अधिसंख्य सेवानिवृत्त व सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अन्याय के खिलाफ अफ्रोह करेंगे आन्दोलन..! 26 सितंबर से पूरे प्रदेश में कलेक्टर कार्यालय के सामने भूख हड़ताल पर जाएंगे कर्मचारी

अधिसंख्य सेवानिवृत्त व सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अन्याय के खिलाफ अफ्रोह करेंगे आन्दोलन..!
26 सितंबर से पूरे प्रदेश में कलेक्टर कार्यालय के सामने भूख हड़ताल पर जाएंगे कर्मचारी

नागपुर 12 सितंबर 22 – : अधिसंख्य सेवानिवृत्त व सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर हो रहे अन्याय के खिलाफ ‘अफ्रोह’ का विरोध व
26 सितंबर से कर्मचारी सोमवार को राज्य भर के कलेक्टर कार्यालय के सामने आमरण अनशन करेंगे।
अफ्रोह संगठन ने तिलक पत्रकार भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि विवादित सत्यापन समिति, माननीय द्वारा अनुसूचित जनजाति के वास्तविक जाति प्रमाण पत्र को फर्जी तरीके से रद्द और जब्त किया जाना गलत बात है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 6 जुलाई 2017 को दिए गए निर्णय में राज्य में स्थायी सेवा में रहे 12,500 कर्मचारी और जिनकी सेवा समय-समय पर विभिन्न सरकारी फैसलों से सुरक्षित रहे हैं, उन्हें पूर्वव्यापी प्रभाव से आवेदन करने का आदेश नहीं दिया गया है। सरकार के दिनांक 21 दिसम्बर 2019 के निर्णय के अनुसार 11 माह की अस्थाई सेवा पर वर्गीकरण, लगभग 1000 सेवानिवृत्त कर्मचारियों को विगत 31 माह की पेंशन एवं मृत कर्मचारियों के वारिसों को पारिवारिक पेंशन एवं अन्य लाभ नही दिये जाने के संबंध में हमारे कर्मचारियों के साथ अन्याय किया गया।

यदि सरकार 20 सितंबर तक इस संबंध में कोई सकारात्मक फैसला नहीं लेती है तो ऑर्गनाइजेशन फॉर राइट्स ऑफ ह्यूमन महाराष्ट्र की ओर से वे सविधान चौक, नागपुर में भूख हड़ताल करने की चेतावनी पत्रकार परिषद में दी गई।

महाराष्ट्र में जाति प्रमाण पत्र के सत्यापन के बहाने सक्षम अधिकारियों द्वारा दिए गए जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के लिए अधिनियम संख्या 23/2001, 2000 पारित किया गया था और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर धोखे से प्राप्त किए गए थे, भले ही राज्य सरकार के पास नहीं था जाति कानून बनाने का अधिकार और उसी के आधार पर सत्यापन समितियों ने राज्य में कई जनजातियों के अनुसूचित जनजाति जाति प्रमाण पत्र को धोखाधड़ी और धोखाधड़ी से अमान्य रद्द कर दिया है। साथ ही, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 6 जुलाई, 2017 को दिए गए निर्णय में, जबकि ‘पूर्वव्यापी प्रभाव से आवेदन’ करने का कोई आदेश नहीं था, जो कर्मचारी राज्य की सेवा में स्थायी रूप से हैं और जिनकी सेवा द्वारा संरक्षित किया गया है समय-समय पर विभिन्न सरकारी निर्णयों के अनुसार, 21 दिसंबर 2019 के सरकारी निर्णय के अनुसार, 11 महीने की अस्थायी सेवा पर वर्गीकृत किया गया।

इस बीच करीब 1000 सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पिछले 31 महीने से पेंशन नहीं मिली है। इससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर आर्थिक संकट मंडरा गया है। इसी अवधि में, मृत कर्मचारियों के उत्तराधिकारियों को पारिवारिक पेंशन और अन्य लाभ नहीं मिले ।21 दिसंबर 2019 के सरकार के फैसले में 4.2 के अनुसार अभी भी कई बर्खास्त कर्मचारियों को अधिसंख्य पदों पर आदेश नहीं दिया गया है। यह हमारे कर्मचारियों के साथ अन्याय है। यह भी मांग की गई कि महाराष्ट्र सरकार अधिकांश कर्मचारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर सभी याचिकाओं को वापस लेने की चेतावनी दी गई थी। अगर सरकार 20 सितंबर तक हमारी मांगों को पूरा नहीं करती है, तो हम सविधान चौक, नागपुर में भूख हड़ताल करने की चेतावनी ऑफ्रोह के प्रदेश अध्यक्ष शिवानंद सहारकर, सचिव दिलीप भानुसे,प्रदेश महिला आघाडी सदस्य कलावती डोमकुंडवार व भारती झोड़े ने दी।

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