विवेका हॉस्पिटल का अमानवीय चेहरा: 16 लाख रुपये की मांग पर 18 घंटे शव रोककर रखा, पत्रकारों के दखल से मिला इंसाफ

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विवेका हॉस्पिटल का अमानवीय चेहरा: 16 लाख रुपये की मांग पर 18 घंटे शव रोककर रखा, पत्रकारों के दखल से मिला इंसाफ
नागपुर, 18 जून:
विवेका हॉस्पिटल, नागपुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ अमरावती निवासी एक मरीज की मौत के बाद हॉस्पिटल ने परिजनों से 16 लाख रुपये का बिल थमा दिया और शव 18 घंटे तक नहीं सौंपा।

मृतक 3 जून से अस्पताल में भर्ती था और 18 जून की रात 12 बजे उसकी मौत हो गई। अस्पताल प्रशासन ने शव रोककर रखा, जिससे परिजनों में आक्रोश फैल गया।
इस पर पत्रकारो और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रतापनगर पुलिस को 112 नंबर पर सूचना दी। पीआई पंकज बोन्डसे तत्काल घटनास्थल पर पहुँचे और उनकी मध्यस्थता से शव सौंपा गया।

सामाजिक कार्यकर्ता अनिकेत कुतरमारे ने कहा कि यह एक अमानवीय कृत्य है और वह अब सूचना के अधिकार (RTI) के तहत अस्पताल की संपूर्ण जानकारी माँगेंगे।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन मृतक के परिजनों को विधायक विकास कुंभारे के नाम की धमकी देकर डराने का प्रयास कर रहा था।

पत्रकार अमित वांद्र, विजय खवसे और सामाजिक कार्यकर्ता अनिकेत कुतरमारे, प्रहार के  मोरेश्वर तांदुळकर के साथ अन्य कार्यकर्ताओ की तत्परता से यह मामला शांतिपूर्ण तरीके से सुलझ पाया, लेकिन यह सवाल ज़रूर खड़ा करता है — क्या अस्पताल अब व्यापार बन चुके हैं?अस्पताल कि एच आर श्रद्धा देशमुख का रवैया ठीक नही होने से मामला बिघड रहा था. लेकिन पुलीस ने उसे समझाया. डेड बॉडी रखना कानून अपराध होने के बावजुद भी देशमुख मॅडम पैसे कि मांग पर अडी रही. समाज को लुटने वाले अस्पताल कि अब कुंडली निकालेंगे, दोषी पाने पर सरकार को शिकायत कर अस्पताल को बंद करने कि मांग करेंगे  यह ईशार सामाजिक कार्यकर्ता अनिकेत कुतरमारे ने दिया.

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