साबित कर रही है सहकारी चीनी मिल चुनाव की रणनीति
मुंबई.
महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों बारामती में हलचल है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार, मालेगांव सहकारी चीनी मिल के चुनाव में जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं। वह अपनी ‘नीलकंठेश्वर पैनल’ के साथ सभी 21 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। अजित पवार खुद अध्यक्ष पद के लिए मैदान में हैं। अजित पवार लगभग 40 साल बाद किसी सहकारी चीनी मिल के चुनाव में भाग ले रहे हैं। यह सब अजित पवार की 2029 विधानसभा चुनाव की तैयारियां के रूप में देखा जा रहा है। यह चुनाव बारामती के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह न केवल चीनी मिल के भविष्य का फैसला करेगा, बल्कि यह महाराष्ट्र की राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है।
15 रैलियां और बैठकें कर रहे हैं
अजित पवार और बीजेपी दोनों ही इस चुनाव को गंभीरता से ले रहे हैं। देखना यह है कि इस चुनाव में किसकी जीत होती है। रणनीति के तहत अजित पवार इसके लिए 15 रैलियां और बैठकें कर रहे हैं। उन्होंने अपना कार्यक्रम भी बदल दिया है। इस चुनाव को सिर्फ एक सहकारी चुनाव नहीं माना जा रहा है। इसे महाराष्ट्र के 2029 के विधानसभा चुनावों की झलक के रूप में देखा जा रहा है। अजित पवार के पैनल का मुकाबला बीजेपी के चंद्रराव तावरे के ‘सहकार बचाओ शेतकरी पैनल’ से है।
गैर-राजनीतिक चुनाव सिर्फ कहने को
बीजेपी और अजित पवार की पार्टी सहयोगी हैं। फिर भी, बीजेपी ने तावरे को चुनाव से हटने के लिए नहीं कहा है। उसने इस चुनाव में पवार का पूरी तरह से समर्थन भी नहीं किया है। तावरे का कहना है कि यह चुनाव गैर-राजनीतिक है। यह सिर्फ किसानों के हितों के लिए है, लेकिन बारामती के आसपास के लोग इसे अलग तरह से देख रहे हैं।
क्या है शुगर मिल का राजनीतिक समीकरण
एनसीपी के एक कार्यकर्ता ने कहा, ‘यह एकमात्र चीनी मिल है जो बारामती में है। इसमें लगभग 19,600 मतदाता हैं। अगर आप उनके परिवार के सदस्यों को गिनें तो यह संख्या एक लाख से अधिक हो जाती है। यह चीनी मिल बारामती में कई लाख लोगों को सीधे प्रभावित करती है। तावरे बीजेपी में हैं, इसलिए दादा नहीं चाहते कि बीजेपी का कोई सदस्य किसी ऐसी चीनी सहकारी संस्था को नियंत्रित करे जो भविष्य में बारामती की राजनीति को प्रभावित कर सके।’
भविष्य देख रहे अजित पवार
यहां ‘भविष्य’ का मतलब 2029 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से है। 2024 के विधानसभा चुनावों में 133 सीटें जीतने के बाद, बीजेपी में अगले चुनावों में 180 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की बात चल रही है। महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। अगर बीजेपी 180 सीटों पर चुनाव लड़ती है, तो उसके सहयोगियों, NCP (अजित पवार गुट) और शिवसेना (शिंदे गुट) के लिए केवल 108 सीटें बचेंगी। यह बंटवारा शायद ही किसी को मंजूर हो।
निश्चित रूप से टकराव
एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि सीटों को लेकर गठबंधन में निश्चित रूप से टकराव होगा। बीजेपी बड़े भाई की भूमिका निभाना चाहती है। उसके दोनों सहयोगियों में से कम से कम एक सीटों के बंटवारे से खुश नहीं होगा और अलग से चुनाव लड़ना चाहेगा। बीजेपी अभी जो कर रही है, वह उनके गढ़ में घुसपैठ करना है, ताकि उन्हें पहले से ही अस्थिर किया जा सके। इसका मतलब है कि बीजेपी अभी से ही 2029 के चुनावों की तैयारी कर रही है। वह अपने सहयोगियों को कमजोर करना चाहती है, ताकि वह ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सके।
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