Category: महाराष्ट्र

  • शरद पवार ने संभाला मोर्चा

    शरद पवार ने संभाला मोर्चा

    महा विकास आघाड़ी में डैमेज कंट्रोल
    मुंबई.
    एनसीपी शरद चंद्र पवार के प्रमुख शरद पवार एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में ‘डैमेज कंट्रोल’ की भूमिका में नजर आ रहे हैं। दिल्ली में ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक के दौरान उद्धव ठाकरे के बैठने की जगह को लेकर हुए विवाद के बाद, महा विकास आघाड़ी (एमवीए) में फूट की अटकलें तेज हो गई थीं। ऐसी खबरें थीं कि उद्धव ठाकरे इस ‘कथित बेइज्जती’ से नाराज होकर गठबंधन से किनारा करने का मन बना रहे हैं। इसी नाजुक स्थिति को भांपते हुए पवार ने मोर्चा संभाला है।

    दरार भरने की कोशिश
    एक प्रेस वार्ता में, पवार ने इस विवाद को ‘अनावश्यक’ बताया और इस पर खेद भी व्यक्त किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे सभी नेता, जिनमें उद्धव ठाकरे भी शामिल थे, पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन को ठीक से देखने के लिए पीछे की पंक्ति में बैठे थे। उन्होंने कहा, “यह किसी राजनीतिक मतभेद का संकेत नहीं था।” पवार का यह बयान सीधे तौर पर एमवीए के भीतर किसी भी संभावित दरार को भरने का प्रयास माना जा रहा है।

    ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर संतुलन
    इसके साथ ही, पवार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर भी एक संतुलित रुख अपनाया। उन्होंने राहुल गांधी की प्रस्तुति को ‘अच्छी तरह से शोध और दस्तावेजों पर आधारित’ बताया, जिससे विपक्ष के आरोपों को बल मिला। हालांकि, उन्होंने निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को सीधे तौर पर कटघरे में खड़ा करने से परहेज किया और कहा कि आयोग को इसकी जांच करनी चाहिए। पवार का यह ‘चतुर राजनीतिक कदम’ विपक्षी एकता को बनाए रखने और अपनी पार्टी की छवि को नुकसान से बचाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

    लक्ष्य सिर्फ एकजुटता
    शरद पवार के इन बयानों को एक अनुभवी राजनेता के तौर पर देखा जा रहा है, जो गठबंधन के अंदरूनी मतभेदों को सुलझाने और विपक्षी नेताओं के बयानों से उत्पन्न होने वाले संभावित नुकसान को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका लक्ष्य स्पष्ट है: आगामी चुनावों के मद्देनजर महा विकास आघाड़ी को एकजुट और मजबूत बनाए रखना।

  • महाराष्ट्र निकाय चुनाव में नहीं होगा वीवीपीएटी का इस्तेमाल

    महाराष्ट्र निकाय चुनाव में नहीं होगा वीवीपीएटी का इस्तेमाल

    आयोग ने बताई वजह, भड़का विपक्ष
    मुंबई.
    सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी के बाद महाराष्ट्र में दिवाली के बाद स्थानीय निकाय चुनाव होंगे। राज्य के चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे ने कहा है कि महाराष्ट्र में एक साथ वोटिंग नहीं होगी। चुनावी प्रक्रिया आगामी अक्टूबर महीने से शुरू की जाएगी। वाघमारे के अनुसार निकाय चुनाव ईवीएम पर कराए जाएंगे, लेकिन मतदान के दौरान वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। राज्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि प्रत्येक वार्ड में अधिक उम्मीदवार होने की वजह से मतदाताओं को एक बार में चार वोट डालने होंगे, इसलिए प्रक्रिया में समय लगेगा। ऐसे में मतदान केंद्र पर भीड़ होने की संभावना है। इसी वजह से निकाय चुनावों में वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल पहले से ही नहीं किया जाता है। आयोग के बयान के बाद निकाय चुनाव तीन चरणों में होने की उम्मीद है।

    एक साथ नहीं होंगे चुनाव
    राज्य चुनाव आयोग चरणबद्ध तरीके से चुनाव कराएगा। चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे ने स्पष्ट किया है कि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण स्थिर रहेगा, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार लॉटरी प्रणाली के माध्यम से लागू किया जाएगा। वाघमारे के अनुसार पिछले चुनावों में लागू किए गए सिद्धांत का इस बार भी पालन किया जाएगा। 1 जुलाई, 2025 तक की मतदाता सूची का इस्तेमाल चुनावों के लिए किया जाएगा। वार्ड सीमाओं का मसौदा तैयार होने के बाद बाकी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जनशक्ति की कमी के कारण सभी स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ कराना संभव नहीं होगा।

    महाविकास आघाड़ी के दलों ने जताई आपत्ति
    चुनाव आयोग के इस ऐलान पर राज्य में राजनीति भी गरमा गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) सहित विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी में शामिल सभी प्रमुख दलों के नेताओं ने वीवीपैट के बगैर मतदान कराए जाने पर गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की है। एनसीपी (एसपी) ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। पार्टी एक याचिका के माध्यम से इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने की जाएगी। राज्य में पिछले तीन साल से स्थानीय निकाय के चुनाव अटके हुए हैं। राज्य में आखिरी बार स्थानीय निकाय के चुनाव 2017 में हुए थे। मुंबई की बीएमसी समेत तमाम निगमों और पंचायतों में प्रशासक ही कामकाज चला रहे हैं। मुंबई बीएमसी के चुनाव अंतिम फेस में कराएजाने की संभावना है।शिवसेना (यूबीटी) नेता सुषमा अंधारे ने स्थानीय चुनावों से वीवीपैट मशीनों को बाहर करने के फैसले की आलोचना करते हुए इसे मनमाना बताया है।

  • यूनियन के चुनाव से ठाकरे ब्रदर्स करेंगे आगाज

    यूनियन के चुनाव से ठाकरे ब्रदर्स करेंगे आगाज

    दोनों भाईयों ने पहला कदम बढ़ाया
    मुंबई.
    महाराष्ट्र में अक्तूबर के अंत से स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसमें मुंबई के प्रतिष्ठापूर्ण बीएमसी चुनाव भी शामिल हैं। स्थानीय निकाय चुनावों में ठाकरे ब्रदर्स के बीच गठबंधन होने की संभावना जताई जा रही है। इस दिशा में दोनों भाईयों ने पहला कदम बढ़ा दिया है। मुंबई में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली यूबीटी और राज ठाकरे की मनसे बेस्ट पतपेढी (क्रेडिट सोसायटी) का चुनाव मिलकर लड़ेंगे।

    18 अगस्त को है चुनाव
    बेस्ट पतपेढी का चुनाव 18 अगस्त को होना है। इस चुनाव में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली यूबीटी की बेस्ट कामगार सेना और मनसे कर्मचारी सेना मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे है। इसके लिए उम्मीदवारों का एक एकीकृत ‘उत्कर्ष पैनल’ खड़ा किया है। दोनों पार्टियों के नेताओं का कहना है कि गठबंधन का औपचारिक ऐलान होने तक के लिए किया गया है। मुंबई में बीएमसी चुनावों के तीसरे और अंतिम चरण में होने की संभावना है।

    मराठी अस्मिता पर आए थे साथ
    पिछले महीने पांच जुलाई को दोनों भाईयों ने दो दशक बाद एक मंच पर उपस्थिति दी थी। इसमें दोनों भाईयों ने महाराष्ट्र और मराठी अस्मिता का हवाला दिया था। इसके बाद दोनों के बीच की दूरी कम हुई है। उद्धव को जन्मदिन की बधाई देने के लिए खुद राज ठाकरे मातोश्री पहुंचे थे। कांग्रेस की तरफ से पहले ही इस बात के संकेत दिए जा चुके हैं कि अगर उद्धव की यूबीटी इंडिया अलायंस में रहते हुए कोई उप गठबंधन करती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।

    19 साल बाद आए एक साथ
    19 साल बाद दोनों भाईयों के सार्वजनिक मंच पर आए और फिर 13 साल बाद मातोश्री जाने को शिवसैनिक शुभ संकेत मान रहे हैं। उद्धव ठाकरे से नजदीकी के बाद राज ठाकरे की मनसे सक्रिय भी दिख रही है। बेस्ट कामगार सेना के अध्यक्ष सुहास सामंत ने पर्चों के माध्यम से इस गठबंधन का प्रचार किया है। अभी ठाकरे के नेतृत्व वाली बेस्ट कामगार सेना का दबदबा है।

  • शरद पवार की अब ओबीसी पॉलिटिक्स, 9 को ‘मंडल यात्रा’

    शरद पवार की अब ओबीसी पॉलिटिक्स, 9 को ‘मंडल यात्रा’

    बड़ी तैयारी, बिगाड़ेंगे बीजेपी का खेल
    मुंबई.
    महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत के बाद बीजेपी का फोकस स्थानीय निकाय चुनावों पर हैं। सीएम देवेंद्र फडणवीस ओबीसी वर्ग को लुभाने की कोशिशों में जुटे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार ने मराठा पॉलिटिक्स के बाद अब ओबीसी कार्ड खेलने की तैयारी की है। ऐसे में चर्चा छिड़ गई है कि शरद पवार बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन के प्लान को चौपट कर देंगे। शरद पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय वाले शहर और राज्य की दूसरी राजधानी नागपुर में मंडल यात्रा निकालने का ऐलान किया है।

    पवार खेलेंगे वीपी सिंह वाला कार्ड
    राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि 9 अगस्त को क्रांति दिवस के अवसर पर एनसीपी की ओर से ‘मंडल यात्रा’ निकाली जा रही है, जिसकी शुरुआत नागपुर से होगी। इस यात्रा को पार्टी प्रमुख शरद पवार हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। देशमुख ने कहा कि उन्होंने कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री वीपी सिंह थे, तब उन्होंने मंडल आयोग की घोषणा की थी। उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार थे। उन्होंने इस आयोग की सिफारिशों को महाराष्ट्र में लागू किया, जिससे ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) को आरक्षण मिला। यह पहल करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य बना और इसका सीधा लाभ ओबीसी समाज को मिला।

    क्या है इस यात्रा का उद्देश्य?
    देशमुख ने यह भी कहा कि यह यात्रा शरद पवार के ओबीसी समाज के लिए किए गए योगदान को जनता तक पहुंचाने के लिए निकाली जा रही है। जब यह मंडल आयोग लागू किया गया, तब कुछ राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया और ‘कमंडल यात्रा’ निकाली। इन पार्टियों ने वीपी सिंह की सरकार भी गिरा दी थी। आज वही लोग सत्ता में हैं। यह सच्चाई जनता को जाननी चाहिए, इसलिए मंडल यात्रा जरूरी है। अनिल देशमुख ने बताया कि यह यात्रा सिर्फ आरक्षण पर नहीं, बल्कि किसानों, महिलाओं, युवाओं और कानून-व्यवस्था से जुड़े मुद्दों को उजागर करने के लिए महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में जाएगी।

  • ‘तीसरे’ की आहट, राज से मिले बच्चू कडू

    ‘तीसरे’ की आहट, राज से मिले बच्चू कडू

    उद्धव ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा के बीच अहम बैठक
    मुंबई.
    प्रहार जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष व महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात की। यह मुलाकात मुंबई स्थित शिवतीर्थ में स्थित राज ठाकरे के आवास पर हुई। दोनों के बीच हुई मुलाकात पर महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा तेज होने लगी है कि दोनों नेता मुंबई बीएमसी चुनाव में एक साथ आ सकते हैं। हालांकि दोनों नेताओं की मुलाकात पर मनसे नेता बाला नंदगांवकर ने बताया कि यह मुलाकात चुनावी नहीं थी। वह राज ठाकरे से मिलने आए थे और उन्होंने दो मुख्य मुद्दों पर चर्चा की।

    चर्चा पर दी सफाई
    राज ठाकरे के करीबी सहयोगी बाला नंदगांवकर ने स्पष्ट किया कि बच्चू कडू और ठाकरे की मुलाकात में किसानों और दिव्यांगों के मुद्दों पर चर्चा हुई है, न कि यह बीएमसी चुनाव के लिए कोई रणनीतिक मुलाकात थी। उन्होंने कहा कि वह पहले से ही कर्जमाफी के लिए आंदोलन चला रहे हैं और हमने उस लड़ाई में उनका पूरा समर्थन किया था। मैं खुद भी उनकी पदयात्रा में शामिल हुआ था। मराठवाड़ा में उनकी पदयात्रा शुरू होने वाली है। इस पदयात्रा में राज ठाकरे को शामिल होना चाहिए, ऐसा उन्होंने अनुरोध किया है।

    हर बात को चुनाव से न जोड़ें
    बीएमसी चुनाव में मनसे और उनके संगठन के एक साथ आने पर उन्होंने कहा कि हर बात को चुनाव से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। चुनाव आएंगे और जाएंगे, जहां तक किसानों, कामगारों की बात है या फिर किसी की भी समस्या हो, हमारे लिए वह पहले महत्वपूर्ण है। हालांकि, दोनों नेताओं के बीएमसी चुनाव में साथ आने पर उन्होंने कहा कि जब चुनाव आएंगे तो देखा जाएगा।

    किसान आत्महत्या का किया उल्लेख
    इससे पहले बच्चू कडू ने कहा था कि हर दिन ऐसा नहीं होता कि कोई किसान आत्महत्या करने से बचता है। हम चाहते हैं कि इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल एकजुट हों और मिलकर इसका समाधान खोजें। यह आंदोलन चुनाव से जुड़ा नहीं है, बल्कि किसानों और देश के भविष्य के लिए है। अब राज ठाकरे ने इस गंभीर मुद्दे पर विचार करने का आश्वासन दिया और कहा कि वे इस पर अन्य नेताओं से चर्चा करेंगे और एक विशेष बैठक बुलाकर आगे की रणनीति पर फैसला लेंगे। मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है। यदि यहां एक दिन की बंदी होती है, तो पूरे देश को बड़ा संदेश जाएगा।

    पारिवारिक मिलन पर फिलहाल चुप्पी
    राज ठाकरे और बच्चू कडू की यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब महाराष्ट्र में आगामी निकाय चुनावों को लेकर राज और उद्धव ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा जोरों पर है। बीते कुछ महीनों में दोनों भाइयों के बीच रिश्तों में आई गर्मजोशी साफ देखी गई है। हिंदी भाषा पढ़ाने से जुड़े शासन निर्णय (जीआर) को वापस लिए जाने के बाद दोनों लगभग 20 साल बाद एक ही मंच पर नजर आए थे। इसके कुछ दिनों बाद राज ठाकरे ने मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और उन्हें शुभकामनाएं दी थीं, जिससे दोनों के रिश्तों में बढ़ती नजदीकियों की पुष्टि हुई।

  • पूर्व विधायक को सजा, न्याय की जीत

    पूर्व विधायक को सजा, न्याय की जीत

    कानून से ऊपर कोई नहीं
    नागपुर.
    पूर्व विधायक को जिला न्यायालय द्वारा एक साल के कारावास की सजा सुनाया जाना, यह साबित करता है कि कानून की नजर में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है। पुलिस के साथ मारपीट और शासकीय कार्य में बाधा डालने के मामले में आरोपी कन्नड़ के पूर्व विधायक हर्षवर्धन जाधव को जिला न्यायालय ने एक साल का कारावास और बीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जिला न्यायाधीश आर. जे. राय ने बुधवार को यह फैसला सुनाया।

    यह आरोप लगे थे
    शिकायत के अनुसार, 6 दिसंबर 2014 को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की नागपुर के होटल प्राइड में पार्टी नेताओं के साथ बैठक चल रही थी, तभी जाधव ने बैठक कक्ष में प्रवेश करने की कोशिश की। विशेष सुरक्षा दस्ते के पुलिस निरीक्षक पराग जाधव ने उन्हें कक्ष में जाने से रोका। इस पर हर्षवर्धन जाधव ने पुलिस निरीक्षक पराग जाधव को थप्पड़ मार दिया। इस घटना के बाद सोनेगांव पुलिस ने जाधव के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने और मारपीट का मामला दर्ज किया।

    इस निष्कर्ष पर पहुंचा कोर्ट
    इस मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार अनुपस्थित रहने के कारण न्यायालय ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था। 17 फरवरी को जाधव के न्यायालय में पेश होने के बाद उन्हें कारागृह भेज दिया गया था। लेकिन बाद में कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा किया था। इस मामले में सभी पक्षों और गवाहों के बयान दर्ज करने के बाद न्यायालय ने बुधवार इस मामले का फैसला सुनाया, जिसमें हर्षवर्धन जाधव को दोषी पाया गया।

    न्याय में विश्वास हुआ पुख्ता
    इस तरह की घटनाएं अक्सर राजनीतिक नेताओं द्वारा की जाती हैं, जब वे अपने पद और शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। ऐसे मामलों में अक्सर देखा गया है कि प्रभावशाली लोग कानून के शिकंजे से बच निकलते हैं, लेकिन इस मामले में न्यायालय ने यह सुनिश्चित किया कि न्याय की जीत हो। न्यायालय ने जाधव को भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और धारा 332 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत दोषी ठहराया है। इस मामले में सजा सुनाए जाने में भले ही काफी समय लगा हो, लेकिन यह अंततः न्याय की जीत है। बार-बार अनुपस्थित रहने के कारण उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया था, जो यह दर्शाता है कि न्यायालय ने इस मामले को कितनी गंभीरता से लिया।

  • मुंबई में अब फिल्म सिटी जाना होगा आसान

    मुंबई में अब फिल्म सिटी जाना होगा आसान

    आरे मेट्रो स्टेशन से रोपवे सेवा की योजना पर विचार
    मुंबई.
    मुंबई में अब फिल्म सिटी जाना और भी आसान हो जाएगा। मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने मेट्रो लाइन 3 पर आरे स्टेशन और गोरेगांव स्थित फिल्म सिटी के बीच रोपवे कनेक्टिविटी का प्रस्ताव रखा है। भविष्य में इसे संजय गांधी नेशनल पार्क तक भी बढ़ाया जा सकता है। इस रोपवे का मकसद है कि फिल्म सिटी जैसे व्यस्त इलाके में लोगों को आने-जाने में आसानी हो, क्योंकि वहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा कम है।

    प्रोजेक्ट की तैयारी कैसी?
    रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एक अधिकारी ने बताया कि अभी यह प्रोजेक्ट प्लानिंग के शुरुआती दौर में है और न तो बजट और न ही समय-सीमा का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने कहा कि सिस्टम मोनो-केबल, बाई-केबल या ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला सिस्टम का इस्तेमाल कर सकता है। यह सब जांच के बाद तय होगा कि कौन सी तकनीक सही रहेगी।

    पीपीपी मॉडल से बनेगा रोपवे
    यह रोपवे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत बनेगा। इसमें प्राइवेट कंपनियां पैसा लगाएंगी और सरकार भी मदद करेगी। इसे डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन, हस्तांतरण (डीबीएफओटी) फ्रेमवर्क के तहत बनाया जा सकता है। कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज मेट्रो कॉरिडोर को मेट्रो लाइन 3 के नाम से जाना जाता है। जो कि 33.5 किलोमीटर लंबी है। यह अंडरग्राउंड मेट्रो लाइन है। इसका एक हिस्सा शुरू हो चुका है और दूसरा बन रहा है।

    कितने यात्री कर सकेंगे सफर?
    यह रोपवे मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की एक कोशिश है ताकि मेट्रो लाइन 3 स्टेशनों से दूर के इलाकों तक भी पहुंचा जा सके। अनुमान है कि यह कॉरिडोर 2-3 किलोमीटर लंबा होगा। इससे हर घंटे एक दिशा में 2,000-3,000 यात्री सफर कर सकेंगे। फिल्म सिटी संजय गांधी नेशनल पार्क के पास है। वहां हर दिन बहुत से लोग काम करने और घूमने आते हैं। लेकिन वहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अच्छी सुविधा नहीं है। यहां अक्सर जाम लगा रहता है।

    क्या कहते हैं अधिकारी?
    अधिकारियों का कहना है कि रोपवे से पर्यावरण को कम नुकसान होगा। सड़कों की जगह केबल का इस्तेमाल होगा। इससे जमीन कम चाहिए होगी और हरे-भरे इलाके बच जाएंगे। अगर यह प्रोजेक्ट पूरा होता है तो यह देश के उन कुछ रोपवे में से एक होगा जो मेट्रो से जुड़ा होगा और शहर में ट्रांसपोर्ट का एक अहम हिस्सा बनेगा।

  • जैन मठ लौटेगी माधुरी हथिनी

    जैन मठ लौटेगी माधुरी हथिनी

    वनतारा कोल्हापुर में पुनर्वास केंद्र बनाने के लिए सरकार तैयार
    मुंबई,
    महाराष्ट्र में बीते कुछ दिनों से चर्चा में रही ‘माधुरी’ उर्फ ‘महादेवी’ हथिनी को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को वनतारा टीम के साथ अहम बैठक की। सीएम फडणवीस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ के जरिये जानकारी दी कि माधुरी हथिनी को फिर से कोल्हापुर के नांदनी मठ में वापस लाने के प्रयासों में वनतारा प्रबंधन भी साथ देगा। अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि माधुरी को वापस मठ लाने से संबंधित महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जाने वाली याचिका में वे भी सहभागी होंगे।

    सीएम फडणवीस ने कहा
    फडणवीस ने कहा, वनतारा के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया था, और हथिनी को कब्जे में लेने की कोई मंशा नहीं थी। इतना ही नहीं, वनतारा ने नांदनी मठ के पास वन विभाग द्वारा चयनित स्थल पर महादेवी हथिनी के लिए पुनर्वसन केंद्र स्थापित करने की भी इच्छा जताई है। वनतारा ने कहा है कि वे केवल माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर रहे हैं और ‘माधुरी’ की अभिरक्षा लेने की उनकी कोई मंशा नहीं थी। टीम ने यह भी इच्छा जताई कि वे कोल्हापुर के नांदनी में, महाराष्ट्र सरकार के वन विभाग द्वारा चुने गए स्थान पर, माधुरी के लिए एक पुनर्वास केंद्र बनाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वे समुदाय की धार्मिक भावनाओं का सर्वोच्च सम्मान करते हैं।”

    रास्ता आसान होता नजर आ रहा है
    महाराष्ट्र सरकार जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रही है, जिसमें माधुरी हथिनी को वापस नांदनी मठ लाने की अनुमति मांगी जाएगी। वनतारा की सहमति से अब इस दिशा में रास्ता आसान होता नजर आ रहा है। बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महादेवी हथिनी को गुजरात के जामनगर स्थित अंबानी परिवार के वन्यजीव संरक्षण केंद्र ‘वनतारा’ भेजा गया था। इसके बाद कोल्हापुर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। कोल्हापुर में यह हथिनी वर्षों से धार्मिक आस्था का केंद्र रही है और उसके मठ से हटाए जाने को लेकर कई संगठनों और श्रद्धालुओं में भारी नाराजगी है।

    ‘माधुरी’ को वनतारा क्यों भेजा?
    36 वर्षीय हथिनी ‘महादेवी’ तीन दशकों से अधिक समय तक नंदनी में श्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी जैन मठ में थी। उसे इस सप्ताह की शुरुआत में अदालत के फैसले के बाद वनतारा के राधे कृष्ण मंदिर हाथी कल्याण ट्रस्ट में स्थानांतरित कर दिया गया। महादेवी को कथित तौर पर 1992 में कर्नाटक से कोल्हापुर मठ में लाया गया था और तब वह लगभग तीन साल की थी। उसने कथित तौर पर 2017 में मुख्य पुजारी को बार-बार दीवार पर पटक कर मार डाला था। कहा जा रहा है कि महादेवी को पैरों में सड़न, पैर के नाखून बड़े होना, गठिया और लगातार सिर हिलाना जैसी समस्या थी। उसके बिगड़ते स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने उसे वनतारा भेजा। वनतारा वन्यजीव संरक्षण और पुनर्वास केंद्र है। उद्योगपति मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी ने इसकी स्थापनी की है। वनतारा रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन द्वारा समर्थित है। गुजरात में जामनगर रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स के भीतर स्थित वनतारा 3000 एकड़ में फैला हुआ है।

  • आदिवासी फासेपारधी व भटक्या जमातीच्या वस्त्यांमध्ये विविध दाखले वाटप करण्यासाठी शिबीरे घ्यावीत – अॅड. धर्मपाल मेश्राम

    आदिवासी फासेपारधी व भटक्या जमातीच्या वस्त्यांमध्ये विविध दाखले वाटप करण्यासाठी शिबीरे घ्यावीत – अॅड. धर्मपाल मेश्राम

    आदिवासी फासेपारधी व भटक्या जमातीच्या वस्त्यांमध्ये विविध दाखले वाटप करण्यासाठी शिबीरे घ्यावीत
    – अॅड. धर्मपाल मेश्राम

    नागपूर, दि. 5:– अनुसूचित जाती व जमाती, विमुक्त जाती व भटक्या जमाती यांचेकडे अधिवास पुरावे उपलब्ध नसल्यामुळे त्यांना शासनाकडून वितरीत करण्यात येणाऱ्या योजनांचा लाभ घेता येत नाही. घरकुल योजनेचा लाभ मंजूर होत नाही, जातीचे प्रमाणपत्र व जात वैधता प्रमापत्र वेळेत मिळत नाहीत. यावर प्रभावी उपाय म्हणून संबंधित विभागाने विमुक्त जाती व भटक्या जमातीच्या वस्त्यांमध्ये विविध दाखले वाटप करण्यासाठी शिबीरे आयोजित करण्याचे निर्देश अॅड. धर्मपाल मेश्राम यांनी दिले.

    रविभवन, नागपूर येथे महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाती जमाती आयोगाचे उपाध्यक्ष अॅड. धर्मपाल मेश्राम यांच्या अध्यक्षतेखाली आयोजित करण्यात आलेल्या बैठकीत ते बोलत होते. शासनामार्फत राबविण्यात येणाऱ्या विविध योजनांचा लाभ तळागळातील लोकांपर्यंत पोहचविण्यासाठी बैठकीत सविस्तर चर्चा करण्यात आली.

    आदिवासी फासे पारधी, विमुक्‍त भटक्या जामातीच्या 157 वस्तींमध्ये विविध दाखले वाटप शिबीर आयोजित करणे, घरकुल योजनांचा लाभ मंजूर करणे, जात प्रमाणपत्र व जात वैधता प्रमाणपत्र निर्गमीत करणे करिता लवकरच जिल्हानिहाय उप जिल्हाधिकारी पातळीचा समन्वय अधिकारी (नोडल अधिकारी) म्हणून नेमण्याचे व त्यासाठी प्रत्येक जिल्हयातील समाज कल्याण विभागाच्या अधिकाऱ्यांनी महिनाभरात अहवाल देण्याचे निर्देशीत केले.

    बैठकीला आदिवास विकास विभागाचे उपायुक्त दिगांबर चव्हाण, उपजिल्हाधिकारी विवेक साळुंके, जिल्हा समाजकल्याण अधिकारी सुखदेव कौरती, पोलीस उपअधीक्षक हेमंत खराबे, सामाजिक नेते व अखिल भारतीय स्तरावर घुमंतू भटक्या जातींमध्ये काम करणारे श्री दुर्गादासजी व्यास, आशिष कावळे, राजीव डोणारकर, प्रदिप वडणेरकर, प्रविण पवार, प्रशांत पवार, श्रीकांत तिजारे, अमोल एडके आदी उपस्थित होते.

  • भाजपा ओबीसी आरक्षण को लेकर गंभीर

    भाजपा ओबीसी आरक्षण को लेकर गंभीर

    पालकमंत्री बावनकुले ने दिखाया विरोधियों को आईना
    नागपुर.
    राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में कहा कि जो लोग ओबीसी आरक्षण का विरोध कर रहे थे, उन्हें करारा झटका लगा होगा। यह एक तरह से विपक्ष को भी स्पष्ट संदेश है कि भाजपा इस मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं है। यह मुद्दा केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह भाजपा की एक बड़ी सामाजिक-राजनीतिक परियोजना का हिस्सा है, जिसके तहत वह समाज के विभिन्न वर्गों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है।

    चुनावी आधार मजबूत कर रही भाजपा
    ओबीसी आरक्षण का मुद्दा लंबे समय से कानूनी और राजनीतिक जटिलताओं में फंसा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और ट्रिपल टेस्ट की शर्तों ने इस पर अनिश्चितता के बादल मंडरा दिए थे। ऐसे में, बावनकुले का यह आश्वासन उन लाखों लोगों के लिए एक राहत की तरह है जो दशकों से राजनीतिक प्रतिनिधित्व में अपनी हिस्सेदारी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। भाजपा, जो खुद को सामाजिक न्याय की पक्षधर पार्टी के रूप में प्रस्तुत करती है, इस मुद्दे पर स्पष्ट और मजबूत रुख अपनाकर अपने चुनावी आधार को भी मजबूत कर रही है।

    भाजपा की गहरी रणनीति
    भाजपा की यह गंभीरता केवल बयानों तक सीमित नहीं है। पार्टी ने ओबीसी आरक्षण को बहाल करने के लिए कानूनी और प्रशासनिक स्तर पर भी प्रयास किए हैं। ट्रिपल टेस्ट की शर्तों को पूरा करने के लिए जरूरी डेटा एकत्र करने और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाने जैसे कदम इस बात के प्रमाण हैं कि पार्टी इस समस्या का स्थायी समाधान चाहती है। यह एक ऐसी रणनीति है जो न केवल अल्पकालिक चुनावी लाभ देती है, बल्कि एक व्यापक सामाजिक आधार भी तैयार करती है।

    प्रदेश की राजनीति को नई दिशा
    यह ध्यान देने योग्य है कि स्थानीय निकाय चुनाव राज्य के विकास और प्रशासन की रीढ़ होते हैं। इन चुनावों में ओबीसी समुदाय का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना एक समावेशी और सहभागी लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। भाजपा का यह रुख न केवल इस समुदाय को राजनीतिक शक्ति देगा, बल्कि उन्हें मुख्यधारा की राजनीति में और मजबूती से स्थापित करेगा। यह एक ऐसा कदम है जो केवल चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, बल्कि आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को भी प्रभावित करेगा। ओबीसी आरक्षण पर भाजपा की गंभीरता, इसलिए, एक सकारात्मक और स्वागतयोग्य कदम है।