कारीगरों को मिला सम्मान
कोल्हापुर.
लग्जरी फैशन ब्रांड प्राडा को हाल ही में अपने ‘प्राडा मेन्स 2026 फैशन शो’ में कोल्हापुरी चप्पलों जैसी दिखने वाली चप्पलों को प्रदर्शित करने और उनकी पारंपरिक भारतीय विरासत का उल्लेख न करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। कोल्हापुरी चप्पलों को महाराष्ट्र का सांस्कृतिक प्रतीक माना जाता है और उन्हें सही मान्यता न मिलने से नाराजगी फैल गई थी।
टीम कोल्हापुर पहुंची
हालांकि, आलोचना के कुछ दिनों बाद प्राडा की एक टीम कोल्हापुर पहुंची। उन्होंने इन प्रसिद्ध चप्पलों के पीछे छिपे इतिहास और कारीगरी को समझने का प्रयास किया। महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष ललित गांधी ने बताया कि प्राडा ने मिलान फैशन शो में इन चप्पलों को केवल “चमड़े के कपड़े” के रूप में वर्णित किया था, उनके मूल स्थान का कोई जिक्र नहीं किया।
छह वरिष्ठ प्रतिनिधि थे टीम में
बुधवार को प्राडा के छह वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने कोल्हापुर पहुंचकर पारंपरिक शिल्प को बेहतर तरीके से समझा और कारीगरों के हुनर को करीब से देखने के बाद उन्हें सही पहचान दिलाने का वादा किया। गांधी ने कहा, “उन्होंने वादा किया कि ऐसी गलती अब कभी नहीं होगी। साथ ही प्राडा के प्रतिनिधियों ने यह भी वादा किया कि वे कोल्हापुरी चप्पलों को वैश्विक स्तर पर सही मान्यता दिलाने में मदद करेंगे।” इटालियन फैशन हाउस की टीम ने कोल्हापुर के जवाहर नगर क्षेत्र का दौरा किया और कई स्थानीय कारीगरों से बात की।
इस कारण नाराजगी
प्राडा के मिलान फैशन सप्ताह में कम से कम सात स्प्रिंग/समर 2026 कलेक्शन में मॉडल्स ने कोल्हापुरी स्टाइल की चमड़े की चप्पलें पहनी थीं, जिनकी कीमत लगभग ₹1.2 लाख रुपये थी। प्राडा ने अपने शो नोट्स में चप्पलों को केवल “चमड़े के सैंडल” बताया था, जिससे खासकर पश्चिमी महाराष्ट्र में पारंपरिक निर्माताओं में नाराजगी पैदा हुई। भारत में 2019 से कोल्हापुरी चप्पलों को जीआई (भौगोलिक संकेत) का दर्जा प्राप्त है, जो उनकी अनोखी धरोहर और क्षेत्रीय पहचान को मान्यता देता है।
महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर ने प्राडा को पत्र लिखकर इस पर नाराजगी जताई थी। जवाब में प्राडा ने “जिम्मेदार डिज़ाइन प्रैक्टिस” और “सांस्कृतिक जुड़ाव” को बढ़ावा देने का वादा किया। पिछले हफ्ते, प्राडा ने भारतीय कारीगरों के साथ साझेदारी में “मेड इन इंडिया” कोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित लिमिटेड एडिशन कलेक्शन लॉन्च करने की इच्छा भी जताई।
अदालत पहुंचा मामला
इस बीच, कोल्हापुरी चप्पलों के अनधिकृत उपयोग के आरोप में प्राडा के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें मुआवजे और सार्वजनिक माफी की मांग की गई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। मामले के तूल पकड़ने पर प्राडा ने स्वीकार किया है कि उन्होंने कोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित होकर ही अपनी चप्पलें बनाई हैं।
