Category: नागपुर न्यूज़

  • ‘गरुड़ दृष्टि’से सोशल मीडिया पर पैनी नजर

    ‘गरुड़ दृष्टि’से सोशल मीडिया पर पैनी नजर

    पुलिस को एक सशक्त हथियार
    नागपुर.
    मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि आज के डिजिटल युग में, सोशल मीडिया जहां एक तरफ सूचना और अभिव्यक्ति का मंच बन गया है, वहीं दूसरी तरफ यह नफरत, फर्जी खबरों और सांप्रदायिक तनाव फैलाने का एक प्रभावी माध्यम भी बन गया है। असामाजिक तत्व इस प्लेटफॉर्म का उपयोग समाज में दंगे भड़काने और वित्तीय धोखाधड़ी करने के लिए कर रहे हैं। महाराष्ट्र पुलिस द्वारा विकसित ‘गरुड़ दृष्टि’ टूल इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। यह तकनीक उन लोगों का पता लगाने में मदद करेगी जो ऑनलाइन घृणा फैलाते हैं और उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करेगी।

    200 पीड़ितों को ठगे गए 10 करोड़ वापस दिलवाए
    ‘गरुड़ दृष्टि’ प्रणाली की सबसे बड़ी ताकत इसका डिजिटल फुटप्रिंट का पता लगाने की क्षमता है। यह ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी पर भी प्रभावी ढंग से लगाम लगाएगी। हालिया उदाहरण नागपुर में देखने को मिला, जहां पुलिस ने धोखाधड़ी के शिकार 200 पीड़ितों को उनके ठगे गए 10 करोड़ वापस दिलवाए। मुख्यमंत्री ने नागरिकों से अपील भी की कि वे किसी भी ऑनलाइन प्रलोभन का शिकार न हों और संदिग्ध गतिविधि की सूचना हेल्पलाइन नंबरों पर दें। यह पहल पुलिस और जनता के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है और साइबर अपराध के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा खड़ा करती है।

  • एनडीसीसी बैंक घोटाले में वसूली की मांग

    एनडीसीसी बैंक घोटाले में वसूली की मांग

    मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सौंपा निवेदन
    नागपुर.
    वर्ष 2002 में नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी (एनडीसीसी) बैंक में हुए 150 करोड़ के घोटाले ने सहकारिता क्षेत्र की विश्वसनीयता पर गहरा आघात पहुंचाया था। इस घोटाले में न केवल किसान और निवेशक प्रभावित हुए, बल्कि पूरे सहकारिता आंदोलन को बड़ा नुकसान हुआ। हाल ही में, कोर्ट ने इस मामले में पूर्व मंत्री सुनील केदार और अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया, जिसके बाद केदार की विधायकी चली गई। यह फैसला न्याय की जीत थी, लेकिन किसानों की लड़ाई यहीं खत्म नहीं हुई। किसानों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को निवेदन देकर घोटाले की राशि की वसूली की मांग की है। यह मांग पूरी तरह से उचित है।

    किसानों का यह तर्क
    किसानों ने अपनी मांग में दोषियों से वसूली, उन्हें राजनीतिक संरक्षण न मिलने और एनडीसीसी बैंक का पुनर्गठन कर उसे पारदर्शी तरीके से चलाने की बात कही है। ये सभी मांगें सहकारिता क्षेत्र में सुधार और विश्वास बहाली के लिए आवश्यक हैं। सरकार को इन मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए। केवल सज़ा सुनाना पर्याप्त नहीं है; असली न्याय तब होगा जब घोटाले से प्रभावित लोगों को उनका पैसा वापस मिले और सहकारिता बैंक फिर से जनता का विश्वास जीत सके। यह मामला एक उदाहरण है कि कैसे राजनीतिक और आर्थिक अपराधों से निपटना चाहिए, जिसमें सज़ा और वसूली दोनों शामिल हों। सरकार को इस दिशा में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि यह संदेश जाए कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

    याचिका में गुहार
    न्याय का पूर्ण होना तभी संभव है जब अपराधियों को न केवल सज़ा मिले, बल्कि उनके कृत्यों से हुए नुकसान की भरपाई भी की जाए। इस मामले में, घोटाले की रकम की वसूली बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पैसा किसानों और निवेशकों का था। यह वसूली सुनिश्चित करेगी कि अपराध से कोई लाभ न मिल पाए और भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए एक मजबूत निवारक का काम करे।

  • एक ही आरोप में दोहरी सज़ा पर रोक

    एक ही आरोप में दोहरी सज़ा पर रोक

    सरकारी कर्मचारियों के लिए न्याय का प्रतीक
    नागपुर.
    बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ का एक फैसला सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक मील का पत्थर है। यह फैसला स्पष्ट करता है कि किसी कर्मचारी को एक ही आरोप में दो बार सज़ा नहीं दी जा सकती। यह निर्णय न्याय के मूल सिद्धांतों को पुष्ट करता है, विशेष रूप से ‘डबल जियोपर्डी’ के सिद्धांत को, जो यह सुनिश्चित करता है कि एक बार बरी या दंडित होने के बाद, किसी व्यक्ति को उसी अपराध के लिए फिर से मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता।

    यह है मामला
    वर्धा जिले के एक शिक्षक राजेश ठाकुर को आईपीसी और आईटी एक्ट के तहत लगे आरोपों से ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था। इसके बावजूद, जिला परिषद ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। जब विभागीय आयुक्त ने बर्खास्तगी रद्द करके बहाली का आदेश दिया, तो जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने फिर से उसी आरोप में उनकी तीन वेतन वृद्धियां रोक दीं। यह कार्रवाई न केवल अनुचित थी बल्कि कानून का उल्लंघन भी थी।

    अदालत ने यह कहा
    न्यायालय ने कहा कि जब एक उच्च प्राधिकारी (आयुक्त) ने बर्खास्तगी रद्द कर दी और कर्मचारी को बहाल कर दिया, तो निचले प्राधिकारी (सीईओ) के पास दोबारा सज़ा देने का कोई अधिकार नहीं था। यह फैसला प्रशासन में मनमानी और शक्ति के दुरुपयोग पर रोक लगाता है। यह सुनिश्चित करता है कि अधिकारी अपनी शक्तियों का उपयोग कानून के दायरे में रहकर करें, न कि अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं के अनुसार। इस तरह के फैसले सरकारी कर्मचारियों के लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं, जिससे उन्हें बिना किसी डर के अपना काम करने का प्रोत्साहन मिलता है। यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि न्यायपालिका, कार्यपालिका के मनमाने फैसलों की जाँच करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह मामला सभी सरकारी विभागों के लिए एक सबक है कि वे कर्मचारियों के साथ न्यायपूर्ण और कानूनी रूप से सही व्यवहार करें।

  • विश्व आदिवासी दिनानिमित्त जय बिरसा आदिवासी विकास सोसायटी लाव्हा तर्फे भव्य रॅलीचे आयोजन

    विश्व आदिवासी दिनानिमित्त जय बिरसा आदिवासी विकास सोसायटी लाव्हा तर्फे भव्य रॅलीचे आयोजन

     


    विश्व आदिवासी दिनानिमित्त जय बिरसा आदिवासी विकास सोसायटी लाव्हा तर्फे भव्य रॅलीचे आयोजन

    वाडी लाव्हा – विश्व आदिवासी दिनाच्या औचित्याने जय बिरसा आदिवासी विकास सोसायटी लाव्हा यांच्या वतीने भव्य रॅलीचे आयोजन करण्यात आले. रॅलीची सुरुवात आंबेडकर नगर येथे बाबासाहेब डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या प्रतिमेस माल्यार्पण करून करण्यात आली. त्यानंतर लाव्हा येथे बिरसा मुंडा यांच्या प्रतिमेस माल्यार्पण व ध्वजवंदन सोहळा पार पडला.

    यानंतर सोनबा नगर येथे कुवारा भिवसन पेन यांची पूजा करण्यात आली आणि बिरसा मुंडा यांच्या प्रतिमेस माल्यार्पण करण्यात आले. शेवटी टेकडी वाडी येथे बिरसा मुंडा यांच्या प्रतिमेचे अनावरण करून कार्यक्रमाची सांगता झाली.

    या रॅलीत सुखलाल भलावी, दिनेश उईके, सचिन सलामे, विनोद करनाके, महेश धुर्वे, श्रावण कुळमते, बुधारामजी कोवाचे, वाढवेजी, भोजराजजी पुसाम, रमेश सलामे, कपील पुसाम, सौरभ वरठी, बोरकरजी, धनपालजी मरसकोल्हे, महेशजी कुरसंगे, रेखलाल खंडाते, प्रमोद वरठी, जगदिश मरकाम, मनीश उईके, कठोतेजी, यशोदाबाई मडावी, शारदाताई मर्सकोल्हे, इंदिराताई कुरसंगे, रेखाताई कोडापे, पेंदामताई, दुर्गाताई कुरसंगे, ललीताबाई कोकोंडे, शिलाबाई पुसाम, शोभाबाई सलामे यांच्यासह मोठ्या संख्येने आदिवासी बांधव व भगिनी उपस्थित होते.कार्यक्रमाच्या यशस्वी आयोजनामुळे लाव्हा परिसरात उत्साहाचे वातावरण निर्माण झाले.


     

  • नागपुर और अमरावती में किसानों के साथ धोखा

    नागपुर और अमरावती में किसानों के साथ धोखा

    नकली खाद-बीज का पर्दाफाश
    नागपुर।
    महाराष्ट्र के नागपुर और अमरावती जिलों में किसानों को धोखा देने के दो बड़े मामले सामने आए हैं, जिन्होंने कृषि जगत में हड़कंप मचा दिया है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि कुछ बेईमान लोग अपने फायदे के लिए किसानों की मेहनत और भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।

    लावा में धावा
    पहला मामला नागपुर के लावा गांव में सामने आया, जहां जिला कृषि विभाग ने एक गुप्त सूचना पर छापा मारा। छापे में एक अवैध कारखाना मिला, जहाँ बिना सरकारी मंजूरी के नकली जैव-उत्पाद, रासायनिक खाद और कीटनाशक बनाए जा रहे थे। अधिकारियों ने यहाँ से ₹52.61 लाख से अधिक की नकली सामग्री, जिसमें 15 टन रासायनिक खाद और 2 टन तरल जैव-उत्पाद शामिल थे, जब्त की। आरोपी परेश विजय खंडाइत के खिलाफ फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर, 1985 और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह सिर्फ आर्थिक नुकसान का मामला नहीं है, बल्कि किसानों की फसलों और मिट्टी की उर्वरता को बर्बाद करने की एक साजिश है।

    अमरावती में भी धोखाधड़ी
    वहीं, अमरावती जिले में धोखाधड़ी का एक और बड़ा मामला सामने आया। यहाँ रासायनिक खाद के नाम पर किसानों को ₹50 लाख की मिट्टी बेची जा रही थी। जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी राहुल सातपुते ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया। जांच में पता चला कि मुख्य वितरक ने बिना लाइसेंस वाली एक कंपनी से खाद खरीदी और उसे 12 खुदरा विक्रेताओं को बेच दिया। इन विक्रेताओं ने किसानों को बिना पीओएस मशीन के यह नकली खाद बेच दी।

    यह कदम उठाया
    इस खुलासे के बाद, 8 कृषि केंद्रों के लाइसेंस एक साल के लिए निलंबित कर दिए गए, और मुख्य वितरक का लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिया गया। यह घटना किसानों के साथ एक बड़ा धोखा है, जिससे उनका मनोबल टूटता है और उनकी मेहनत बर्बाद हो जाती है। इन मामलों के दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी आपराधिक कार्रवाई की मांग उठ रही है, ताकि भविष्य में कोई भी किसानों के साथ ऐसा खिलवाड़ करने की हिम्मत न करे।

  • अब पुलिस ही कठघरे में, सीआईडी करेगी जांच

    अब पुलिस ही कठघरे में, सीआईडी करेगी जांच

    -रामझूला हिट-एंड-रन केस
    नागपुर।

    25 फरवरी, 2024 को नागपुर के रामझूला पर हुए बहुचर्चित हिट-एंड-रन केस में पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठने के बाद अब अदालत ने सीआईडी को जांच का आदेश दिया है। इस मामले में एक ‘अमीर शहजादी’ की तेज रफ्तार कार से दो निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी। घटना के बाद पुलिस की कमजोर कार्रवाई और आरोपी को तुरंत जमानत मिलने से लोगों में भारी आक्रोश था।

    7 लोगों पर गिरेगी गाज
    यह मामला सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि कानून की पहुंच, धन के दुरुपयोग और न्याय की लड़ाई का प्रतीक बन गया था। इस मामले में अब पुलिस निरीक्षक संदीप बुवा और उपनिरीक्षक परशुराम भवल समेत कुल 7 लोगों की जांच की जाएगी। इन पर सबूत नष्ट करने और मामले को दबाने के आरोप लगे हैं। मृतकों के परिजनों ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने उन 7 लोगों को सह-आरोपी बनाने की मांग की थी, जिन्होंने आरोपी रितु मालू को घटनास्थल से भागने में मदद की थी। हालांकि, निचली अदालत ने तकनीकी आधार पर याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद परिजनों ने जिला सत्र न्यायालय में इसे चुनौती दी।

    काफी गंभीर आरोप लगे हैं
    कोर्ट के आदेश के तहत, पुलिस इंस्पेक्टर संदीप बुवा पर बिना फोरेंसिक जांच के कार को छोड़ने का आरोप है, जबकि पीएसआई परशुराम भवल पर आरोपियों को भागने में मदद करने का आरोप है। रितु मालू के पति दिनेश मालू और अन्य दो लोगों पर भी मामले को दबाने में मदद करने का आरोप है। इस घटना ने एक बार फिर से ‘दोहरे कानून’ की बहस को जन्म दिया है, जहां आम आदमी के लिए कठोर दंड है, वहीं प्रभावशाली लोगों को धन और पहुंच के कारण अक्सर आसानी से बच निकलने का मौका मिल जाता है। अदालत का यह फैसला न्याय की उम्मीद को फिर से जगाता है और यह साबित करता है कि न्यायपालिका अभी भी न्याय की अंतिम उम्मीद है।

  • पिता की मौत का बदला लेने के लिए शराब की दुकानों में चोरी

    पिता की मौत का बदला लेने के लिए शराब की दुकानों में चोरी

    चोरी का अजीबोगरीब मामला उजागर
    नागपुर.
    नागपुर की पांचपावली पुलिस ने मयूरी सावजी बार एंड रेस्टोरेंट में हुई 40 हजार रुपये की चोरी का खुलासा करते हुए एक चोर को गिरफ्तार किया है। आरोपी राजा खान उर्फ राजा अमरावती सलीम खान (21) है, जिसने एक अनोखे मकसद से चोरी की वारदात को अंजाम दिया। वह शराब की दुकानों को इसलिए निशाना बनाता था, क्योंकि उसका मानना था कि उसके पिता की मौत अत्यधिक शराब पीने से हुई थी।

    8 मामले दर्ज हैं
    राजा खान अपने पिता सलीम खान की मौत का बदला लेना चाहता था। उसका मानना था कि शराब बेचने वाले लोग पैसे कमाने के साथ-साथ लोगों को मौत भी बेचते हैं। इसी वजह से उसने बीयर बार और वाइन शॉप्स में ही चोरियां करना शुरू कर दिया। उसके खिलाफ सदर, अंबाझरी और हुडकेश्वर में भी वाइन शॉप और बीयर बार में चोरी के 8 मामले पहले से ही दर्ज हैं।

    मकसद ने किया हैरान
    पांचपावली पुलिस ने रानी दुर्गावती चौक स्थित मयूरी सावजी बार में हुई चोरी की जांच के दौरान राजा खान को पकड़ा। पूछताछ में उसने अपने अजीब मकसद का खुलासा किया। यह घटना एक अनूठे मनोवैज्ञानिक पहलू को दर्शाती है, जहां एक व्यक्ति अपने दुख और गुस्से को एक असामान्य तरीके से व्यक्त करता है। पुलिस मामले की आगे की जांच कर रही है।

    लेकिन तरीका गलत था
    यह मामला अपराध के पीछे के मानसिक और भावनात्मक कारणों को दर्शाता है। जहां एक तरफ यह अपराध की श्रेणी में आता है, वहीं दूसरी तरफ यह शराब के सेवन से होने वाले सामाजिक और पारिवारिक नुकसान का एक दुखद उदाहरण भी है। राजा खान का अपने पिता की मौत का बदला लेने का तरीका गलत था, लेकिन यह दिखाता है कि कैसे शराब की लत एक परिवार को तबाह कर सकती है।

  • डेढ़ साल में नौकरानी ने उड़ाए 26 लाख के गहने, नकदी

    डेढ़ साल में नौकरानी ने उड़ाए 26 लाख के गहने, नकदी

    घर के मालिक को भनक तक नहीं लगी
    नागपुर.
    नागपुर के फ्रेंड्स कॉलोनी में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक घर में काम करने वाली नौकरानी ने करीब डेढ़ साल की अवधि में 26.45 लाख रुपये की नकदी और गहने चुरा लिए। खास बात यह है कि घर के मालिक को इस चोरी की भनक तक नहीं लगी। गुरुवार को इस मामले में गिट्टीखदान थाने में केस दर्ज किया गया।

    गोल्ड लोन लिया था
    गया राम जनकसिंह (68) के घर में झारखंड की बेबीदेवी केवल झा (50) बच्चों की देखभाल का काम करती थी। डेढ़ साल पहले, जब गया राम ने अपना घर बदला और गोल्ड लोन लिया, तब उन्होंने अपने बेडरूम की अलमारी का लॉकर खोला तो उनके होश उड़ गए। लॉकर से 1 लाख रुपये नकद और लाखों के सोने-चांदी के आभूषण गायब थे। कुल मिलाकर, 26.45 लाख रुपये का माल चोरी हो चुका था। यह चोरी 1 नवंबर 2023 से 9 मई 2025 के बीच हुई।

    इसलिए शक गहराया
    शक की सुई बेबीदेवी पर गई, क्योंकि घटना का खुलासा होने पर वह अपने गांव चली गई थी। परिवार ने जब उससे पूछताछ की, तो मामला थाने पहुंचा। प्रभारी निरीक्षक प्रशांत पांडे के मार्गदर्शन में पुलिस मामले की जांच कर रही है। यह घटना इस बात की पुष्टि करती है कि घरेलू नौकरों को काम पर रखते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए और उनकी पूरी तरह से जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए।

    अंधाधुंध भरोसा ठीक नहीं
    यह घटना शहरी जीवन में बढ़ते भरोसे और उसके दुरुपयोग को उजागर करती है। घर के नौकर अक्सर परिवार के सदस्य की तरह हो जाते हैं, लेकिन यह मामला दिखाता है कि इस भरोसे को अंधाधुंध नहीं करना चाहिए। लोगों को अपने घर में काम करने वाले कर्मचारियों का रिकॉर्ड ठीक से रखना चाहिए, उनकी पृष्ठभूमि की जांच करनी चाहिए, और कीमती सामानों को सुरक्षित रखने के लिए अधिक सतर्क रहना चाहिए।

  • शादी से इनकार करने पर प्रेमिका पर चाकू से हमला

    शादी से इनकार करने पर प्रेमिका पर चाकू से हमला

    पत्नी को दे चुका था तलाक
    नागपुर.
    नागपुर के खापरखेड़ा में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक नाराज प्रेमी ने शादी से इनकार करने पर अपनी प्रेमिका के गले और शरीर पर चाकू से कई वार कर दिए। आरोपी रोशन सोनेकर (32) ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया था, लेकिन जब उसकी प्रेमिका आशा (20) ने उससे शादी करने से मना कर दिया, तो उसने यह खौफनाक कदम उठाया। घटना गुमथी गांव के हनुमान मंदिर में हुई, जहां आशा पूजा कर रही थी।

    स्कूल के दिनों से प्रेम संबंध थे
    रोशन और आशा के स्कूल के दिनों से प्रेम संबंध थे। रोशन का विवाह हो जाने के बाद, आशा ने उसकी पत्नी से मिलकर कहा कि वह उससे शादी करेगी। इसके बाद, रोशन ने 2023 में अपनी पत्नी को तलाक दे दिया। हालांकि, आशा ने बाद में शादी करने से साफ इनकार कर दिया, जिससे उनके बीच झगड़ा बढ़ गया। यह मामला पहले कोराडी थाने भी पहुंचा था, जहां रोशन पर छेड़छाड़ का केस दर्ज हुआ था।

    बहस के बीच तैश में आया
    रोशन, आशा द्वारा तलाक दिलवाने और फिर शादी से इनकार करने के साथ-साथ उस पर केस दर्ज करवाने से काफी नाराज था। गुरुवार को जब आशा मंदिर में पूजा कर रही थी, तो दोनों के बीच फिर से बहस हुई। गुस्से में आकर रोशन ने अपनी जेब से चाकू निकाला और आशा के गले और शरीर पर ताबड़तोड़ कई वार किए। घटना के बाद वह मौके से फरार हो गया। पुलिस ने आशा को गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया और रोशन को गिरफ्तार कर लिया है।

    रिश्तों में बढ़ती क्रूरता
    यह घटना रिश्तों में बढ़ती क्रूरता और असहिष्णुता को उजागर करती है। किसी भी रिश्ते में सहमति और आपसी सम्मान सर्वोपरि होता है, लेकिन यहां एकतरफा भावनाओं के कारण एक व्यक्ति ने दूसरे की जान लेने की कोशिश की। यह मामला यह भी दिखाता है कि जब रिश्तों में दरार आती है, तो कैसे हिंसा और प्रतिशोध हावी हो जाते हैं।

  • हिस्ट्रीशीटर की निर्मम हत्या

    हिस्ट्रीशीटर की निर्मम हत्या

    ईंट-पत्थर और बेसबॉल की स्टीक से बुरी तरह मारा गया
    नागपुर.
    नागपुर के यशोधरा नगर में राजीव गांधी उड़ान पुल के पास वर्चस्व की लड़ाई और पैसों के लेन-देन को लेकर हुए विवाद में एक हिस्ट्रीशीटर समीर शेख उर्फ समीर येडा (30) की हत्या कर दी गई। गुरुवार सुबह करीब 5 से 5.30 बजे के बीच हुई इस वारदात में हिस्ट्रीशीटर को धारदार हथियार, ईंट-पत्थर और बेसबॉल की स्टीक से बुरी तरह मारा गया। वारदात के बाद सभी आरोपी मौके से फरार हो गए।

    कई मामले दर्ज थे
    समीर शेख, यशोधरा नगर का निवासी था और उसके खिलाफ 31 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें हत्या का प्रयास, मारपीट, गांजा तस्करी और एमडी बिक्री जैसे गंभीर आरोप शामिल थे। वह और आरोपी अस्सू उर्फ अफसर, दोनों ही मादक पदार्थों की बिक्री में सक्रिय थे और उनके बीच पैसों के लेन-देन और इलाके में वर्चस्व को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था।

    फरार आरोपियों की तलाश
    पुलिस के अनुसार, गुरुवार सुबह समीर अपनी ससुराल मोमिनपुरा से बुलेट पर घर लौट रहा था, तभी आरोपी अस्सू ने अपने साथियों के साथ उसे घेर लिया और हमला कर दिया। यशोधरा नगर पुलिस को सूचना मिलने पर वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक रमेश खुणे मौके पर पहुंचे और खून से लथपथ समीर को मेयो अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मो. शहजाद समशेर खान की शिकायत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया है और फरार आरोपियों की तलाश में कई टीमें बनाई हैं। पुलिस ने अस्सू के 4-5 संदिग्ध साथियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

    अपराधियों में कानून का डर कम
    नागपुर में यह हिंसक घटना शहर की बिगड़ती कानून-व्यवस्था का एक और उदाहरण है। खुलेआम और बेखौफ होकर एक हिस्ट्रीशीटर की हत्या, यह दिखाती है कि अपराधियों में कानून का डर कम होता जा रहा है। जिस तरह से यह हत्या सरेआम की गई, वह यह भी दर्शाता है कि अपराधी गैंगवार और व्यक्तिगत दुश्मनी को सुलझाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।