Category: अंतरराष्ट्रीय

  • शेख हसीना की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

    शेख हसीना की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

    इंटरपोल जारी कर सकता है रेड कॉर्नर नोटिस!
    नई दिल्ली.
    बांग्लादेश में छात्र आंदोलन की वजह से बढ़ी राजनीतिक अस्थिरता और तख्तापलट के चलते पिछले साल 5 अगस्त को शेख हसीना को पीएम पद छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़कर भागना पड़ा था। तभी से शेख हसीना, अपनी बहन शेख रेहाना के साथ भारत सरकार की शरण में रह रही हैं। शेख हसीना के बाद बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि पूर्व बांग्लादेशी पीएम का बांग्लादेश प्रत्यर्पण हो जाए। बांग्लादेश में शेख हसीना पर कई मुकदमें भी चल रहे हैं। हालांकि भारत सरकार के संरक्षण में रह रही शेख हसीना सुरक्षित हैं, लेकिन इसी बीच बांग्लादेशी पुलिस ने उन पर शिकंजा कसने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है।

    बांग्लादेश ने की है अपील
    बांग्लादेश की पुलिस ने इंटरपोल से अपील की है कि शेख हसीना के साथ ही 11 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाए। इन सभी पर बांग्लादेश में अस्थिरता फैलाने की साजिश रचने और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। ऐसे में बांग्लादेशी पुलिस का राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो इस कोशिश में है कि शेख हसीना के खिलाफ जल्द से जल्द रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया जा सके।

    क्या होता है रेड कार्नर कॉर्नर नोटिस?
    रेड कॉर्नर नोटिस ऐसे लोगों के लिए जारी किए जाते हैं जो अपना देश छोड़कर बागे गए हो और मुकदमा या सजा के पात्र हो। रेड नोटिस दुनिया, इंटरपोल की तरफ से दुनियाभर के सदस्य देशों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों से एक अनुरोध करता है कि प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या इसी तरह की कानूनी कार्रवाई के लिए लंबित किसी व्यक्ति को जल्द से जल्द गिरफ्तार करके उन्हें प्रत्यर्पित करे।

  • इज़रायली हमलों में 64 फिलिस्तीनियों की मौत

    इज़रायली हमलों में 64 फिलिस्तीनियों की मौत

    गाज़ा पर हवाई हमले जारी
    नई दिल्ली.
    इज़रायल और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच चल रही जंग में इज़रायली सेना लगातार गाज़ा और आसपास के फिलिस्तीनी इलाकों पर हमले कर रही है। इज़रायली सेना की कार्रवाई से फिलिस्तीनियों में हाहाकार मचा हुआ है। गाज़ा में लोग डर के साये में जी रहे हैं। हालांकि हमास ने युद्ध-विराम की इच्छा जताई है, लेकिन अभी तक दोनों पक्षों में समझौता नहीं हुआ है। इसी बीच शुक्रवार को इज़रायली सेना ने फिर से गाज़ा में अलग-अलग जगहों पर हवाई हमले किए।

    करीब 64 लोगों की मौत
    इज़रायली हवाई हमलों में गाज़ा में अलग-अलग जगहों पर करीब 64 लोगों की मौत हो गई। गाज़ा में सिविल डिफेंस ने इस बारे में जानकारी दी। इज़रायली हमले में आवासीय इमारतों, शरणार्थियों के टैंट्स को भी निशाना बनाया गया। मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। हमलों की वजह से गाज़ा में कई लोग घायल भी हो गए। घायलों को अस्पतालों और चिकित्सा शिविरों में भर्ती कराया गया है, जहाँ उनका इलाज चल रहा है। कुछ घायलों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है।

    इज़रायली सेना का पीछे हटने का नहीं है विचार
    इज़रायली सेना ने साफ कर दिया है कि फ़िलहाल उनका पीछे हटने का कोई विचार नहीं है। गाज़ा में छिपे हमास आतंकियों को मार गिराने के लिए इसी तरह हमले जारी रहेंगे, जिससे हमास का सफाया हो सके। इसके लिए इज़रायली सेना न सिर्फ हवाई हमले कर रही है, बल्कि ज़मीनी हमले भी कर रही है। हालांकि इज़रायल की इस सैन्य कार्रवाई में निर्दोष फिलिस्तीनी भी अपनी जान गंवा रहे हैं।

  • भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा मेहुल चौकसी

    भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा मेहुल चौकसी

    बेल्जियम में हुआ गिरफ्तार
    नई दिल्ली.
    पंजाब नेशनल बैंक घोटाले का मुख्य आरोपी मेहुल चौकसी बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया है। भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी 12 अप्रैल को एक अस्पताल में अरेस्ट हुआ है। रिपोर्ट की मान्य तो विमल चौक से की गिरफ्तारी भारतीय जांच एजेंसी के अनुरोध पर की गई है।

    कुछ समय लग सकता है
    एनफोर्समेंट डिपार्मेंट और सीबीआई ने मेहुल चौकसी की प्रत्यर्पण की कोशिश की है। हालांकि कुछ दिनों से उसका अस्पताल में इलाज चल रहा था। चौकसी को भारत लाने की कोशिश अब जल्द से शुरू होगी। लाल की बचने के लिए मैं हूं चौकसी अभी बेल्जियम की अदालत में कानून सहारा ले सकता है। इस पूरी प्रक्रिया में कुछ इस समय लग सकता है।

    बीमारी के बहाने रुका प्रत्यर्पण
    जानकारी के मुताबिक सितंबर 2024 में मेहुल चौकसी की प्रत्यर्पण के लिए बेल्जियम से भारत सरकार ने अनुरोध किया था। मेहुल चौकसी की वकीलों ने उसे समय कहा था कि उनकी मूवी वकील की तबीयत ठीक नहीं है और वह ब्लड कैंसर से जूझ रहे हैं। बीमारी के कारण बताकर उसे समय में चौकसी का प्रत्यर्पण नहीं हो सका था। इसके बाद ईडी अधिकारियों ने कोर्ट को बताया था कि भारत में भी मेहुल का इलाज किया जा सकता है। नहीं प्रत्यर्पण के अनुरोध के बाद ही बेल्जियम पुलिस मेहुल चौकसी को गिरफ्तार कर चुकी है।

  • ट्रंप की हत्या कर सरकार गिराना चाहता था 17 साल का लड़का

    ट्रंप की हत्या कर सरकार गिराना चाहता था 17 साल का लड़का

    माता-पिता की हत्या कर दी
    न्यूयार्क.
    अमेरिका के विस्कॉन्सिन स्टेट में रहने वाले 17 साल के निकिता कैसप को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उस शख्स पर आरोप है कि उसने अपने माता-पिता की हत्या कर दी। उसने माता-पिता की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी, ताकि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या कर सके। अमेरिका में इस वक्त राष्ट्रीय सुरक्षा बड़ा मुद्दा बना हुआ है। उसका प्लान कुछ ऐसा था कि पहले वह अपने माता-पिता की हत्या कर दे और फिर उनका पैसा लेकर ट्रंप के खिलाफ हथियार खरीदकर उनकी हत्या कर दे।

    अपराध के अनुसार तय होती है सजा
    अमेरिका में हत्या करने पर सजा राज्य और अपराध की गंभीरता के अनुसार अलग-अलग होती है। कई राज्यों में हत्या के लिए मृत्युदंड की सजा निर्धारित की गई है, जबकि कई मामलों में आजीवन कारावास की सजा या अन्य लंबी सजाएं निर्धारित की गई हैं। सजा भी इस बात पर निर्भर करती है हत्या पूर्व नियोजित और जान-बूझकर की गई है, या फिर अचानक और आवेग में आकर की गई है। कई राज्य मृत्युदंड को सजा के रूप में नहीं माना जाता है और आजीवन कारावास को गंभीर सजा के रूप में माना जाता है।

    नाबालिग के लिए सजा के नियम
    कई राज्यों में अचानक और आवेग में आकर की गई हत्या के लिए आमतौर पर आजीवन कारावास से कम सजा नहीं होती है, हालांकि यह हत्या की परिस्थिति पर भी निर्भर करता है। कई मामलों में सजा के रूप में 20 या 30 साल की जेल की जेल भी हो सकती है। अगर हत्या के वक्त कोई शख्स नाबालिग था, जिसकी उम्र करीब 15 साल के आसपास थी तो उसके लिए न्यूनतम सजा 15 साल इसके बाद पैरोल की भी संभावना है, नहीं तो जेल में में आजीवन कारावास की भी सजा हो सकती है।

  • फिर शुरू होगा ट्रंप का डिपोर्टेशन अभियान

    फिर शुरू होगा ट्रंप का डिपोर्टेशन अभियान

    सुप्रीम कोर्ट ने हटाई रोक
    वाशिंगटन.
    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को देश के सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निचली अदालत के उस आदेश को हटा दिया, जिसमें युद्धकालीन कानून का इस्तेमाल करके वेनेज़ुएला के अवैध प्रवासियों के डिपोर्टेशन पर रोक लगाई गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि 1798 के विदेशी शत्रु अधिनियम के तहत डिपोर्टेशन के अधीन प्रवासियों को अपने डिपोर्टेशन को कानूनी रूप से चुनौती देने का मौका दिया जाना चाहिए।

    फैसले का यह असर होगा
    इसके पहले एक संघीय अदालत के न्यायाधीश ने राष्ट्रपति ट्रंप के डिपोर्टेशन वाले फैसले पर रोक लगा दी थी। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वह अब फिर से अपना डिपोर्टेशन शुरू कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मिला ग्रीन सिग्नल उन्हें इस बात की पूरी अनुमति देता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस कानून का उपयोग कथित वेनेज़ुएला के गैंग मेंबर्स को पकड़ने और उन्हें अल साल्वाडोर की जेल में भेजने के लिए किया था।

    राष्ट्रपति बनते ही इरादे जताए थे
    गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति बनते ही यह साफ कर दिया था कि अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे लोगों को देश से निकाला जाएगा। अपने डिपोर्टेशन अभियान के तहत ट्रंप ने कई देशों के ऐसे नागरिकों को अमेरिका से डिपोर्ट भी किया है, जो अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे थे। हालांकि ट्रंप का यह डिपोर्टेशन अभियान तब रुक गया था, जब एक निचली अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी।

  • रूसी राष्ट्रपति पुतिन की हत्या की कोशिश

    रूसी राष्ट्रपति पुतिन की हत्या की कोशिश

    काफिले की कार में ब्लास्ट
    मास्को.
    रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। फिलहाल इन दिनों दोनों देशों की सेना के बीच युद्ध नहीं आ रहा है। इसी बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के काफिले में शामिल कार में ब्लास्ट हो गया। बताया जा रहा है कि व्लादिमीर पुतिन के आधिकारिक कार बेड़े की एक लग्जरी लिमोजिन में मध्य मॉस्को में विस्फोट हो गया। इस ब्लास्ट ने रूसी राष्ट्रपति की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए है। क्रेमलिन के भीतर आंतरिक खतरों पर संदेह को भी बढ़ा दिया है। एजेंसियां हर एंगल से इस घटना की जांच कर रही है।

    यूक्रेन के राष्ट्रपति ने की थी भविष्यवाणी
    इंटरनेट पर लिमोजिन में आग लगने का एक वीडियो भी सामने आया है। यह विस्फोट यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की द्वारा यह भविष्यवाणी करने के कुछ ही दिनों बाद हुआ। बीते दिनों जेलेंस्की ने पुतिन के जल्द मरने की भविष्यवाणी की थी। इस हादसे के बाद लोगों में शक इस बात की ओर भी जा रहा है कि कही जेलेंस्की ने ही तो पुतिन की मौत का प्लान बना लिया है।

    एफएसबी मुख्यालय के बाहर हुआ धमाका
    यह विस्फोट मॉस्को में एफएसबी मुख्यालय के बाहर हुआ है। राहत की बात यह है कि घटना में किसी के हताहत होने की खबर सामने नहीं आई है। बताया जा रहा है कि जोरदार धमाके के बाद लिमो कार में आग लग गई। पहले इंजन से आग निकली, इसके बाद पूरी कार में फैल गई। इस घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहे है।

    सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
    प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग इंजन से निकली और फिर कार के अंदर फैल गई। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना के दौरान आस-पास के रेस्तरां में मौजूद लोग दमकल कर्मियों के आने से पहले मदद के लिए बाहर निकल आए। फुटेज में वाहन से घना काला धुआं निकलता हुआ दिखाई दिया। कार के पिछले हिस्से में नुकसान हुआ है। घटना के वक्त की फुटेज में देखा जा सकता है कि इमरजेंसी टीमें तुरंत मौके पर पहुंची है और बचाव कार्य शुरू किया।

  • अमेरिका में घर से टकराया विमान

    अमेरिका में घर से टकराया विमान

    जलकर हुआ खाक, आग की लपटें देख सहमे लोग
    वॉशिंगटन.
    अमेरिका में आयोवा से मिनेसोटा जा रहा छोटा विमान दुर्घटनाग्रस्त होकर मिनियापोलिस में एक मकान पर गिर गया। इस टक्कर से प्लेन और मकान में भीषण आग लग गई। ब्रुकलिन पार्क प्रवक्ता रिसिकट अडेसोगुन ने बताया है कि घर में रहने वालों को इस हादसे में कोई चोट नहीं आई है, लेकिन मकान पूरी तरह से जल गया है। नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड और स्थानीय प्रशासन हादसे की जांच कर रहा है।

    सिंगल इंजन का था
    अमेरिकी एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से बताया गया है कि हादसे का शिकार हुआ विमान सिंगल-इंजन वाला सोकाटा टीबीएम7 था। विमान में कितने लोग सवार थे, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन कम से कम एक व्यक्ति की मौत इस घटना में हुई है। विमान में एक से ज्यादा लोग भी हो सकते हैं। ये विमान डेस मोइनेस एयरपोर्ट से अनोका काउंटी-ब्लेन हवाई अड्डे के लिए जा रहा था कि रास्ते में हादसे का शिकार हो गया।

    लपटों में घिरा पूरा मकान
    सोशल मीडिया पर फुटेज में दिख रहा है कि जिस घर में विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, वह आग की लपटों से घिरा हुआ है। स्थानीय दमकल विभाग के सदस्यों ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। ब्रुकलिन पार्क के फायर चीफ शॉन कॉनवे का कहना है कि दमकल विभाग के घटनास्थल पर पहुंचने तक आग पूरी तरह से मकान में फैल चुकी थी।

    गवर्नर का भी आया बयान
    मिनेसोटा के गवर्नर टिम वाल्ट्ज ने कहा कि उनकी टीम ब्रुकलिन पार्क में घटनास्थल पर मौजूद स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में है और स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही हैं। नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड के अफसरों ने कहा है कि दुर्घटना के कारणों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि जांच में कुछ दिन लग सकते हैं।

  • नेपाल में सड़कों पर उतरी सेना

    नेपाल में सड़कों पर उतरी सेना

    हालात हुए बेकाबू, 100 से ज्यादा गिरफ्तार
    काठमांडू.
    नेपाल में अधिकारियों ने शनिवार को कर्फ्यू हटा लिया, जो काठमांडू के पूर्वी इलाकों में सुरक्षा बलों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों के बाद लगाया गया था। शुक्रवार को तिनकुने इलाके में शुरू हुई अशांति ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई और लोगों की जानें गईं। हालांकि शांति के लिए सेना सड़कों पर उतर आई है।

    कैसे शुरू हुआ विरोध
    विरोध काठमांडू हवाई अड्डे के पास तिनकुने पार्क इलाके में शुरू हुआ, जहाँ राजशाही समर्थक इकट्ठा हुए और राजशाही की बहाली और हिंदू राज्य की स्थापना के नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की वापसी की मांग की, जिन्होंने लोकतंत्र दिवस पर राजशाहीवादियों के बीच एकता की अपील की थी। दोपहर 3 बजे के आसपास तनाव बढ़ गया जब प्रदर्शनकारियों ने निर्धारित विरोध क्षेत्र से आगे बढ़ने का प्रयास किया। सुरक्षा बलों ने हस्तक्षेप किया, जिससे हिंसक झड़पें हुईं। पुलिस ने गोलीबारी की, जिसमें कम से कम एक प्रदर्शनकारी घायल हो गया। जवाब में, प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और सड़कों पर उतर आए, इमारतों में तोड़फोड़ की और एक वाणिज्यिक परिसर और एक निजी समाचार चैनल के कार्यालय में आग लगा दी।

    हताहत और क्षति
    इस झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई, जिसमें एक पत्रकार को जिंदा जला दिया गया, और दो राजशाही समर्थक शामिल थे। हिंसा में कम से कम 53 पुलिस अधिकारी, 22 सशस्त्र पुलिस बल के जवान और 35 प्रदर्शनकारी घायल हुए। प्रदर्शनों के दौरान 14 इमारतों में आग लगा दी गई, जबकि नौ में भारी तोड़फोड़ की गई। प्रदर्शनकारियों ने नौ सरकारी वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया और छह निजी वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। कांतिपुर टेलीविजन और अन्नपूर्णा मीडिया हाउस सहित मीडिया संगठनों पर हमला किया गया।

  • ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी के भाषण के दौरान हंगामा

    ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी के भाषण के दौरान हंगामा

    मुख्यमंत्री ने क्यों दिखा दी 1990 के हमले की तस्वीर
    लंदन.
    पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के केलॉग कॉलेज में अपना पहला भाषण दिया, जिसके बाद वहां खचाखच भरे ऑडिटोरियम में भारी हंगामा हुआ। ममता बनर्जी संस्थान से मिले निमंत्रण पर ‘बंगाल में महिलाओं का सशक्तिकरण और उसकी सफलता’ विषय पर बोल रही थीं। मुख्यमंत्री के भाषण को अचानक प्रदर्शनकारी छात्रों के एक समूह ने बाधित कर दिया, जिन्होंने चुनाव के बाद की हिंसा और आरजी कर कॉलेज बलात्कार-हत्या मामले का मुद्दा उठाकर उनके भाषण को बाधित करने की कोशिश की, क्योंकि दर्शकों ने उन्हें तीखे सवालों और नारों से बाधित किया। कार्यक्रम में तब नाटकीय मोड़ आया जब बनर्जी ने टोका-टोकी के जवाब में 1990 के दशक की शुरुआत की अपनी एक पुरानी तस्वीर दिखाई, जिसमें उनके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी और दावा किया कि विपक्ष में रहने के दौरान उनकी हत्या के प्रयास का सबूत यह है।

    निवेश प्रस्तावों पर भी बिफरीं
    व्यवधान तब शुरू हुआ जब बनर्जी बंगाल के विकास और निवेश के अवसरों के बारे में बोल रही थीं। दर्शकों में से एक ने उनसे “लाखों करोड़” मूल्य के विशिष्ट निवेश प्रस्तावों के नाम बताने के लिए कहा, जिसके बारे में उनका दावा है कि राज्य को प्राप्त हुए हैं। जैसे ही उन्होंने जवाब देना शुरू किया, दर्शकों में से अन्य लोगों ने हस्तक्षेप किया और प्रश्नकर्ता से रुकने का आग्रह किया, यह तर्क देते हुए कि यह कार्यक्रम कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं था।

    आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की गूंज
    इसके बाद उनसे कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में बलात्कार और हत्या मामले के बारे में सवाल पूछे गए, जिसके कारण पूरे देश में डॉक्टरों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया था। दर्शकों में से एक ने बनर्जी से घटना से निपटने के लिए उनकी सरकार के तरीके के बारे में पूछा, जिस पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। व्यवधान जारी रहने के दौरान, किसी ने बंगाल में हिंदुओं के साथ हो रहे व्यवहार के बारे में सवाल उठाया। बनर्जी ने जवाब दिया, “मैं सभी के लिए हूँ, हिंदू और मुसलमान,” लेकिन कुछ ही देर बाद दर्शकों के एक वर्ग से “वापस जाओ” के नारे लगने लगे।

    वामपंथियों पर फोड़ा ठीकरा
    विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई-यूके) के सदस्यों ने किया, जिन्होंने बनर्जी और उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने का आरोप लगाया। बनर्जी ने स्पष्ट रूप से निराश होकर प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेल दिया। उन्होंने कहा, “आपको मुझे बोलने का मौका देना चाहिए। आप मेरा अपमान नहीं कर रहे हैं; आप अपने संस्थान का अपमान कर रहे हैं।” उन्होंने दर्शकों के एक वर्ग पर “अति वामपंथी और सांप्रदायिक मित्र” होने का आरोप लगाया, उन्होंने आरोप लगाया कि वे जहां भी गईं, वहां इसी तरह के व्यवधान पैदा किए गए।

    लोकतांत्रिक नेता कहा
    हंगामे के बीच, बनर्जी ने नाटकीय ढंग से 1990 के दशक की अपनी एक पोस्टरनुमा तस्वीर निकाली, जिसमें उनके सिर पर गंभीर चोट और पट्टियाँ बंधी हुई दिखाई दे रही थीं। दर्शकों को दिखाने के लिए इसे दिखाते हुए उन्होंने कहा, “पहले मेरी तस्वीर देखो, कैसे मुझे मारने की कोशिश की गई। कार्यक्रम के बाद, एसएफआई-यूके ने विरोध की जिम्मेदारी लेते हुए एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि वे बंगाल में बनर्जी के “भ्रष्ट और अलोकतांत्रिक शासन” का विरोध कर रहे हैं।

    मैं नहीं झुकूंगी
    उन्होंने विरोध को खारिज करते हुए कहा, “दीदी को कोई परेशानी नहीं है। दीदी हर साल दो बार आएंगी और रॉयल बंगाल टाइगर की तरह लड़ेंगी।” उन्होंने अपने भाषण का समापन अपनी दृढ़ता के एक खास अंदाज के साथ किया: “अगर आप मुझसे कहेंगे कि मैं आपके कपड़े धोऊं या आपके लिए खाना बनाऊं, तो मैं करूंगी। लेकिन अगर आप मुझे अपना सिर झुकाने के लिए मजबूर करेंगे, तो मैं नहीं झुकूंगी। मैं सिर्फ लोगों के सामने झुकूंगी।” तृणमूल कांग्रेस ने ममता की प्रशंसा की और रवींद्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविता “चित्तो जेठा भोयशुन्यो” का हवाला दिया, “जहां मन भय से मुक्त हो, और सिर ऊंचा हो।”

  • म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप

    म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप

    ढहीं गंगनचुंबी इमारतें
    बैंकॉक
    म्यांमार में 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप ने न केवल वहां की धरती को हिला दिया, बल्कि पड़ोसी देश थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी तबाही मचा दी। इस शक्तिशाली भूकंप के झटकों से बैंकॉक में गगनचुंबी इमारतें भरभराकर ढह गईं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में इमारतों के ढहने और लोगों के बीच फैली अफरा-तफरी की तस्वीरें साफ देखी जा सकती हैं। एक वीडियो में बैंकॉक और अन्य शहरों में इमारतें हिलती दिखाई दे रही हैं, लोग घबराकर सड़कों पर भाग रहे हैं।

    सैगिंग ब्रिज ढहा
    भूकंप के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो और तस्वीरों में सैगिंग ब्रिज की भयावह तस्वीरें सामने आईं। स्थानीय लोगों और अधिकारियों ने बताया कि इस घटना ने क्षेत्र में आवागमन को बुरी तरह प्रभावित किया है। सैगिंग ब्रिज का ढहना इस भूकंप की तीव्रता और इसके विनाशकारी प्रभाव का एक स्पष्ट प्रमाण है। राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए गए हैं, लेकिन म्यांमार में पहले से मौजूद संकटों के बीच इस आपदा ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। बैंकॉक में आए भूकंप का केंद्र म्यांमार था, जो यहाँ से 1200 किलोमीटर दूर है। इतनी दूरी होने के बावजूद भी इसने इमारतों को हिला दिया; दरारें पड़ गईं, लोगों को घरों से बाहर निकालना पड़ा और छतों पर बने तालाबों से बहुत सारा पानी नीचे की ओर बहने लगा।