Category: नागपुर न्यूज़

  • ‘शालार्थ आईडी’ के खुल रहे गहरे राज

    ‘शालार्थ आईडी’ के खुल रहे गहरे राज

    अदालत ने आरोपियों को जमानत नहीं दी
    नागपुर.
    नागपुर में ‘शालार्थ आईडी’ घोटाले ने शिक्षा के पवित्र क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। यह सिर्फ पैसे का घोटाला नहीं है, बल्कि यह हमारे युवाओं के भविष्य और शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सीधा हमला है। इस मामले में माध्यमिक शिक्षा विभाग के संचालक से लेकर कई बड़े अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है, जिससे यह साफ होता है कि यह भ्रष्टाचार की एक संगठित श्रृंखला थी।

    बस एक को सशर्त जमानत
    इस घोटाले में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति के आरोप में माध्यमिक शिक्षा विभाग के संचालक चिंतामण वंजारी की नियमित जमानत अर्जी तथा नागपुर शिक्षा विभाग के पूर्व उपनिदेशक सतीश मेंढे और जिला परिषद के वेतन पथक के अधीक्षक नीलेश वाघमारे की अग्रिम जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। हालांकि, नागपुर की पूर्व उपनिदेशक डॉ. वैशाली जामदार को सशर्त जमानत दे दी है।

    145.88 करोड़ का घोटाला
    इस घोटाले में 580 फर्जी शालार्थ आईडी बनाकर सरकारी खजाने को 145.88 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। यह पैसा गरीब छात्रों की शिक्षा, शिक्षकों के वेतन और स्कूलों के विकास पर खर्च किया जा सकता था, लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने अपने निजी लाभ के लिए इसे लूट लिया। चिंतामण वंजारी जैसे अधिकारियों की जमानत याचिका खारिज होना यह दर्शाता है कि उनकी संलिप्तता कितनी गंभीर है। हालाँकि, डॉ. वैशाली जामदार को जमानत मिल गई, क्योंकि गिरफ्तारी की प्रक्रिया में खामियाँ पाई गईं, जो हमारी कानूनी प्रणाली में प्रक्रियात्मक पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करता है।

    सिस्टम के नैतिक पतन का प्रतीक
    यह मामला हमें सोचने पर मजबूर करता है कि जब शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में ऐसे लोग बैठे हों, जो फर्जीवाड़े के माध्यम से अपनी जेबें भर रहे हों, तो हमारे देश का भविष्य कैसा होगा? यह घोटाला सिर्फ एक वित्तीय अनियमितता नहीं है, बल्कि यह हमारे सिस्टम के नैतिक पतन का प्रतीक है। सरकार को इस मामले की जड़ तक जाकर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। साथ ही, शिक्षा विभाग में ऐसी प्रणाली स्थापित करनी चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसे घोटालों की पुनरावृत्ति न हो।

  • दहेज की बलि चढ़ी एक और ज़िंदगी

    दहेज की बलि चढ़ी एक और ज़िंदगी

    कब रुकेगा यह क्रूर सिलसिला?
    नागपुर.
    दहेज की क्रूरता ने एक और परिवार की खुशियां छीन ली। उसे आत्महत्या के लिए उकसाने वाले पति के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। मृतक संगीता बिसेन (32), छोटी तरोड़ी स्थित वंदे कृष्ण सोसायटी निवासी थी। उसका मायका मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के महलपुर में है। अप्रैल 2014 में उसकी शादी श्यामराव श्रीपाद बिसेन (42) से हुई। 19 अप्रैल 2016 से मायके से पैसे लाने के लिए श्यामराव उसे शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना दे रहा था। दहेज को लेकर आए दिन होने वाली कलह से त्रस्त होकर 24 जुलाई 2025 को शाम करीब 4 बजे संगीता ने फांसी लगा ली।

    यह लाखों महिलाओं की कहानी
    संगीता की कहानी कोई नई नहीं है; यह उन लाखों महिलाओं की कहानी है, जिन्हें शादी के बाद पैसे और लालच के लिए शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जाती हैं। यह घटना हमारी व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करती है। 2014 में शादी होने के बाद 2016 से संगीता को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। आखिर इतने सालों तक यह सब क्यों चलता रहा? क्या परिवार ने पुलिस में शिकायत करने की कोशिश नहीं की? या फिर सामाजिक दबाव और ‘परिवार की इज्जत’ जैसे मिथकों के कारण वह चुप रही? अक्सर ऐसे मामलों में, पीड़िता का परिवार सामाजिक बहिष्कार के डर से चुप्पी साध लेता है, और यह चुप्पी ही अपराधी का हौसला बढ़ाती है।

    सोच में बदलाव लाना होगा
    वाठोड़ा पुलिस ने संगीता के पति के खिलाफ भले ही अब मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन यह कार्रवाई तब हुई, जब एक ज़िंदगी खत्म हो चुकी थी। यह दिखाता है कि हमारी कानूनी और सामाजिक व्यवस्थाएँ ऐसे मामलों में कितनी धीमी और प्रतिक्रियात्मक हैं। हमें एक ऐसी व्यवस्था चाहिए जो अपराध होने से पहले उसे रोक सके। यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि ऐसी घटनाएँ फिर न हों। इसके लिए कड़े कानूनी प्रावधानों के साथ-साथ समाज को भी अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। जब तक हम सब मिलकर इस बुराई के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक ऐसी और भी संगीताएँ इसकी बलि चढ़ती रहेंगी।

  • मुंह पर छोड़ा सिगरेट का धुआं, मना करने पर सीने में चाकू घोंपा

    मुंह पर छोड़ा सिगरेट का धुआं, मना करने पर सीने में चाकू घोंपा

    मामूली विवाद में जानलेवा हमला
    नागपुर.
    नागपुर के यशोधरा नगर थाना क्षेत्र में एक मामूली विवाद में प्रॉपर्टी डीलर को जान से मारने का प्रयास किया गया। सिगरेट का धुआं मुंह पर छोड़ने के विवाद में आरोपियों ने पहले उसकी पिटाई की और फिर सीने में चाकू घोंप दिया। पुलिस ने इस मामले में प्रकरण दर्ज कर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि बाकी फरार आरोपियों की तलाश जारी है।

    पान ठेले पर घटना
    जख्मी प्रॉपर्टी डीलर की पहचान ललित गणेश मोहाड़ीकर (36) के रूप में हुई है, जिसका फिलहाल मेयो अस्पताल में इलाज चल रहा है। आरोपी पानठेला चालक सैय्यद साबिर (35), हिमांशु उर्फ सिंधु, गुड्डू और उसके अन्य साथी हैं। यह घटना सोमवार को रात करीब 10.30 बजे हुई, जब ललित शांति नगर नया पुलिया के पास नामदेव नगर में एक पानठेले पर गया था। वहां पर आरोपी भी मौजूद थे। उनमें से एक आरोपी सिगरेट पी रहा था और उसने सिगरेट का धुआं ललित के मुंह पर छोड़ा। इस पर ललित ने उसे फटकार लगाई, जिससे दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया।

    अब तो सरेआम वारदात
    विवाद बढ़ने पर, आरोपियों ने पहले ललित की लात-घूसों से पिटाई की। जख्मी हालत में जब ललित अपनी बाइक से भागने लगा, तो आरोपियों ने उसे गिरा दिया। इस बीच, एक आरोपी ने अपनी जेब से चाकू निकाला और “हमसे उलझता है” कहते हुए ललित के सीने में चाकू घोंप दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। यशोधरा नगर पुलिस ने इस मामले में प्रकरण दर्ज कर मुख्य आरोपी साबिर को गिरफ्तार कर लिया है। सोमवार को उसे अदालत में पेश किया गया। फरार आरोपियों की सरगर्मी से तलाश जारी है। यह घटना शहर में बढ़ते अपराध और मामूली बातों पर होने वाली हिंसा को दर्शाती है, जिस पर पुलिस को लगाम लगाने की जरूरत है।

  • कलयुगी बेटा…मां असहाय, पिता की पिटाई

    कलयुगी बेटा…मां असहाय, पिता की पिटाई

    पुलिस की चेतावनी के बाद भी शिकायत से इनकार
    नागपुर.
    नागपुर के शांति नगर में एक परेशान करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक युवक अपनी मां के सामने अपने बुजुर्ग पिता के साथ मारपीट करता दिख रहा है। इस घटना ने समाज में चिंता पैदा कर दी है और लोगों के बीच बहस छेड़ दी है। वायरल वीडियो में, बुजुर्ग पिता सोफे पर बैठे दिखाई दे रहे हैं, जबकि उनका बेटा, टी-शर्ट और बरमूड़ा पहने हुए है, उन्हें बार-बार थप्पड़ मार रहा है, उनके बाल खींच रहा है, कान मरोड़ रहा है और गर्दन पकड़ रहा है। इस दौरान, मां पास में ही बैठी है और वह असहाय दिख रही है।

    पिता ने घटना से किया इनकार
    शांति नगर पुलिस ने वीडियो के आधार पर घर की पहचान कर ली और पिता से मुलाकात की। हालांकि, पिता ने दावा किया कि ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई। अधिकारियों ने उन्हें शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और कहा कि वह इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते। जब पुलिस ने परिवार से पूछताछ की, तो मां ने भी पुलिस से कहा, “यह हमारा पारिवारिक मामला है। हममें से किसी ने शिकायत नहीं की, तुम यहाँ कैसे आ गए?” बावजूद इसके, पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया, क्योंकि वायरल वीडियो ने लोगों में चिंता पैदा कर दी थी। पुलिस ने बेटे को कड़ी चेतावनी दी कि वह अपने माता-पिता के साथ इस तरह का व्यवहार दोबारा न करे। पुलिस ने साफ कहा कि सार्वजनिक रूप से या घर पर माता-पिता के साथ इस तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह घटना हमारे समाज में बुजुर्गों के प्रति बढ़ती हिंसा और उनके प्रति बेरुखी को दर्शाती है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

  • 73 का वार्डन, 17 की किशोरी : यौन उत्पीड़न

    73 का वार्डन, 17 की किशोरी : यौन उत्पीड़न

    प्रतिष्ठित स्कूल में शर्मनाक घटना
    नागपुर.
    नागपुर के एक प्रतिष्ठित स्कूल के छात्रावास में एक 17 वर्षीय किशोरी के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है, जिसने पूरे शहर को शर्मसार कर दिया है। यह घटना न केवल उस छात्रा के लिए भयावह है, बल्कि यह हमारे समाज की सुरक्षा और नैतिक मूल्यों पर भी एक गहरा सवाल खड़ा करती है। जब माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए छात्रावास भेजते हैं, तो वे उन संस्थानों पर पूरा भरोसा करते हैं, लेकिन जब ऐसे सुरक्षित माने जाने वाले स्थानों पर ही बच्चों के साथ ऐसी घिनौनी हरकतें होती हैं, तो यह विश्वास टूट जाता है।

    वासना की विकृत मानसिकता
    एक 73 वर्षीय व्यक्ति, जिसे बच्चों का मार्गदर्शक और संरक्षक होना चाहिए, उसी ने अपने पद का दुरुपयोग किया और एक किशोरी को कई महीनों तक यौन प्रताड़ित किया। यह दिखाता है कि वासना और विकृत मानसिकता की कोई उम्र नहीं होती। यह घटना केवल एक व्यक्ति का कुकृत्य नहीं है, बल्कि यह उस व्यवस्था की भी विफलता है, जिसने ऐसे व्यक्ति को इतने संवेदनशील पद पर बिठाया। छात्रावास प्रबंधन की लापरवाही और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठते हैं। क्या उन्होंने कभी वार्डन के व्यवहार पर ध्यान दिया? क्या वहां छात्राओं की सुरक्षा के लिए कोई निगरानी व्यवस्था थी?

    सख्त सजा की मांग
    इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। पुलिस को इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और पोक्सो व एट्रासिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर दोषी को सख्त से सख्त सजा दिलानी चाहिए। साथ ही, छात्रावासों और स्कूलों को अपने कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की गहन जांच करनी चाहिए और सुरक्षा मानकों को और भी मजबूत बनाना चाहिए। बच्चों को ‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ के बारे में जागरूक करना और उन्हें अपनी आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करना भी बेहद ज़रूरी है।

  • जीरो माइल सौंदर्यीकरण अधर में

    जीरो माइल सौंदर्यीकरण अधर में

    प्रोजेक्ट अनिश्चितता के भंवर में फंसा
    नागपुर.
    नागपुर की पहचान, जीरो माइल के सौंदर्यीकरण का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अब अनिश्चितता के भंवर में फंस गया है। मनपा (महानगरपालिका) की 48 करोड़ की यह प्रस्तावित योजना, जो शहर की ऐतिहासिक विरासत को संवारने का वादा करती थी, अब अधर में लटकी है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य जीरो माइल की ऐतिहासिक पहचान को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना था, जिसमें एक स्मारक, दो संग्रहालय, पार्किंग और वॉकर्स-वे शामिल थे।

    यह थी योजना
    इस योजना के तहत, जीरो माइल के पिछले हिस्से में इंडियन ऑयल की जगह पर स्मारक और संग्रहालय बनाने का प्रस्ताव था, जबकि विधानभवन के पास की खाली जमीन पर पार्किंग और वॉकर्स-वे तैयार किया जाना था। लेकिन, सबसे बड़ी बाधा अब जमीन के आवंटन को लेकर आई है। विधानभवन के पास की खाली 2000 वर्ग मीटर जमीन को अब विधानभवन के विस्तार के लिए सौंपने का निर्देश मिला है। इससे मनपा का पूरा प्लान गड़बड़ा गया है।

    सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई थी
    कुछ महीने पहले, हेरिटेज समिति ने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी, लेकिन जमीन आवंटन में इस बदलाव ने पूरी योजना को अनिश्चित बना दिया है। इस योजना में दो संग्रहालयों का प्रस्ताव था, जिनमें से एक में ग्रेट ट्रिग्नोमेट्रिकल सर्वे ऑफ इंडिया की विरासत और दूसरे में नागपुर की सांस्कृतिक विकास परंपरा को दर्शाया जाना था। इस प्रोजेक्ट का अटकना शहर के पर्यटन विकास के लिए एक बड़ा झटका है।

    मनपा के लिए बड़ी चुनौती
    मनपा को अब इस चुनौती का सामना करना होगा और इस ऐतिहासिक स्थान के सौंदर्यीकरण के लिए कोई नया रास्ता निकालना होगा। जीरो माइल नागपुर की पहचान है और इसका विकास शहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह देखना होगा कि मनपा और सरकार इस समस्या का क्या समाधान निकालते हैं और कब यह प्रोजेक्ट फिर से पटरी पर लौटता है।

  • पुराना भंडारा रोड चौड़ीकरण का रोड़ा दूर

    पुराना भंडारा रोड चौड़ीकरण का रोड़ा दूर

    300 करोड़ के मुआवजे से रास्ता साफ
    नागपुर.
    नागपुर के विकास के लिए एक बड़ी अच्छी खबर है। शहर का बहुप्रतीक्षित और लंबे समय से रुका हुआ पुराना भंडारा रोड चौड़ीकरण प्रोजेक्ट अब जल्द ही पूरा होने की उम्मीद जगी है। इस प्रोजेक्ट के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा भूमि अधिग्रहण और मुआवजा था, जिसे अब जिला प्रशासन ने हल करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। जिला प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण से प्रभावित नागरिकों के लिए 300 करोड़ रुपये के मुआवजे का प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा है।

    जाम की समस्या होगी हल
    यह प्रोजेक्ट शहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके तहत मेयो अस्पताल से सुनील होटल टी-पॉइंट तक करीब 2.5 किलोमीटर लंबे हिस्से में सड़क की चौड़ाई को 18 मीटर से बढ़ाकर 30 मीटर किया जाएगा। इससे इस व्यस्त मार्ग पर यातायात की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी और लोगों को आवाजाही में आसानी होगी। इस प्रोजेक्ट में 15,397 वर्ग मीटर निजी जमीन और 2275 वर्ग मीटर सरकारी जमीन का अधिग्रहण होना है। कुल मुआवजे की राशि 339 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है, जिसमें से 70 फीसदी राशि राज्य सरकार को देनी है।

    मुंबई में लगेगी मुहर
    इस प्रस्ताव पर जल्द ही मुंबई मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसके बाद इसे आर्थिक मंजूरी मिलने की संभावना है। मंजूरी मिलते ही, मुआवजे का भुगतान भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 77 के तहत सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट से लगभग 650 संपत्तियां प्रभावित होंगी। यह कदम न केवल नागपुर की बुनियादी संरचना को मजबूत करेगा, बल्कि शहर के विकास को भी नई गति देगा। यह परियोजना दिखाती है कि सरकार शहर के नागरिकों की सुविधा और प्रगति के लिए कितनी गंभीर है। उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट जल्द से जल्द पूरा होगा और नागपुर के लोगों को यातायात की समस्या से राहत मिलेगी।

  • रघुजी भोसले की ऐतिहासिक तलवार की वापसी

    रघुजी भोसले की ऐतिहासिक तलवार की वापसी

    गौरवशाली इतिहास का पुनर्जीवन
    नागपुर.
    नागपुर के भोसले घराने के संस्थापक और मराठा साम्राज्य के महान योद्धा रघुजी भोसले की ऐतिहासिक तलवार अब महाराष्ट्र वापस आ रही है। लंदन में हुई एक नीलामी में महाराष्ट्र सरकार ने इस अमूल्य धरोहर को सफलतापूर्वक खरीद लिया है। यह केवल एक धातु की वस्तु नहीं, बल्कि हमारे गौरवशाली इतिहास, शौर्य और आत्मसम्मान का प्रतीक है, जिसका वापस आना पूरे राज्य के लिए गर्व का क्षण है।

    मंत्री आशीष शेलार ने दी जानकारी
    राज्य के सांस्कृतिक कार्य मंत्री आशीष शेलार ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की। उन्होंने बताया कि इस तलवार को जल्द ही महाराष्ट्र लाया जाएगा और आम जनता के दर्शन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। रघुजी भोसले, छत्रपति शाहूजी महाराज के समय में मराठा सेना के एक महत्वपूर्ण सरदार थे, जिन्होंने अपने पराक्रम से नागपुर में भोसले वंश की स्थापना की थी। उनकी तलवार का वापस आना एक तरह से हमारे इतिहास को फिर से जीवंत करना है।

    इनके प्रति जताया आभार
    इस पूरी प्रक्रिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्रियों और लंदन स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कदम आने वाली पीढ़ियों को उनके गौरवशाली अतीत से जोड़ेगा और उन्हें अपने इतिहास पर गर्व करने का अवसर देगा। यह तलवार हमें सिर्फ इतिहास नहीं बताएगी, बल्कि हमें हमारे पूर्वजों के साहस और बलिदान की याद भी दिलाएगी। यह तलवार हमें यह भी याद दिलाती है कि हमारा इतिहास सिर्फ किताबों में नहीं, बल्कि ऐसी वस्तुओं में भी जीवित है।

  • विधायक के नाम पर फर्जीवाड़ा

    विधायक के नाम पर फर्जीवाड़ा

    नौकरी के नाम पर साढ़े चार लाख की ठगी
    नागपुर.
    नागपुर में नेताओं के नाम पर धोखाधड़ी का एक और मामला सामने आया है। इस बार विधान परिषद सदस्य संदीप जोशी के नाम का इस्तेमाल कर एक युवक को नौकरी दिलाने का झांसा देकर साढ़े चार लाख रुपये ठग लिए गए हैं। यह घटना नागपुर में सक्रिय एक बड़े गिरोह की ओर इशारा करती है, जो राजनीतिक रसूख का फायदा उठाकर भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बना रहा है।

    संदीप जोशी का करीबी बताया
    पीड़ित नीलेश ने अपनी पत्नी के लिए मनपा (नागपुर महानगरपालिका) में नौकरी पाने के लिए अभय नामक व्यक्ति को 4.5 लाख रुपये नकद दिए थे। अभय खुद को विधायक संदीप जोशी का करीबी बताकर लोगों को झांसा देता था। जब नीलेश की पत्नी को नौकरी नहीं मिली और उसने अपने पैसे वापस मांगे, तो अभय टाल-मटोल करने लगा। इससे नीलेश को संदेह हुआ और उसने सीधे विधायक संदीप जोशी से संपर्क किया। विधायक जोशी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत पुलिस की क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अभय नाम के किसी भी व्यक्ति से उनका कोई संबंध नहीं है और उन्होंने जनता से ऐसे धोखेबाजों से सावधान रहने की अपील की है।

    इसके पहले भी घटनाएं
    यह पहला मामला नहीं है जब नागपुर में इस तरह की धोखाधड़ी हुई है। इससे पहले भी विधायक प्रवीण दटके और पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के नाम पर सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर ठगी की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। यह दिखाता है कि एक सुनियोजित गिरोह सक्रिय है, जो नेताओं के नाम का दुरुपयोग कर जनता को ठग रहा है। पुलिस को सिर्फ इस एक मामले तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच करनी चाहिए।

    कड़ी कार्रवाई की दरकार
    पुलिस की जांच में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या अभय जैसे लोग सिर्फ मोहरे हैं और इस ठगी के पीछे कोई बड़ा चेहरा है? क्या यह गिरोह और कितने लोगों को ठग चुका है? पुलिस को इस मामले में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए और इस गिरोह के सभी सदस्यों को पकड़कर कड़ी सजा देनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

  • आस तोड़ सकता है ‘चोर बीटी’ कपास

    आस तोड़ सकता है ‘चोर बीटी’ कपास

    अवैध बीज और कृषि क्षेत्र की चुनौतियां
    नागपुर.
    “चोर बीटी’ नामक अवैध बीज की महाराष्ट्र में बंपर बुआई हुई है। यह स्थिति कृषि विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है और यह दर्शाती है कि अनियंत्रित और अवैध बीज व्यापार कितना गहरा है। गुजरात और तेलंगाना से चोरी-छिपे महाराष्ट्र में लाए गए इन बीजों की बुआई इतनी ज्यादा हुई है कि कृषि सेवा केंद्रों में रखे गए 60% वैध बीज बिना बिके रह गए।

    इस उद्देश्य से लाया गया था
    कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों का उद्देश्य पैदावार बढ़ाना और किसानों की आय में वृद्धि करना है। इसी उद्देश्य के साथ, बॉन्ड इल्लियों से फसल को बचाने के लिए बीटी कपास की तकनीक विकसित की गई। पहले बीटी 1 और फिर गुलाबी इल्लियों के लिए बीटी 2 तकनीक लाई गई। अब, खरपतवार की समस्या से निपटने के लिए बीटी 3 आरआर तकनीक विकसित की गई, लेकिन इसके पर्यावरण और मिट्टी की उर्वरता पर पड़ने वाले संभावित हानिकारक प्रभावों के कारण केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी।

    सरकार और कृषि विभाग की बड़ी जिम्मेदारी
    सरकार और कृषि विभाग की यह जिम्मेदारी है कि वे किसानों को केवल अवैध बीजों की बिक्री रोकने तक ही सीमित न रहें, बल्कि उन्हें बेहतर, वैध और सुरक्षित विकल्प भी प्रदान करें। इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी चलाना होगा। कृषि विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वैध बीज समय पर और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों और किसानों को नई तकनीकों के फायदे और नुकसान के बारे में सही जानकारी मिले। यह मामला सिर्फ अवैध बीजों की बिक्री का नहीं, बल्कि कृषि नीतियों और किसानों की जरूरतों के बीच के बड़े अंतर को भी दर्शाता है।