सीधा सवाल…कानून का राज या जंगलराज
नागपुर.
नागपुर के हुडकेश्वर में एक साहूकार द्वारा कर्जदार का दिनदहाड़े अपहरण और बेरहमी से पिटाई की घटना ने महाराष्ट्र में अवैध साहूकारी के बढ़ते खतरे को उजागर कर दिया है। यह सिर्फ एक स्थानीय वारदात नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में गैर-कानूनी कर्ज और उसके भयावह परिणामों की एक बानगी है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे कुछ लोग कानून को अपने हाथ में लेने से भी नहीं हिचकते, और नागपुर जैसे प्रमुख शहर में भी आम नागरिक सुरक्षित नहीं हैं।
दबंगई का नतीजा
विशाल उरकुडे के साथ जो हुआ, वह अत्यंत विचलित करने वाला है। 7 प्रतिशत के भारी ब्याज पर ₹30 लाख का कर्ज, ₹4 लाख चुकाने के बावजूद करोड़ों की संपत्ति हड़पने का दबाव, और फिर दिनदहाड़े अपहरण कर घंटों तक अमानवीय पिटाई – यह सब एक लाइसेंस-विहीन साहूकार प्रवीण उर्फ बालुभाऊ भुरकेवार और उसके साथियों की दबंगई का नतीजा है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, जिसके चलते मुख्य आरोपी और उसके तीन साथी गिरफ्तार कर लिए गए हैं, और उन्हें पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। अवैध साहूकारी की धाराएँ लगाना भी सही दिशा में उठाया गया कदम है।
हताशा में जान दे रहे हैं लोग
लेकिन यह घटना सिर्फ एक बानगी है। खबर में यह भी उल्लेख है कि कई पीड़ित अभी भी न्याय के लिए पुलिस के चक्कर काट रहे हैं, और कुछ ने तो हताशा में आत्महत्या का प्रयास भी किया है। यह बेहद चिंताजनक है। इससे भी अधिक गंभीर बात यह है कि कुछ नेताओं का संरक्षण होने के कारण अवैध साहूकार पुलिस से भी नहीं डरते। यदि यह बात सत्य है, तो यह कानून के शासन के लिए एक बड़ा खतरा है।
नेटवर्क को तोड़ना जरूरी
महाराष्ट्र सरकार और पुलिस प्रशासन को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए। सिर्फ एक मामले में कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। पूरे प्रदेश में अवैध साहूकारी के नेटवर्क को तोड़ने, पीड़ितों को न्याय दिलाने और ऐसे अपराधियों को संरक्षण देने वाले तत्वों की पहचान करने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है कि आम जनता को वित्तीय सहायता के लिए किसी साहूकार के आगे झुकना न पड़े और कानून का राज पूरी तरह से स्थापित हो।
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