Tag: राज ठाकरे

  • राज ठाकरे मराठी के नाम पर नफरत फैला रहे, रासुका लगे

    राज ठाकरे मराठी के नाम पर नफरत फैला रहे, रासुका लगे

    हाईकोर्ट के वकीलों ने मनसे चीफ के खिलाफ खोला मोर्चा
    मुंबई
    मराठी बनाम हिंदी भाषा का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। महाराष्ट्र स्थानीय चुनाव से पहले भाषा को लेकर छिड़े इस विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे के खिलाफ रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की मांग उठी है। मुंबई के वर्ली डोम में 5 जुलाई को हुई ठाकरे भाईयों- उद्धव और राज की संयुक्त जनसभा में भड़काऊ और उत्तेजक भाषण देने के आरोप लगाए गए हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट के तीन अधिवक्ताओं पंकज कुमार मिश्रा, नित्यानंद शर्मा और आशीष राय ने राज ठाकरे के खिलाफ महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को लिखित शिकायत भेजी है।

    शिकायत में यह आरोप
    शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि राज ठाकरे के भाषण के बाद मनसे कार्यकर्ता हिंदी भाषी लोगों के प्रति आक्रामक हो गए हैं। महाराष्ट्र के कई हिस्सों में अन्य राज्यों से आए नागरिकों के साथ मराठी न बोलने पर गाली-गलौज, धमकियां और मारपीट जैसी घटनाएं सामने आई हैं। इससे राज्य की सामाजिक शांति और कानून व्यवस्था को खतरा पैदा हो गया है।

    नफरत फैलाने वाले बयान
    शिकायत में यह भी कहा गया है कि राज ठाकरे ने अपने भाषण में अन्य राज्यों के लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले बयान दिए, जिससे मनसे कार्यकर्ता उत्तेजित होकर मराठी नहीं बोलने वालों से मारपीट कर रहें है। इस प्रकार की कार्रवाई को भारतीय संविधान के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए, शिकायतकर्ताओं ने मांग की है कि राज ठाकरे के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर कड़ी कार्रवाई की जाए।

    यह संविधान के खिलाफ
    तीनों वकीलों ने अपनी शिकायत में कहा कि मराठी महाराष्ट्र की प्रादेशिक भाषा है और मराठी भाषा का सम्मान करना हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है। लेकिन हाल के कुछ दिनों में मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा अन्य राज्यों से आए नागरिकों के साथ भाषा के मुद्दे पर अत्याचार, मारपीट और सार्वजनिक रूप से अपमान की कई घटनाएं सामने आई हैं। यह एक गंभीर मामला है, जो संविधान के खिलाफ है।

    यह कहा था राज ठाकरे ने
    वर्ली डोम में हुए ‘आवाज मराठीचा’ सभा में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में राज ठाकरे ने मनसे कार्यकर्ताओं से कहा था कि अगर किसी को मराठी नहीं बोलने के लिए पीटते हो तो उसका वीडियो मत बनाओ। राज ठाकरे ने कहा था, “यहां चाहे गुजराती हो या कोई और, उसे मराठी आनी ही चाहिए, लेकिन अगर कोई मराठी नहीं बोलता तो उसे पीटने की कोई जरूरत नहीं है। फिर भी अगर कोई ड्रामा करे तो कान के नीचे लगाओ, लेकिन वीडियो बना कर प्रचार मत करो।“

    विरार में उत्तर भारतीय से मारपीट
    हाल ही में महाराष्ट्र के पालघर जिले के विरार में एक उत्तर भारतीय ऑटो चालक के साथ कथित रूप से मराठी न बोलने पर मनसे और शिवसेना (उद्धव गुट) के कार्यकर्ताओं ने मारपीट की। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे भाषा के नाम पर की जा रही हिंसा को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। लोगों ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि इस मामले में अब तक कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है, इसलिए अभी मामला दर्ज नहीं किया गया है।

  • राज ठाकरे कोई ‘रिस्क’ नहीं लेना चाहते

    राज ठाकरे कोई ‘रिस्क’ नहीं लेना चाहते

    भाषा विवाद के बीच पार्टी के नेताओं को दी सख्त हिदायत
    मुंबई.
    महाराष्ट्र में मराठी भाषा के मुद्दे पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट की एकजुटता ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। हाल ही में मीरा-भायंदर में दोनों दलों ने संयुक्त आंदोलन किया, जिससे मराठी विरुद्ध गैर-मराठी विवाद और गहरा गया। इस बीच अब मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के नेताओं को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि वे बिना उनकी अनुमति के किसी भी प्रकार से मीडिया या सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया व्यक्त न करें।

    व्यक्तिगत राय से मनाही
    राज ठाकरे ने मंगलवार देर रात एक्स पर एक पोस्ट में स्पष्ट कहा कि मनसे का कोई भी नेता अब किसी भी अखबार, न्यूज चैनल या डिजिटल माध्यम से संवाद नहीं करेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोई नेता अपने व्यक्तिगत वीडियो या प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर भी पोस्ट नहीं करेगा। इतना ही नहीं, जिन प्रवक्ताओं को पार्टी की ओर से मीडिया में बोलने की अधिकृत जिम्मेदारी दी गई है, वे भी अब राज ठाकरे की अनुमति के बिना कोई बयान नहीं दे सकेंगे।

    अब गठबंधन की होने लगी बात
    राज ठाकरे का यह सख्त रवैया ऐसे समय में सामने आया है जब उनकी पार्टी मनसे और उनके चचेरे भाई उद्धव ठाकरे कि शिवसेना (उबाठा) के संभावित गठबंधन की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। पिछले हफ्ते मुंबई के वर्ली में आयोजित ‘आवाज मराठीचा’ कार्यक्रम के दौरान दोनों नेताओं का दो दशक बाद एक साथ मंच साझा करना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके बाद दोनों खेमों के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक रूप से इस मनसे और शिवसेना यूबीटी गठबंधन की मांग की है।

    इस कारण फूंक-फूंक कर कदम
    माना जा रहा है कि राज ठाकरे नहीं चाहते कि इस विषय पर अनावश्यक बयानबाजी हो या किसी तरह की भ्रम की स्थिति बने, इसलिए उन्होंने पार्टी नेताओं पर मीडिया से रूबरू होने पर रोक लगा दी है। साथ ही, मराठी और गैरमराठी विवाद पर मनसे नेताओं के तीखे तेवर भी हाल के दिनों में चर्चा में रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा यह भी है कि पार्टी की छवि को नुकसान न हो और अनुशासन बनी रहे, इस मकसद से भी ठाकरे ने यह निर्देश दिया है। हालांकि, आने वाले दिनों में पता चलेगा कि मनसे प्रमुख के इस मीडिया मौन फरमान के पीछे क्या रणनीति है।

    चुनावी माहौल में मराठी अस्मिता का मुद्दा गरमाया
    गौरतलब है कि मुंबई महानगरपालिका चुनाव की घोषणा कुछ ही दिनों में हो सकती है। ऐसे में मराठी अस्मिता के नाम पर उठाया गया भाषा का मुद्दा राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम हो गया है। महाराष्ट्र के 29 नगर निगमों, 248 नगर परिषदों, 32 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों के चुनाव इस वर्ष के अंत में या अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले हैं।

  • मुंबई में मनसे की गुंडागर्दी

    मुंबई में मनसे की गुंडागर्दी

    मराठी न बोलने पर एक कर्मचारी को पीटा
    मुंबई.
    मुंबई में राज ठाकरे की पार्टी मनसे के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी फिर सामने आई है। मराठी न बोलने पर मीरा रोड में एक फास्ट फूड के कर्मचारी को जमकर पीटा गया। इसके अलावा कई थप्पड़ भी मारे गए। यह पूरी घटना मीरा रोड के बालाजी होटल में मनसे कार्यकर्ताओं ने मारपीट करने के साथ ही अपशब्द भी कहे।

    सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
    इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इससे पहले भी ऐसी ही कई मारपीट की घटनाएं हो चुकी हैं। मनसे वर्कर्स ने एक बार हिंदी बोलने पर उत्तर भारतीयों की पिटाई की थी। मुंबई में मराठी की जगह हिंदी बोलने पर कई बार ऐसे मामले आ चुके हैं। इससे पहले भी मनसे कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी सामने आ चुकी है। हालांकि, इस पर सीएम फडणवीस ने कहा था कि मराठी भाषा का सम्मान करें, लेकिन कोई अगर नहीं करता है। उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

    ठाकरे की 5 जुलाई को विजय रैली
    मीरा रोड पर यह मारपीट ऐसे समय में हुई है, जब ठाकरे भाई 5 जुलाई को विजय रैली करने वाले हैं। इस रैली में शिंदे और पवार ग्रुप के कई लीडर्स के शामिल हो सकते हैं। आए दिन ऐसी घटनाओं से आम लोगों के बीच एक डर का माहौल बन गया है। फिलहाल, इस मामले में पुलिस की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं आया है। मनसे कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी के मामले को लेकर शिवसेना यूबीटी ने अपना रिएक्शन दिया है। पार्टी के एमएलए सचिन अहीर ने इस मुद्दे को लेकर कहा कि मारपीट करना ठीक नहीं है। लेकिन कोई बिना वजह मराठी बोलने से इनकार करता है तो यह भी सही नहीं है। इसके अलावा एनसीपी ने भी इसे गलत बताया है।

  • भाई- मिलन होकर रहेगा, 5 जुलाई को विजय रैली

    भाई- मिलन होकर रहेगा, 5 जुलाई को विजय रैली

    उद्धव-राज ठाकरे ने थ्री-लैंग्वेज जीआर रद्द होने को बताया मराठी अस्मिता की जीत
    मुंबई.
    मराठी भाषा के मुद्दे पर एकजुट होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे एकजुट होकर एक रैली में हिस्सा लेंगे। ये रैली 5 जुलाई को होगी। हालांकि, अभी इस रैली को लेकर जगह का फैसला नहीं हुआ है। यूबीटी और मनसे की इस रैली को मराठी भाषा के समर्थन में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखी जा रही है, जिसे थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी से जुड़े सरकार आदेश को रद्द करने की जीत के रूप में मनाया जाएगा।

    राज ने कहा-धन्यवाद
    राज ठाकरे ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाराष्ट्र की जनता को थ्री-लैंग्वेज के जीआर को रद्द करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘ये मराठी लोगों की एकता के कारण संभव हुआ है। ये क्रेडिट लेना के मुद्दा नहीं है। हमने जो मोर्चा प्लान किया था, अगर वो निकल जाता तो ये संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की तरह ऐतिहासिक होता। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस फैसले की कोई जरूरत नहीं थी। मैंने दादा भुसे को स्पष्ट बता दिया था कि मैं मराठी के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करूंगा।

    मराठी अस्मिता की जीत का जश्न
    राज ने जोर देकर कहा कि हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं, बल्कि एक क्षेत्रीय भाषा है। जो लोग उत्तर भारत से यहां काम करने आते हैं, उन्हें मराठी सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संजय राउत ने मुझसे पूछा कि क्या हम 5 जुलाई को विजय मोर्चा मना सकते हैं? जिस पर मैंने सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि ये रैली किसी पार्टी या राजनीतिक दल की नहीं होगी, बल्कि मराठी अस्मिता की जीत का जश्न होगी।

    मराठी विरोधियों को करारा जवाब: उद्धव
    शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, ‘हम उन सभी राजनीतिक दलों की सराहना करते हैं जो अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद हमारे साथ आए। सरकार ने अस्थायी रूप से जीआर रद्द कर दिया है। अगर ऐसा नहीं होता तो 5 जुलाई को उन्हें हमारा विरोध देखना पड़ता।’

    इस मुद्दे को राजनीति का नाम न दें
    उद्धव ने बताया कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के भी कई नेता इस रैली में शामिल होंगे। हम पहली से पांचवीं कक्षा तक हिन्दी अनिवार्य नहीं होने देंगे। ‘डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक नई समिति इस मुद्दे पर रिपोर्ट देगी। सरकार ने शिक्षा क्षेत्र के लिए वित्तीय विशेषज्ञों की नियुक्ति की है। हमने मराठी विरोधियों को करारा जवाब दिया है और ये एकता बनी रहनी चाहिए। मैं मराठी भाषा से समझौता करने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ जाऊंगा। इस मुद्दे को राजनीति का नाम न दें। गठबंधन और चुनाव होते रहेंगे। एक बार मराठी भाषा खत्म हो जाएगा।’

    रैली पर लोगों की नजर
    राज और उद्धव ठाकरे का मराठी भाषा के मुद्दे पर एक साथ आना जनता के बीच उत्सुकता है। हालांकि, राज ने स्पष्ट किया कि अभी गठबंधन या चुनाव की बात करना सही नहीं है। हमें अभी मराठी भाषा पर आए संकट को देखना चाहिए। बाकी चीजें चुनाव के समय तय की जा सकती हैं। अब 5 जुलाई की विजय रैली मराठी एकता का एक ऐतिहासिक प्रदर्शन हो सकती है और इसकी सफलता पर पूरे महाराष्ट्र की नजरें टिकी हैं।

  • ‘हिंदी’ पर फडणवीस-राज ठाकरे आमने-सामने

    ‘हिंदी’ पर फडणवीस-राज ठाकरे आमने-सामने

    अंग्रेजी को बढ़ावा और भारतीय भाषा के तिरस्कार का आरोप
    मुंबई.
    महाराष्ट्र सरकार की ओर से पहली कक्षा से हिंदी भाषा को अनिवार्य करने की खबर ने सूबे की राजनीति में हलचल मचा दी है। महाराष्ट्र सरकार ने अपने सरकारी संकल्प में कहा कि हिंदी तीसरी भाषा होगी। लेकिन जो छात्र दूसरी भाषा सीखना चाहते हैं, उनके लिए कम से कम 20 इच्छुक छात्रों की आवश्यकता होगी। इस फैसले का महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने कड़ा विरोध किया है। चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार ने यह नीति वापस नहीं ली, तो मनसे आंदोलन करेगी और फिर उसकी जिम्मेदारी मनसे की नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसे चुनौती मानती है, तो ऐसे ही समझ ले।

    सरकार यह है पक्ष
    राज ठाकरे का विरोध ऐसे समय में आया है जब राज्यभर में हिंदी को अनिवार्य बनाए जाने को लेकर बहस तेज हो गई है। हालांकि इस विवाद पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि हिंदी भाषा अब अनिवार्य नहीं है और छात्रों को किसी भी भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में चुनने की स्वतंत्रता दी गई है। राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे ने कहा, “मैं यह स्पष्ट करता हूं कि सभी माध्यम के स्कूलों में मराठी भाषा को पढ़ाना अनिवार्य है। कई स्कूलों में तीसरी भाषा कई वर्षों से पढ़ाई जा रही है। इसलिए महाराष्ट्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि तीसरी भाषा विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की मांग के आधार पर पढ़ाई जाएगी।

    सीएम फडणवीस ने रखी बात
    फडणवीस ने स्पष्ट किया कि मराठी भाषा हर हाल में अनिवार्य रहेगी और हिंदी को केवल एक विकल्प के तौर पर रखा गया है। उन्होंने विवाद को अनावश्यक करार देते हुए कहा कि हिंदी के विकल्प भी मौजूद हैं, इसलिए जो छात्र कोई भी दूसरी भारतीय भाषा सीखना चाहता है, वह उसे सीख सकता है। उन्होंने कहा कि हम सभी लोग अंग्रेजी को बढ़ावा देते हैं और भारतीय भाषाओं का तिरस्कार करते हैं, जो सही नहीं है। भारतीय भाषाएं अंग्रेजी से बेहतर हैं। भले ही अंग्रेजी व्यवहार की भाषा बन गई हो, लेकिन इस नई शिक्षा नीति ने जो सबसे महत्वपूर्ण काम किया है, वह यह है कि इसने मराठी को ज्ञान की भाषा बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है। अब इंजीनियरिंग, मेडिकल और एमबीए जैसे कोर्स भी मराठी भाषा में पढ़ सकते हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ था।

  • राज ठाकरे करेंगे बड़ा खेला, फडणवीस से 1 घंटे की चर्चा

    राज ठाकरे करेंगे बड़ा खेला, फडणवीस से 1 घंटे की चर्चा

    उद्धव से गठबंधन के संकेत, शिंदे गुट से मिला ऑफर
    मुंबई.
    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे और राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच अचानक मुंबई के होटल में मुलाकात हुई। दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई, यही वजह है कि इस मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। हालांकि बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने कहा कि सीएम फडणवीस और राज ठाकरे अच्छे दोस्त हैं और राज्य से संबंधित विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मिले होंगे।

    नए राजनीतिक समीकरण के संकेत
    राज ठाकरे ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को समर्थन दिया था, लेकिन उनकी पार्टी मनसे ने पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ा। हालांकि मनसे का खाता भी नहीं खुल पाया। इस बीच, सूबे में निकाय चुनावों की आहट के बीच हाल ही में राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना के साथ गठबंधन करने का संकेत दिया। लेकिन अब उनका बीजेपी के कद्दावर नेता फडणवीस से अचानक मिलना कई नए राजनीतिक समीकरणों की ओर इशारा कर रहा है।

    सीक्रेट मीटिंग की चर्चा तेज
    मुंबई के बांद्रा स्थित ताज लैंड्स एंड होटल में आज सुबह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे के बीच सीक्रेट मीटिंग हुई। तो दूसरी ओर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के दो प्रमुख नेता संदीप देशपांडे और अमेय खोपकर राज्य सरकार के मंत्री व शिंदे गुट के वरिष्ठ नेता उदय सामंत से मिलने पहुंचे। हालांकि इस मुलाकात का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। लेकिन शिंदे गुट के बड़े नेता और राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने खुले तौर पर राज ठाकरे को शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ आने का ऑफर दिया है।

    बीएमसी चुनाव की सरगर्मी तेज
    मनसे प्रमुख की सीएम फडणवीस से यह गुप्त मुलाकात ऐसे वक्त पर हुई है जब महाराष्ट्र में बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) साथ मिलकर आगामी बीएमसी चुनाव की रणनीति तैयार कर रही है। ऐसे में राज ठाकरे का बीजेपी की ओर झुकाव उद्धव सहित पूरे विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी के लिए बड़ा झटका समझा जा रहा है।

    भूमिका पर लगी नजर
    कुछ दिन पहले राज ठाकरे ने कहा था कि मराठी मानुस और महाराष्ट्र के हित में एकजुट होना मुश्किल नहीं है, वहीं उद्धव ने इस बात पर जोर दिया कि वह मामूली झगड़ों को भूलने के लिए तैयार हैं, लेकिन महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों से समझौता नहीं किया जाएगा। हालांकि अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में राज ठाकरे किस पाले में नजर आते हैं, क्या वे दो दशक पुराने मतभेद भुलाकर उद्धव ठाकरे के साथ विपक्ष की भूमिका निभाएंगे या बीजेपी के साथ खड़े होकर सत्ता समीकरणों में अहम मोहरा बनेंगे।

  • क्या साथ आएंगे उद्धव-राज?  शर्मिला ठाकरे का ‘मनसे’ का जवाब

    क्या साथ आएंगे उद्धव-राज? शर्मिला ठाकरे का ‘मनसे’ का जवाब

    राज ठाकरे उद्धव ठाकरे | शर्मिला ठाकरे पुणे में एक कार्यक्रम में बोल रही थीं। उस वक्त शर्मिला ठाकरे ने कई विषयों पर कमेंट किया था। मेरा एक एजेंडा है, मैं दूसरे दल की आलोचना नहीं करता। वे जो कुछ भी करते हैं, अपने फायदे या एजेंडे के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मेरा बेटा क्या कर रहा है, मेरे पति क्या कर रहे हैं या मेरी पार्टी के लोग क्या कर रहे हैं, इस पर मेरी नजर रहती है।

    शर्मिला ठाकरे
    राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे

    मुख्य विशेषताएं:

    • अगले 10 दिनों में होगा मंत्रिमंडल का विस्तार
    • महिलाओं को कैबिनेट में जगह जरूर मिलेगी
    • मैं दूसरे पक्ष की आलोचना नहीं कर रहा हूं
    पुणे: एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना पार्टी सचमुच चरमरा गई है. इसी पृष्ठभूमि में राज ठाकरे की पत्नी शर्मिला ठाकरे ने एक सांकेतिक बयान दिया है। शर्मिला ठाकरे रविवार को एक साड़ी की दुकान का उद्घाटन करने पुणे आई थीं। इस मौके पर उन्होंने मीडिया से बातचीत की. उस समय मीडिया ने शर्मिला से पूछा कि क्या ठाकरे बंधु साथ आएंगे। उस पर शर्मिला ने मीडिया के प्रतिनिधियों से उल्टा पूछा, ‘क्या आपको ऐसा लगता है?’ तब मीडिया के प्रतिनिधियों ने कहा कि हमारी राय मायने नहीं रखती। तब शर्मिला ने यह भी कहा कि ‘हमारी सोच भी मदद नहीं करती’।
    पुणे से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे देवेंद्र फडणवीस…; गिरीश बापट का महत्वपूर्ण कथन
    एक पत्रकार ने कहा कि उद्धव ठाकरे अकेले रह गए। तब शर्मिला ने कहा, ‘उन्हें आने दो, हम देखेंगे कि क्या वे साद पहनते हैं’ और वहां से निकल गईं। हालांकि इसके बाद शर्मिला ठाकरे के बयान की काफी चर्चा हुई थी। इसलिए हमें देखना होगा कि भविष्य में ठाकरे बंधुओं को एकजुट करने का कोई प्रयास होता है या नहीं।

    महिलाओं को कैबिनेट में जगह जरूर मिलेगी : शर्मिला ठाकरे

    मैंने सुना है कि अगले 10 दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। उस समय महिलाओं को कैबिनेट में जगह जरूर मिलेगी। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी में बहुत अच्छी महिलाएं हैं। पंकजा मुंडे हैं। तो मंत्री पद जरूर मिलेगा। पंकजा मुंडे ने पिछले कार्यकाल में अच्छा काम किया था। शर्मिला ठाकरे ने कहा कि बेहतर होगा कि महिला एवं बाल विकास का खाता किसी महिला के पास जाए।
    मेरे पति के सत्ता में आने पर ही सुधरेंगी राज्य की सड़कें: शर्मिला ठाकरे
    ‘मेरे पति के सत्ता में आने पर ही बेहतर होंगी राज्य में सड़कें’

    महाराष्ट्र में सड़कों और गड्ढों के मुद्दे पर राज्य में हमेशा चर्चा होती है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे की पत्नी शर्मिला ठाकरे ने भी इस पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि ”मेरे पति के सत्ता में आने पर ही राज्य की सड़कें सुधरेंगी.” शर्मिला ठाकरे ने एक कार्यक्रम के लिए पुणे आने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए यह बयान दिया है।

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    वेब शीर्षक: मराठी समाचार महाराष्ट्र टाइम्स से, टीआईएल नेटवर्क

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  • मेरे पति के सत्ता में आने पर ही सुधरेंगी राज्य की सड़कें: शर्मिला ठाकरे

    मेरे पति के सत्ता में आने पर ही सुधरेंगी राज्य की सड़कें: शर्मिला ठाकरे

    सड़कों पर गड्ढे शर्मिला ठाकरे एक कार्यक्रम के लिए पुणे आई थीं। उस वक्त शर्मिला ठाकरे ने कई मुद्दों पर कमेंट किया था. मैं अन्य दलों की आलोचना नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा क्या करता है, पति क्या करता है, इस पर मेरी नजर रहती है। इस समय उन्होंने शिवसेना में बगावत को लेकर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

    शर्मिला राज ठाकरे
    शर्मिला ठाकरे और राज ठाकरे

    मुख्य विशेषताएं:

    • अगर आप देश को सबसे ज्यादा राजस्व देते हैं तो कम से कम सड़कों को तो सुधारिए
    • महाराष्ट्र को छोड़कर सभी राज्यों में सभी सड़कें सुचारू हैं
    • हमारे नेता जानबूझ कर सड़कें क्यों नहीं बनाते?
    पुणे : महाराष्ट्र में सड़कों और गड्ढों के मुद्दे पर राज्य में हमेशा चर्चा होती है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे की पत्नी शर्मिला ठाकरे ने भी इस पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि ”मेरे पति के सत्ता में आने पर ही राज्य की सड़कें सुधरेंगी.” शर्मिला ठाकरे ने एक कार्यक्रम के लिए पुणे आने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए यह बयान दिया है। (पुणे में शर्मिला ठाकरे)

    महाराष्ट्र इतना भी पिछड़ा नहीं है। महाराष्ट्र को छोड़कर सभी राज्यों में सभी सड़कें सुचारू हैं। हमारे राजनेता जानबूझकर सड़कें क्यों नहीं बना रहे हैं? उसे बढ़िया करें। शर्मिला ठाकरे ने ऐसा गुस्सा जाहिर किया है. शर्मिला ठाकरे ने कहा है कि अगर हम देश को सबसे ज्यादा राजस्व देते हैं, तो कम से कम सड़कों को सुधारें। इस बीच ठाकरे ने यह भी कहा है कि मेरे पति के सत्ता में आने पर ही राज्य की सड़कों में सुधार होगा।
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    युवा पीढ़ी को राजनीति में आना चाहिए

    आदित्य ठाकरे और अमित ठाकरे दोनों इस समय महाराष्ट्र के दौरे पर हैं। इस संबंध में शर्मिला ठाकरे ने भी प्रतिक्रिया दी है। युवा पीढ़ी को प्रदेश की राजनीति में आना चाहिए। युवा पीढ़ी के पास नए अच्छे विचार हैं और वे पुराने विचारों के साथ काम नहीं करते हैं। उन्हें बहुत उम्मीदें हैं और वे जानते हैं कि उनकी उम्र के बच्चे क्या चाहते हैं। लगभग 60 से 70 प्रतिशत मतदाता युवा हैं। इसलिए शर्मिला ठाकरे ने कहा है कि युवा पीढ़ी को राजनीति में आना चाहिए ताकि इस पीढ़ी को पता चले कि ये मतदाता क्या चाहते हैं.
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    दूसरी ओर, शर्मिला ठाकरे ने भी इस बात पर प्रतिक्रिया दी है कि कैबिनेट विस्तार में एक भी महिला को मौका नहीं मिला। राज्य में कई अच्छी महिलाएं हैं। अब पहला कैबिनेट विस्तार कहां है? इसलिए शर्मिला ठाकरे ने उम्मीद जताई है कि कैबिनेट में महिलाएं जरूर आएंगी।

    मैं अन्य दलों की आलोचना नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा क्या करता है, पति क्या करता है, इस पर मेरी नजर रहती है। इस समय उन्होंने शिवसेना में बगावत को लेकर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

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