Category: अंतरराष्ट्रीय

  • इजरायल के हर स्कूल में जिस्मफरोशी, कम से कम 5 लड़कियां के धंधे में

    इजरायल के हर स्कूल में जिस्मफरोशी, कम से कम 5 लड़कियां के धंधे में

    हमास और हूती हमले के बीच उभरा बड़ा खतरा
    यरुशलम.
    इजरायल इस समय चौतरफा खतरों से लड़ रहा है। अब इजरायल के अंदर भी एक खतरा बढ़ रहा है, जो इस यहूदी देश की लड़कियों को अपना शिकार बना रहा है। हजारों किशोर इजरायली लड़कियां वेश्यावृत्ति के दुष्चक्र में फंस चुकी हैं, जहां से उनके लिए निकलना मुश्किल हो गया है।

    किशोरावस्था में बन रहीं शिकार
    एक 25 वर्षीय युवती ने बताया कि सेक्स वर्कर के रूप में उसका रास्ता बहुत पहले ही शुरू हो गया था, जब वह किशोरावस्था में थी। युवती ने बताया कि वह खुद को अदृश्य महसूस करती थी। ‘मुझे लगा कि नियंत्रण का एक स्रोत मिल गया है- मेरा शरीर’। उसने कहा कि यह ऐसा नहीं था कि वेश्यावृ्त्ति से पैसे कमाने हैं। यह कुछ इस तरह था। हम साथ में ड्रग्स लेते हैं और फिर मेरे पास सोने के लिए जगह होगी।

    बचाने के लिए आश्रय स्थल
    एक अन्य युवती ने बताया कि एक ग्राहक के साथ हिंसक मुठभेड़ के बाद पहली बार उसके मन में इसे छोड़ने का ख्याल आया। उसने कहा, अंत तभी आया जब मुझे मौत का अहसास हुआ। आज उसकी कहानी को सफलता के रूप में दिखाया जाता है। इन लड़कियों बचाने के लिए आश्रय स्थलों का निर्माण किया गया है। अल्मा उनमें से एक है, जिसे कल्याण मंत्रालय वित्त पोषित करता है।

    बेहद कम उम्र में शुरू होता है शोषण
    रिपोर्ट के अनुसार, कई नाबालिग लड़कियां बेहद कम उम्र में वेश्यावृत्ति में प्रवेश करती हैं। इनमें कुछ की उम्र तो 13 साल तक ही होती है। वर्षों की जागरूकता के बावजूद इस घटना का सही दायरा काफी हद तक अनिर्दिष्ट है। इजरायली कल्याण मंत्रालय ने 2016 में किए गए अंतिम आधिकारिक सर्वेक्षण में वेश्यावृत्ति में शामिल 1300 नाबालिगों की पहचान की गई थी। लेकिन तस्करी विरोधी टास्क फोर्स ने नए अनुमान जारी किए, जो इस संख्या को 3000 के करीब बताते हैं।

    हर स्कूल में 5 लड़कियां शिकार
    कल्याण मंत्रालय में वेश्यावृत्ति और तस्करी पीड़ितों के लिए सेवाओं की प्रमुख अमीर बार-ऑन ने कहा, ‘इजरायल के हर स्कूल में कम से कम पांच लड़कियां और दो लड़के जोखिम में हैं।’ टास्क फोर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि वेश्यावृत्ति में शामिल कई वयस्क महिलाएं नाबालिग होने पर इसमें फंस गई थीं। एक पीड़िता ने कहा, यह कोई पेशा या एक बार का काम नहीं है। यह ऐसा अनुभव है, जो किसी के मानसिक, शारीरिक और मेंटल हेल्थ को गहराई से प्रभावित करता है।

  • बांग्लादेश में राष्ट्रपति शासन के कयास तेज

    बांग्लादेश में राष्ट्रपति शासन के कयास तेज

    – सेना की आपात बैठक, बड़े निर्णय की ओर देश
    ढाका.
    भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ती ही जा रही है। अविश्वास के माहौल में कानून और व्यवस्था की ज़िम्मेदारी संभाल रही सेना की चुनौतियाँ बढ़ गई हैं। ऐसे में सेनाध्यक्ष वकार उज जमां ने आपात बैठक बुलाकर देश में स्थिरता बहाल करने के उपायों पर चर्चा की। सेनाध्यक्ष की बुलाई बैठक में शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें 5 लेफ्टिनेंट जनरल, 8 मेजर जनरल (जीओसी), स्वतंत्र ब्रिगेड के कमांडिंग अधिकारी और सेना मुख्यालय के अधिकारी शामिल थे। माना जा रहा है कि सेना की सिफारिश पर बांग्लादेश में जल्द ही आपातकाल घोषित करके यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को बर्खास्त किया जा सकता है। ऐसे में बांग्लादेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। इसके अलावा बांग्लादेश में सेना अपनी निगरानी में राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है।
    कट्टरपंथियों के खिलाफ मोर्चा
    इस बीच, बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने देश में कट्टरपंथियों के उभार पर निशाना साधते हुए कहा है जिन लोगों ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान सामूहिक हत्याओं में पाकिस्तानी सेना का सहयोग किया था, वो अब ऊंची आवाज़ में बोल रहे हैं। कुछ लोग, कुछ दल, कुछ समूह ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि जैसे 1971 कभी हुआ ही नहीं..इसे लोगों की यादों से मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर सेनाध्यक्ष जमान ने भी सेना मुख्यालय की एक बैठक को संबोधित करते हुए चेताया है कि देश में कट्टरपंथी आगामी दिनों में कानून-व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर सकते हैं। ऐसा होने पर इन तत्वों से सख्ती से निपटा जाएगा।
    अमेरिकी सैन्य जनरल पहुंचे बांग्लादेश
    बांग्लादेशी सेना की आपात बैठक ऐसे समय में हुई है जब अमेरिकी पैसिफिक कमांड के एक शीर्ष जनरल जेबी वॉवेल, बांग्लादेशी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत के लिए 24 मार्च को ढाका पहुंचे हैं। दरअसल, देश की जनता और राजनीतिक दल, दोनों का ही मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से भरोसा लगातार कम हो रहा है। देश में आर्थिक स्थिति भी बिगड़ती जा रही है। लोगों की आय घटी है, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन बढ़े हैं और महिलाओं के खिलाफ अपराध में भारी इजाफा होने के साथ ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथ का तेज़ी से उभार हो रहा है। इन सबके चलते मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी अब सीधे यूनुस सरकार की नीयत पर सवाल उठा रही है। दूसरी ओर पिछले दिनों यूनुस सरकार के संरक्षण में गठित नए राजनीतिक दल नेशनल सिटिजन पार्टी के छात्र नेताओं ने सीधे सेना पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

  • अमेरिका में बढ़े भारत के छात्र, पर ब्रिटेन में घटे

    अमेरिका में बढ़े भारत के छात्र, पर ब्रिटेन में घटे

    -अमेरिका ने 41% विदेशी छात्रों के आवेदन ख़ारिज किए
    नई दिल्ली.
    अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए विदेश में पढ़ने का क्रेज रहा है। विदेश में पढ़ाई करने की मंशा रखने वाले छात्रों के लिए यह अहम खबर है। एफ-1 वीज़ा खारिज होने की दर में इजाफा होने के कारण होने के कारण अमेरिका में भारतीय विद्यार्थी कम हो गए हैं, इसके उलट ब्रिटेन में भारत के विद्यार्थी अधिक हो गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार सन 2023-24 में, भारतीय छात्रों की संख्या चीनी छात्रों से अधिक हो गई, जिससे भारतीय अमेरिका में सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय छात्र समूह (अंतराष्ट्रीय छात्रों का 29.4%) बन गए।
    ये हैं आंकड़े
    आंकड़ों के मुताबिक, सन 2023-24 में अमेरिका में 3.31 लाख भारतीय छात्र थे, जो भारतीय समूह के लिए अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। भारतीय अंतरराष्ट्रीय छात्रों के दूसरे सबसे बड़े स्रोत ब्रिटेन ने विदेशी छात्रों की संख्या सीमित करने के लिए देश में आश्रितों को लाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। नतीजतन, ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के नामांकन में 40% तक की गिरावट आई है।
    अमेरिका को 6.79 लाख आवेदन
    अमेरिका को सन 2023-24 में एफ-1 वीज़ा (एफ-1 वीजा) के लिए कुल 6.79 लाख आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 2.79 लाख (41%) नामंजूर कर दिए गए। यह 2022-23 से वृद्धि है, जब कुल 6.99 लाख में से 2.53 लाख आवेदन (36%) अस्वीकार कर दिए गए थे। ध्यान रहे कि अमेरिकी सरकार का वित्तीय वर्ष 1 अक्टूबर से 30 सितंबर तक चलता है।
    भारतीयों को गत वर्ष 64,008 छात्र वीज़ा दिए गए
    भारतीयों को सन 2024 में जनवरी से सितंबर तक 64,008 छात्र वीज़ा जारी किए गए, जो 2023 में इसी अवधि में 1.03 लाख से कम है। विदेश विभाग की वेबसाइट अब कहती है कि मार्च-सितंबर की मासिक रिपोर्ट दिसंबर 2024 में अपडेट की गई थी। इसके साथ, जनवरी-सितंबर से नौ महीनों के लिए कुल आंकड़ा 63,973 है, जो थोड़ा कम है। आंकड़ों के अनुसार, 2021 में इसी अवधि के दौरान 65,235 वीज़ा जारी किए गए, और 2022 में 93,181 वीज़ा जारी किए गए।
    छात्र वीज़ा की संख्या 38% कम हो गई
    पिछले वित्तीय वर्ष अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 तक अमेरिका की छात्र वीज़ा अस्वीकृति दर एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जिसमें सभी देशों से 41% एफ-1 वीज़ा आवेदन अस्वीकार कर दिए गए और सन 2014 के वित्तीय वर्ष की अस्वीकृति दर से लगभग दुगुने हो गए हैं। अमेरिका में सन 2023-24 में एफ-1 वीज़ा के लिए कुल 6.79 लाख आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 2.79 लाख (41%) अस्वीकार कर दिए गए। यह 2022-23 से अधिक वृद्धि है, जब कुल 6.99 लाख में से 2.53 लाख आवेदन (36%) को नामंजूर कर दिए गए थे।
    अस्वीकार करने का प्रतिशत बढ़ा
    आंकड़ों के अनुसार, पिछले दशक में सभी देशों से आवेदनों की कुल संख्या में गिरावट के बावजूद छात्र वीज़ा अस्वीकार करने का प्रतिशत बढ़ा है। इस अवधि के दौरान, 2014-15 में आवेदनों की कुल संख्या 8.56 लाख के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, लेकिन अगले कुछ वर्षों में इसमें लगातार गिरावट देखी गई, जब तक कि यह 2019-2020 के कोविड वर्ष में 1.62 लाख के निचले स्तर पर नहीं पहुंच गई।
    अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या सीमित करने की मांग
    भारतीय छात्र अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्र समूह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। असल में एफ-1 वीज़ा के अस्वीकृति के मामलों में वृद्धि ऐसे समय हुई है जब कुछ अन्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या सीमित करने की मांग की है। उदाहरण के लिए, कनाडा ने 2024 में घोषणा की कि वह अध्ययन परमिट की संख्या सीमित कर देगा, जिसका अर्थ है कि 2023 की तुलना में इसमें 35% की कमी होगी। तब इसने साफ किया है कि “अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में वृद्धि से आवास, स्वास्थ्य सेवा और अन्य सेवाओं पर दबाव पड़ता है। इसने 2025 में अध्ययन परमिट में 10 प्रतिशत की और कमी करने की घोषणा की है।

  • करोड़ों का मालिक पत्नी के अवैध संबंध से परेशान

    करोड़ों का मालिक पत्नी के अवैध संबंध से परेशान

    -खुला राज तो अब कर रही प्रताड़ित, सरकार से मांगी मदद
    नई दिल्ली.
    रिप्पलिंग के को-फाउंडर प्रसन्ना शंकर इन दिनों अपनी निजी जिंदगी को लेकर काफी चर्चाओं में है। उन्होंने अपनी पत्नी पर प्रताड़ित करने और बच्चे का अपहरण करने का आरोप लगाया है। इसके अलावा उन्होंने पत्नी के अफेयर के भी राज खोले है। प्रसन्ना शंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए अपनी कहानी शेयर की है। प्रसन्ना शंकर ने पत्नी पर चेन्नई पुलिस के साथ मिलकर परेशान करने का आरोप लगाया है।
    10 साल पहले हुई थी शादी
    बता दें कि प्रसन्ना शंकर और दिव्या शशिधर की मुलाकात नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तिरुचिरापल्ली (एनआईटी त्रिची) में हुई थी। उनकी शादी 10 साल पहले हुई थी और उनका एक 9 साल का बेटा है, जिसकी कस्टडी को लेकर पूरा विवाद चल रहा है। प्रसन्ना शंकर ने कहा कि उसकी पत्नी उसे चिट कर रही है और 6 महीने से अनूप नाम के व्यक्ति के साथ रिश्ते में है। उन्हें इस अफेयर के बारे में अनूप की पत्नी से पता चला। अनूप की पत्नी ने ही उन दोनों के बीच हुई बातचीत के सबूत भेजे। शंकर ने एक्स पर चैट के स्क्रीनशॉट भी शेयर किए है।
    फर्जी शिकायत दर्ज करने का लिया फैसला
    उन्होंने बताया कि इसके बाद हम इस बात पर बातचीत कर रहे थे कि तलाक के तौर पर मुझे उसे कितने मिलियन डॉलर देने होंगे। वह नाखुश थी और उसने मेरे खिलाफ फर्जी पुलिस शिकायत दर्ज़ करवाने का फ़ैसला किया कि मैंने उसे मारा है। शंकर ने पत्नी पर अपने 9 वर्षीय बेटे का अपहरण करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया दिव्या ने उनसे एक बड़ा समझौता करने के प्रयास में भारत में नहीं, बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका में तलाक का मामला दायर किया। फिर उसने उनके बेटे का ‘अपहरण’ किया और उसे अमेरिका ले गई। प्रसन्ना शंकर सैन फ्रांसिस्को स्थित एचआर टेक कंपनी रिपलिंग के सह-संस्थापक हैं। वे चेन्नई के रहने वाले है जो अब सिंगापुर में रहते हैं।

  • पुरोहित, मनुवाद्यांच्या कब्जातून बोधगया स्थित महाबोधी बुद्ध विहार  केव्हा मुक्त होणार ? -दादासाहेब खडसे

    पुरोहित, मनुवाद्यांच्या कब्जातून बोधगया स्थित महाबोधी बुद्ध विहार  केव्हा मुक्त होणार ? -दादासाहेब खडसे

    पुरोहित, मनुवाद्यांच्या कब्जातून बोधगया स्थित महाबोधी बुद्ध विहार  केव्हा मुक्त होणार ? -दादासाहेब खडसे

    जम्बूद्वीपामध्ये अडीच हजार वर्षांपूर्वी  शाक्य वंशातील  सिद्धार्थ गौतम या राजपुत्राला  बोधगया येथील पिंपळाच्या वृक्षाखाली संबोधी प्राप्त झाली, ज्ञान प्राप्त झाले. शाक्यमुनी सिद्धार्थ गौतम  बुद्ध झाले, ते संम्यक सम्बुद्ध अहर्त  झाले.
    सिद्धार्थ गौतमाने गृहत्याग करून बोधीअर्थात ज्ञान प्राप्त करण्यासाठी,  ज्ञान मिळविण्यासाठी नानाविध प्रकारचे  प्रयत्न केले. सिद्धार्थ गौतमाचा सत्य शोधण्याचा प्रयत्न यशस्वी झाला.सिद्धार्थ गौतमाला दुःख मुक्तीचा मार्ग कळाला आणि सिद्धार्थ गौतम हे बुद्ध झाले. सिद्धार्थ गौतम बुद्ध झाले ते फक्त स्वतःच्या प्रयत्नाने, स्वतःच्या त्याग बलिदानाने, स्वतःच्या तपश्चर्याने,स्वश्रमाणे, स्वप्रयत्नाने. सिद्धार्थ गौतम यांनी बुद्धत्व प्राप्त करण्यासाठी कठोर तपश्चर्या केली, अन्न त्याग केले, साधना केली आणि मार सेना अर्थात तृष्णेवर विजय प्राप्त करून  शाक्य कुळ वंशाचा राजपुत्र  सिद्धार्थ गौतम हे बुद्ध झाले.

    भगवान,सम्यक,सम्बुद्ध,अहर्त,तथागत बुद्धाने  जे ज्ञान मिळविले, जो दुःख मुक्तीचा मार्ग शोधून काढला, जो धम्म शोधून काढला  तो बुद्धाचा स्वतंत्र शोध होता.
    संपूर्ण विश्वातील अज्ञान, अंधकार, अंधश्रद्धा, दुःख दूर करण्यासाठी भगवान बुद्धाने पंचवर्गीय भिक्षुंना धम्माची पहिली धम्मदेशना देऊन धम्मचक्र प्रवर्तन केले आणि  बुद्धाने आपला धम्म  जनजनांपर्यंत जावा तसेच इतरांना दुःख मुक्तीचा मार्ग  कळावा,निब्बानाचा साक्षात्कार व्हावा यासाठी भिख्खु, भिक्षु  संघ बनविला, भगवान बुद्धाने त्यांच्या भिख्खु संघात स्त्री आणि पुरुष यांना सामावून घेतले. गृहत्याग करून निब्बाण अर्थात निर्वाण, बोधी अर्थात ज्ञान  प्राप्त करण्याचा मार्ग सिद्धार्थ गौतम बुद्धाने  सर्वांसाठी प्रशस्त केला, खुला केला. बुद्धाने प्रत्येक  प्राणीमात्रांवर, मनुष्यमात्रांवर करुणा केली  आणि त्यांचा धम्म हा,महाकारुनिक बुद्धाने शेवटच्या क्षणापर्यंत आणि श्वासापर्यंत   मांडण्याचा, सांगण्याचा, उपदेशीत करण्याचा प्रयत्न केला. सिद्धार्थ गौतम बुद्ध  यांनी दुःखमुक्तीचा मार्ग शोधला, ज्ञान शोधून काढले, निर्वाणाचा मार्ग शोधला.

    सिद्धार्थ गौतम बुद्धाने या विश्वाला तीन शरण, अर्थात त्रिशरण म्हणजे मी बुद्धाला शरण जातो  हे पहिले शरण, मी बुद्धाच्या धम्माला शरण जातो हे दुसरे शरण, आणि मी बुद्धाच्या संघाला शरण जातो हे तिसरे शरण दिले, तथागत भगवान बुद्धाने  उपासक अनुयायांसाठी पाच शील  अर्थात पंचशील दिले. संघातील भिक्खूंसाठी दहा शील दिले. आणि  नियम दिलेत. प्रज्ञा,शील,करुणा चा उपदेश भगवान बुद्धांनी जगाला दिला आहे. सिद्धार्थ गौतम  बुद्धांने स्वतःला मार्गदर्शक म्हणून संबोधलेले आहे.
    सिद्धार्थ गौतम बुद्ध हे या विश्वाला मिळालेली  अनमोल देणगी आहे. बुद्धाचा जन्म, बुद्धाला ज्ञान प्राप्ती आणि बुध्दाचे महापरिनिर्वाण या  भारत वर्षामध्ये, जम्मूद्वीपामध्ये  झाले. भारत ही बुद्धाची भूमी आहे. भगवान बुद्धाचा धम्म,धम्ममार्ग  भारताच्या भूमी बाहेर अनेक राष्ट्रांनी अंगीकारला,स्वीकारला. या  विश्वातील अनेक राष्ट्र हे बुद्धाचे अनुयायी झालेले आहेत.

    सिद्धार्थ गौतम बुद्धाला ज्या  बोधगया  येथील पिंपळ वृक्षाखाली  ज्ञान प्राप्त झाले  त्या ठिकाणची, सत्याची साक्ष तेथील बोधीवृक्ष आजही  देत आहे. प्रियदर्शी सम्राट अशोकाने बौद्ध धर्माचा स्वीकार केल्यानंतर बोधगया स्थित महाबोधी बुद्ध विहार बांधले. प्रियदर्शी सम्राट अशोकाने त्याच्या शासन काळात 84 हजार स्तूप, बुद्ध विहार सुद्धा बांधले, 84 हजार बुद्ध विहार आजही भारत वर्ष अर्थात भारतात, वेगवेगळ्या विहार मंदिरा च्या स्वरूपात अस्तित्वात आहे, अनेक ठिकाणी बुद्ध मूर्तीला भट पुरोहितानी पोटा पाण्याच्या साधनासाठी वैदिकवादी कथित देवी देवता बनवून, बुद्ध संपदेला विद्रुप करण्याचा प्रयत्न चालविलेला आहे पण भट ब्राम्हण, पुरोहिताना बुद्ध लपवून ठेवता आला नाही, बुद्ध सूर्या प्रमाणे वास्तविकतेला, इतिहासाला सत्याला प्रतिबिंबित करत आहे.बुध्दाचे अस्तित्व, बुध्दाचे सत्य, बुद्धाचा धम्म आजही सूर्य प्रकाशाप्रमाणे झळझळत आहे, दिपवत आहे.

    प्रियदर्शी सम्राट अशोकाने बांधलेले बोधगया स्थित महाबोधी बुद्ध विहार हे आजही जगाला सम्यक, सम्बुद्ध, अहर्त  सिद्धार्थ गौतम बुद्धाचा धम्म, बुद्ध विचार, बुद्ध तत्त्वज्ञान, धम्ममार्ग, बुद्ध इतिहास  यांची ग्वाही देत जगातील बुद्ध अनुयायांना, बौद्ध धम्म बांधवांना  आकर्षित करीत आहे. भारतातील बिहार  राज्यातील गया स्थित महाबोधी बुद्ध विहार  हे धम्म  प्रेरणेचे आणि जगातील बौद्ध अनुयायांचे पवित्र श्रद्धास्थान आहे.
    असे असताना भारतातील वैदिकवादी भट,ब्राह्मण, पुरोहित,मनुवाद्यांनी चोरट्या मार्गाने, कपटनीती आणि षडयंत्राने  बुद्धाच्या धम्मामध्ये, बुद्ध साहित्यामध्ये    घुसखोरी करण्याचा प्रयत्न भगवान बुद्धाच्या महापरिनिर्वाणानंतर ते अद्याप पर्यंत सुरू ठेवलेला आहे. हे मनुवाद्यांचे बुद्ध धम्म आणि बुद्धाच्या संघा विरोधी कृत्य आहे.

    प्रियदर्शी सम्राट अशोकाने बांधलेल्या बोधगया स्थित  महाबोधी बुद्ध विहार  या बुद्ध मंदिर वास्तु शिल्पाशी,  वैदिक भट ब्राह्मण पुरोहितांचा कुठलाच संबंध नाही.
    बोधगया स्थित महाबोधी बुद्ध विहार हे  भारतातील आणि विश्वातील बौद्ध अनुयायांची  धरोवर आहे. धम्माची धरोवर आहे.
    तेव्हा वैदिकवादी भट ब्राह्मण पूर्वहितांनी बोधगया येथील महाबोधी बुद्ध विहार  येथे घुसखोरी करू नये.  भगवान बुद्ध यांच्या  बुद्ध धम्म धरोवरेला विद्रूप करू नये.
    विद्यमान भारत सरकारने तसेच विद्यमान बिहार राज्य सरकारने बोधगया टेम्पल ऍक्ट 1949  कायमस्वरूपी रद्द करून   बोधगया स्थित महाबोधी बुद्ध विहार हे बौद्ध धर्मीय अनुयायांच्या, बौद्ध भिक्षूंच्या  विना विलंब ताब्यात द्यावे.
    भारत देशाला स्वातंत्र्य होऊन  75 वर्षे एवढा अफाट काळ लोटून गेलेला आहे.

    विश्वरत्न,महामानव, बोधिसत्व, भारतीय संविधानाचे शिल्पकार परमपूज्य डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांनी  या स्वतंत्र भारत देशाला भारताचे संविधान बहाल केले.  भारतीय संविधानाने  भारतातील प्रत्येकाला उपासनेचे धर्म स्वातंत्र्य बहाल केलेले आहे. भट ब्राह्मण  पुरोहितांचा कुठलाही संबंध बुद्धगया स्थित महाबोधी बुद्ध विहाराशीं नसताना  बोधगया टेम्पल ऍक्ट 1949  तातडीने रद्द होणे गरजेचे आहे.
    स्वातंत्र्यानंतर भारतातील करोडो बौद्ध अनुयायी हे  मनुवाद्यांच्या, जातीयवाद्यांच्या अन्याय, अत्याचार, शोषण, अंधश्रद्धेला बळी ठरत आहे ही अत्यंत चिंतेची बाब आहे.
    भट,ब्राह्मण पुरोहित मनुवाद्यांच्या जाखडातून महाबोधी बुद्ध विहार केव्हा मुक्त होणार? असा भीषण प्रश्न भारतातीलच नव्हे तर विश्वातील बौद्ध अनुयायांना पडला आहे.
    जर महाबोधी बुद्ध विहार तातडीने मुक्त झाले नाही तर, बुद्धगया स्थित महाबोधी बुद्ध विहार बौद्ध अनुयायांच्या ताब्यात त्वरीत मिळाले नाही तर  विशाल, विराट स्वरूपामध्ये  विश्वातील बौद्ध अनुयायांची जनआंदोलना ची मशाल  पेटतच राहील यात दुमत नाही.

    तेव्हा भारत सरकारने आणि बिहार राज्य सरकारने बुद्धगया टेम्पल ऍक्ट 1949 कायदा  तातडीने रद्द करून बोधगया स्थित महाबोधी बुद्ध विहार बौद्ध अनुयायांच्या आणि बौद्ध भिक्षूंच्या विनाविलंब ताब्यात द्यावे. आणि या पुढे  निरंतर, बुद्ध धम्माच्या मार्गावर चालण्यातच, बुद्ध धम्माला अनुसरण्यातच समस्त मनुष्यमात्राचे राष्ट्राचे तसेच विश्वाचे कल्याण आहे.
    दादासाहेब  पी. बी. खडसे,राष्ट्रीय अध्यक्ष-भारतीय रिपब्लिकन पँथर मोर्चा,

    रा. अमरावती, महाराष्ट्र
    mob. 9960888011
    ई-मेल-irp.morcha@gmail.com

     

     

  • ट्रंप ने 530,000 लोगों से छीना उनका क़ानूनी दर्जा

    ट्रंप ने 530,000 लोगों से छीना उनका क़ानूनी दर्जा

    चार देशों के ख़िलाफ़ लिया बड़ा फैसला

    वाशिंगटन.

    डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह अमेरिका में क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेज़ुएला के नागरिकों को दिए गए कानूनी संरक्षण को रद्द कर देगा। यह कदम, बाइडन की ओर से शुरू किए गए पैरोल प्रोग्राम को पलटते हुए लिया गया है, जिससे कई लोगों का कानूनी स्थायित्व खतरे में पड़ जाएगा। इस फैसले के परिणामस्वरूप, लगभग 530,000 लोगों को अगले एक महीने के भीतर अमेरिका छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

    दो साल का काम और निवास परमिट 

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अवैध प्रवासियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और सख्त कर रहे हैं। क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेज़ुएला के अप्रवासी, जो अक्टूबर 2022 में फाइनेंसियल स्पॉन्सर के साथ अमेरिका पहुंचे थे, उन्हें दो साल का काम और निवास परमिट दिया गया था। अब, होमलैंड सुरक्षा विभाग ने ऐलान किया है कि 24 अप्रैल को संघीय रजिस्टर में नोटिस प्रकाशित होने के 30 दिन बाद, ये लोग अपना लीगल स्टेटस खो देंगे।

    उन्हें कानूनी दर्जे से वंचित किया जाएगा

    गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेज़ुएला के प्रवासियों को दो साल की पैरोल दी गई थी, जो अब समाप्त हो गई है। इन चार देशों के नागरिकों को अमेरिकी स्पॉन्सर के साथ हवाई मार्ग से अमेरिका में प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब यह पैरोल प्रभावी रूप से समाप्त हो गई है, और उन्हें कानूनी दर्जे से वंचित किया जाएगा।

    अमेरिका में प्रवेश और निवास की अनुमति मिलती थी

    ट्रंप प्रशासन ने मानवीय पैरोल सिस्टम को समाप्त करने का फैसला किया है, जो लंबे समय से एक कानूनी प्रक्रिया के रूप में इस्तेमाल हो रहा था। इस सिस्टम के तहत, युद्ध या राजनीतिक अस्थिरता से प्रभावित देशों के नागरिकों को अस्थायी रूप से अमेरिका में प्रवेश और निवास की अनुमति मिलती थी। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने इस सिस्टम के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए इसे खत्म करने का निर्णय लिया है।

    उन्हें निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है

    होमलैंड सुरक्षा विभाग ने घोषणा की है कि अमेरिका में वैध स्थिति के बिना, यानी पैरोल पर आए प्रवासियों को अपनी पैरोल समाप्ति तिथि से पहले देश छोड़ना होगा। इस फैसले के परिणामस्वरूप, 530,000 प्रवासियों को कानूनी स्थिति खोने का सामना करना पड़ सकता है, और उन्हें निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पैरोल प्रोग्राम के तहत प्रवेश करने वाले कितने लोगों ने अब तक स्थायी कानूनी स्थिति प्राप्त की है।

    बाइडन ने क्या फैसला लिया था ?

    ध्यान रहे कि तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडन ने सन 2022 में वेनेजुएला के नागरिकों के लिए एक पैरोल एंट्री प्रोग्राम की शुरुआत की थी। इसके बाद, 2023 में इस कार्यक्रम का विस्तार करते हुए क्यूबा, हैती और निकारागुआ के नागरिकों को भी इसमें शामिल किया गया। हालांकि, इन चार देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच राजनयिक और राजनीतिक संबंधों में लगातार तनाव बना हुआ है।

     

  • बलूचिस्तान में लहराया तिरंगा, चीन की फटी आंखें

    बलूचिस्तान में लहराया तिरंगा, चीन की फटी आंखें

    -पाकिस्तान का परमाणु बम इस समय सबसे संवेदनशील मुद्दा बन गया है

    भारत.
    पाकिस्तान के पत्रकार मंसूर अली खान ने दावा किया है कि बलूच अलगाववादी पाकिस्तान के परमाणु बम को निशाने पर ले रहे हैं। मंसूर अली खान ने नीदरलैंड में बलूचिस्तान की आज़ादी के समर्थकों का एक वीडियो अपने चैनल पर शेयर किया है, जिसमें पाकिस्तान के परमाणु बम को खत्म करने की मांग की जा रही है। खान ने इसके अलावा एक और वीडियो किसी अन्य देश का दिखाया है। इस वीडियो में पाकिस्तानी परमाणु बम को खतरा बताया जा रहा है।
    बलूच विद्रोहियों के भारत कनेक्शन का आरोप
    मंसूर अली खान ने बलूच अलगाववादियों पर भारत से जुड़े होने का आरोप लगाया है। इसके लिए उन्होंने एक एक्स एकाउंट पर दो कथित बलूच बच्चों को भारत और संभावित आजाद बलूचिस्तान का झंडा पकड़े हुए दिखाया है। अहम बात यह है कि मंसूर अली खान खुद ही स्वीकार भी करते हैं कि उन्हें पता नहीं है कि ये झंडा किस इलाके का है, लेकिन इसके आधार पर वे भारत को बलूचिस्तान की आजादी के आंदोलन में शामिल होने का आरोप लगा रहे हैं।
    बलूच आंदोलन और सुलगते सवाल
    खान ने कहा, आखिर भारत का झंडा बलूचिस्तान में क्यों लहरा रहा है। बलूचिस्तान के लोग तो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, ऐसे में उनके आंदोलन में दूसरे देश का झंडा क्यों फहरा रहा है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि बलूचिस्तान के लिए नारेबाजी के बीच में पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम बीच में कैसे आ गया? उन्होंने बलूच विद्रोहियों के भारतीय मीडिया चैनलों पर जाने पर भी ऐतराज़ किया और इसके आधार पर उनका भारत से कनेक्शन बता दिया।
    गतिविधियां पाकिस्तान के लिए खतरा
    पाकिस्तान के लिए यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक हो सकती है, क्योंकि बलूचिस्तान में बढ़ते हुए विद्रोह और इसके प्रमुख संगठन बीएलए की सक्रियता ने पाकिस्तान के सुरक्षा तंत्र को हिला कर रख दिया है। बीएलए के हमलों से पाकिस्तानी सेना और सुरक्षाबलों को भारी नुकसान हुआ है, और इन हमलों ने देशभर में एक नई सुरक्षा चिंता को जन्म दिया है।
    पाकिस्तान के परमाणु बम की सुरक्षा
    पाकिस्तान का परमाणु बम इस समय सबसे संवेदनशील मुद्दा बन गया है, क्योंकि यदि यह हथियार बीएलए जैसे संगठनों के हाथों में पहुंचता है, तो न केवल पाकिस्तान, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए गंभीर खतरे की घंटी हो सकती है। इस स्थिति को लेकर पाकिस्तान में गंभीर चिंता जताई जा रही है, क्योंकि बलूच विद्रोहियों के द्वारा पाकिस्तान के परमाणु बम को निशाना बनाए जाने का खतरा बढ़ सकता है।
    वैश्विक और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया
    यह स्थिति केवल पाकिस्तान के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा मुद्दा बन सकती है। यदि बलूच विद्रोहियों के हाथों में पाकिस्तान का परमाणु बम चला जाता है, तो इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर महसूस किया जा सकता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय और क्षेत्रीय शक्तियों को इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा करनी होगी।
    नए सुरक्षा उपाय अपनाने की आवश्यकता
    पाकिस्तान को अपनी परमाणु सुरक्षा को लेकर नए सुरक्षा उपायों को अपनाने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी स्थिति में परमाणु हथियारों का नियंत्रण खो न जाए। इसके अलावा, बलूचिस्तान की समस्या को शांतिपूर्ण और राजनीतिक रूप से हल करने के प्रयास भी बढ़ाने होंगे, ताकि क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहे और इस तरह के संकटों से बचा जा सके।
    भारत के साथ कथित कनेक्शन का आरोप पाक के लिए गंभीर चुनौती
    बहरहाल पाकिस्तान के परमाणु बम पर बलूच विद्रोहियों की नजर और भारत के साथ कथित कनेक्शन का आरोप पाकिस्तान के लिए एक गंभीर चुनौती है। अगर बीएलए पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर हाथ डालता है, तो यह न केवल पाकिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। इसके अलावा, भारत का नाम इस आंदोलन में आना पाकिस्तान के लिए नई सुरक्षा चिंताएँ उत्पन्न कर रहा है। यह समय है जब पाकिस्तान को अपनी सुरक्षा नीतियों और परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर और कड़ी रणनीतियाँ अपनानी होंगी।

  • ट्रंप के नहले पर मोदी का दहला

    ट्रंप के नहले पर मोदी का दहला

    नई दिल्ली.
    भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक बार फिर जबरदस्त हलचल देखने को मिल रही है। इस बार मुद्दा राजनीति का नहीं व्यापार का है। भारत ने अमेरिकी कृषि उत्पादों को अपने बाजार में ब्लॉक कर दिया है, जिससे अमेरिका की कृषि कंपनियों में जबरदस्त हड़कंप मच गया है। खासकर अमेरिका के सेब, बादाम, सोयाबीन और डेयरी उत्पादों को लेकर भारत के इस फैसले ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका दिया है। अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड लॉटनिक ने हाल ही में दावा किया कि भारत ने अमेरिकी किसानों के उत्पादों को अपने बाजार में आने से रोक दिया है। ये खबर अमेरिका के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं हैं।
    यह कब्जे की रणनीति
    दरअसल, भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार कोई नया मामला नहीं है। भारत हर साल अमेरिका से करीब 1 अरब 50 करोड़ डॉलर के कृषि उत्पाद खरीदता था। इसमें 700 मिलियन डॉलर के बादाम, 500 मिनियन डॉलर के डेयरी प्रोडक्ट और 200 मिलियन डॉलर के सेब और अंगूर प्रमुख रूप से शामिल थे, लेकिन अमेरिका ने हमेशा एक चालाकी भरी रणनीति अपनाई। वे भारत को हमेशा वो उत्पाद नहीं बेचता था, जिनकी हमें जरूरत होती थी। बल्कि अपनी बड़ी कंपनियों की ब्रांडिंग के जरिए भारतीय बाजार में उन्हीं उत्पादों को बेचने की कोशिश करता था जो भारत में पहले से ही मौजूद हैं। जैसे बादाम, अखरोट और सेब भारत में बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं। लेकिन अमेरिकी ब्रांड इनकी हाई क्वालिटी बताकर भारतीय बाजार में कब्जा कर रहे थे।
    अमेरिका को ये बात चुभ गई
    पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की थी। इसका सीधा असर ये हुआ कि भारत ने विदेशी कृषि उत्पादों पर टैक्स बढ़ाना शुरू कर दिया, ताकि भारतीय किसानों को नुकसान न हो। इसके चलते भारत ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 100 प्रतिशत टैरिफ बढ़ा दिया। अमेरिकी सेब और बादाम पर इंफोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी गई। डेयरी प्रोडक्ट के लिए कड़े नियम लागू कर दिए गए। अमेरिका को ये बात चुभ गई। 2023 में भारत ने अमेरिका को 87 अरब डॉलर का सामान बेचा था। बदले में अमेरिका से सिर्फ 41 अरब डॉलर का सामान खरीदा था। इसका मतलब भारत ने अमेरिका से 46 अरब डॉलर ज्यादा कमाए। जब अमेरिका को लगा कि उसका व्यापार घाटे में जा रहा है तो उसने वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन में शिकायत दर्ज करा दी।

  • जल्द भारत आ सकती हैं अंतरिक्ष परी सुनीता विलियम्स

    जल्द भारत आ सकती हैं अंतरिक्ष परी सुनीता विलियम्स

    नई दिल्ली.
    नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स धरती पर सकुशल लौट चुकी है। सुनीता के धरती पर लौटने का इंतजार पूरी दुनिया कर रही थी। अंतरिक्ष यात्री 286 दिनों के लंबे अंतराल के बाद धरती पर लौटी है। सुनीता विलियम्स के धरती पर वापस लौटने के बाद उनकी एक चचेरी बहन ने भी खास बात कही है। उन्होंने बताया कि सुनीता जल्द ही भारत भी आ सकती हैं। हम साथ में छुट्टियां मनाने की भी योजना बना रहे हैं। परिवार के साथ खूब समय बिताने का मौका मिलेगा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को सुनीता विलियम्स को एक भावपूर्ण पत्र लिखकर उन्हें शीघ्र ही भारत आने का निमंत्रण दिया है।
    चचेरे भाई ने बताया
    विलियम्स के चचेरे भाई ने भी अंतरिक्ष यात्री को “एक रोल मॉडल” कहा, और कहा कि वह हर स्थिति से सर्वश्रेष्ठ का लाभ उठाती है। भविष्य में पूर्व नौसेना परीक्षण पायलट के अंतरिक्ष में लौटने के विषय पर कहा कि यह ‘उनकी पसंद’ होगी। साथ ही कहा कि हाल ही में जब विलियम्स को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की अपनी यात्रा के बारे में पता चला तो वह बहुत उत्साहित हो गई थीं। उनके अनुसार, 59 वर्षीय विलियम्स ने उनसे मेले की तस्वीरें मांगी थीं। वह बहुत उत्साहित थीं। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उन्हें इसके बारे में सब कुछ बताऊं।”

  • जलयुक्त शिवार अभियान में सामाजिक संस्थाओं की सहभागिता राज्य सरकार और ए.टी.ई.चंद्रा फाउंडेशन के बीच सामंजस्य करार

    जलयुक्त शिवार अभियान में सामाजिक संस्थाओं की सहभागिता राज्य सरकार और ए.टी.ई.चंद्रा फाउंडेशन के बीच सामंजस्य करार

    जलयुक्त शिवार अभियान में सामाजिक संस्थाओं की सहभागिता राज्य सरकार और ए.टी..चंद्रा फाउंडेशन के बीच सामंजस्य करार

    मुंबईदि. :- राज्य में ‘जलयुक्त शिवार योजना-2’ अंतर्गत ‘गादमुक्त तालाब-गादयुक्त खेत’ (‘गाळमुक्त धरण, गाळयुक्त शिवार’) योजना चलाई जा रही है. इस योजना के माध्यम से तालाबों का जल संग्रहण बढ़ाने के साथ-साथ खेती की सुपीकता बढ़ाने में बडे पैमाने पर मदद हो रही है. इस योजना का सहभाग और प्रभावी क्रियान्वयन के संदर्भ में ए.टी.ई.चंद्रा फाउंडेशन और मृद एवं जलसंधारण विभाग के बीच सामंजस्य करार (MoU) किया गया है.

                ‘गादमुक्त तालाब, गादयुक्त खेत’ यह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसमें सामाजिक संस्था काम करने के लिये उत्सुक है. ए.टी.ई. चंद्रा फाउंडेशन सक्रिय सहभागी होने से राज्य के पानी की उपलब्धता बढ़ाने के साथ-साथ भूमि की सुपीकता बढाकर उत्पादन में भी वृद्धि होने में अच्छी मदद होगी. इस योजना के क्रियान्वयन में मृद व जलसंधारण विभाग ने फाउंडेशन को सहयोग करने की सूचना भी मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस दौरान विभाग को दी है.

    अवनी ग्रामीण ॲप के माध्यम से ऑनलाइन डेटा का संकलन और नियंत्रण

       इस सामंजस्य करार के अनुसार इस योजना के लिये ए.टी.ई. चंद्रा फाउंडेशन तकनीक सहयोग के साथ, प्रकल्प व्यवस्थापन कक्ष मानव संसाधन सहयोग उपलब्धकराया जायेगा. फाउंडेशन की ओर से विकसित किये गये अवनी ग्रामीण ॲप के

    माध्यम से योजना के कामों का डेटा संकलन और नियंत्रण किया जायेगा. साथ ही फाउंडेशन के जरीये स्वयंसेवी संस्थाओं में नियुक्त किये जानेवाले कर्मचारियों को अवनी ग्रामीण ॲप का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा.

    अवनी ग्रामीण ॲप के माध्यम से ऑनलाइन डेटा का संकलन और नियंत्रण

       इस सामंजस्य करार के अनुसार इस योजना के लिये ए.टी.ई. चंद्रा फाउंडेशन तकनीक सहयोग के साथ, प्रकल्प व्यवस्थापन कक्ष मानव संसाधन सहयोग उपलब्ध कराया जायेगा. फाउंडेशन की ओर से विकसित किये गये अवनी ग्रामीण ॲप के माध्यम से योजना के कामों का डेटा संकलन और नियंत्रण किया जायेगा. साथ ही फाउंडेशन के जरीये स्वयंसेवी संस्थाओं में नियुक्त किये जानेवाले कर्मचारियों को अवनी ग्रामीण ॲप का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा.

    जल संग्रहण में वृद्धि और भूमि की सुपीकता

      ‘गादमुक्त तालाब, गादयुक्त खेत’ योजना यह राज्य का महत्वाकांक्षी प्रकल्प है और इसमें तालाबों को गादमुक्त कर वह गाद खेत भूमि में डाला जाता है, जिससे जल संग्रहण में वृद्धि होती है और भूमि की सुपिकता भी बढती है. पिछले दो साल में राज्य में डेढ हजार से अधिक जल स्त्रोतों से तकरीबन साढेचार करोड़ घनमीटर गाद निकाला गया और चालीस हजार किसानों ने यह गाद खेती में डाला है. राज्य के 34 जिलों में तकरीबन 9 करोड़ घनमीटर गाद निकालने की क्षमता है और 1.8 लाख से अधिक गाद निकाला जायेगा. यह काम अभी तेज गति से शुरू है. ‘गादमुक्त तालाब, गादयुक्त खेत’ यह एक अभिनव योजना है और फिलॅन्ट्रॉपीक संस्था, सरकारी विभाग और स्थानीय समुदाय को एक साथ लाने का काम करता है और यह एक बडा सहभागात्मक उपक्रम आहै.

    जलयुक्त शिवार अभियान यह महाराष्ट्र सरकार का महत्त्वाकांक्षी उपक्रम

    जलयुक्त शिवार अभियान यह महाराष्ट्र सरकार का एक महत्वाकांक्षी उपक्रम है. राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रो में जलसंधारण और जल व्यवस्थापन सुधारने के लिये चलाया गया. वर्ष 2015 में शुरू इस अभियान का मुख्य उद्देश्य भूजल स्तर बढाना, शाश्वत सिंचन सुविधा निर्माण करना और बारिश के पानी का प्रभावी पुनर्भरण करना था. इस अभियान के अंतर्गत जलसंधारण की विविध उपाययोजना जैसे की, छोटे बांध बनाना, नाला खुदाई, जलकुंभ, मिट्टीकाम, वृक्षारोपण और खेततालाब का समावेश है. पानी बचाना (“पाणी अडवा, पाणी जिरवा”) इस बेसिस पर आधारित यह अभियान स्थानीय लोक सहभागिता के आधार पर चलाया गया. महाराष्ट्र के अनेक गावो में इससे जल संग्रहण बढाकर खेती के लिये पानी की उपलब्धता में सुधार हुआ है और सूखे की समस्या का निराकरण करने में मदद हुई है.

    आरडब्ल्यूबी भारत की जल चुनौतियों पर एक किफायतशीर उपाय

                भारत के जलस्रोतों का पुनरुज्जीवन करने के लिये (आरडब्ल्यूबी) समुदाय-नेतृत्व में, तकनीक-सक्षम मॉडेल ग्रामीण जलसुरक्षा बढाने के लिये महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है. संमिश्र भू-उपयोग पुनर्संचयित और मूल्यांकन साधन (सीएलएआरटी जीआयएस) और एव्हीएनआय ग्रामीण अॅप भूजल पुनर्भरण की क्षमता के जल स्रोतों की पहचान कर सकता है और किसान स्तर पर भौगोलिक-टॅग किये गये प्रतिमा और जांच के द्वारा जल स्रोत पुनर्संचयित करने के लिये ऐसे हस्तक्षेप का निरीक्षण करने में सक्षम कर सकते है. इसीलिए आरडब्ल्यूबी भारत की जल चुनौतियो पर एक किफायतशीर उपाय है.

    अमृत सरोवर मॉडेल

     अमृत सरोवर यह उपक्रम अधिकतर ‘गादमुक्त तालाब, गादयुक्त खेत’ इस उपक्रम पर आधारित है. अमृत सरोवर मॉडेल भारत सरकार का जलसंधारण और जलाशय पुनरुज्जीवन के लिये उपक्रम है, जो “आजादी का अमृत महोत्सव” अंतर्गत शुरू किया गया. इस मॉडेल का उद्देश ग्रामीण परिसर के पारंपरिक जलस्रोतों का पुनरुत्थान कर भूजल स्तर बढाना और पर्यावरण में सुधार करना है. इसके लिये स्थानीय प्रशासन, ग्रामपंचायतें और नागरिकों की सक्रिय सहभागिता ली जाती है. मनरेगा और अन्य सरकारी योजनाओं की मदद से जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे जलसंधारण समेत खेती और पशुपालन को भी गति मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्र का जल स्वावलंबन भी बढेगा.