रही थीं। उस वक्त शर्मिला ठाकरे ने कई विषयों पर कमेंट किया था। मेरा एक एजेंडा है, मैं दूसरे दल की आलोचना नहीं करता। वे जो कुछ भी करते हैं, अपने फायदे या एजेंडे के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मेरा बेटा क्या कर रहा है, मेरे पति क्या कर रहे हैं या मेरी पार्टी के लोग क्या कर रहे हैं, इस पर मेरी नजर रहती है।

    शर्मिला ठाकरे
    राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे

    मुख्य विशेषताएं:

    • अगले 10 दिनों में होगा मंत्रिमंडल का विस्तार
    • महिलाओं को कैबिनेट में जगह जरूर मिलेगी
    • मैं दूसरे पक्ष की आलोचना नहीं कर रहा हूं
    पुणे: एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना पार्टी सचमुच चरमरा गई है. इसी पृष्ठभूमि में राज ठाकरे की पत्नी शर्मिला ठाकरे ने एक सांकेतिक बयान दिया है। शर्मिला ठाकरे रविवार को एक साड़ी की दुकान का उद्घाटन करने पुणे आई थीं। इस मौके पर उन्होंने मीडिया से बातचीत की. उस समय मीडिया ने शर्मिला से पूछा कि क्या ठाकरे बंधु साथ आएंगे। उस पर शर्मिला ने मीडिया के प्रतिनिधियों से उल्टा पूछा, ‘क्या आपको ऐसा लगता है?’ तब मीडिया के प्रतिनिधियों ने कहा कि हमारी राय मायने नहीं रखती। तब शर्मिला ने यह भी कहा कि ‘हमारी सोच भी मदद नहीं करती’।
    पुणे से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे देवेंद्र फडणवीस…; गिरीश बापट का महत्वपूर्ण कथन
    एक पत्रकार ने कहा कि उद्धव ठाकरे अकेले रह गए। तब शर्मिला ने कहा, ‘उन्हें आने दो, हम देखेंगे कि क्या वे साद पहनते हैं’ और वहां से निकल गईं। हालांकि इसके बाद शर्मिला ठाकरे के बयान की काफी चर्चा हुई थी। इसलिए हमें देखना होगा कि भविष्य में ठाकरे बंधुओं को एकजुट करने का कोई प्रयास होता है या नहीं।

    महिलाओं को कैबिनेट में जगह जरूर मिलेगी : शर्मिला ठाकरे

    मैंने सुना है कि अगले 10 दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। उस समय महिलाओं को कैबिनेट में जगह जरूर मिलेगी। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी में बहुत अच्छी महिलाएं हैं। पंकजा मुंडे हैं। तो मंत्री पद जरूर मिलेगा। पंकजा मुंडे ने पिछले कार्यकाल में अच्छा काम किया था। शर्मिला ठाकरे ने कहा कि बेहतर होगा कि महिला एवं बाल विकास का खाता किसी महिला के पास जाए।
    मेरे पति के सत्ता में आने पर ही सुधरेंगी राज्य की सड़कें: शर्मिला ठाकरे
    ‘मेरे पति के सत्ता में आने पर ही बेहतर होंगी राज्य में सड़कें’

    महाराष्ट्र में सड़कों और गड्ढों के मुद्दे पर राज्य में हमेशा चर्चा होती है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे की पत्नी शर्मिला ठाकरे ने भी इस पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि ”मेरे पति के सत्ता में आने पर ही राज्य की सड़कें सुधरेंगी.” शर्मिला ठाकरे ने एक कार्यक्रम के लिए पुणे आने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए यह बयान दिया है।

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