मुंबई से प्रयागराज तक ठगी का जाल

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A web of fraud from Mumbai to Prayagraj

फर्जी निवेश के झांसे में लोगों को लगाई चपत
मुंबई.
प्रिंटिंग पेपर कंपनी की आड़ में देश के अलग-अलग हिस्सों में निवेश के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह पर मुंबई पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। मुंबई क्राइम ब्रांच ने इस गिरोह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 111 के तहत संगठित अपराध का मामला दर्ज किया है। सूत्रों के अनुसार, इस गिरोह पर अब महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स एक्ट, 1999 लगाने की तैयारी है। इस कानून के तहत आरोपी की संपत्तियां कुर्क की जा सकती हैं।

पहले से दर्ज हैं कई मामले
मामले में प्रमुख आरोपी दीपक जैन, अंकित जैन और हेतुल रांका हैं। इनके खिलाफ पहले भी ठगी के 2 मामले एलटी मार्ग पुलिस स्टेशन में दर्ज हैं, जबकि गोरेगांव पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर और पांच गैर-संज्ञेय (एनसी) शिकायतें दर्ज की गई हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, हालांकि यह मामला 10 करोड़ रुपये से अधिक का है, फिर भी इसे आर्थिक अपराध शाखा को ट्रांसफर नहीं किया गया है, क्योंकि मामले में पीड़ितों के साथ मारपीट की गई थी और धमकियां भी दी गई थी।

क्या थी ठगी की ‘मोड्स ऑपरेंडी
‘गिरफ्त में आई कंपनी ‘एजे इंटरप्राइजेज’ ने खुद को एक प्रिंटिंग पेपर बिजनेस के रूप में रजिस्टर कराया था। व्यवसाय को आगे बढ़ाने के नाम पर यह कंपनी आम लोगों से निवेश करवाती थी और 12% से 18% तक के ब्याज का लालच देकर पैसे ऐंठती थी। शुरुआती महीनों में निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए समय पर ब्याज की राशि दी गई, लेकिन कुछ समय बाद पेमेंट रोक दिए जाते थे। जब निवेशक अपना पैसा वापस मांगते तो उन्हें गालियां दी जाती थीं, धमकाया जाता था, यहां तक कि कई मामलों में मारपीट भी की जाती थी। ठग गिरोह लोगों से नकद, सोना, चेक, बैंक ट्रांसफर और यहां तक कि क्रेडिट कार्ड से भी पैसे ऐंठता था।

संभावित आरोपियों की तलाश जारी
जांच में पता चला है कि इस गिरोह का नेटवर्क सिर्फ मुंबई तक सीमित नहीं था। ठाणे, नवी मुंबई, पनवेल से लेकर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज तक इनका जाल फैला हुआ है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और अन्य संभावित आरोपियों की तलाश कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, मामले में कई और पीड़ित सामने आने की उम्मीद है और जल्द ही आरोपियों की संपत्तियों की कुर्की की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

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