भाषा विवाद पर ठाकरे बंधु आए साथ

0
1
Thackeray brothers came together on the language dispute

तीन-भाषा नीति के खिलाफ एकजुट, निकालेंगे विरोध मार्च
मुंबई.
राज और उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार की तीन-भाषा नीति के खिलाफ विरोध को तेज करते हुए 7 जुलाई को आज़ाद मैदान में विरोध मार्च का आयोजन किया है। समन्वय समिति- जिसमें मराठी लेखक, कवि और शिक्षक शामिल हैं- ने महायुति सरकार के खिलाफ विरोध को बढ़ाने के लिए दोनों नेताओं के साथ हाथ मिलाया है, जिसमें भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं।

समर्थन करने का आह्वान
शिवसेना (यूबीटी) ने सभी मराठी भाषी नागरिकों-विशेष रूप से लेखकों, कलाकारों, अभिनेताओं और खिलाड़ियों से 7 जुलाई को आज़ाद मैदान में होने वाले विरोध मार्च का समर्थन करने का आह्वान किया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने गिरगांव चौपाटी से आज़ाद मैदान तक समानांतर विरोध मार्च की घोषणा की है। रैली की गैर-राजनीतिक प्रकृति पर जोर देते हुए राज ठाकरे ने कहा, “इसमें कोई पार्टी का झंडा नहीं होगा – केवल एक एजेंडा होगा: हिंदी को लागू करने के सरकार के कदम का विरोध करना। मैं सभी से इस विरोध मार्च में शामिल होने की अपील करता हूं। मैंने जानबूझकर रविवार का दिन चुना, ताकि छात्र और अभिभावक भी इसमें भाग ले सकें।”

राज को समझाने की कोशिश
बताते चलें कि इस सप्ताह की शुरुआत में, राज्य के शिक्षा मंत्री ने राज ठाकरे के समक्ष नीति का विस्तृत औचित्य प्रस्तुत किया था। समानांतर रूप से, इस कदम का विरोध करने वाली समन्वय समिति ने आंदोलन के अगले चरण की रणनीति बनाने और सरकार पर विवादास्पद परिपत्र को वापस लेने के लिए दबाव बनाने के लिए बांद्रा में शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे से उनके मातोश्री आवास पर मुलाकात की।

हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में हिंदी भाषा की अनिवार्यता को लेकर हो रहा विरोध थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। मनसे लगातार सरकार को आंदोलन की चेतावनी दे रही है। राज ठाकरे के नेतृत्व में मनसे कार्यकर्ताओं ने राज्यभर में स्कूलों के बाहर जाकर हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है। इस अभियान में अभिभावकों से समर्थन पत्र भरवाए जा रहे हैं और सरकार पर मराठी भाषा को प्राथमिकता देने का दबाव बनाया जा रहा है।

हिंदी को जबरन थोपा जा रहा
मनसे की मांग है कि मराठी ही राज्य की प्रमुख भाषा होनी चाहिए और हिंदी को जबरन स्कूलों में थोपा नहीं जाना चाहिए। राज ठाकरे ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि महाराष्ट्र में ‘हिंदी सक्ती’ स्वीकार नहीं की जाएगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here