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  • जैन मठ लौटेगी माधुरी हथिनी

    जैन मठ लौटेगी माधुरी हथिनी

    वनतारा कोल्हापुर में पुनर्वास केंद्र बनाने के लिए सरकार तैयार
    मुंबई,
    महाराष्ट्र में बीते कुछ दिनों से चर्चा में रही ‘माधुरी’ उर्फ ‘महादेवी’ हथिनी को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को वनतारा टीम के साथ अहम बैठक की। सीएम फडणवीस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ के जरिये जानकारी दी कि माधुरी हथिनी को फिर से कोल्हापुर के नांदनी मठ में वापस लाने के प्रयासों में वनतारा प्रबंधन भी साथ देगा। अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि माधुरी को वापस मठ लाने से संबंधित महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जाने वाली याचिका में वे भी सहभागी होंगे।

    सीएम फडणवीस ने कहा
    फडणवीस ने कहा, वनतारा के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया था, और हथिनी को कब्जे में लेने की कोई मंशा नहीं थी। इतना ही नहीं, वनतारा ने नांदनी मठ के पास वन विभाग द्वारा चयनित स्थल पर महादेवी हथिनी के लिए पुनर्वसन केंद्र स्थापित करने की भी इच्छा जताई है। वनतारा ने कहा है कि वे केवल माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर रहे हैं और ‘माधुरी’ की अभिरक्षा लेने की उनकी कोई मंशा नहीं थी। टीम ने यह भी इच्छा जताई कि वे कोल्हापुर के नांदनी में, महाराष्ट्र सरकार के वन विभाग द्वारा चुने गए स्थान पर, माधुरी के लिए एक पुनर्वास केंद्र बनाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वे समुदाय की धार्मिक भावनाओं का सर्वोच्च सम्मान करते हैं।”

    रास्ता आसान होता नजर आ रहा है
    महाराष्ट्र सरकार जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रही है, जिसमें माधुरी हथिनी को वापस नांदनी मठ लाने की अनुमति मांगी जाएगी। वनतारा की सहमति से अब इस दिशा में रास्ता आसान होता नजर आ रहा है। बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महादेवी हथिनी को गुजरात के जामनगर स्थित अंबानी परिवार के वन्यजीव संरक्षण केंद्र ‘वनतारा’ भेजा गया था। इसके बाद कोल्हापुर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। कोल्हापुर में यह हथिनी वर्षों से धार्मिक आस्था का केंद्र रही है और उसके मठ से हटाए जाने को लेकर कई संगठनों और श्रद्धालुओं में भारी नाराजगी है।

    ‘माधुरी’ को वनतारा क्यों भेजा?
    36 वर्षीय हथिनी ‘महादेवी’ तीन दशकों से अधिक समय तक नंदनी में श्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी जैन मठ में थी। उसे इस सप्ताह की शुरुआत में अदालत के फैसले के बाद वनतारा के राधे कृष्ण मंदिर हाथी कल्याण ट्रस्ट में स्थानांतरित कर दिया गया। महादेवी को कथित तौर पर 1992 में कर्नाटक से कोल्हापुर मठ में लाया गया था और तब वह लगभग तीन साल की थी। उसने कथित तौर पर 2017 में मुख्य पुजारी को बार-बार दीवार पर पटक कर मार डाला था। कहा जा रहा है कि महादेवी को पैरों में सड़न, पैर के नाखून बड़े होना, गठिया और लगातार सिर हिलाना जैसी समस्या थी। उसके बिगड़ते स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने उसे वनतारा भेजा। वनतारा वन्यजीव संरक्षण और पुनर्वास केंद्र है। उद्योगपति मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी ने इसकी स्थापनी की है। वनतारा रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन द्वारा समर्थित है। गुजरात में जामनगर रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स के भीतर स्थित वनतारा 3000 एकड़ में फैला हुआ है।

  • ‘ऑपरेशन नार्कोस’ ने किया नकेल

    ‘ऑपरेशन नार्कोस’ ने किया नकेल

    अवैध तस्करी के खिलाफ मजबूत ढाल
    नागपुर.
    रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) द्वारा चलाया गया “ऑपरेशन नार्कोस” अवैध मादक पदार्थों और शराब की तस्करी के खिलाफ एक बड़ी सफलता बनकर उभरा है। हाल ही में नागपुर-दुर्ग समता एक्सप्रेस और अहमदाबाद-पुरी ट्रेन में की गई कार्रवाइयां इस ऑपरेशन की प्रभावशीलता को दर्शाती हैं। आरपीएफ की सतर्कता के कारण, 21 किलोग्राम से अधिक गांजा और 20 लीटर से ज्यादा अवैध शराब जब्त की गई, जिनकी कुल कीमत लाखों में है।

    तस्करों का भ्रम टूटा
    यह कार्रवाई सिर्फ एक छोटी जब्ती नहीं है, बल्कि इसके दूरगामी प्रभाव हैं। भारत में अवैध तस्करी के लिए रेलवे नेटवर्क का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। तस्कर सोचते हैं कि ट्रेन में सामान की चेकिंग से बचना आसान है, लेकिन “ऑपरेशन नार्कोस” ने उनके इस भ्रम को तोड़ दिया है। इस ऑपरेशन ने तस्करों को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि रेलवे अब उनके लिए सुरक्षित रास्ता नहीं रहा।

    इरादे मजबूत होने चाहिए
    इन कार्रवाइयों का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इससे समाज पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी। मादक पदार्थ और अवैध शराब युवाओं के भविष्य को बर्बाद कर सकते हैं और सामाजिक अपराधों को बढ़ावा दे सकते हैं। इन पदार्थों को बाजार तक पहुंचने से पहले ही रोककर, आरपीएफ ने न केवल कानून का पालन किया है, बल्कि हमारे समाज को एक बड़ा खतरा बनने से भी बचाया है। “ऑपरेशन नार्कोस” की निरंतर सफलता यह साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो किसी भी चुनौती से निपटा जा सकता है।

  • प्रभाव वाले क्षेत्रों पर टिकी है नेताओं की नजर

    प्रभाव वाले क्षेत्रों पर टिकी है नेताओं की नजर

    जिला परिषद सर्कल रचना पर सुनवाई पूरी
    नागपुर.
    जिला परिषद के सर्कल रचना को लेकर मिली 53 आपत्तियों और सुझावों पर विभागीय आयुक्त विजयलक्ष्मी बिदरी ने सुनवाई पूरी कर ली है। अधिकांश आपत्तियां सर्कल से कम हो रहे क्षेत्रों को लेकर थीं, जबकि कई स्थानीय नेताओं ने अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों को बचाने के सुझाव दिए। पिछले पांच वर्षों में कई गांवों को नगर पंचायत और नगर परिषद का दर्जा मिलने के कारण इस बार जिला परिषद सदस्यों की संख्या 58 से घटकर 57 हो जाएगी। नागपुर जिला परिषद की चुनावी राजनीति में यह बदलाव एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसका सीधा असर स्थानीय चुनाव पर पड़ना तय है। सर्कलों की पुनर्रचना और सीटों की संख्या में कमी से आने वाले चुनाव का समीकरण पूरी तरह से बदल सकता है।

    राजनीतिक समीकरणों में बदलाव
    जब सर्कलों की सीमाएं बदलती हैं, तो मतदाता आधार भी बदल जाता है। किसी नेता के प्रभाव वाले क्षेत्र में नए गांव जुड़ सकते हैं या पुराने गांव हट सकते हैं, जिससे उसके वोट बैंक पर सीधा असर पड़ेगा। जो नेता अब तक अपने प्रभाव के दम पर जीतते आए हैं, उन्हें नए क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ेगी। वहीं, कम आबादी वाले गांवों को जोड़कर नए सर्कल बनाने से भी चुनावी गणित बदल जाएगा।

    नेताओं के लिए नई चुनौतियां
    58 से 57 सीटों का घटना, भले ही संख्या में एक लगे, लेकिन इसका राजनीतिक महत्व बहुत ज्यादा है। एक सीट का कम होना मतलब एक प्रमुख नेता के लिए अपनी दावेदारी खोने का खतरा। इसके चलते, विभिन्न राजनीतिक दलों में टिकट के लिए होड़ और भी तेज हो जाएगी। नेताओं को अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों को बचाने के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।

    प्रशासनिक निर्णय का महत्व
    संभागीय आयुक्त का फैसला इस पूरे मामले में निर्णायक होगा। उनकी तरफ से सर्कलों की अंतिम रचना पर मुहर लगते ही, स्थानीय चुनाव आयोग आगे की प्रक्रिया शुरू करेगा। यह निर्णय राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील होगा क्योंकि यह सीधे तौर पर कई नेताओं के भविष्य को प्रभावित करेगा। जिन नेताओं ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है, वे आयुक्त के फैसले पर बारीकी से नजर रखेंगे। अगर उनकी आपत्तियों को स्वीकार नहीं किया जाता है, तो वे कानूनी विकल्पों पर भी विचार कर सकते हैं।

    क्षेत्रीय असंतोष
    कई आपत्तियां उन क्षेत्रों से आई हैं जहाँ के गांव को एक सर्कल से हटाकर दूसरे में मिला दिया गया है। ऐसे में, यदि अंतिम निर्णय इन आपत्तियों के खिलाफ जाता है, तो इन क्षेत्रों में स्थानीय नेताओं और जनता के बीच असंतोष पैदा हो सकता है। यह असंतोष चुनाव में वोटिंग पैटर्न को प्रभावित कर सकता है। कुल मिलाकर, यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक कवायद है जो नागपुर जिला परिषद के आने वाले चुनाव का पूरा खाका बदल देगी। नेताओं की नजर अपने-अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों को बचाने पर टिकी है और आयुक्त का फैसला ही यह तय करेगा कि किसे इसका फायदा मिलता है और किसे नुकसान।

  • मोबाइल के लिए पड़ी डांट, तो घर छोड़कर भाग गया किशोर

    मोबाइल के लिए पड़ी डांट, तो घर छोड़कर भाग गया किशोर

    गुस्से में मोबाइल पटककर तोड़ दिया
    नागपुर,
    नागपुर की घटना, जहाँ दसवीं का एक छात्र मोबाइल के कारण अपने पिता से डांट खाने पर घर छोड़कर भाग गया, आज के समाज में एक गंभीर समस्या को उजागर करती है। यह घटना सिर्फ एक बच्चे की नाराजगी का मामला नहीं है, बल्कि यह किशोरों में मोबाइल की बढ़ती लत और इसके खतरनाक मानसिक परिणामों की ओर इशारा करती है। आज के युवा घंटों अपने स्मार्टफोन पर बिताते हैं, चाहे वह सोशल मीडिया हो, गेमिंग हो या वीडियो देखना। जब उनके माता-पिता उन्हें पढ़ाई या अन्य जिम्मेदारियों के लिए टोकते हैं, तो वे इसे अपनी स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं।

    गुस्सैल बन रही है नई पीढ़ी
    इस तरह की प्रवृत्ति किशोरों को अत्यधिक संवेदनशील और गुस्सैल बना रही है। वे तुरंत निराश हो जाते हैं और छोटी-छोटी बातों पर हिंसक प्रतिक्रिया देने लगते हैं, जैसा कि इस मामले में छात्र ने मोबाइल पटककर तोड़ने से दिखाया। यह व्यवहार दर्शाता है कि बच्चे मोबाइल को सिर्फ एक गैजेट नहीं, बल्कि अपने जीवन का एक अभिन्न अंग मानते हैं, जिसे वे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहते।

    काउंसलिंग के बाद परिवार को सौंपा
    घर छोड़कर भागना बढ़ती मानसिक अशांति और तनाव का संकेत देती है। वे समस्याओं का सामना करने की बजाय उनसे भागने का रास्ता चुन रहे हैं। यह स्थिति माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की कमी को भी दर्शाती है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों के साथ खुलकर बात करें, उन्हें मोबाइल के सही और गलत उपयोग के बारे में समझाएं, और उनके साथ एक विश्वास का रिश्ता बनाएं। पुलिस ने इस छात्र को ढूंढकर काउंसलिंग के बाद परिवार को सौंपा, जो एक सराहनीय कदम है। लेकिन यह समस्या का दीर्घकालिक समाधान नहीं है। समाज, स्कूलों और परिवारों को मिलकर इस खतरनाक प्रवृत्ति का मुकाबला करना होगा।

  • मेडिकल कॉलेज में सुरक्षाकर्मियों की बर्बरता

    मेडिकल कॉलेज में सुरक्षाकर्मियों की बर्बरता

    पीड़ित और परिजनों ने की न्याय की मांग
    नागपुर.
    नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक मरीज के रिश्तेदार के साथ महाराष्ट्र सिक्योरिटी फोर्स के जवानों द्वारा की गई मारपीट और गाली-गलौज की घटना ने सुरक्षाकर्मियों के व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सुरक्षा के नाम पर मरीजों और उनके रिश्तेदारों के साथ किस तरह का दुर्व्यवहार किया जाता है। एक सामाजिक कार्यकर्ता सुदत्त गजभिये को अपनी मामी के साथ अस्पताल में रिपोर्ट लेने जाने के दौरान सिर्फ इसलिए अभद्र व्यवहार और मारपीट का शिकार होना पड़ा, क्योंकि उन्होंने अपना दोपहिया वाहन हटाने में थोड़ी देर कर दी थी।

    अधिकारी ने जवानों का बचाव किया
    यह घटना अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थान पर सुरक्षा के मानकों और मानवता की कमी को दर्शाती है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि जब इस मामले की शिकायत एमएसएफ अधिकारियों से की गई, तो उन्होंने जवानों का बचाव करते हुए कहा कि वे “तनाव में रहते हैं।” यह बयान किसी भी तरह से जवानों के इस बर्बर व्यवहार को सही नहीं ठहरा सकता। अस्पताल में आने वाले लोग पहले से ही मानसिक और भावनात्मक तनाव में होते हैं और ऐसे में सुरक्षाकर्मियों का ऐसा रवैया उनकी परेशानी को और बढ़ा देता है।

    व्यवस्था ही कटघरे में
    सुदत्त गजभिये ने इस मामले में अजनी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, जो न्याय की प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाता है। यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति के साथ हुई मारपीट का मामला नहीं है, बल्कि यह अस्पताल प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की जवाबदेही का सवाल है। इस तरह के मामलों में तत्काल और कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए और दोषी जवानों को उनके किए की सजा मिलनी चाहिए, ताकि सुरक्षाकर्मियों के बीच यह संदेश जाए कि उनकी ड्यूटी लोगों की सेवा और सुरक्षा करना है, न कि उनके साथ बर्बरता करना।

  • नागपुर-पुणे वंदे भारत एक्सप्रेस बड़ी सौगात

    नागपुर-पुणे वंदे भारत एक्सप्रेस बड़ी सौगात

    उपराजधानी की झोली में एक और खुशखबरी
    नागपुर.
    नागपुर के निवासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है! उपराजधानी को पश्चिमी महाराष्ट्र के प्रमुख शहर पुणे से जोड़ने के लिए बहुप्रतीक्षित नागपुर-पुणे वंदे भारत एक्सप्रेस 10 अगस्त को शुरू होने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेंगलुरु से वर्चुअल माध्यम से इस अत्याधुनिक ट्रेन का उद्घाटन करेंगे, जो नागपुर से चलने वाली चौथी वंदे भारत ट्रेन होगी। यह नई रेल सेवा नागपुरवासियों के लिए वरदान साबित होगी, क्योंकि यह दोनों शहरों के बीच यात्रा को न केवल तेज बल्कि बेहद आरामदायक भी बना देगी।

    यात्रियों का कीमती समय बचेगा
    इस हाई-स्पीड ट्रेन के शुरू होने से व्यावसायिक और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए यात्रा करने वाले यात्रियों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। अब तक नागपुर और पुणे के बीच यात्रा करने में लंबा समय लगता था, लेकिन वंदे भारत एक्सप्रेस इस दूरी को काफी कम समय में तय करेगी। इससे यात्रियों का कीमती समय बचेगा। यह ट्रेन अजनी स्टेशन से अपनी यात्रा शुरू करेगी और पुणे स्टेशन पर समाप्त होगी।

    सप्ताह में एक दिन चल सकती है
    हालांकि, अभी इसका विस्तृत शेड्यूल जारी नहीं किया गया है, लेकिन उम्मीद है कि यह ट्रेन सप्ताह में एक दिन चलेगी। इस ट्रेन के शुरू होने से दोनों शहरों के बीच आर्थिक और सामाजिक संबंध मजबूत होंगे। पुणे में आईटी, शिक्षा और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले नागपुर के लोगों को घर आने-जाने में सुविधा होगी। वहीं, पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उद्घाटन समारोह में स्थानीय सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे, जो इस ऐतिहासिक अवसर का स्वागत करेंगे। यह ट्रेन नागपुर के विकास की गति को और तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

  • मेडिकल में टल गई अनहोनी, लेकिन असुरक्षित हैं 30 ऑक्सीजन सिलेंडर

    मेडिकल में टल गई अनहोनी, लेकिन असुरक्षित हैं 30 ऑक्सीजन सिलेंडर

    सुरक्षा व्यवस्था की खुली पोल, यह बड़ी खामियों का परिणाम
    नागपुर.
    नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई ऑक्सीजन पाइपलाइन लीकेज की घटना ने अस्पताल प्रशासन की गंभीर लापरवाही को उजागर किया है। मंगलवार को ऑपरेशन थिएटर ‘बी’ में अचानक ऑक्सीजन पाइपलाइन लीक होने से मरीजों और कर्मचारियों के बीच अफरा-तफरी मच गई। समय रहते मरम्मत टीम को बुलाया गया और तीन घंटे की मशक्कत के बाद लीकेज को ठीक किया जा सका। इस दौरान मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर से सप्लाई दी गई, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। हालांकि, यह घटना सिर्फ एक तकनीकी खराबी नहीं थी, बल्कि अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी खामियों का परिणाम थी।

    निगरानी के लिए सुरक्षाकर्मी नहीं
    इस घटना के बाद, यह बात सामने आई है कि अस्पताल में चल रहे नवीनीकरण कार्य के बावजूद सुरक्षा नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। पुराने वार्ड नंबर 49, जिसका नवीनीकरण हो रहा है, में 30 से भी ज़्यादा भरे हुए ऑक्सीजन सिलेंडर महीनों से असुरक्षित तरीके से पड़े हुए हैं। ये सिलेंडर पूरी तरह से भरे हुए हैं और किसी भी समय एक बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। इन सिलेंडरों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने या उनकी निगरानी करने के लिए कोई भी सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं किया गया है।

    अधिकारी ने की लीकेज की पुष्टि
    अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी ने लीकेज की पुष्टि करते हुए कहा कि घटना की सूचना मिलते ही तकनीकी टीम को अलर्ट कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने भरे हुए सिलेंडरों की असुरक्षित स्थिति पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इस तरह की लापरवाही न केवल मरीजों की जान को जोखिम में डालती है, बल्कि अस्पताल के कर्मचारियों की सुरक्षा को भी खतरे में डालती है। अस्पताल प्रशासन को इस गंभीर लापरवाही पर तुरंत ध्यान देना चाहिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।

  • ग्राहकांच्या लेखी परवानगीशिवाय स्मार्ट मीटर बसविण्यास विरोध. – बहुजन वंचित आघाडीकडून अभियंत्यांना विनंती

    ग्राहकांच्या लेखी परवानगीशिवाय स्मार्ट मीटर बसविण्यास विरोध. – बहुजन वंचित आघाडीकडून अभियंत्यांना विनंती

    ग्राहकांच्या लेखी परवानगीशिवाय स्मार्ट मीटर बसविण्यास विरोध. – बहुजन वंचित आघाडीकडून अभियंत्यांना विनंती

    नागपूर WH NEWS 
    सध्या राज्य सरकारच्या धोरणानुसार, महाराष्ट्र राज्य वीज वितरण कंपनी प्रत्येक घरातून जुने मीटर काढून नवीन स्मार्ट मीटर बसवित आहे.

    परंतु या नवीन स्मार्ट मीटरच्या संदर्भात, मोठ्या संख्येने राजकीय सामाजिक , ग्राहक संघटनांनी अनेक शंका उपस्थित केल्या आहेत, ज्यामुळे वीज ग्राहकांमध्ये संभ्रम निर्माण झाला आहे. अनेक ठिकाणी स्मार्ट मीटरमध्ये आढळून आलेल्या दोषांमुळे वीज ग्राहकांमध्ये संताप आणि चिंता दिसून येत आहे.

    या परिस्थिती लक्षात घेता, वंचित बहुजन आघाडीकडून सोमवारी सोनबा नगर येथील वाडी वीज वितरण कार्यालयाच्या अभियंत्यांना वीज ग्राहकांच्या परवानगीशिवाय स्मार्ट मीटर बसविण्याचे काम थांबवण्याची विनंती करण्यात आली. *वंचित बहुजन आघाडीचे तहसील उपाध्यक्ष नागेश बोरकर यांच्या नेतृत्वाखाली वंचित बहुजन आघाडीचे पदाधिकारी प्रकाश मेश्राम, राजेश वानखेडे, विनायकराव घुमटकर, दर्शन बेले, यांनी वीज वितरण कार्यालयाच्या सहाय्यक अभियंत्यांची भेट घेतली आणि त्यांची विनंती सादर केली आणि चर्चेदरम्यान सांगितले की, सध्या स्मार्ट मीटरबाबत ग्राहकांमध्ये खूप गोंधळ आहे. वीज विभाग याचे समाधानकारक उत्तर देऊ शकत नाही. या स्मार्ट मीटरच्या वेगवान गतीमुळे ग्राहकांना जास्त वीज बिल आकारले जात आहे. भविष्यात हे स्मार्ट मीटर प्रीपेड मीटरमध्ये देखील बदलता येतील. या परिस्थिती लक्षात घेता, ग्राहकांच्या लेखी परवानगीशिवाय जुन्या वीज मीटरच्या जागी नवीन स्मार्ट मीटर बसवू नयेत.

    स्मार्ट वीज मीटरच्या करारा अंतर्गतही अशी तरतूद नमूद करण्यात आली आहे. आणि राज्याच्या मुख्यमंत्र्यांनी एका निवेदनात म्हटले आहे की ते ऐच्छिक आहे. कोणत्याही परिस्थितीत स्मार्ट मीटरमुळे वीज ग्राहकांची आर्थिक लूट सहन केली जाणार नाही. वाडी, आठवा मैल आणि ग्रामीण भागात अशा कोणत्याही कारवाईला जबरदस्तीने विरोध केला जाईल. आणि वंचित बहुजन आघाडीने वाडी वीज वितरण कार्यालयासमोर तीव्र आंदोलन करण्याचा इशाराही दिला. वंचित बहुजन आघाडीने सरकारवर उद्योगपतींच्या फायद्यासाठी हे स्मार्ट मीटर जबरदस्तीने ग्राहकांवर लादल्याचा आरोप केला. विद्युत अभियंत्याने स्मार्ट मीटरबाबत उपस्थित शिष्टमंडळाला योग्य माहिती देऊन हा प्रश्न सोडवण्याचा प्रयत्न केला, परंतु शिष्टमंडळ त्यावर समाधानी झाले नाही. अभियंत्यांनी योग्य कारवाईसाठी वरिष्ठांकडे विनंती पाठविण्यास मान्यता दिली.

    रमेश गजभिये, अभिजित मेश्राम, गौतम डोंगरदिवे, नितेश पुंडकर, सिद्धार्थ मेश्राम, सचिन साहेबराव गोलाईत, दिलीप पटेल, हरीश गजभिये, अमन मेश्राम, मयूर गजभिये, मयंक चौधरी व मोठ्या संख्येने कार्यकर्ते उपस्थित होते. या प्रणाली शिष्टमंडळात वंचित बहुजन आघाडीचे सहभागी होते.

  • कर्मचारी सतर्कता, जलद प्रतिसाद व आपत्ती व्यवस्थापन क्षमता तपासण्यासाठी मॉक ड्रिलचे आयोजन

    कर्मचारी सतर्कता, जलद प्रतिसाद व आपत्ती व्यवस्थापन क्षमता तपासण्यासाठी मॉक ड्रिलचे आयोजन

    कर्मचारी सतर्कता, जलद प्रतिसाद व आपत्ती व्यवस्थापन क्षमता तपासण्यासाठी मॉक ड्रिलचे आयोजन

     नागपूर WH NEWS –  मध्य रेल्वे, नागपूर विभागाने वरुड–मोर्शी सेक्शनमध्ये आपत्कालीन परिस्थितीत कर्मचार्‍यांची तयारी तपासण्यासाठी नियमित मॉक ड्रिलचे आयोजन केले. या सरावाचा उद्देश सतर्कता, जलद प्रतिसाद, समन्वय व बचाव क्षमतांचा आढावा घेणे हा होता.

    कल्पित परिस्थितीनुसार, गाडी क्रमांक 61103 मेमू (अमरावती ते नरखेड) किलोमीटर 761/12–13 दरम्यान दुपारी 15:00 वाजता एका काल्पनिक अपघाताला सामोरी गेली, ज्यात डब्याच्या दरवाज्यावर बसलेले काही प्रवासी खाली पडून गंभीर जखमी झाले. घटनेची माहिती मिळताच तात्काळ कारवाई करण्यात आली. 15:15 वाजेपर्यंत रुग्णवाहिका घटनास्थळी पोहोचली व जखमींना प्राथमिक उपचार देऊन रुग्णालयात पाठविण्यात आले. स्थानिक पोलिस कर्मचारी देखील घटनास्थळी दाखल झाले आणि बचाव कार्यात सहकार्य केले.

    ही ड्रिल नियोजनबद्ध व पद्धतशीर रितीने पार पडली व 15:35 वाजता अधिकृतपणे मॉक ड्रिल म्हणून घोषित करण्यात आली. अशा प्रकारचे सराव नागपूर विभागात वेळोवेळी घेण्यात येतात, ज्यामुळे आपत्ती व्यवस्थापनातील तयारी वाढविणे, विविध यंत्रणांमधील समन्वय सुधारणे व खरी आपत्कालीन परिस्थिती उद्भवल्यास प्रवासी सुरक्षेत बळकटी आणणे शक्य होते.

  • आदिवासी फासेपारधी व भटक्या जमातीच्या वस्त्यांमध्ये विविध दाखले वाटप करण्यासाठी शिबीरे घ्यावीत – अॅड. धर्मपाल मेश्राम

    आदिवासी फासेपारधी व भटक्या जमातीच्या वस्त्यांमध्ये विविध दाखले वाटप करण्यासाठी शिबीरे घ्यावीत – अॅड. धर्मपाल मेश्राम

    आदिवासी फासेपारधी व भटक्या जमातीच्या वस्त्यांमध्ये विविध दाखले वाटप करण्यासाठी शिबीरे घ्यावीत
    – अॅड. धर्मपाल मेश्राम

    नागपूर, दि. 5:– अनुसूचित जाती व जमाती, विमुक्त जाती व भटक्या जमाती यांचेकडे अधिवास पुरावे उपलब्ध नसल्यामुळे त्यांना शासनाकडून वितरीत करण्यात येणाऱ्या योजनांचा लाभ घेता येत नाही. घरकुल योजनेचा लाभ मंजूर होत नाही, जातीचे प्रमाणपत्र व जात वैधता प्रमापत्र वेळेत मिळत नाहीत. यावर प्रभावी उपाय म्हणून संबंधित विभागाने विमुक्त जाती व भटक्या जमातीच्या वस्त्यांमध्ये विविध दाखले वाटप करण्यासाठी शिबीरे आयोजित करण्याचे निर्देश अॅड. धर्मपाल मेश्राम यांनी दिले.

    रविभवन, नागपूर येथे महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाती जमाती आयोगाचे उपाध्यक्ष अॅड. धर्मपाल मेश्राम यांच्या अध्यक्षतेखाली आयोजित करण्यात आलेल्या बैठकीत ते बोलत होते. शासनामार्फत राबविण्यात येणाऱ्या विविध योजनांचा लाभ तळागळातील लोकांपर्यंत पोहचविण्यासाठी बैठकीत सविस्तर चर्चा करण्यात आली.

    आदिवासी फासे पारधी, विमुक्‍त भटक्या जामातीच्या 157 वस्तींमध्ये विविध दाखले वाटप शिबीर आयोजित करणे, घरकुल योजनांचा लाभ मंजूर करणे, जात प्रमाणपत्र व जात वैधता प्रमाणपत्र निर्गमीत करणे करिता लवकरच जिल्हानिहाय उप जिल्हाधिकारी पातळीचा समन्वय अधिकारी (नोडल अधिकारी) म्हणून नेमण्याचे व त्यासाठी प्रत्येक जिल्हयातील समाज कल्याण विभागाच्या अधिकाऱ्यांनी महिनाभरात अहवाल देण्याचे निर्देशीत केले.

    बैठकीला आदिवास विकास विभागाचे उपायुक्त दिगांबर चव्हाण, उपजिल्हाधिकारी विवेक साळुंके, जिल्हा समाजकल्याण अधिकारी सुखदेव कौरती, पोलीस उपअधीक्षक हेमंत खराबे, सामाजिक नेते व अखिल भारतीय स्तरावर घुमंतू भटक्या जातींमध्ये काम करणारे श्री दुर्गादासजी व्यास, आशिष कावळे, राजीव डोणारकर, प्रदिप वडणेरकर, प्रविण पवार, प्रशांत पवार, श्रीकांत तिजारे, अमोल एडके आदी उपस्थित होते.