पारशिवनी तहसील में दहशत का वातावरण
नागपुर.
नागपुर के पारशिवनी तहसील में पिछले तीन दिनों में दो किसानों की बाघ के हमले में मौत होना क्षेत्र में बाघों के बढ़ते आतंक और वन विभाग के सामने खड़ी गंभीर चुनौतियों को उजागर करता है। यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि दोनों हमले एक ही बाघ ने किए या अलग-अलग बाघ इसके लिए जिम्मेदार हैं, जिससे वन विभाग के लिए समस्या और जटिल हो गई है। ग्रामीणों में दहशत का माहौल है और वन विभाग बाघ को पकड़ने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है, जिसमें स्निफर डॉग स्क्वॉड की मदद भी ली जा रही है।
हमलों की संख्या में लगातार वृद्धि
पारशिवनी का जंगल पेंच टाइगर रिजर्व से सटा हुआ है, और इस क्षेत्र में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इस साल अब तक पांच किसानों की बाघों के हमले में मौत हो चुकी है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। यह मानव-वन्यजीव संघर्ष का एक ज्वलंत उदाहरण है, जहाँ मानव आबादी का विस्तार और वन क्षेत्रों में बढ़ती मानवीय गतिविधियाँ जानवरों को अपने प्राकृतिक आवास से बाहर निकलने पर मजबूर कर रही हैं।
वन विभाग लोगों को बता रहा लापरवाह
वन विभाग का यह कहना सही है कि कई बार ग्रामीणों की लापरवाही भी हमलों का कारण बनती है, जैसे जंगल में मशरूम या जंगली सब्जियां इकट्ठा करने जाना। हालांकि, यह भी सच है कि किसानों को अपनी आजीविका के लिए खेतों और जंगलों के पास जाना पड़ता है। यह स्थिति केवल पारशिवनी की नहीं, बल्कि देश के उन कई वन क्षेत्रों की है जहाँ मानव आबादी और वन्यजीवों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है। सरकार और वन विभाग को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए एक व्यापक रणनीति विकसित करनी होगी, जिसमें वन्यजीव संरक्षण और स्थानीय आबादी की सुरक्षा दोनों को प्राथमिकता दी जाए।
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