Category: महाराष्ट्र

  • यह चाटुकारिता नहीं, फुके की भावना है

    यह चाटुकारिता नहीं, फुके की भावना है

    मुख्यमंत्री फडणवीस को ‘देवता’ बना दिया
    मुंबई.
    नागपुर से भाजपा विधायक परिणय फुके ने महाराष्ट्र विधान परिषद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रशंसा में जो शब्द कहे, वे किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में चाटुकारिता की पराकाष्ठा ही माने जाएंगे। नियम-260 के प्रस्ताव पर बोलते हुए फुके ने फडणवीस को न केवल देवतुल्य बताया, बल्कि यहां तक कह दिया कि वह उनकी “आरती” गाते हैं। यह बयान बताता है कि सत्ता के गलियारों में कैसे व्यक्ति पूजा और अतिशयोक्तिपूर्ण प्रशंसा एक आम चलन बनती जा रही है।

    स्तुतिगान किसी भक्ति भजन से कम नहीं
    फुके ने मुख्यमंत्री के चरित्र को प्रभु श्रीराम जैसा, उनकी बुद्धि को श्रीकृष्ण जैसा चतुर और उनकी सहनशक्ति को भगवान महादेव जैसा बताया। इतना ही नहीं, फडणवीस में “विष पचाने की क्षमता” और सूर्य की तरह तेजस्वी तथा चंद्रमा की तरह शीतल होने के गुण भी गिनाए गए। यह स्तुतिगान किसी भक्ति भजन से कम नहीं था, जो एक चुने हुए प्रतिनिधि द्वारा अपने ही मुख्यमंत्री के लिए विधानसभा के पटल पर किया गया। यह विडंबना ही है कि यही फुके कुछ समय पहले, 1 जुलाई को, विकास निधि न मिलने पर अपनी ही सरकार की आलोचना कर चुके थे और विधान परिषद को गंभीरता से न लेने की बात कही थी।

    यू-टर्न लेने में कितनी सहजता
    यह घटना दर्शाती है कि राजनीति में पाला बदलने और बयानों में यू-टर्न लेने में कितनी सहजता आ गई है। जहां एक ओर विपक्ष ऐसे बयानों पर तंज कसता है, वहीं दूसरी ओर ऐसे बयान देने वाले नेता शायद यह भूल जाते हैं कि वे जन प्रतिनिधि हैं, किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत भक्त नहीं। लोकतंत्र में नेताओं की प्रशंसा उनके काम के आधार पर होनी चाहिए, न कि पौराणिक पात्रों से तुलना करके उन्हें भगवान का दर्जा देकर। ऐसी अतिशयोक्तिपूर्ण प्रशंसा न केवल लोकतंत्र की मूल भावना को कमजोर करती है, बल्कि जनता के बीच भी नेताओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाती है।

  • फीस के लिए नहीं थे पैसे; नागपुर के डॉक्टर्स ने क्राउड फंडिंग से जुटाए ₹5 लाख

    फीस के लिए नहीं थे पैसे; नागपुर के डॉक्टर्स ने क्राउड फंडिंग से जुटाए ₹5 लाख

    आईआईटी दिल्ली में मिली है बीटेक सीट
    नागपुर.
    महाराष्ट्र के कुछ डॉक्टरों ने मिलकर एक नेक काम किया है। इन डॉक्टरों का समूह सीआईडीआरए (सेंट्रल इंडिया डॉक्टर्स एसोसिएशन) कहलाता है। सीआईडीआरए के डॉक्टरों ने आईआईटी दिल्ली में पढ़ने के इच्छुक एक छात्र की मदद की है। यह छात्र नागपुर का रहने वाला है। डॉक्टर्स ने क्राउडफंडिंग करके छात्र की फीस का इंतजाम किया।

    जेईई की परीक्षा में बहुत अच्छा रैंक
    इस छात्र ने जेईई की परीक्षा में बहुत अच्छा रैंक हासिल किया। जेईई एक परीक्षा है जिसे पास करके छात्र आईआईटी जैसे बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते हैं। इस छात्र का सपना आईआईटी दिल्ली से बीटेक करना था। लेकिन इस छात्र के सामने एक बड़ी मुश्किल थी। उसके पिता के ऊपर बहुत कर्ज था। इसलिए वह आईआईटी की फीस भरने में असमर्थ थे।

    होनहार है लड़का
    इस छात्र ने जेईई मेन्स की परीक्षा में पहली बार में 99.961 पर्सेंटाइल हासिल किया था। दूसरी बार में उसने 99.966 पर्सेंटाइल हासिल किया। यह बहुत ही शानदार प्रदर्शन है। इस होनहार छात्र ने एचएससी बोर्ड परीक्षा में 93% और एसएससी में 96% अंक प्राप्त किए थे। छात्र ने यह सफलता तब हासिल की, जब उसके परिवार को कोरोना महामारी के कारण आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था।

    क्राउडफंडिंग अभियान शुरू किया
    जब सीआईडीआरए के सदस्यों को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने एक क्राउडफंडिंग अभियान शुरू किया। क्राउडफंडिंग का मतलब है लोगों से पैसे इकट्ठा करना। सीआईडीआरए के सदस्यों ने छात्र की पूरी फीस भरने के लिए पैसे जुटाए। वे नहीं चाहते थे कि पैसे की कमी के कारण छात्र को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़े। लगभग ₹5 लाख रुपये जमा किए गए हैं। इससे छात्र की पहले दो साल की फीस और रहने का खर्च पूरा हो जाएगा। जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भी आर्थिक मदद की पेशकश की है।

    परिवार जकात लेने नहीं था तैयार
    सीआईडीआरए के संस्थापक सदस्य और मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. काशिफ सैयद ने कहा कि पैसे जुटाना एक चुनौती थी, क्योंकि छात्र का परिवार ‘जकात’ (दान) का पैसा लेने को तैयार नहीं था। जकात इस्लाम में गरीबों को दिया जाने वाला दान होता है। इसलिए, स्वयंसेवकों को सलाह दी गई कि वे केवल गैर-जकात धन ही साझा करें।

    कोरोना में तंगी की हालत हुई
    डॉ. सैयद ने बताया कि छात्र ने लगभग दो हफ्ते पहले अपने स्कूल के प्रिंसिपल के माध्यम से उनसे वित्तीय सहायता मांगी थी। आईआईटी में पहली किस्त भरने की अंतिम तारीख 21 जुलाई थी। सीआईडीआरए के कोषाध्यक्ष और चिकित्सक डॉ. मेराज शेख ने कहा कि धन एकत्र करने के अभियान के दौरान, मुझे अलग-अलग लोगों से कई सवाल मिले। हर कोई यह सुनिश्चित करना चाहता था कि परिवार वास्तव में हमारी मदद के लिए ‘गरीब’ है या नहीं।डॉ. शेख ने आगे बताया कि छात्र के पिता ने अपने छोटे व्यवसाय को फिर से शुरू करने के लिए भारी कर्ज लिया था। अचानक कोरोना महामारी ने उनका कारोबार चौपट कर दिया। छात्र के पिता पर कर्ज का ब्याज बढ़ने लगा। वह उसकी फीस भरने की स्थिति में नहीं थे, क्योंकि सारी आय कर्ज चुकाने में जा रही थी।

  • जिन्ना हाउस विरासत, तो ‘सावरकर सदन’ क्यों नहीं

    जिन्ना हाउस विरासत, तो ‘सावरकर सदन’ क्यों नहीं

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने फडणवीस सरकार से मांगा जवाब
    मुंबई.
    बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार को मध्य मुंबई के दादर स्थित सावरकर सदन को धरोहर का दर्जा देने के मुद्दे पर रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। इससे पहले मुंबई धरोहर संरक्षण समिति ने इस संरचना को धरोहर का दर्जा देने की सिफारिश की थी। इसके बाद बृहन्मुंबई महानगर पालिका ने दर्जा देने के लिए सरकार को पत्र लिखा था, हालांकि अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है।

    छह अगस्त को अगली सुनवाई
    बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ को एक सरकारी वकील ने सूचित किया कि समिति को एक नई सिफारिश करनी होगी। इसके बाद अदालत ने इसके पीछे के कारण पर सवाल उठाया। पीठ ने कहा, “पहले की सिफ़ारिश में क्या दिक्कत है? समिति ने सिफ़ारिश की थी, इसलिए बीएमसी ने आपको (सरकार को) पत्र लिखकर इसे ग्रेड दो धरोहर संरचना घोषित करने के लिए कहा।” पीठ ने सरकार और बीएमसी को अपने हलफ़नामे दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई छह अगस्त के लिए निर्धारित कर दी।

    यह अनुरोध किया है
    पंकज के. फडनीस के नेतृत्व वाले एक हिंदू संगठन, अभिनव भारत कांग्रेस द्वारा दायर एक जनहित याचिका में इस इमारत के लिए धरोहर संरक्षण का अनुरोध किया गया था। दादर के शिवाजी पार्क क्षेत्र में स्थित सावरकर सदन कभी हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर का निवास स्थान हुआ करता था। इस जनहित याचिका में राज्य सरकार से 2012 में इस इमारत को मुंबई की आधिकारिक धरोहर सूची में शामिल करने की सिफ़ारिश पर कार्रवाई करने का आग्रह किया गया था। याचिकाकर्ता ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सिफ़ारिश के बावजूद, शहरी विकास विभाग एक दशक से भी ज़्यादा समय से कोई कार्रवाई करने में विफल रहा है। याचिका में केंद्र सरकार से सावरकर सदन को ‘राष्ट्रीय महत्व का स्मारक’ घोषित करने पर विचार करने का भी आग्रह किया गया, हालांकि मौजूदा मानदंडों के तहत इसकी आयु 100 वर्ष से कम है। जिन्ना हाउस से तुलना करते हुए, याचिकाकर्ता ने सवाल किया कि सावरकर सदन को इसी तरह की मान्यता क्यों नहीं दी गई। जिन्ना हाउस को संरक्षित धरोहर का दर्जा प्राप्त है। अब देखना है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश पर सीएम देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली महायुति सरकार क्या फैसला लेती है।

  • शशिकांत शिंदे  एनसीपी (एसपी) के बने महाराष्ट्र अध्यक्ष

    शशिकांत शिंदे  एनसीपी (एसपी) के बने महाराष्ट्र अध्यक्ष

    जयंत पाटील के इस्तीफे के बाद शरद पवार ने सौंपी कमान

    मुंबई.

    शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) के प्रदेश अध्यक्ष पद से जयंत पाटील के इस्तीफा देने के बाद शशिकांत शिंदे को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। पार्टी प्रमुख शरद पवार ने शिंदे के नाम का ऐलान करते हुए कहा कि अनिल देशमुख ने शिंदे का नाम सुझाया है, जिसे सांसद अमोल कोल्हे ने समर्थन दिया है। आगामी स्थानीय निकाय के चुनाव शिंदे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।

     

    पूरे महाराष्ट्र का दौरा करेंगे

    नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष शिंदे ने कहा कि वे आने वाले दिनों में पूरे महाराष्ट्र का दौरा करेंगे। साथ ही पार्टी संगठन में युवाओं को मौका देने की कोशिश करेंगे। उन्होंने यह भी भरोसा जताया कि वह आरआर पाटील की तरह काम करेंगे। मंगलवार को विधान भवन के करीब स्थित वाईबी चव्हाण सेंटर में एनसीपी (एसपी) की कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें शरद पवार, जयंत पाटील, पूर्व मंत्री अनिल देशमुख, जितेंद्र आव्हाड, हर्षवर्धन पाटील, शशिकांत शिंदे सहित तमाम नेता मौजूद थे। इसमें अनिल देशमुख ने प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए शशिकांत शिंदे के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सभी नेताओं ने सर्वसम्मति से मंजूर किया। इसके बाद शरद पवार ने शशिकांत शिंदे के नाम की घोषणा कर दी।

     

    शरद पवार के बेहद करीबी हैं

    शरद पवार ने अपने बेहद करीबी शशिकांत शिंदे को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। शिंदे इस समय विधान परिषद के सदस्य हैं। इधर, प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले विधायक जयंत पाटील को लेकर अटकलबाजी शुरू हो गई है। भाजपा के नेता व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी गिरीश महाजन ने कहा कि जयंत पाटील अपनी पार्टी में नाखुश हैं और वह उनसे संपर्क में हैं। इस पर जयंत पाटील ने कहा कि उन्होंने न तो सत्तारूढ़ दल के किसी नेता से मुलाकात की है, और न ही महायुति के किसी घटक दल के नेता ने उनसे संपर्क किया है। पार्टी में जयंत पाटील के खिलाफ विरोध के सुर बढ़ रहे थे। पुणे में पार्टी के 26वें स्थापना दिवस पर पाटील ने शरद पवार की उपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। तब पाटील ने कहा था कि युवाओं को अवसर मिलना चाहिए। पाटील शरद पवार के विश्वसनीय साथियों में से एक हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से कहा जा रहा था कि जयंत पाटील पार्टी छोड़ सकते हैं।

  • मदरसा में उर्दू की जगह मराठी पढ़ाओ

    मदरसा में उर्दू की जगह मराठी पढ़ाओ

    मंत्री नितेश राणे की बड़ी मांग
    मुंबई.
    महाराष्ट्र में हिंदी-मराठी भाषा विवाद के बीच फडणवीस सरकार में मंत्री नितेश राणे ने बड़ा बयान दिया है। राणे ने कहा है कि मदरसों में मराठी पढ़ाई जानी चाहिए। राणे ने यह बयान मनसे द्वारा मराठी नहीं बोलने पर हिंदुओं की पिटाई और कांग्रेस द्वारा मराठी पाठशाला की मांग पर दिया है।

    वहां तो बंदूक चलाने वाले मिलते हैं
    राणे ने कहा है कि मदरसों में उर्दू की जगह मराठी चालू करो। इतना ही नहीं, मुसलमानों को अज़ान भी मराठी में देनी चाहिए। नितेश राणे ने दावा किया कि वहां बंदूक चलाने वाले मिलते हैं। वहां उर्दू की जगह मराठी पढ़ाई जानी चाहिए। इससे पहले नितेश राणे ने मनसे को मोहम्मद अली रोड पर जाकर टोपीवालों को मराठी बुलवाने की चुनौती दी थी। मराठी नहीं बोलने पर हिंदुओं की पिटाई पर नितेश राणे ने इसे नौटंकी करार दिया था।

    त्रिभाषा फॉर्मूले पर घमासान
    मीरा रोड पर मारवाड़ी व्यापारी की पिटाई के बाद नितेश राणे ने खुद को हिंदुओं का चौकीदार बताया था। तब राणे ने कहा था, “कोई भी हिंदुओं को नहीं डरा सकता है।” राणे ने यह नई मांग ऐसे वक्त पर रखी है, जब महाराष्ट्र विधानमंडल का सत्र चल रहा है। इतना ही नहीं, त्रिभाषा फॉर्मूले पर महायुति सरकार पहले ही पीछे हट चुकी है। सरकार ने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के विरोध के बाद महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य करने के आदेश को वापस ले लिया था। नितेश राणे की मांग पर महाराष्ट्र में नए सिरे से हंगामा हो सकता है। मीरा रोड पर मनसे के कार्यकर्ताओं ने एक मारवाड़ी व्यापारी को मराठी नहीं बोलने पर पीटा था। इसके बाद पालघर, वसई, विरार में भी ऐसी घटना सामने आई थी।

  • सौतेला पिता ने 4 साल की बेटी की हत्या कर समुद्र में फेंका

    सौतेला पिता ने 4 साल की बेटी की हत्या कर समुद्र में फेंका

    मोबाइल की लत के कारण था परेशान, बना हैवान
    मुंबई.
    मुंबई से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। एंटॉप हिल इलाके में एक सौतेले पिता ने अपनी 4 साल की मासूम बेटी की बेरहमी से हत्या कर दी, क्योंकि वह मोबाइल चलाने की आदत के कारण देरी से सोती थी, जिसके चलते 40 वर्षीय आरोपी को अपनी पत्नी के साथ समय बिताने का मौका नहीं मिल रहा था। आरोपी इमरान शेख (40) अपनी पत्नी नाजिया और चार साल की सौतेली बेटी के साथ मध्य मुंबई के एंटॉप हिल इलाके में रहता था। शेख और बच्ची की मां नाजिया ने बेटी की गुमशुदगी को लेकर एंटॉप हिल थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।

    अपहरण का मामला दर्ज हुआ
    अधिकारियों ने बताया कि सोमवार रात करीब पौने एक बजे बच्ची के लापता होने की सूचना उसकी मां नाजिया और सौतेले पिता इमरान शेख ने दी थी, जिसके बाद पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज कर तलाश शुरू कर दी। नाजिया घरेलू सहायिका का काम करती है। बच्ची को रात में मोबाइल पर देर तक गेम खेलना पसंद था, जिससे परेशान होकर इमरान ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। उसने बच्ची का गला घोंटकर उसकी हत्या की और फिर पकड़े जाने से बचने के लिए शव को अरब सागर में फेंक दिया। पुलिस ने बताया कि इमरान शेख ने बच्ची की हत्या करने के बाद किसी को शक न हो, इसलिए उसका शव कुलाबा इलाके में समुद्र में फेंक दिया। लेकिन अगले ही दिन सुबह करीब साढ़े आठ बजे दक्षिण मुंबई में ससून डॉक के पास मासूम का शव समुद्र में तैरता हुआ पाया गया।

  • कोल्हापुर की कारीगरी देख इटली हैरान

    कोल्हापुर की कारीगरी देख इटली हैरान

    कारीगरों को मिला सम्मान
    कोल्हापुर.
    लग्जरी फैशन ब्रांड प्राडा को हाल ही में अपने ‘प्राडा मेन्स 2026 फैशन शो’ में कोल्हापुरी चप्पलों जैसी दिखने वाली चप्पलों को प्रदर्शित करने और उनकी पारंपरिक भारतीय विरासत का उल्लेख न करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। कोल्हापुरी चप्पलों को महाराष्ट्र का सांस्कृतिक प्रतीक माना जाता है और उन्हें सही मान्यता न मिलने से नाराजगी फैल गई थी।

    टीम कोल्हापुर पहुंची
    हालांकि, आलोचना के कुछ दिनों बाद प्राडा की एक टीम कोल्हापुर पहुंची। उन्होंने इन प्रसिद्ध चप्पलों के पीछे छिपे इतिहास और कारीगरी को समझने का प्रयास किया। महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष ललित गांधी ने बताया कि प्राडा ने मिलान फैशन शो में इन चप्पलों को केवल “चमड़े के कपड़े” के रूप में वर्णित किया था, उनके मूल स्थान का कोई जिक्र नहीं किया।

    छह वरिष्ठ प्रतिनिधि थे टीम में
    बुधवार को प्राडा के छह वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने कोल्हापुर पहुंचकर पारंपरिक शिल्प को बेहतर तरीके से समझा और कारीगरों के हुनर को करीब से देखने के बाद उन्हें सही पहचान दिलाने का वादा किया। गांधी ने कहा, “उन्होंने वादा किया कि ऐसी गलती अब कभी नहीं होगी। साथ ही प्राडा के प्रतिनिधियों ने यह भी वादा किया कि वे कोल्हापुरी चप्पलों को वैश्विक स्तर पर सही मान्यता दिलाने में मदद करेंगे।” इटालियन फैशन हाउस की टीम ने कोल्हापुर के जवाहर नगर क्षेत्र का दौरा किया और कई स्थानीय कारीगरों से बात की।

    इस कारण नाराजगी
    प्राडा के मिलान फैशन सप्ताह में कम से कम सात स्प्रिंग/समर 2026 कलेक्शन में मॉडल्स ने कोल्हापुरी स्टाइल की चमड़े की चप्पलें पहनी थीं, जिनकी कीमत लगभग ₹1.2 लाख रुपये थी। प्राडा ने अपने शो नोट्स में चप्पलों को केवल “चमड़े के सैंडल” बताया था, जिससे खासकर पश्चिमी महाराष्ट्र में पारंपरिक निर्माताओं में नाराजगी पैदा हुई। भारत में 2019 से कोल्हापुरी चप्पलों को जीआई (भौगोलिक संकेत) का दर्जा प्राप्त है, जो उनकी अनोखी धरोहर और क्षेत्रीय पहचान को मान्यता देता है।

    महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स की प्रतिक्रिया
    महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर ने प्राडा को पत्र लिखकर इस पर नाराजगी जताई थी। जवाब में प्राडा ने “जिम्मेदार डिज़ाइन प्रैक्टिस” और “सांस्कृतिक जुड़ाव” को बढ़ावा देने का वादा किया। पिछले हफ्ते, प्राडा ने भारतीय कारीगरों के साथ साझेदारी में “मेड इन इंडिया” कोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित लिमिटेड एडिशन कलेक्शन लॉन्च करने की इच्छा भी जताई।

    अदालत पहुंचा मामला
    इस बीच, कोल्हापुरी चप्पलों के अनधिकृत उपयोग के आरोप में प्राडा के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें मुआवजे और सार्वजनिक माफी की मांग की गई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। मामले के तूल पकड़ने पर प्राडा ने स्वीकार किया है कि उन्होंने कोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित होकर ही अपनी चप्पलें बनाई हैं।

  • ठाकरे बंधुओं के गठबंधन पर सस्पेंस

    ठाकरे बंधुओं के गठबंधन पर सस्पेंस

    राज ठाकरे का मीडिया पर गुस्सा
    मुंबई.
    महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे आगामी चुनावों में एक साथ आएंगे? उद्धव गुट के नेता जहां गठबंधन को लेकर सकारात्मक बयान दे रहे हैं, वहीं मनसे की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, जिससे सस्पेंस बरकरार है।

    उचित समय पर उचित निर्णय
    मनसे के वरिष्ठ नेता बाला नांदगावकर ने हाल ही में इगतपुरी में पदाधिकारियों के लिए आयोजित एक विशेष शिविर के बाद कहा, “हम खुद भी इस विषय पर सोच रहे हैं। गठबंधन को लेकर जो भी फैसला होगा, वह राज ठाकरे ही लेंगे और वह उचित समय पर उचित निर्णय करेंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि राज ठाकरे के भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस, शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार से भी अच्छे संबंध हैं। नांदगावकर ने जोर दिया कि संगठन का हित उनकी प्राथमिकता है।

    पत्रकारों पर बरसे राज ठाकरे
    इस बीच, राज ठाकरे ने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स पर नाराजगी जताई, जिनमें उनके हवाले से यह कहा गया था कि गठबंधन पर फैसला महानगरपालिका चुनावों से पहले की स्थिति देखकर लिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही और कुछ मीडियाकर्मियों ने अनौपचारिक बातचीत को तोड़-मरोड़कर पेश किया। राज ठाकरे ने कहा, “अगर मुझे कोई राजनीतिक बयान देना होगा, तो मैं उसे प्रेस कॉन्फ्रेंस में दूंगा। अनौपचारिक बातों को घुमा-फिराकर खबर बनाना पत्रकारिता नहीं है।”

  • महाराष्ट्र की राजनीति में ‘संजयों’ का जलवा

    महाराष्ट्र की राजनीति में ‘संजयों’ का जलवा

    ‘एक-दूसरे की दूर-दृष्टि’ पर ‘संजय’ को शक, महाघमासान अभी बाकी है
    मुंबई.
    महाराष्ट्र की राजनीति में चार-चार संजय इस समय सुर्खियों में हैं, और वे आपस में एक-दूसरे की ‘दूर-दृष्टि’ पर सवाल उठाते हुए तीखी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप में व्यस्त हैं। यह स्थिति बताती है कि महाराष्ट्र की राजनीति में महाघमासान अभी बाकी है। ये ‘संजय’ इस घमासान के केंद्र में बने हुए हैं।

    राउत बनाम निरुपम
    उद्धव ठाकरे गुट के प्रमुख नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत अपने बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। वे उद्धव बालासाहेब ठाकरे शिवसेना के प्रमुख प्रवक्ता हैं और हर मुद्दे पर मुखर होकर अपनी बात रखते हैं। उनके मुकाबले में, कांग्रेस छोड़कर शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना में शामिल हुए संजय निरुपम भी पार्टी का पक्ष मजबूती से रखते हैं। हाल ही में, संजय निरुपम ने राउत पर तीखा हमला बोला था। गुरु पूर्णिमा के दिन उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे की अमित शाह से कोई मुलाकात नहीं हुई थी, वे झारखंड में थे, लेकिन इसके बाद भी राउत ने झूठ फैलाया। तब निरुपम ने राउत से शिंदे से माफी मांगने की मांग की थी। यह दोनों संजय, जो कभी एक ही विचारधारा के करीब थे, अब एक-दूसरे के खिलाफ बयानी जंग छेड़े हुए हैं, जिससे उनकी ‘दूर-दृष्टि’ पर सवाल उठते हैं कि वे किसके कहने पर या किस एजेंडे के तहत बयान दे रहे हैं।

    राउत बनाम शिरसाट
    शिंदे गुट के मंत्री संजय शिरसाट इन दिनों विपक्ष के निशाने पर हैं। आयकर विभाग ने उन्हें संपत्ति में गड़बड़ी को लेकर नोटिस भेजा है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। इसी बीच, संजय राउत ने शिरसाट के बेडरूम का एक कथित वीडियो शेयर कर हड़कंप मचा दिया, जिसमें कथित तौर पर नोटों के बंडल दिखाई दे रहे हैं। यह वीडियो सामने आने के बाद शिरसाट ने संजय राउत पर मानहानि का दावा करने की चेतावनी दी है। शिरसाट का कहना है कि यह एक ‘मॉर्फ्ड वीडियो’ है, जिसका इस्तेमाल उन्हें बदनाम करने के लिए किया गया है। यह प्रकरण दोनों संजयों के बीच राजनीतिक द्वेष को उजागर करता है, जहां एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, जिससे उनकी ‘दूर-दृष्टि’ पर सवालिया निशान लगता है।

    गायकवाड़ की हुंकार
    बुलढाणा विधानसभा सीट से विधायक संजय गायकवाड़ अक्सर विवादों में रहते हैं। कैंटीन में स्टाफ को पीटने के बाद उन्होंने कहा था कि वे फिर पीटेंगे। इतना ही नहीं, बाद में उन्होंने दक्षिण भारतीयों पर निशाना साधते हुए कहा था कि ‘साउथ इंडियन डांस और लेडीज बार चलाकर महाराष्ट्र की संस्कृति को खराब कर रहे हैं, इन्हें खाने के ठेके नहीं मिलने चाहिए।’ संजय गायकवाड़ की ये टिप्पणियां उनकी ‘दूर-दृष्टि’ पर सवाल उठाती हैं कि क्या वे समाज में ध्रुवीकरण पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

    बीजेपी के संजय उपाध्याय
    इन तीन संजयों के अलावा, बीजेपी में भी एक प्रमुख ‘संजय’ हैं – संजय उपाध्याय, जो मुंबई में पार्टी का एक बड़ा उत्तर भारतीय चेहरा हैं। संजय उपाध्याय पिछले दिनों अवैध बांग्लादेशियों के मुद्दे पर काफी आक्रामक हुए थे। उन्होंने कहा था कि ‘वह कुछ भी हो जाए, लेकिन बोरीवली को बांग्लादेश नहीं बनने देंगे।’ संजय उपाध्याय की गिनती फडणवीस के विश्वसनीय लोगों में होती है और वे मुंबई बीजेपी प्रमुख के दावेदारों में से एक हैं। अभी फिलहाल आशीष शेलार मुंबई की कमान संभाल रहे हैं।

    अपनी जगह बनाने की कोशिश
    इन चारों ‘संजयों’ के बीच की यह तकरार दर्शाती है कि महाराष्ट्र की राजनीति में हर कोई अपनी जगह बनाने और अपने विरोधियों को कमजोर करने में लगा है। एक-दूसरे की ‘दूर-दृष्टि’ पर सवाल उठाते हुए ये नेता यह स्पष्ट कर रहे हैं कि आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीतिक लड़ाई और भी व्यक्तिगत और तीखी होने वाली है। क्या यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी है या इसके पीछे कोई गहरी रणनीति काम कर रही है? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

  • ‘चड्डी-बनियान’ की गर्मी से चढ़ेगा राजनीतिक पारा

    ‘चड्डी-बनियान’ की गर्मी से चढ़ेगा राजनीतिक पारा

    आदित्य ठाकरे पर भड़के निलेश राणे, दी खुली चुनौती
    मुंबई.
    महाराष्ट्र विधानसभा में उद्धव सेना के युवा विधायक आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से ‘चड्डी-बनियान गैंग’ के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही थी। उनके इस बयान पर शिंदे सेना के विधायक निलेश राणे बुरी तरह भड़क गए और उन्होंने आदित्य ठाकरे को खुली चुनौती दे डाली।

    इन पर साधा था निशाना
    विधानसभा में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर बोलते हुए आदित्य ठाकरे ने शिंदे गुट के मंत्री संजय शिरसाट और विधायक संजय गायकवाड़ का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा था। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘चड्डी-बनियान गैंग’ के लोग किसी को भी पीटते हैं और कुछ भी करते हैं, क्योंकि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। आदित्य ठाकरे के इस बयान पर विधायक निलेश राणे ने कड़ी आपत्ति जताई है।

    ‘नाम लेने की हिम्मत नहीं है’
    राणे ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, “उन्होंने (आदित्य ठाकरे) जो शब्द इस्तेमाल किए हैं, वो किसके लिए (चड्डी-बनियान गैंग) इस्तेमाल किए हैं? उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि वो किसके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। बहरहाल, ‘नाम लेने की हिम्मत नहीं है’ वाला निलेश राणे का तंज शिवसेना (यूबीटी) और शिंदे गुट के बीच पहले से ही जारी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को और हवा दे सकता है। यह बयानबाजी अब सड़कों पर भी दोनों गुटों के कार्यकर्ताओं के बीच टकराव का कारण बन सकती है।

    तापमान काफी बढ़ चुका है
    महाराष्ट्र की राजनीति में जुबानी जंग कोई नई बात नहीं है, लेकिन ‘चड्डी-बनियान गैंग’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल और उस पर सीधे तौर पर चुनौती देना, यह दर्शाता है कि राजनीतिक तापमान काफी बढ़ चुका है। देखना होगा कि यह तकरार विधानसभा के बाहर सड़कों पर किस तरह का रूप लेती है और क्या शिंदे गुट के अन्य नेता भी आदित्य ठाकरे के बयान पर कोई पलटवार करते हैं। यह घटना राज्य की राजनीति में आने वाले दिनों में और गरमाहट ला सकती है।