यशवंत महाविद्यालय, वर्धा में POCSO Act 2012 पर विधिक साक्षरता शिविर संपन्न
— अपराधमुक्त समाज की दिशा में एक सशक्त पहल
वर्धा, 31 जुलाई 2025:
यशवंत महाविद्यालय, वर्धा में Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO) 2012 पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर महाविद्यालय के लॉ विभाग, आंतरिक शिकायत समिति (ICC) और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA), वर्धा के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।
इस जागरूकता शिविर में 5 वर्षीय और 3 वर्षीय विधि पाठ्यक्रम के छात्र-छात्राओं के साथ-साथ विभिन्न संकायों के विद्यार्थी एवं शिक्षकगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता माननीय न्यायाधीश श्रीमती एस. जे. अंसारी (जिला सत्र न्यायालय, वर्धा) ने POCSO अधिनियम की विभिन्न धाराओं, उनके उद्देश्य, दंड प्रावधानों एवं संवेदनशीलता पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा—
“यह कानून केवल दंडात्मक नहीं, बल्कि बच्चों की गरिमा, सुरक्षा और पुनर्वास की दिशा में एक समर्पित संरचना है।“
इसके पश्चात श्री विवेक देशमुख, न्यायाधीश, DLSA वर्धा, ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा—
“POCSO अधिनियम बाल अधिकारों की रक्षा हेतु एक मील का पत्थर है। विधि विद्यार्थियों को इसकी गहन जानकारी होना आज के समय की प्राथमिक आवश्यकता है।“
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. गिरीश ठाकरे ने अपने उद्बोधन में कहा कि—
“ऐसे विधिक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से हम समाज को अधिक संवेदनशील और उत्तरदायी बना सकते हैं।“
लॉ विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शिप्रा सिंघम ने इंटरनेट की बढ़ती पहुँच और उससे जुड़े खतरों का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों को सतर्क रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा—
“जब अश्लील व आपत्तिजनक सामग्री बच्चों की पहुँच में आ रही हो, तब POCSO जैसे कानूनों की जानकारी देना आवश्यक हो जाता है।“
कार्यक्रम का संचालन प्रणाली हिवरकर (जूनियर कॉलेज शिक्षिका) ने अत्यंत प्रभावी ढंग से किया, वहीं मेशेकर सर (जूनियर कॉलेज शिक्षक) ने आभार प्रदर्शन कर कार्यक्रम को औपचारिक रूप से विराम दिया।
शिविर का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसने उपस्थितजनों में राष्ट्रप्रेम और सामाजिक चेतना की भावना को और अधिक प्रबल किया।
✦ संदेश ✦
“POCSO Act 2012 – हमारे बच्चों की सुरक्षा के लिए एक सशक्त ढाल। यह सिर्फ कानून नहीं, बल्कि उन नन्ही आवाजों की ढाल है जो न्याय की अपेक्षा करती हैं। हमें इसके बारे में न केवल जानना चाहिए, बल्कि इसके विरुद्ध उठ खड़े होने की भी ताकत रखनी चाहिए।”
“आज के जागरूक विद्यार्थी ही कल के न्यायपूर्ण समाज के निर्माता हैं।”
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