बताया बसपा को कैसे मिलेगी सत्ता की चाबी!
लखनऊ.
संविधान निर्माता भारतरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के मौके पर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने पूरे देशभर में श्रद्धा और सम्मान के साथ कार्यक्रम आयोजित किए। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने लखनऊ में बाबासाहब को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए समाज के वंचित तबकों दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और अन्य उपेक्षितों से अपील की कि वे बीएसपी से जुड़कर “आंबेडकरवादी सोच” को अपनाएं और सत्ता की चाबी अपने हाथ में लें। मायावती ने कहा, “देश के बहुजन समाज को अब अपने वोट की ताकत को समझना होगा। हमारी एकता ही हमारा सबसे बड़ा हथियार है। वोट से सत्ता हासिल करके ही हम बाबासाहब के सपनों का समाज बना सकते हैं। यही डॉ. आंबेडकर की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”
कांग्रेस और भाजपा को कोसा
उन्होंने यह भी कहा कि देश में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने बहुजन समाज को केवल वादे दिए, लेकिन उनके शैक्षणिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात आज भी बदहाल हैं। आरक्षण जैसे संवैधानिक अधिकारों पर लगातार हमला हो रहा है, और गरीब, बेरोज़गार, अशिक्षित जनता को कोई राहत नहीं मिल रही। मायावती ने सभी सरकारों से जातिवादी और स्वार्थ की राजनीति छोड़ने की अपील करते हुए कहा कि जब तक सत्ता में बैठे लोग संविधानवादी सोच को नहीं अपनाएंगे, तब तक “विकसित भारत” और “मेरा भारत महान” सिर्फ एक नारा ही बना रहेगा।
प्रदेशभर में कार्यक्रमों का आयोजन
बीएसपी के निर्देश पर आज पूरे उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में जिला स्तर पर विचार गोष्ठियों, श्रद्धांजलि सभाओं और माल्यार्पण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। लखनऊ मंडल में कार्यकर्ता डॉ. आंबेडकर स्मारक स्थल, और पश्चिमी यूपी के कार्यकर्ता नोएडा स्थित राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पहुंचे। दिल्ली प्रदेश के कार्यकर्ताओं ने भी नोएडा में श्रद्धांजलि अर्पित की और शाम को अपने-अपने जिलों में कार्यक्रम किए।
युवाओं को साथ लेकर कार्यक्रमों में हिस्सा
बहन मायावती के निर्देश पर इस बार बीएसपी कार्यकर्ता अपने पूरे परिवार के साथ, विशेषकर युवा पीढ़ी को साथ लेकर, कार्यक्रमों में शामिल हुए। होर्डिंग, पोस्टर और विचार गोष्ठियों के माध्यम से बाबासाहब के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया।
मुस्लिमों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर भी जताई चिंता
मायावती ने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के जान, माल और मजहब की सुरक्षा को लेकर भी चिंता का माहौल है। ऐसी स्थिति में बहुजन समाज को उन पार्टियों से सावधान रहना होगा जो धन्नासेठों की समर्थक हैं और बहुजन विरोधी नीतियों पर चल रही हैं। अब वक्त आ गया है कि बहुजन समाज अपनी सामाजिक और आर्थिक मुक्ति के लिए स्वयं आगे आए और बाबासाहब के बताए रास्ते पर चलकर सशक्त भारत के निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित करे।
